43 साल की आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी. आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक में बतौर मुख्यमंत्री उनके नाम पर सहमति बनी है. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस्तीफा देने का एलान किया था.
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अरविंद केजरीवाल ने उप राज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद आतिशी मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगी. आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों की 17 सितंबर को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया. उप राज्यपाल से मुलाकात के बाद आप के नेताओं ने कहा कि आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है.
आतिशी, दिल्ली में मुख्यमंत्री पद पर तीसरी महिला होंगी. उनसे पहले बीजेपी नेता सुषमा स्वराज (13 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक) और कांग्रेस की नेता शीला दीक्षित (1998 से 2013 तक) प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. शीला दीक्षित तो तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पार्टी के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आतिशी का नाम प्रस्तावित किया और उसके बाद सभी विधायकों ने उनका समर्थन किया. दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने विधायक दल की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, "आतिशी को विषम परिस्थितियों में जिम्मेदारी सौंपी गई. दिल्ली में जब तक विधानसभा चुनाव नहीं होते, तब तक उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया है."
गोपाल राय ने आगे कहा, "जेल से आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने यह निर्णय लिया कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही उन्हें जेल से बाहर कर दिया हो, लेकिन हम जनता की अदालत में जाएंगे और जब तक दिल्ली की जनता उन्हें दोबारा चुनकर अपना समर्थन नहीं दे देती, तब तक वह मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे."
उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बतौर मुख्यमंत्री आतिशी को पहली जिम्मेदारी यह दी गई है कि वह दिल्ली के दो करोड़ लोगों के साथ मिलकर बीजेपी की ओर से दी जा रही कथित रुकावटों के बावजूद काम जारी रखें. गोपाल राय ने दावा किया कि बीजेपी, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के लोगों के लिए किए गए कामों को रोकना चाहती है. ऐसे में पार्टी ने आतिशी को जिम्मा सौंपा है कि वह बीजेपी की कथित साजिश को रोकें और काम जारी रखें.
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केजरीवाल ने आतिशी को क्यों चुना?
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद आतिशी ने मीडिया से कहा, "मैं केजरीवाल का धन्यवाद करना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी और इसके लिए मुझपर भरोसा किया. यह सिर्फ आम आदमी पार्टी में ही हो सकता है, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हो सकता है, जो पहली बार राजनीति करने वाली महिला को मुख्यमंत्री बनाए. मैं एक सामान्य परिवार से आती हूं. अगर किसी और पार्टी में होती तो शायद चुनाव के लिए टिकट भी नहीं मिलता, लेकिन केजरीवाल ने मुझपर भरोसा किया. मुझे विधायक बनाया, मंत्री बनाया और मुझे मुख्यमंत्री बनने की जिम्मेदारी दी है."
उन्होंने भी बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, "दिल्ली के एकमात्र सीएम अरविंद केजरीवाल हैं. ईमानदार आदमी पर बीजेपी ने झूठे केस किए. उन्हें झूठे मुकदमे में जेल भेजा गया." कई राजनीति टिप्पणीकार आतिशी को केजरीवाल की सबसे भरोसमंद सहयोगियों में से एक मानते हैं. वह फिलहाल अपनी पार्टी में सबसे चर्चित महिला चेहरा भी मानी जाती हैं. इसी साल मार्च में केजरीवाल के जेल जाने के बाद पार्टी से लेकर सरकार तक के मसले पर आतिशी मोर्चा संभालते देखी गईं.
क्या हरियाणा और दिल्ली के चुनाव पर असर होगा?
साल 2020 में आतिशी दिल्ली की कलकाजी सीट से विधायक चुनी गईं थी और 2023 में मंत्री बनीं. फिलहाल उनके पास दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री का पद है. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से सांसदी का भी चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी और क्रिकेटर गौतम गंभीर से 4.77 लाख वोटों के अंतर से हार गई थीं.
केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफा देने और आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले पर पत्रकार मीनू जैन कहती हैं कि मार्च में गिरफ्तारी के समय ही अगर वह इस्तीफा दे देते, तो अच्छा होता. मीनू जैन ने डीडब्ल्यू से बात करते हुए कहा, "उसी वक्त वह इस्तीफा दे देते, तो नैतिकता के उच्चतम मापदंड कायम करते. लेकिन अब जो उन्होंने इस्तीफा देकर आतिशी के हाथों में बागडोर दे दी है, वह मुझे अवसरवादिता ज्यादा लगती है. केजरीवाल ने इस्तीफा देने में बहुत कर दी है. अब इस्तीफा देकर वह यह जताना चाहते हैं कि उन्होंने त्याग कर दिया है."
आगामी हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव में आतिशी के मुख्यमंत्री रहने का असर मतदाताओं पर क्या होगा, इसके जवाब में मीनू जैन कहती हैं, "आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर केजीरवाल ने दो कार्ड खेल लिया. पहला, उनपर परिवारवाद का आरोप नहीं लगा. दूसरा, उन्होंने महिला वोटरों को साधने की कोशिश की है. दिल्ली में केजरीवाल की जीत में महिला वोटरों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. अगर अभी हरियाणा के चुनाव को देखें, तो वहां भी वह बता सकते हैं कि देखिए हमने एक महिला को मुख्यमंत्री बना दिया है. इन सबका असर हरियाणा और दिल्ली में क्या होगा, ये आने वाले समय में ही पता चलेगा."
आम आदमी पार्टी की रोचक यात्रा
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भारत का सबसे युवा राजनीतिक दल है. 2012 में स्थापना से लेकर 2024 में केजरीवाल की गिरफ्तारी तक, 'आप' की यात्रा अन्य दलों से काफी अलग रही है.
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स्थापना
'आप' की स्थापना 26 नवंबर, 2012 को दिल्ली में हुई थी. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को ही उसका मुख्य संस्थापक और संचालक माना जाता है. पार्टी की स्थापना 'लोकपाल आंदोलन' के नाम से जाने जाने वाले भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन के बाद हुई थी, जिसे केजरीवाल और उनके उस समय के कई साथियों ने शुरू किया था.
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कौन हैं केजरीवाल
केजरीवाल सिर्फ करीब 12 सालों से राजनीति में हैं. अपने करियर की शुरुआत में वो पेशे से इंजीनियर थे. उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. बाद में उनका यूपीएससी में चयन हो गया और वो भारतीय राजस्व सेवा में अफसर बन गए.
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एक्टिविज्म में प्रवेश
केजरीवाल ने आयकर विभाग में नौकरी करते हुए 1999 में 'परिवर्तन' नाम का संगठन शुरू किया, जिसका ध्येय था गवर्नेंस के कई क्षेत्रों में सुधार लाने की कोशिश करना. कई साल इसी बैनर के तले एक्टिविज्म करने के बाद, उन्होंने 2006 में आयकर विभाग से इस्तीफा दे दिया. उस समय वो दिल्ली में जॉइंट कमिश्नर थे.
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आरटीआई कार्यकर्ता
इस दौरान केजरीवाल अपने कई साथियों के साथ सूचना के अधिकार की मांग करने वाले आंदोलन में जुट गए थे. 2006 में ही उन्हें सूचना के अधिकार के क्षेत्र में ही उनके काम के लिए रमोन मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया.
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लोकपाल आंदोलन
2011 में यूपीए सरकार के खिलाफ घोटालों के आरोपों के बीच केजरीवाल ने कई और लोगों के साथ मिल कर भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने के लिए एक निष्पक्ष और मजबूत संस्था लोकपाल के गठन की मांग के लिए एक आंदोलन शुरू किया. आंदोलन का चेहरा महाराष्ट्र के समाजसेवी अन्ना हजारे को बनाया गया, लेकिन आंदोलन का संचालन केजरीवाल, किरण बेदी, प्रशांत भूषण, मनीष सिसोदिया, संतोष हेगड़े समेत कई लोगों ने किया.
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आंदोलन से पार्टी
जब आंदोलन लोकपाल के गठन के लिए केंद्र सरकार को मजबूर करने में असफल रहा, तब केजरीवाल और कुछ साथियों ने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया. उनके कई साथी इस मोड़ ओर उनसे अलग हो गए, लेकिन केजरीवाल और उनके समर्थकों ने नवंबर, 2012 में 'आम आदमी पार्टी' (आप) की स्थापना की.
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चुनावी सफलता
'आप' ने 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी पहली चुनावी परीक्षा में ही अच्छा प्रदर्शन किया और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी. 'आप' ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया और सरकार बना ली. यह सरकार सिर्फ 49 दिनों तक चली. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. लेकिन 2015 में फिर से चुनाव हुए और 'आप' ने दिल्ली की 70 सीटों में 67 जीत कर भारी बहुमत से सरकार बनाई.
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विस्तार
दिल्ली में 2020 में 'आप' ने फिर से जीत दर्ज की और केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. इस बीच पार्टी ने दूसरे राज्यों में भी विस्तार करना शुरू कर दिया था. 2014 में पार्टी ने लोकसभा चुनाव भी लड़े और पंजाब से चार सीटों पर जीत दर्ज की. 2022 में पार्टी ने पंजाब में भी सरकार बना ली.
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राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
2022 में ही 'आप' ने गुजरात विधानसभा में तीसरा स्थान हासिल कर लिया. अप्रैल, 2023 में चुनाव आयोग ने उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया. उसे गोवा में भी राज्य स्तर की पार्टी का दर्जा प्राप्त है.
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आबकारी 'घोटाला'
2021 में दिल्ली में 'आप' की सरकार ने एक नई आबकारी नीति लागू की. जुलाई 2022 में मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नीति में अनियमितताओं का दावा किया. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पूरे मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. सीबीआई ने धीरे धीरे इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल थे. मार्च, 2024 में प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में केजरीवाल को भी हिरासत में ले लिया.
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बीजेपी ने कहा "कठपुतली सीएम"
आतिशी को सीएम बनाए जाने पर दिल्ली बीजेपी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी किया है. इसमें आतिशी को केजरीवाल की कठपुतली दिखाया गया है. एक्स पर जारी इस पोस्ट में बीजेपी ने लिखा, "दिल्ली की कठपुतली मुख्यमंत्री."
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया, "मुख्यममंत्री का चेहरा बदल गया है, लेकिन आम आदमी पार्टी का भ्रष्टाचारी चरित्र वही है."
आप के भी कई नेता आतिशी को अस्थायी सीएम या खड़ाऊं सीएम कह रहे हैं. आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठता है क्योंकि जनादेश अरविंद केजरीवाल का है. जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुना है." गोपाल राय की तरह सौरभ भारद्वाज ने भी कहा कि जब तक जनता केजरीवाल को दोबारा नहीं चुनेगी, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे.
ऐसे में जानकार भी कह रहे हैं कि आप नेताओं के ऐसे बयान मुख्यमंत्री पद की गरिमा को कम कर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "आप के नेताओं के बयान से आतिशी की स्थिति कमजोर हो रही है. आप के नेता खुद भी साबित कर रहे हैं कि वह कठपुतली हैं या डमी सीएम हैं, ऐसे में उन्हें ही नुकसान होगा."
इस राजनीतिक घटनाक्रम के दिल्ली विधानसभा चुनाव पर संभावित असर को लेकर आशुतोष कहते हैं, "दिल्ली का चुनाव आम आदमी पार्टी केजरीवाल के चेहरे के साथ लड़ेगी, अब सबकुछ इस बात पर तय होगा कि बीजेपी केजरीवाल से मुकाबला करने के लिए मजबूत चेहरा उतार पाती है या नहीं क्योंकि पिछले 10 साल से केजरीवाल ने ही दिल्ली में सरकार चलाई है."
आशुतोष कहते हैं कि केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला "इमोनेशनल कार्ड" खेलते हुए किया है क्योंकि उनके सामने सत्ता विरोधी लहर से लड़ना एक चुनौती है और इस कथित लहर को काटने के लिए उन्होंने इस्तीफा देने का विकल्प चुना.
क्या है दिल्ली का आबकारी 'घोटाला'
आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार जब नई आबकारी नीति लेकर आई थी, तब किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि इसकी वजह से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ही जेल हो जाएगी. एक नजर इस नीति पर और इसमें कथित अनियमितताओं के आरोपों पर.
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2021 में आई नीति
दिल्ली की नई आबकारी नीति 'आप' सरकार ने 2021 में लागू की थी. इसके तहत दिल्ली सरकार को शराब की बिक्री के व्यापार से पूरी तरह बाहर निकालने की योजना बनाई गई थी. आम आदमी पार्टी के मुताबिक इस नीति का मकसद सरकार का राजस्व बढ़ाने के अलावा शराब की काला बाजारी खत्म करना, विक्रेताओं के लिए लाइसेंस के नियमों को लचीला बनाना और उपभोक्ताओं के अनुभवों को बेहतर बनाना था.
तस्वीर: picture alliance/dpa
घर पर डिलीवरी
नई नीति के तहत शराब की दुकानें सुबह तीन बजे तक खुली रखने और शराब की घर पर डिलीवरी करवाने जैसे नियम भी प्रस्तावित थे. साथ ही शराब विक्रेताओं को दामों में छूट देने की इजाजत भी दी गई थी.
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बढ़ी सरकार की कमाई
कुछ महीनों तक उपभोक्ताओं को शराब के दामों में भारी छूट भी मिली. नतीजतन शराब दुकानों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं. एक रिपोर्ट के अनुसार इससे दिल्ली सरकार के रेवन्यू में 27 फीसदी की वृद्धि हुई और राज्य ने लगभग 8,900 करोड़ रुपए कमाए.
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जांच के आदेश
लेकिन नीति लागू होने से पहले ही दिल्ली के शराब बाजार में जो उथल पुथल शुरू हुई वो कई महीनों तक चलती रही. लगभग आधी दुकानें बंद हो गईं. अप्रैल 2022 में जब दिल्ली में नए मुख्य सचिव नरेश कुमार की नियुक्ति हुई तो उन्होंने नई नीति में जांच के आदेश दिए.
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अनियमितताओं के आरोप
जुलाई 2022 में मुख्य सचिव ने उप राज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट पेश की जिसमें उन्होंने नीति में अनियमितताओं का दावा किया. इस रिपोर्ट में आरोप लगाए गए कि बतौर आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने शराब विक्रेताओं को लाइसेंस देने के बदले कमीशन और रिश्वत ली.
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कमीशन और रिश्वत
नरेश कुमार ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि लाइसेंस फीस और शराब की कीमतों में नियमों को ताक पर रखकर छूट दी गई, जिससे सरकार को करीब 144 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ. यह भी दावा किया गया कि कमीशन और रिश्वत से मिली रकम का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने फरवरी 2022 में हुए पंजाब विधानसभा चुनावों में किया.
तस्वीर: Charu Kartikeya/DW
सीबीआई ने शुरू की जांच
मुख्य सचिव ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को भी अपनी रिपोर्ट सौंपी और इस मामले में जांच करने के लिए कहा. इसी रिपोर्ट के आधार पर उप राज्यपाल ने पूरे मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी. सीबीआई ने अगस्त 2022 में सिसोदिया समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया.
तस्वीर: BIJU BORO/AFP/Getty Images
उप-मुख्यमंत्री गिरफ्तार
आरोपियों में तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर समेत तीन अफसर, दो कंपनियां और नौ कारोबारी शामिल थे. मनीष सिसोदिया के घर छापे मारे गए और कई बार पूछताछ के बाद 26 फरवरी 2023 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
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केजरीवाल की भूमिका
पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सीधे तौर पर इस मामले में नाम नहीं था लेकिन बाद में तेलंगाना के निजामाबाद से विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता को गिरफ्तार किया गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कविता के अकाउंटेंट बुचीबाबू से भी इस मामले में पूछताछ की गई और उन्होंने ही केजरीवाल का नाम लिया.
तस्वीर: Satyajit Shaw/DW
मुख्यमंत्री गिरफ्तार
सीबीआई की एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में अगस्त, 2022 में धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मामला दर्ज किया और 21 मार्च, 2024 को इसी मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. तब से मुख्यमंत्री तिहाड़ जेल में हैं. 26 जून को उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट के परिसर से सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया.