पाकिस्तान के कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उसे देश भर में पूरी तरह लॉकडाउन लागू करने को कहा है.
तस्वीर: DW/F. Khan
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मार्च में जब पाकिस्तान में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े तब प्रधानमंत्री इमरान खान ने पूरी तरह लॉकडाउन लगाने से इंकार कर दिया. उनका कहना था कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लॉकडाउन का नुकसान उठाने की हालत में नहीं है. हालात बिगड़ते देख अलग अलग प्रांतों ने खुद ही कुछ रोक निर्धारित कर दीं लेकिन पिछले हफ्ते इमरान खान ने इन्हें भी हटाने की बात कही जिसके लिए उन्हें काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा.
पाकिस्तान में अब तक कोरोना के कुल 1,13,702 मामले सामने आ चुके हैं और 2,255 लोगों की जान जा चुकी है. 10 जून को वहां 5,385 मामले दर्ज किए गए एक दिन में अब तक सबसे ज्यादा हैं. बेहद कम हो रही टेस्टिंग को देखते हुए माना जा रहा है कि असली आंकड़ा और भी ज्यादा है. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पाकिस्तान को पत्र लिख कर कहा है, "आज की तारीख में पाकिस्तान लॉकडाउन खोलने के किसी भी पैमाने पर खरा नहीं उतरता." इस चिट्ठी में आगे कहा गया है कि देश में लोग ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और ना ही नियमित रूप से हाथ धो रहे हैं, इसलिए "बारी बारी से लॉकडाउन जैसे मुश्किल फैसले" लेने होंगे. "बारी बारी से लॉकडाउन" के तहत देश को दो हफ्ते बंद करने और दो हफ्ते के लिए खोलने का सुझाव दिया गया है.
इस वक्त पाकिस्तान में हर दिन 25,000 टेस्ट किए जा रहे हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह संख्या दोगुनी होनी चाहिए. उसका यह भी कहना है कि पाकिस्तान में टेस्ट किए जा रहे लोगों में 25 फीसदी पॉजिटिव मिल रहे हैं, जो कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की ओर इशारा करता है.
धीरे धीरे फैलकर ही कमजोर होगा कोरोना
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इस पत्र का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री इमरान खाने के के विशेष सलाहकार जफर मिर्जा ने कहा है कि देश ने सोच समझ कर धीरे धीरे लॉकडाउन खत्म किया है और दुकानों, मस्जिदों और सार्वजनिक यातायात में उचित दिशानिर्देशों को लागू किया है, "नीति तैयार करने में हमें ऐसे मुश्किल विकल्प चुनने हैं जिनसे लोगों की जान और आजीविका बचाने के बीच संतुलन बनाया जा सके." वहीं पंजाब प्रांत के स्वास्थ्य मंत्री यासमीन राशिद का कहना है कि राज्य सरकार ने वायरस से जुड़े दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ ठोस कदम उठाने के आदेश जारी कर दिए हैं.
देश भर में अस्पतालों की शिकायत है कि वे और मरीजों को भर्ती करने की हालत में नहीं हैं. ऐसे में कई अस्पताल मरीजों को देखने से ही इंकार कर रहे हैं. 22 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में कोरोना से निपटने के लिए मात्र 3,000 आईसीयू बेड मौजूद हैं.
कई देश हफ्तों की कड़ी तालाबंदी से बाहर आ रहे हैं, लेकिन लोग एक दूसरे से दूरी बनाए रखने की हिदायत को नहीं भूल रहे हैं. पार्क हो या धार्मिक स्थल, बीच हो या खुले सिनेमाघर, देखिये कैसे दुनिया भर में हो रहा है इसका पालन.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Assanimoghaddam
रेलवे टिकटघर, भारत
भारत में लॉकडाउन में ढील के बाद रेलगाड़ियां चलने लगी हैं. रेलवे टिकट काउंटर पर सोशल डिस्टैंसिंग का ख्याल रखते हुए टिकट कटवाने की सुविधा है.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
मस्जिद, इंडोनेशिया
जकार्ता की एक बड़ी मस्जिद में एक दूसरे से दूरी बना कर नमाज अदा करते लोग. इंडोनेशिया में कई प्रतिबंध जून के अंत तक लागू रहेंगे, लेकिन मस्जिदों में नमाज अदा करने की इजाजत दे दी गई है.
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ड्राइव इन सिनेमा, जर्मनी
जर्मनी के कोलोन में ड्राइव-इन सिनेमा में अपनी गाड़ियों में बैठे फुटबाल मैच देखते लोग. जर्मनी में लीग फुटबाल मैचों का आयोजन होने लगा है लेकिन स्टेडियमों में दर्शकों का जाना मना है.
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समुद्र तट, तुर्की
तुर्की के अंताल्या में समुद्र के किनारे धूप का आनंद लेने के लिए सजाए गए सन-बेड. तुर्की में समुद्र-तट को जनता के लिए खोल दिया गया है. दूरी बनाए रखना और मास्क पहनना अनिवार्य है.
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पार्क, रूस
रूस के कजान शहर में पार्क में बड़े बड़े गोलों के अंदर बैठे हुए लोग. शुरुआती तालाबंदी के बाद अब रूस में भी कोरोना वायरस से संबंधित प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है.
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नर्सिंग होम, फ्रांस
बोरबोर्ग में एक नर्सिंग होम ने एक टेंट लगाया है. यहां मरीज और उनके रिश्तेदार अलग अलग रास्तों से टेंट में प्रवेश कर पारदर्शी प्लास्टिक के दोनों तरफ बैठ कर बातें कर सकते हैं.
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नर्सिंग होम, फ्रांस
नर्सिंग होम के विशेष टेंट की बाहर से तस्वीर. दोनों छोरों पर दरवाजे हैं जिनसे अंदर जाया जा सकता है. इस तरह के टेंटों को पहले पर्यटन के लिए डिजायन किया गया था.
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बेरूत, लेबनान
लेबनान में संसद की बैठक भी सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन करते हुए हुई. लॉकडाउन के दौरान भी ये लोगों के लिए एक मिसाल थी.
ऑकलैंड में मैटाकाना सिनेमा घर खुल गया है और दर्शक फिर से वापस लौट आए हैं. लेकिन यहां भी सोशल डिस्टैंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है.
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ट्रेक्टर सिनेमा, जर्मनी
जर्मनी के लोअर सैक्सनी में एक बड़े चारागाह में किसान अपने अपने ट्रैक्टरों में बैठ कर परदे पर फिल्म देख रहे हैं. ट्रैक्टरों के बीच की दूरी पर ध्यान दिया आपने?