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भारत समेत कई देशों में डीपसीक पर क्यों लग रहे प्रतिबंध

६ फ़रवरी २०२५

भारत, अमेरिका, ताइवान, इटली और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में चीन के डीपसीक एआई पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध लगाए गए हैं. एआई की दुनिया में अमेरिकी दबदबे को चुनौती देने वाले इस चैटबॉट पर शिंकजा क्यों कसा जा रहा है?

 मोबाइल फोन में खुला डीपसीक ऐप
चीन सरकार ने डीपसीक पर लगे प्रतिबंधों का विरोध किया हैतस्वीर: CFOTO/picture alliance

दुनियाभर में तहलका मचाने वाले चीन के एआई चैटबॉट डीपसीक की वेबसाइट में एक ऐसा कंप्यूटर कोड है, जो यूजर्स की कुछ जानकारी चीन की सरकारी कंपनी ‘चाइना मोबाइल' को भेज सकता है. कई सुरक्षा शोधकर्ताओं ने छानबीन करने के बाद ऐसा दावा किया है. न्यूज एजेंसी एपी के मुताबिक, कनाडा की साइबर सिक्योरिटी कंपनी फेरूट सिक्योरिटी ने सबसे पहले इस बात का पता लगाया, जिसके बाद कई अन्य कंप्यूटर विशेषज्ञों ने भी ऐसे कोड के मौजूद होने की पुष्टि की.

डीपसीक यह स्वीकार करता है कि उसका डेटा चीन में मौजूद सर्वरों में स्टोर होता है. लेकिन शोधकर्ताओं द्वारा खोजे गए लिंक के बाद यह प्रतीत होता है कि यह चीनी सरकार से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है. जिस ‘चाइना मोबाइल' नाम की कंपनी के साथ डीपसीक का संबंध सामने आया है, उसे अमेरिका में काम करने की अनुमति नहीं है. अमेरिका दावा करता है कि ‘चाइना मोबाइल' और चीनी सेना के बीच गहरे संबंध हैं. इसलिए अब डीपसीक को लेकर अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं.

डीपसीक पर यह आरोप भी लगता है कि वह चीन से जुड़े विवादित सवालों का उत्तर नहीं देता हैतस्वीर: Frank Rumpenhorst/dpa/picture alliance

वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में सांसद एक बिल पेश करने की योजना बना रहे हैं, जिससे वहां के सरकारी उपकरणों में डीपसीक चैटबॉट का इस्तेमाल प्रतिबंधित हो जाएगा. टेक्सस राज्य में पहले ही ऐसा प्रतिबंध लगाया जा चुका है. इसके अलावा, अमेरिका की नौसेना भी अपने सैनिकों को डीपसीक का इस्तेमाल ना करने का निर्देश दे चुकी है. अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी इसके उपयोग पर रोक लगा चुकी है.

भारत के वित्त मंत्रालय ने भी उठाया कदम

भारत के वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि वे आधिकारिक कामकाज के लिए डीपसीक और चैटजीपीटी जैसे आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स का इस्तेमाल करने से परहेज करें. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय की आंतरिक अडवाइजरी में कहा गया है कि कार्यालय के कंप्यूटरों और उपकरणों में एआई टूल्स के होने से सरकारी दस्तावेजों और डेटा की गोपनीयता पर खतरा पैदा होता है.

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इसके अलावा, चीन के पड़ोसी देश ताइवान ने भी डीपसीक को सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए सभी सरकारी विभागों में इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. आधिकारिक बयान में डीपसीक की सेंसरशिप और डेटा के चीन पहुंचने को लेकर भी चिंता जाहिर की गई है. ऑस्ट्रेलिया भी सुरक्षा चिंताओं की वजह से सरकारी उपकरणों में डीपसीक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा चुका है.

पिछले हफ्ते, इटली की डेटा सुरक्षा अथॉरिटी ने डीपसीक को इटली में अपने चैटबॉट की सेवाएं बंद करने का आदेश दिया था. अथॉरिटी ने डीपसीक से पूछा था कि वे कौनसी व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठी करते हैं, किस उद्देश्य के लिए और किस कानून के तहत करते हैं और क्या फिर उसे चीन में स्टोर किया जाता है. कंपनी इन सवालों के जवाब नहीं दे पाई, जिसके बाद उसके चैटबॉट पर बैन लगा दिया गया.

दक्षिण कोरिया की पुलिस नहीं चलाएगी डीपसीक

दक्षिण कोरिया की पुलिस और कई मंत्रालयों ने डीपसीक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब उनके कंप्यूटरों में डीपसीक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. दरअसल, दक्षिण कोरिया में डेटा सुरक्षा की निगरानी करने वाली संस्था ने डीपसीक से पूछा था कि वे यूजर्स के डेटा का प्रबंधन किस तरह करते हैं. कंपनी इसका जवाब नहीं दे पाई, जिसके बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की गई.

दक्षिण कोरिया के एक सैन्य अधिकारी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि डीपसीक को विशेष तौर पर ऐसे कंप्यूटरों के लिए प्रतिबंधित किया गया है, जिन पर सेना से जुड़ा काम होता है. रक्षा मंत्रालय ने सुरक्षा और तकनीकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक इकाई और सैनिक को जेनरेटिव एआई के इस्तेमाल से जुड़ी सुरक्षा सावधानियों के बारे में बताया है.

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वहीं, चीन ने इस प्रतिबंध का विरोध करते हुए कहा है कि चीन सरकार कभी भी कंपनियों या व्यक्तियों को अवैध रूप से डेटा इकट्ठा करने के लिए बाध्य नहीं करेगी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन ने हमेशा आर्थिक, व्यापारिक और तकनीकी मुद्दों का राजनीतिकरण करने का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि चीनी कंपनियों के उचित अधिकारों और हितों की रक्षा की जाएगी.

 एएस/वीके (रॉयटर्स/एपी)

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