1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या रंग लाएगी पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख की नियुक्ति

२५ नवम्बर २०२२

पाकिस्तान में आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर को देश का नया सेना प्रमुख बनाया गया है. मुनीर को सेना प्रमुख बनाने के पीछे आखिर क्या रणनीति है?

लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर
पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मुनीर तस्वीर: W.K. Yousufzai/AP/picture alliance

पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना के प्रमुख के पद पर आसिम मुनीर की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब सेना और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच तकरार चल रही है. खान ने सेना पर आरोप लगाया है कि कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री पद के उनके हाथ से चले जाने में सेना की भी भूमिका है.

खान तब से सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे हैं. उनका मुनीर के साथ भी एक खास रिश्ता है. आखिर कौन हैं आसिफ मुनीर और क्यों बनाया गया है उन्हें सेना प्रमुख?

सामरिक तैनाती का तजुर्बा

सेना के पूर्व अधिकारियों का कहना है कि मुनीर एक स्कूल शिक्षक के बेटे हैं और वो रावलपिंडी में बड़े हुए. एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि उन्हें सेना की अकादमी में 'सोर्ड ऑफ ऑनर' अवाॉर्ड मिला था.

1971 युद्ध : सब कुछ हमारी आंखों के सामने हो रहा था

04:50

This browser does not support the video element.

मुनीर की ऐसे इलाकों में भी तैनाती रही है जो चीन की सीमा के करीब हैं और जिन पर पाकिस्तान का भारत के साथ विवाद है. वो सऊदी अरब में भी काम कर चुके हैं, जो पाकिस्तान का एक प्रमुख वित्तीय समर्थक है.

बाद में उन्होंने पाकिस्तान की दो सबसे प्रभावशाली गुप्तचर एजेंसियों के मुखिया के रूप में काम किया. 2017 में वो मिलिटरी इंटेलिजेंस के प्रमुख रहे और फिर 2018 में वो आईएसआई के प्रमुख बने.

इस पद पर उन्हें बस आठ महीने ही हुए थे जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के अनुरोध पर उन्हें हटा दिया गया. उन्हें हटाये जाने का कोई कारण भी नहीं दिया गया था. इस समय वो आर्मी के क्वार्टरमास्टर जनरल के पद पर सेवा दे रहे हैं और सेना की आपूर्ति के इनचार्ज हैं.

"स्पष्ट सोच" वाला जनरल  

मुनीर बतौर सेना प्रमुख अपना कार्यकाल खत्म करने वाले जनरल कमर जावेद बाजवा के बाद सबसे वरिष्ठ रैंक वाले जनरल भी हैं. मुनीर का 3 साल का कार्यकाल 29 नवंबर को शुरू होगा. मुनीर के साथ काम कर चुके एक पूर्व जनरल ने उन्हें "स्पष्ट सोच" वाला बताया.

तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के अनुरोध पर मुनीर को आईएसआई प्रमुख के पद से हटा दिया गया था तस्वीर: K.M. Chaudary/AP/dpa/picture alliance

बाजवा ने सेना को राजनीति से अलग करने की शपथ ली थी और मुनीर के सामने इसे आगे बढ़ाने की चुनौती होगी. उनके अपने राजनीतिक संबंधों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन विश्लेषकों को सेना के एक गैरराजनीतिक संस्थान बनने पर संदेह है.

खान समेत कई सिविलयन नेता सेना पर उन्हें सत्ता से हटाने का आरोप लगा चुके हैं. सबसे ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ भी सेना पर यह इल्जाम लगा चुके हैं. खान को सत्ता से निकालने में सेना ने किसी भी भूमिका से इंकार किया है, लेकिन विश्लेषकों को लगता है कि खान को सत्ता से बाहर रखने की सेना की कोशिशें मुनीर जारी रखेंगे.

खत्म हो रहा है सेना का संयम?

विश्लेषक जाहिद हुसैन ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "राजनीतिक प्रक्रिया बहुत कमजोर है और लोकतांत्रिक संस्थाएं लगभग ढह जाने के कगार पर हैं. ऐसी स्थिति में, सेना अपनेआप शक्ति की मध्यस्थ बन जाती है."

आने वाले दिनों में सेना का रुख आक्रामक होने के संकेत खुद बाजवा ने दिये हैं. बुधवार 23 नवंबर को उन्होंने फेयरवेल भाषण में कहा कि सेना और लोगों के बीच दरार पैदा करने वाले सफल नहीं होंगे. उन्होंने यह भी कहा, "सेना अभी तक संयम से पेश आ रही है लेकिन सबको यह मालूम होना चाहिए कि इस संयम की एक सीमा है."

सीके/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें