1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कौन हैं दिल्ली की अगली मुख्यमंत्री आतिशी

१७ सितम्बर २०२४

43 साल की आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी. आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक में बतौर मुख्यमंत्री उनके नाम पर सहमति बनी है. सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस्तीफा देने का एलान किया था.

आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी
आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी तस्वीर: Imago/Hindustan Times/R. J. Raj

अरविंद केजरीवाल ने उप राज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद आतिशी मुख्यमंत्री पद की कमान संभालेंगी. आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों की 17 सितंबर को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया. उप राज्यपाल से मुलाकात के बाद आप के नेताओं ने कहा कि आतिशी ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है.

आतिशी, दिल्ली में मुख्यमंत्री पद पर तीसरी महिला होंगी. उनसे पहले बीजेपी नेता सुषमा स्वराज (13 अक्टूबर 1998 से 3 दिसंबर 1998 तक) और कांग्रेस की नेता शीला दीक्षित (1998 से 2013 तक) प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. शीला दीक्षित तो तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पार्टी के विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आतिशी का नाम प्रस्तावित किया और उसके बाद सभी विधायकों ने उनका समर्थन किया. दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने विधायक दल की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, "आतिशी को विषम परिस्थितियों में जिम्मेदारी सौंपी गई. दिल्ली में जब तक विधानसभा चुनाव नहीं होते, तब तक उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपा गया है."

फिर लौटा सीबीआई पर 'पिंजरे में बंद' तोते का टैग

गोपाल राय ने आगे कहा, "जेल से आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने यह निर्णय लिया कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही उन्हें जेल से बाहर कर दिया हो, लेकिन हम जनता की अदालत में जाएंगे और जब तक दिल्ली की जनता उन्हें दोबारा चुनकर अपना समर्थन नहीं दे देती, तब तक वह मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे."

उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बतौर मुख्यमंत्री आतिशी को पहली जिम्मेदारी यह दी गई है कि वह दिल्ली के दो करोड़ लोगों के साथ मिलकर बीजेपी की ओर से दी जा रही कथित रुकावटों के बावजूद काम जारी रखें. गोपाल राय ने दावा किया कि बीजेपी, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली के लोगों के लिए किए गए कामों को रोकना चाहती है. ऐसे में पार्टी ने आतिशी को जिम्मा सौंपा है कि वह बीजेपी की कथित साजिश को रोकें और काम जारी रखें.

केजरीवाल ने आतिशी को क्यों चुना?

विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद आतिशी ने मीडिया से कहा, "मैं केजरीवाल का धन्यवाद करना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी और इसके लिए मुझपर भरोसा किया. यह सिर्फ आम आदमी पार्टी में ही हो सकता है, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हो सकता है, जो पहली बार राजनीति करने वाली महिला को मुख्यमंत्री बनाए. मैं एक सामान्य परिवार से आती हूं. अगर किसी और पार्टी में होती तो शायद चुनाव के लिए टिकट भी नहीं मिलता, लेकिन केजरीवाल ने मुझपर भरोसा किया. मुझे विधायक बनाया, मंत्री बनाया और मुझे मुख्यमंत्री बनने की जिम्मेदारी दी है."

उन्होंने भी बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा, "दिल्ली के एकमात्र सीएम अरविंद केजरीवाल हैं. ईमानदार आदमी पर बीजेपी ने झूठे केस किए. उन्हें झूठे मुकदमे में जेल भेजा गया." कई राजनीति टिप्पणीकार आतिशी को केजरीवाल की सबसे भरोसमंद सहयोगियों में से एक मानते हैं. वह फिलहाल अपनी पार्टी में सबसे चर्चित महिला चेहरा भी मानी जाती हैं. इसी साल मार्च में केजरीवाल के जेल जाने के बाद पार्टी से लेकर सरकार तक के मसले पर आतिशी मोर्चा संभालते देखी गईं.

कथित शराब नीति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से अरविंद केजरीवाल को जमानत मिली हैतस्वीर: BIJU BORO/AFP/Getty Images

क्या हरियाणा और दिल्ली के चुनाव पर असर होगा?

साल 2020 में आतिशी दिल्ली की कलकाजी सीट से विधायक चुनी गईं थी और 2023 में मंत्री बनीं. फिलहाल उनके पास दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के साथ-साथ पीडब्ल्यूडी, संस्कृति और पर्यटन मंत्री का पद है. उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से सांसदी का भी चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी और क्रिकेटर गौतम गंभीर से 4.77 लाख वोटों के अंतर से हार गई थीं.

केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफा देने और आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने के फैसले पर पत्रकार मीनू जैन कहती हैं कि मार्च में गिरफ्तारी के समय ही अगर वह इस्तीफा दे देते, तो अच्छा होता. मीनू जैन ने डीडब्ल्यू से बात करते हुए कहा, "उसी वक्त वह इस्तीफा दे देते, तो नैतिकता के उच्चतम मापदंड कायम करते. लेकिन अब जो उन्होंने इस्तीफा देकर आतिशी के हाथों में बागडोर दे दी है, वह मुझे अवसरवादिता ज्यादा लगती है. केजरीवाल ने इस्तीफा देने में बहुत कर दी है. अब इस्तीफा देकर वह यह जताना चाहते हैं कि उन्होंने त्याग कर दिया है."

क्या दिल्ली में फिर लग सकता है राष्ट्रपति शासन

आगामी हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव में आतिशी के मुख्यमंत्री रहने का असर मतदाताओं पर क्या होगा, इसके जवाब में मीनू जैन कहती हैं, "आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर केजीरवाल ने दो कार्ड खेल लिया. पहला, उनपर परिवारवाद का आरोप नहीं लगा. दूसरा, उन्होंने महिला वोटरों को साधने की कोशिश की है. दिल्ली में केजरीवाल की जीत में महिला वोटरों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. अगर अभी हरियाणा के चुनाव को देखें, तो वहां भी वह बता सकते हैं कि देखिए हमने एक महिला को मुख्यमंत्री बना दिया है. इन सबका असर हरियाणा और दिल्ली में क्या होगा, ये आने वाले समय में ही पता चलेगा."

बीजेपी ने कहा "कठपुतली सीएम"

आतिशी को सीएम बनाए जाने पर दिल्ली बीजेपी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी किया है. इसमें आतिशी को केजरीवाल की कठपुतली दिखाया गया है. एक्स पर जारी इस पोस्ट में बीजेपी ने लिखा, "दिल्ली की कठपुतली मुख्यमंत्री."

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया, "मुख्यममंत्री का चेहरा बदल गया है, लेकिन आम आदमी पार्टी का भ्रष्टाचारी चरित्र वही है."

आप के भी कई नेता आतिशी को अस्थायी सीएम या खड़ाऊं सीएम कह रहे हैं. आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठता है क्योंकि जनादेश अरविंद केजरीवाल का है. जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुना है." गोपाल राय की तरह सौरभ भारद्वाज ने भी कहा कि जब तक जनता केजरीवाल को दोबारा नहीं चुनेगी, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे.

ऐसे में जानकार भी कह रहे हैं कि आप नेताओं के ऐसे बयान मुख्यमंत्री पद की गरिमा को कम कर रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "आप के नेताओं के बयान से आतिशी की स्थिति कमजोर हो रही है. आप के नेता खुद भी साबित कर रहे हैं कि वह कठपुतली हैं या डमी सीएम हैं, ऐसे में उन्हें ही नुकसान होगा."

इस राजनीतिक घटनाक्रम के दिल्ली विधानसभा चुनाव पर संभावित असर को लेकर आशुतोष कहते हैं, "दिल्ली का चुनाव आम आदमी पार्टी केजरीवाल के चेहरे के साथ लड़ेगी, अब सबकुछ इस बात पर तय होगा कि बीजेपी केजरीवाल से मुकाबला करने के लिए मजबूत चेहरा उतार पाती है या नहीं क्योंकि पिछले 10 साल से केजरीवाल ने ही दिल्ली में सरकार चलाई है."

आशुतोष कहते हैं कि केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला "इमोनेशनल कार्ड" खेलते हुए किया है क्योंकि उनके सामने सत्ता विरोधी लहर से लड़ना एक चुनौती है और इस कथित लहर को काटने के लिए उन्होंने इस्तीफा देने का विकल्प चुना.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें