तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का अफगानिस्तान के ऊपर से जाना बंद कर दिया गया था. अब फिर से उड़ानों को अफगानिस्तान के ऊपर से जाने देने की तैयारी की जा रही है, लेकिन क्या कंपनियां इसके लिए तैयार हैं?
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दुनिया के पूर्वी कोनों से पश्चिमी कोनों तक जाने के लिए अफगानिस्तान के ऊपर से उड़ना विमान कंपनियों और यात्रियों के लिए लाभकारी होता है. इस रूट की वजह से यात्रा में समय भी कम लगता है और ईंधन भी कम खर्च होता है.
अमेरिका ने एक बार फिर उड़ानों को अफगानिस्तान रूट लेने की सुविधा देने के लिए नियमों को ढीला करना शुरू कर दिया है, लेकिन इस कदम से जुड़े कई सवाल हैं जिनके जवाब मिलने जरूरी हैं.
एटीसी नदारद, कई खतरे
सबसे पहला सवाल तो यही है कि महिलाओं को शिक्षा और रोजगार से दूररखने वाले तालिबान से अगर दुनिया सरोकार रखने को तैयार हो भी गई है तो आखिर तालिबान के साथ किस तरह का व्यवहार रखा जाएगा.
अमेरिका में अधर में लटकीं अफगान सेना की महिला कमांडर
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संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने तालिबान के बर्ताव को संभावित रूप से "लैंगिक अपार्थाइड" जैसा माना है. दूसरा सवाल उड़ान कंपनियों के लिए है कि क्या वो एक अनियंत्रित एयरस्पेस में एक ऐसे देश के ऊपर से विमान ले जाने के लिए तैयार हैं जहां अनुमानित रूप से 4,500 कंधे पर रख कर चलाने वाले एंटी-एयरक्राफ्ट हथियार मौजूद हैं.
फिर अगर कोई आपातकालीन स्थिति हो और विमान को अचानक उतारने की जरूरत पड़ जाए तो ऐसे में क्या होगा? आखिर ऐसे देश के ऊपर से कौन उड़ना चाहता है? विमानन उद्योग के संगठन ओपीएस ग्रुप ने इसका सरल जवाब दिया है: "कोई नहीं!"
एक एडवाइजरी में इस संगठन ने लिखा, "पूरे देश में कहीं भी एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) सेवा नहीं है, सतह-से-हवा-तक अंतहीन जैसी संख्या में हथियार मौजूद हैं जिनसे हो सकता है वो गोलियां चलाने लगेंअगर आप काफी नीचे उड़ रहे हों और अगर आपको डाइवर्ट करना हो तब तो हम आपके लिए अच्छी किस्मत की कामना करेंगे."
इसके बावजूद विमानों के अफगानिस्तान के ऊपर से फिर से गुजरने का कंपनियों पर बड़ा असर होगा. चारों तरफ से जमीन से ही घिरा होने के बावजूद केंद्रीय एशिया में अफगानिस्तान की स्थितिऐसी है जिसकी वजह से वह भारत से यूरोप और अमेरिका जाने वालों के लिए सबसे सीधे हवाई रास्तों पर स्थित है.
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बढ़ जाता है खर्च, समय
15 अगस्त, 2021 को जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया, उसके बाद से नागरिक विमानन रुक ही गया, क्योंकि एयरस्पेस के प्रबंधन के लिए ग्राउंड कंट्रोलर कहीं नहीं थे. एंटी एयरक्राफ्ट हथियारों के इस्तेमाल के डर की वजह से दुनिया भर में अधिकारियों ने अपनी अपनी व्यावसायिक विमानन कंपनियों को वहां से उड़ने से मना कर दिया.
अफगानिस्तान: ब्यूटी पार्लर बैन होने से 60,000 महिलाओं के सामने खड़ा हुआ संकट
तालिबान के आदेश के बाद अफगानिस्तान के हजारों ब्यूटी पार्लर 25 जुलाई से बंद कर दिए गए. इन ब्यूटी पार्लरों के बंद होने से वहां काम करने वाली महिलाओं की आय का जरिया तो बंद ही हो गया,साथ ही अन्य महिलाओं से संपर्क भी टूट गया.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
ब्यूटी पार्लर आय का एक जरिया
अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत तो पहले से ही पतली है, लेकिन तालिबान के आदेश के बाद 25 जुलाई को देश के सभी ब्यूटी पार्लर बंद कर दिए गए. उद्योग से जुड़े जानकारों का अनुमान है कि देश में कुल 12 हजार ब्यूटी पार्लर हैं.
तस्वीर: Ali Khara/REUTERS
खत्म हो गई आर्थिक आजादी
34 साल की मरजिया रेयाजी पिछले आठ साल से अफगानिस्तान में केवल महिलाओं का ब्यूटी पार्लर चलाती आ रही थीं. ब्यूटी पार्लर के सहारे वो अपने परिवार का समर्थन करती रही हैं लेकिन अब ब्यूटी पार्लर का बिजनेस बंद होने से उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचेगा. उन्होंने अपना बिजनेस शुरू करने के लिए करीब 18 हजार डॉलर खर्च किए थे.
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"हम काम करना चाहते हैं"
रेयाजी कहती हैं, "अब हम यहां काम नहीं कर पाएंगे. हम अपने परिवार का पेट नहीं पाल पाएंगे. हम काम करना चाहते हैं." रेयाजी अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए महिलाओं द्वारा ब्यूटी पार्लर चलाने वाली हजारों महिलाओं में से एक हैं. एक अनुमान के मुताबिक तालिबान के इस आदेश के बाद इस सेक्टर से जुड़ीं 60,000 महिलाएं प्रभावित होंगी.
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तालिबान छीन रहा अधिकार
काबुल के एक ब्यूटी पार्लर में बहारा नाम की ग्राहक ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हम यहां आकर अपने भविष्य के बारे में बातें कर समय बिताते थे. लेकिन अब हमसे यह अधिकार भी छीन लिया गया है."
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अफगान समाज से गायब होती महिलायें
ब्यूटी सलून में बतौर मेक अप आर्टिस्टि काम करने वाली एक महिला ने नम आंखों से कहा, "तालिबान दिन-ब-दिन महिलाओं को समाज से खत्म करने की कोशिश कर रहा है. हम भी तो इंसान हैं." इस महिला ने सुरक्षा कारणों से अपना नाम नहीं बताया.
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देश की महिला उद्यमियों का क्या होगा
अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोजा इसाकोवना ओटुनबायेवा ने तालिबान के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा, "यह महिला उद्यमियों पर प्रभाव डालेगा, गरीबी में कमी लाने के कदम और आर्थिक सुधार के लिए यह एक झटका है."
तस्वीर: Rahmat Gul/AP/picture alliance
कम हो जाएंगी कमकाजी महिलाएं
अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ (आईएलओ) ने रॉयटर्स को बताया कि प्रतिबंध से महिलाओं के रोजगार में भी "महत्वपूर्ण" कमी आएगी. आईएलओ के मुताबिक अफगानिस्तान की विदेश समर्थित सरकार के शासन के दौरान औपचारिक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 23 प्रतिशत के आसपास थी.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
तालिबान का बेतुका तर्क
अफगानिस्तान के नैतिकता मंत्रालय की ओर से चार जुलाई को ब्यूटी पार्लर को बैन करने संबंधी आदेश में कहा गया था कि उसने यह आदेश इसलिए दिया क्योंकि मेकअप पर बहुत ज्यादा खर्च हो रहा है और गरीब परिवारों को कठिनाई होती है. तालिबान का कहना है कि सैलून में होने वाले कुछ ट्रीटमेंट गैर-इस्लामी हैं.
तस्वीर: ALI KHARA/REUTERS
महिलाओं के लिए बदतर होते हालात
अगस्त 2021 में सत्ता कब्जाने के बाद से तालिबान ने महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं. उनका हाई स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ना बंद कर दिया गया है. उन्हें पार्कों, मेलों और जिम आदि सार्वजनिक स्थानों पर जाने की मनाही है.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
महिलाओं के लिए क्या है तालिबान की सोच
तालिबान के सुप्रीम लीडर अखुंदजादा ने जून 2023 में कहा था कि इस्लामिक नियमों को अपनाकर महिलाओं को पारंपरिक अत्याचारों से बचाया जा रहा है और उनके "सम्मानित और स्वतंत्र इंसान" के दर्जे को फिर से स्थापित किया जा रहा है. तालिबान का कहना है कि वह इस्लामी कानून और अफगान संस्कृति की अपनी व्याख्या के मुताबिक ही महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करता है.
तस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance
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इस डर के पीछे 2014 में यूक्रेन के ऊपर मलेशियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर 17 के गिरा दिए जाने की वारदात की याद भी थी. बहरहाल, कंपनियों ने अफगानिस्तान की सीमाओं से परे से अपने विमानों को ले जाना शुरू कर दिया.
कम आबादी वाले वाखान गलियारे के ऊपर से गुजरती हुई उड़ानें अफगान एयरस्पेस के ऊपर बस कुछ ही मिनटों तक रहती हैं और उसके बाद आगे बढ़ जाती हैं. लेकिन इन डायवर्जनों की वजह से उड़ानों का समय और बढ़ जाता है.
इसकी वजह से ईंधन की खपत बढ़ जाती है, जो किसी भी विमान कंपनी के लिए एक बड़ा खर्चा होता है. इसी वजह से जुलाई में अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा लिए गए एक फैसले पर उद्योग की नजर तुरंत गई.
इस विभाग ने घोषणा की कि 32,000 फुट से ऊपर की उड़ानें "उस ऊंचाई पर अमेरिकी नागरिक विमानन ऑपरेशन्स को कम हो चुके जोखिम की वजह से फिर से शुरू की जा सकती हैं."
जब फैसले के पीछे के कारण को लेकर सवाल उठे तो कहा गया कि ये सवाल विदेश मंत्रालय से किये जाएं. लेकिन विदेश मंत्रालय ने सवालों के जवाब नहीं दिए.
हालांकि मंत्रालय का एक दूत अफगानिस्तान से अमेरिका और नाटो के निकल जाने के बाद तालिबान अधिकारियों से कई बार मिल चुका है. तालिबान के अधिकारियों ने भी बार बार निवेदन के बावजूद इस घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी.
सीके/एए (एपी)
तालिबान की 'होली' में जलाये गए गिटार, हारमोनियम, तबला
तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता में आते ही सार्वजनिक स्थानों पर संगीत बजाने पर पाबंदी लगा दी थी. अब वाद्य यंत्रों को जला कर तालिबान ने संगीत के प्रति अपनी नफरत का और भी वीभत्स चेहरा दिखाया है. देखिये तस्वीरों में.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
वाद्य यंत्रों की 'होली'
तालिबान सरकार के नैतिकता मंत्रालय ने जब्त किये हुए वाद्य यंत्रों और उपकरणों की 'होली' जलाई है. यह 'होली' 30 जुलाई को को हेरात प्रांत में जलाई गई.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
गिटार, हारमोनियम, तबला - सब खाक
जिन चीजों को आग लगाई गई उनमें एक गिटार, दो और तार वाले वाद्य यन्त्र, एक हारमोनियम, एक तबला, एम्पलीफायर और स्पीकर भी शामिल थे. इनमें से अधिकांश चीजों को हेरात के वेडिंग हॉलों से जब्त किया गया था.
तस्वीर: Afghanistan's Ministry for the Propagation of Virtue and the Prevention of Vice/AFP
सैकड़ों डॉलर का सामान
जला दिए गए समाना की कीमत सैकड़ों डॉलर थी, लेकिन संगीत प्रेमियों के लिए यह सब बेशकीमती सामान था. तालिबान संगीत को अनैतिक मानता है.
तस्वीर: Hussein Malla/AP Photo/picture alliance
क्या कहा तालिबान ने
'सदाचार को बढ़ावा देने और दुराचार को रोकने' के मंत्रालय के हेरात विभाग के मुखिया अजीज अल-रहमान अल-मुहाजिर ने कहा, "संगीत को बढ़ावा देने से नैतिक भ्रष्टाचार होता है और उसे बजाने से युवा भटक जाएंगे."
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
इस्लाम के बहाने
अगस्त 2021 में सत्ता हथियाने के बाद से तालिबान के अधिकारियों का इस्लाम के जिस कट्टर रूप में विश्वास है उसे लागू करने के लिए कई नियम और कानूनों की घोषणा की है. इनमें सार्वजनिक स्थानों पर संगीत बजाने पर बैन भी शामिल है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP/picture alliance
महिलाओं पर गिरी गाज
नए नियमों का सबसे बड़ा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ा है. वो बिना हिजाब पहने घर से बाहर नहीं का सकतीं. किशोर लड़कियों और महिलाओं को स्कूलों और विश्वविद्यालयों से प्रतिबंधित कर दिया है. देशभर में हजारों ब्यूटी पार्लरों को भी बहुत खर्चीली या गैर-इस्लामी बता कर बंद कर दिया गया है.
सीके/एए (एएफपी)