1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिउत्तरी कोरिया

क्या किम जोंग की 12 साल की बेटी बनेगी देश की अगली तानाशाह

१० जनवरी २०२३

बीते दिनों किम जोंग मिसाइल लॉन्च के मौके पर अपनी 12 साल की बेटी किम जू के साथ नजर आए. सेना के बड़े अधिकारी किम जू के आगे सिर झुकाते दिखे. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद किम जोंग बेटी को वारिस चुन सकते हैं.

उत्तर कोरिया के तानाशाह सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपनी बेटी के साथ देखे गए हैं. कुछ समय से उनके बीमार होने की भी अटकलें लग रही हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद वो किम जू को अपना राजनैतिक वारिस चुन सकते हैं.
उत्तर कोरिया के तानाशाह सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपनी बेटी के साथ देखे गए हैं. कुछ समय से उनके बीमार होने की भी अटकलें लग रही हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद वो किम जू को अपना राजनैतिक वारिस चुन सकते हैं. तस्वीर: Korean Central News Agency/AP Photo/picture alliance

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन, बीते दिनों अपनी बेटी के साथ नजर आए. नवंबर 2022 में एक मिसाइल लॉन्च के मौके पर अपनी बेटी का हाथ थामे उनकी तस्वीरें बाहर आईं. उनकी बड़ी बेटी किम जू ए, उनके साथ सैनिकों का अभिवादन स्वीकार करती भी दिखीं. खबरों के मुताबिक, किम जू 12 साल की है. किके तीन बच्चों में वो दूसरे नंबर की है. कथित तौर पर इसके अलावा भी किम के दो और बच्चे हैं - एक बेटा और एक और बेटी.

किम जोंग उन के साथ किम जू के सार्वजनिक तौर पर नजर आने के कई मायने निकाले गए. दक्षिण कोरिया के खुफिया विभाग ने इसका अनुवाद कुछ यूं किया कि शायद किम इस बहाने दुनिया को संकेत देना चाहते हैं कि उनकी आने वाली पीढ़ियां भी उत्तर कोरिया की सत्ता पर अपना नियंत्रण बनाए रखेंगी. यानी, किम के बच्चे भी तानाशाही की पारिवारिक परंपरा का हिस्सा बनेंगे. जनवरी 2023 में दक्षिण कोरिया की नेशनल इंटेलिजेंस सर्विस ने देश के वरिष्ठ राजनेताओं को दी गई एक ब्रीफिंग में बताया कि किम जोंग, अपनी बेटी को सार्वजनिक जगहों पर साथ ले जाकर उसे अपना राजनैतिक वारिस चुनने से जुड़ा स्पष्ट संकेत दे रहे हैं.

हालांकि कई जानकार कहते हैं कि अभी किम जू के उत्तराधिकारी बनने की संभावनाओं पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है. इस तर्क के पीछे वजह है, उत्तर कोरिया का पुरुष प्रधान समाज. ऐसे माहौल में अगर आगे चलकर किम जोंग बेटी को उत्तराधिकारी बनाने का फैसला करते हैं, तो देश की सेना और राजनीति में बड़े पदों पर बैठे पुरुष विरोध कर सकते हैं.

स्पष्ट नहीं है किम की मंशा

विश्लेषकों का कहना है कि किम की मंशा केवल वही जानते हैं. उत्तर कोरिया की मीडिया से आई तस्वीरों में देश के वरिष्ठ अधिकारी किम जू के आगे सिर झुकाते हुए नजर आते हैं. साथ ही, वहां की मीडिया किम जू को अपने पिता का सबसे प्यारा बच्चा भी बताती है. यहां एक गौर करने वाली बात यह भी है कि किम जू के दूसरे भाई-बहनों के बारे में बहुत ही कम जानकारी उपलब्ध है.

दिसंबर 2011 में अपने पिता की अचानक हुई मौत के बाद किम जोंग ने उनकी जगह ली. हालांकि इससे पहले कई साल तक उन्हें अपने पिता का राजनैतिक वारिस नहीं माना जाता था. लंबे समय तक ये माना जाता था कि किम जोंग के सौतेले बड़े भाई किम जोंग नाम को सत्ता मिलेगी. लेकिन 2001 में किम जोंग नाम को टोक्यो के एक हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया गया. वह डोमिनिकन रिपब्लिक के एक फर्जी पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे और उनका इरादा डिज्नीलैंड घूमने का था.

खबरों के मुताबिक, इस घटना से उनके पिता किम जोंग इल बेहद नाराज हुए थे. आगे चलकर उत्तराधिकार की रेस में भले किम जोंग ने अपने भाई किम जोंग नाम से बाजी मार ली हो, लेकिन इसके बाद भी वह उन्हें अपनी सत्ता के लिए खतरा मानते रहे. फरवरी 2017 में कुआलालंपुर एयरपोर्ट पर किम जोंग नाम की हत्या कर दी गई. उन्हें मारने के लिए वीएक्स नर्व एजेंट का इस्तेमाल किया गया. खबरों के मुताबिक, हत्यारे जल्द ही उत्तर कोरिया भाग गए.

नवंबर 2022 में आई इस तस्वीर में किम जोंग अपनी बेटी किम जू के साथ नजर आए. ये तस्वीर नॉर्थ कोरिया की नई इंटरनैशनल बलिस्टिक मिसाइल की टेस्ट फायरिंग के मौके पर ली गई थी. इस अवसर पर किम जोंग और किम जू देश के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, सैन्य अधिकारियों और टेस्ट फायरिंग में शामिल बाकी लोगों से मिले. तस्वीर: KCNA via REUTERS

क्या किम जोंग उन बीमार हैं?

उत्तर कोरिया से आ रहे कुछ संकेतों से अनुमान लगाया जा रहा है कि किम जोंग की सेहत ठीक नहीं है. उनका वजन ज्यादा है. सिगरेट पीने की भी लत है. ऐसी भी आशंका है कि अपने पिता की तरह उन्हें भी आर्थराइटिस और डायबिटीज की समस्या है. वो अभी केवल 39 साल के हैं, लेकिन शायद स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों के कारण अभी से ही उनके राजनैतिक वारिस पर चर्चा शुरू हो गई है.

उत्तराधिकारी की संभावनाओं पर बात करते हुए तोक्यो की वासेदा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर तोशिमित्सु शिगेमूरा बताते हैं, "मुझे यह बहुत मुमकिन नहीं लगता कि ये लड़की (किम जू) अपने पिता की जगह ले सकेगी. इसकी मुख्य वजह ये है कि वो लड़की है." प्रोफेसर तोशिमित्सु ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "उत्तर कोरिया बेहद रूढ़िवादी और कन्फ्यूशियनिस्ट समाज है. इसका मतलब यह है कि किम जू का अपने पिता का उत्तराधिकारी बनकर सामने आना नामुमकिन है." प्रोफेसर तोशिमित्सु ने यह भी बताया कि समय आने पर किम जोंग अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाएंगे क्योंकि वह सत्ता प्रमुख का पद अपने ही परिवार में रखना चाहेंगे.

उत्तर कोरिया में इसे "पाकेतु ब्लडलाइन" कहा जाता है. माउंट पाकेतु, चीन के साथ जुड़ी उत्तर कोरिया की सीमा के पास है. उत्तर कोरिया के प्रोपेगैंडा चैनल्स दावा करते हैं कि इसी जगह पर किम जोंग के दादा और देश के संस्थापक किम जोंग उन का गुरिल्ला बेस था. 1940 के दशक में यहीं से वो जापानी औपनिवेशिक ताकतों से लड़ते थे. हालांकि कई जगहों पर यह भी जानकारी मिलती है कि किम जोंग उन ने अपना ज्यादातर समय रूस में विस्थापित लोगों के लिए बने शिविरों में गुजारा. वो कोरियन युद्ध खत्म होने तक यहीं रहे और युद्ध के बाद रूस ने अपने कठपुतली शासक के तौर पर उन्हें नॉर्थ कोरिया की सत्ता में स्थापित किया.

असंतोष को दबाने की कोशिश हो सकती है

प्रोफेसर तोशिमित्सु का मानना है कि अपनी बेटी के साथ नजर आना किम जोंग की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकती है. इसके बहाने वो लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं. यह संकेत देना चाहते हैं कि उनका परिवार एकसाथ है, सुखी है. इसके अलावा वो यह भी चाहते हैं कि देश की जनता एक पिता और लीडर के तौर पर उनसे प्रभावित हो.

उत्तर कोरियामें बुजुर्गों के बीच अब भी किम परिवार के लिए काफी सम्मान है. लेकिन विदेशी टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों की देश में बढ़ती तस्करी के बीच युवाओं में किम परिवार के लिए समर्थन घट रहा है. ऐसे में बेटी के साथ दिखकर शायद किम यह संकेत देना चाहते हैं कि उनका परिवार आगे भी शासन करता रहेगा. यह बढ़ते असंतोष को दबाने की दिशा में उनकी एक कोशिश हो सकती है.

क्या पूरे के पूरे देश हैक हो सकते हैं?

03:45

This browser does not support the video element.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें