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पाकिस्तान में क्यों बढ़ रहे तलाक के मामले

मुस्तफा बी. मारी
१६ सितम्बर २०२२

पाकिस्तानी महिलाएं इस्लामी कानून की एक धारा का इस्तेमाल कर रही हैं, जिससे उन्हें अपने पति की सहमति के बिना तलाक लेने की अनुमति मिल जाती है.

पाकिस्तान में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं पति की इच्छा के विपरीत तलाक का रास्ता चुन रही हैं
पाकिस्तान में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं पति की इच्छा के विपरीत तलाक का रास्ता चुन रही हैंतस्वीर: Aamir Qureshi/AFP/Getty Images

पाकिस्तान के रूढ़िवादी समाज में तलाक सामाजिक तौर पर ‘गलत' माना जाता है. इसके बावजूद, देश में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं पति की इच्छा के विपरीत तलाक का रास्ता चुन रही हैं. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस्लामी राष्ट्र के पितृसत्तात्मक समाज में महिलाएं अधिक सशक्त हो रही हैं. अब वे वैवाहिक संबंध में अपना अपमान बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं, इसलिए तलाक के मामले बढ़ रहे हैं.

पाकिस्तान में तलाक के मामलों की निगरानी के लिए कोई विशेष संस्था नहीं है. यह शरिया या इस्लामी कानूनों के तहत तय नियमों के मुताबिक ही होता है. देश में कोई महिला ‘तलाक के लिए आवेदन' नहीं कर सकती है. अगर उसे अपने पति की सहमति के बिना तलाक चाहिए होता है, तो वह शरिया के नियमों के तहत ऐसा कर सकती है. इसे ‘खुला' कहा जाता है और पारिवारिक न्यायालय में इसकी सुनवाई होती है.

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ऐसी कई वजहें हैं जिनके आधार पर पत्नी ‘खुला' के तहत तलाक की मांग कर सकती हैं. इनमें पति द्वारा किया जाने वाला दुर्व्यवहार, पति द्वारा पत्नी को छोड़कर कहीं चला जाना या पति की मानसिक स्थिति जैसे मामले शामिल हैं.

हालांकि, पति से तलाक चाहने वाली महिलाओं के आंकड़े को आधिकारिक तौर पर दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन इसकी संख्या बढ़ रही है. गैलप और गिलानी पाकिस्तान द्वारा 2019 में किए गए सर्वे के मुताबिक, 58 फीसदी पाकिस्तानियों का मानना है कि देश में तलाक के मामले बढ़ रहे हैं. सर्वे में शामिल 5 में से 2 लोगों ने माना कि इनमें से अधिकांश मामलों में पति-पत्नी के ससुराल वाले जिम्मेदार थे.

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लाहौर स्थित मानवाधिकार से जुड़े गैर-लाभकारी संगठन ‘मानवाधिकार संरक्षण केंद्र' में वकील अतिका हसन रजा ने डीडब्ल्यू को बताया कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं ‘खुला' के तहत तलाक की मांग कर रही हैं. पाकिस्तान में औपचारिक तलाक के मामलों की पहल पति कर सकता है. तलाक के लिए पति की सहमति जरूरी होती है, लेकिन खुला के तहत पति की सहमति जरूरी नहीं है.

रजा ने कहा कि देश में अब नए पारिवारिक न्यायालय स्थापित किए जा रहे हैं जो पारिवारिक कानून, खुला और संरक्षण के मामलों की सुनवाई करेंगे. उन्होंने कहा, "पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या भी बढ़ी है. महिलाओं को अब इस बात की जानकारी हो गई है कि वे शारीरिक शोषण के अलावा अन्य वजहों को आधार बनाकर भी तलाक ले सकती हैं. इनमें मानसिक शोषण या शादी से ‘कुछ भी नहीं मिलना' भी शामिल है. अब महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में जानती हैं और पहले से अधिक स्वतंत्र हैं.”

देश में अरेंज मैरेज का प्रचलन काफी ज्यादा हैतस्वीर: Fotolia/davidevison

शाजिया (बदला हुआ नाम) दो बच्चों की मां हैं जिन्होंने पिछले साल अपमानजनक जिंदगी से दूर जाने का फैसला करते हुए तलाक लिया. 41 वर्षीय शाजिया ने डीडब्ल्यू को बताया, "मैं बहुत ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हूं और न ही मेरे पास काम करने का कोई अनुभव था, लेकिन मैं खाना बनाना जानती थी. एक बार जब मेरे खाना बनाने का कारोबार थोड़ा बढ़ गया, तो मुझे लगा कि मैं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकती हूं. तब मैं भावनात्मक रूप से भी इतना स्वतंत्र हो गई कि आखिरकार तलाक लेने का फैसला किया.”

शाजिया जो कमाती हैं उससे खुद का भरण-पोषण करने में सक्षम हैं, लेकिन वह अपने बच्चों की परवरिश जिस तरीके से करना चाहती हैं वह उनके लिए मुश्किल है. हालांकि, इस्लामी कानून में महिलाओं के गुजारा भत्ता के अधिकार के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है, लेकिन हकीकत यह है कि शाजिया जैसी कई महिलाओं को अपने पूर्व पति से कुछ भी नहीं मिलता है.

पाकिस्तान की वैवाहिक संस्कृति

पाकिस्तान में, पसंद से होने वाली शादियों को ‘प्रेम विवाह' कहा जाता है. हालांकि, देश में अरेंज मैरेज का प्रचलन काफी ज्यादा है. इसमें परिवार वाले अपने बच्चों की शादी का फैसला करते हैं. वहीं, साथ रहने से पहले शादी के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने वाले जोड़े भी काफी संख्या में हैं.

33 वर्षीय मार्केटिंग मैनेजर कमल ने 2018 में शादी की थी. हालांकि, उन्होंने हाल ही में तलाक के लिए अर्जी दी और कहा कि शादी से पहले डेट करने के बावजूद वह अपनी पत्नी के साथ ‘सहज' नहीं थे. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "पश्चिमी देशों में जहां लोग शादी से पहले लिव-इन-रिलेशनशिप में रहते हैं उस तरीके से आप यहां नहीं रह सकते. तकनीकी रूप से हमारी शादी को एक साल हो गए थे, फिर भी हम सिर्फ डेटिंग कर रहे थे, क्योंकि हम अभी भी साथ नहीं रहते थे. एक साथ रहने के बाद ही मतभेद सामने आए.”

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मोमिन अली खान वकील हैं जो पारिवारिक मामलों को देखते हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया कि ‘खुले' के तहत तलाक के लिए आवेदन करने वाली ज्यादातर महिलाएं शिक्षित या संपन्न पृष्ठभूमि की होती हैं. जब वे शादी के बंधन में खुद को सहज महसूस नहीं कर रही होती हैं, तो तलाक के लिए आवेदन करती हैं. इस तलाक में पत्नी को निकाह के वक्त दी गई मेहर की राशि पति को लौटानी होती है. ऐसे में तलाक लेने वाली इन महिलाओं के लिए यह रकम कोई मायने नहीं रखती.

उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों या गरीब सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि की महिलाओं के लिए यह अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि वे आम तौर पर आर्थिक सहायता नहीं छोड़ सकती हैं.

हानिया (बदला हुआ नाम) इस्लामाबाद में निम्न वर्ग के परिवार से आती हैं और स्नातक तक पढ़ाई कर चुकी हैं. वह ज्यादा वेतन वाली नौकरी करना चाहती हैं, लेकिन उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके परिवारवालों ने चचेरे भाई से उनकी शादी तय कर दी. हालांकि, शादी वाले दिन 23 वर्षीय हानिया घर से भाग गईं, लेकिन शादी के लिए पहले ही एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जा चुके थे, इसलिए उन्होंने खुला के लिए अर्जी दी है.

पाकिस्तान के ग्रामीण समाज में तलाक को गलत माना जाता है. इस वजह से ‘शर्म' के कारण हानिया के परिवार ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया. हानिया ने डीडब्ल्यू से कहा कि अगर वह गांव लौटती हैं तो उनकी जान को खतरा हो सकता है. हानिया ने अब प्रेम विवाह किया है और इस्लामाबाद में अपने पति और उनके परिवार के साथ रह रही हैं.

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