प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के जामनगर में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस की उपस्थिति में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की आधारशिला रखी.
सेंटर के उद्घाटन में डब्ल्यूएचओ के प्रमुख और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीतस्वीर: Indian Press Information Bureau/AFP
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को जामनगर में अपना ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रडिशनल मेडिसिन लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य आधुनिक विज्ञान के साथ प्राचीन प्रथाओं को मिलाकर इसकी क्षमता का इस्तेमाल करना है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस की उपस्थिति में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की आधारशिला रखी.
जीसीटीएम दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक आउटपोस्ट केंद्र होगा. यह वैश्विक कल्याण के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभरेगा. इस मौके पर बांग्लादेश, भूटान, नेपाल के प्रधानमंत्रियों और मालदीव के राष्ट्रपति के वीडियो संदेश चलाए गए.
मोदी ने उद्घाटन के मौके पर कहा इससे दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के युग की शुरूआत होगी. मोदी ने कहा, "यह केंद्र अगले 25 सालों में दुनिया में पारंपरिक चिकित्सा के युग की शुरूआत करेगा. इससे पुरानी चिकित्सा पद्धति और आधुनिक विज्ञान को साथ आने का मौका मिलेगा."
पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल पूरी दुनिया में होता हैतस्वीर: lev dolgachov/Zoonar/picture alliance
उद्घाटन समारोह में गेब्रयेसुस ने कहा कि केंद्र के पांच मुख्य क्षेत्रों में अनुसंधान और नेतृत्व, साक्ष्य एवं शिक्षा, डेटा एवं विश्लेषण, स्थायित्व एवं समानता और नवाचार एवं प्रौद्योगिकी शामिल होंगे. गेब्रयेसुस ने कहा, "ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर कोई संयोग नहीं है. मेरे भारतीय शिक्षकों ने मुझे पारंपरिक दवाओं के बारे में अच्छी तरह से सिखाया और मैं बहुत आभारी हूं."
क्या है ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन
डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन पारंपरिक चिकित्सा के लिए एक ज्ञान केंद्र है. डब्ल्यूएचओ इसकी स्थापना भारत सरकार के सहयोग से कर रहा है. भविष्य में यह वैश्विक कल्याण के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभरेगा. केंद्र में पारंपरिक औषधियों को वैज्ञानिक तरीके से बेहतर बनाने का काम होगा.
बताया जा रहा है कि केंद्र का लक्ष्य पारंपरिक दवाओं की क्षमता को तकनीकी प्रगति और साक्ष्य आधारित शोध के साथ जोड़ना है. यही नहीं केंद्र की मदद से दुनिया भर की पारंपरिक मेडिसिन की क्षमता का इस्तेमाल करना भी शामिल है.
डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल सेंटर के लिए मोदी के पांच लक्ष्य
मोदी ने डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल सेंटर के लिए पांच लक्ष्यों को जारी किया है, जिसमें तकनीक का उपयोग करने वाली पारंपरिक दवाओं के लिए एक डेटाबेस का संकलन शामिल है. दूसरा-जीसीटीएम पारंपरिक दवाओं के परीक्षण और सर्टिफिकेशन के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक बना सकता है ताकि इन दवाओं में विश्वास बढ़े. तीसरा- जीसीटीएम को एक ऐसे मंच के रूप में विकसित किया जाएगा जहां पारंपरिक दवाओं के वैश्विक विशेषज्ञ एक साथ आएं और अनुभव साझा करें. चौथा-जीसीटीएम को पारंपरिक दवाओं के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए धन जुटाना चाहिए और पांचवां-जीसीटीएम को विशिष्ट रोगों के समग्र उपचार के लिए प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए ताकि रोगियों को पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों से लाभ मिल सके.
ऐसा माना जाता है कि दुनिया की लगभग 80 प्रतिशत आबादी पारंपरिक चिकित्सा, जैसे कि हर्बल मिश्रण, एक्यूपंक्चर, योग, आयुर्वेदिक चिकित्सा और स्वदेशी चिकित्सा का उपयोग करती है. गेब्रयेसुस ने कहा, "दुनिया भर में लाखों लोग कई बीमारियों के इलाज के लिए पारंपरिक मेडिसिन को पहली पसंद के रूप में चुनते हैं."
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
इलाज के और भी कई तरीके हैं
भारत में डॉक्टर एनएमसी विधेयक से नाराज हैं क्योंकि यह वैकल्पिक चिकित्सा को मुख्यधारा से जोड़ता है. लेकिन यह वैकल्पिक चिकित्सा या अल्टरनेटिव मेडिसिन है क्या?
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एलोपैथी
भारत के अलावा शायद ही कहीं इस शब्द का इस्तेमाल होता है. आम तौर पर इसे मेनस्ट्रीम मेडिसिन कहा जाता है क्योंकि दुनिया भर में दवा से इलाज का यही तरीका स्थापित है. इसके अलावा हर तरीके को अल्टरनेटिव माना जाता है. इसमें घरेलू नुस्खे भी आते हैं और कुछ तरह की खास तकनीक भी.
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आयुर्वेद
जड़ी बूटियों पर आधारित भारत का प्राचीन विज्ञान आयुर्वेद अब विदेशों में भी प्रचलित होने लगा है. भारत में कई कॉलेज हैं जहां आयुर्वेद की पढ़ाई की जा सकती है. आयुर्वेद के डॉक्टर अक्सर नाड़ी पकड़कर ही बीमारी के बारे में बता देते हैं.
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नैचुरोपैथी
यह भी आयुर्वेद जैसा ही है लेकिन पश्चिम के सिद्धांतों और वहां मिलने वाली चीजों पर आधारित है. जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें नेचर यानि कुदरत पर यकीन किया जाता है. दवाओं की जगह तरह तरह के फूल पत्तों और बीजों का इस्तेमाल किया जाता है.
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होम्योपैथी
जर्मनी से निकला चिकित्सा का यह तरीका आज जर्मनी से ज्यादा भारत में लोकप्रिय है. इसका सिद्धांत है कि जहर को जहर ही काटता है, इसलिए बीमारी की वजह से ही बीमारी को ठीक किया जाता है. होम्योपैथी का नाम सुनते ही चीनी की छोटी छोटी गोलियां याद आती हैं लेकिन इन गोलियों में दवा मिली होती है.
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एक्यूप्रेशर
हाथों और पैरों पर कुछ खास बिंदुओं पर जोर लगाया जाता है और इससे बीमारी को ठीक किया जाता है. इस तकनीक में माना जाता है कि हाथों और पैरों से पूरे शरीर में ऊर्जा पहुंचती है. ऊर्जा के बहाव के रुकने के कारण ही इंसान बीमार होता है. इसलिए बिंदुओं पर जोर लगा कर ऊर्जा के बहाव को फिर से शुरू करना होता है.
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एक्यूपंक्चर
इसका सिद्धांत भी एक्यूप्रेशर जैसा ही है, फर्क इतना है कि बिंदुओं को दबाने की जगह उनमें सुई लगाई जाती है. जोड़ों के दर्द ने निजात पाने के लिए और अवसाद में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. चीन से निकला इलाज का यह तरीका आज पश्चिम में अपनी जगह बना चुका है.
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रेकी
यहां भी ऊर्जा ही केंद्र में है. रेकी में माना जाता है कि बीमारी या अवसाद शरीर में ऊर्जा के कम होने का संकेत हैं. जब शरीर में ऊर्जा की मात्रा सही होती है, तो शरीर स्वस्थ और व्यक्ति खुशमिजाज रहता है. रेकी के दौरान चिकित्सक अपने हाथों के जरिये मरीज में ऊर्जा उतारने की कोशिश करता है.
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कायरोप्रैक्टिस
पारंपरिक रूप से पीठ में दर्द होने पर पहलवान के पास मालिश के लिए भेजा जाता है. कायरोप्रैक्टिकर भी कुछ ऐसे ही काम करता है. इस चिकित्सक का मुख्य काम रीढ़ की हड्डी को ठीक करना है. रीढ़ पर दबाव डाल कर वह उसे सीधा करता है और रीढ़ की मांसपेशियों के संतुलन पर ध्यान देता है.
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अरोमा थेरेपी
यहां अरोमा यानि खुशबू से इलाज किया जाता है. तरह तरह के फूल पत्तों और बीजों के तेल का इस्तेमाल होता है. अक्सर इस तेल को पानी में मिला कर जलाया जाता है, जिससे मरीज खुशबू ले सके. कई बार इस तेल से मालिश भी की जाती है. सरदर्द, घबराहट और डिप्रेशन में इसका काफी फायदा देखा गया है.
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कीगॉन्ग
यह एक चीनी विद्या है जो व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान और मार्शल आर्ट्स का मिश्रण है. यह आध्यात्म से भी जुड़ा है और माना जाता है कि कीगॉन्ग के सही इस्तेमाल से मरीज खुद ही अपना इलाज कर सकता है.