27 साल बाद दिल्ली में बीजेपी ने सत्ता हासिल की है और उसने प्रचंड बहुमत हासिल करने के 11 दिनों बाद एक महिला को मुख्यमंत्री चुना है. आखिर पहली बार की महिला विधायक पर बीजेपी ने क्यों दांव लगाया.
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
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दिल्ली में जब से बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त दी है, तभी से प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कई दिग्गजों के नाम की चर्चा हो रही थी. इनमें आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा, दिल्ली के अनुभवी नेता विजेंद्र गुप्ता, आशीष सूद, शिखा रॉय और दिल्ली बीजेपी प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा शामिल थे. लेकिन बुधवार की शाम जब बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई तो विधायकों ने 50 साल की रेखा गुप्ता को बतौर सीएम चुना. वह शालीमार बाग से पहली बार विधायक चुनी गई हैं.
वैश्य समाज से आने वाली रेखा गुप्ता मूल रूप से हरियाणा के जींद से ताल्लुक रखती हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने महिला मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी और सरकार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का संदेश साफ कर दिया है.
बीजेपी 13 राज्यों में सत्ता में है लेकिन अब तक पार्टी की कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं थी, इससे पहले बीजेपी की महिला मुख्यमंत्री कई राज्यों में रह चुकी हैं. लेकिन इस बार बीजेपी ने दिल्ली में महिला सीएम बनाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं. वरिष्ठ पत्रकार मीनू जैन डीडब्ल्यू से कहती हैं, "बीजेपी को इस बार दिल्ली में महिलाओं का खूब समर्थन मिला है और बीजेपी को लगा होगा कि रेखा गुप्ता से पहले आप की आतिशी मुख्यमंत्री थीं और उससे पहले कांग्रेस की शीला दीक्षित, तो उनको यह लगा होगा कि महिलाओं ने हमें वोट दिया है तो उसके बदले हमें दिल्ली को एक महिला मुख्यमंत्री देना चाहिए."
जैन कहती हैं, "2014 से नरेंद्र मोदी सत्ता में है, लेकिन जिस किसी प्रदेश में उनकी सरकार बनी वहां पार्टी ने किसी भी महिला को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, लेकिन इस बार वह महिलाओं को संदेश देना चाहती है." वो कहती हैं, "बीजेपी महिला आरक्षण की बात तो करती है लेकिन उस तरीके से महिलाओं को उसका लाभ नहीं दिया गया था."
वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. मुकेश कुमार रेखा गुप्ता के सीएम बनने को आश्चर्यचकित करने वाला नहीं मानते हैं. वो कहते हैं, "अगर हम मध्य प्रदेश को देखे तो मोहन यादव का नाम कोई सपनों में भी नहीं सोच रहा था. उनके नाम की कहीं चर्चा भी नहीं थी, लेकिन उनको सीएम चुना गया था. इसी तरह से राजस्थान को देखे तो वहां भी वैसा ही हुआ था. यही हाल उत्तराखंड में हुआ था. हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के समय में भी ऐसा ही कुछ हुआ था, लेकिन यहां पर दिल्ली में जो नाम चल रहे थे इनमें रेखा गुप्ता का भी नाम चल रहा था. शायद इस वजह से कि बीजेपी के पास कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी, क्योंकि महिलाएं बीजेपी के लिए जमकर वोट कर रही हैं, इसलिए बीजेपी के लिए महिला मुख्यमंत्री बनाना जरूरी हो गया था."
रेखा गुप्ता छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहीं हैं और इस बार वह पहली बार शालीमार बाग से विधायक चुनी गईं. रेखा गुप्ता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज से पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति में कदम रखा. वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ी रहीं और 1996-97 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) की अध्यक्ष बनीं, साल 2007 में वह उत्तरी पीतमपुरा से पार्षद चुनी गईं.
वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ी रही हैं और दिल्ली में बीजेपी की महिला मोर्चा की महासचिव और इसकी राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की सदस्य भी रह चुकी हैं. डॉ. मुकेश कुमार कहते हैं, "गुप्ता संघ के करीब रही हैं और आरएसएस भी इस समय जोर दे रहा था और माना जा रहा है कि गुप्ता के चयन में भी आरएसएस की भूमिका रही है."
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तस्वीर: IANS
महिला वोटरों पर बीजेपी की नजर
इस बार के दिल्ली चुनाव में सभी दलों ने महिलाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया. बीजेपी, कांग्रेस और आप ने महिलाओं के लिए अपने घोषणा पत्र में बड़े-बड़े वादे किए. आप ने महिला सम्मान योजना के तहत महिलाओं को 2,100 रुपये मासिक भत्ता देने का वादा किया, जबकि बीजेपी ने महिला समृद्धि योजना के प्रस्ताव के साथ महिलाओं के लिए 2,500 रुपये मासिक भत्ता, गर्भवती महिलाओं के लिए 21,000 रुपये व विधवाओं के लिए उच्च पेंशन का वादा किया. जबिक कांग्रेस ने भी महिलाओं के लिए 2500 हर महीने देने का वादा किया था.
इस बार के दिल्ली चुनाव में महिला मतदाताओं का मत प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले ज्यादा था, महिला वोटर्स का मत प्रतिशत 60.92 रहा, जबकि पुरुषों का 60.21 फीसदी था. डॉ. कुमार कहते हैं, "मुझे लगता है कि दिल्ली में जो महिला को मुख्यमंत्री बनाया गया है, वह केवल दिल्ली की महिला वोटर को खुश करने के लिए नहीं है, वह राष्ट्रीय स्तर पर संदेश देने की कोशिश है, क्योंकि बीजेपी शासित इतने प्रदेशों में एक भी महिला मुख्यमंत्री नहीं है, अब यह सवाल उठता कि पार्टी महिलाओं का वोट तो लेती है लेकिन नेतृत्व में कोई जगह नहीं देती, तो मुझे लगता है कि इस सवाल का जवाब बीजेपी ने दे दिया है."
मीनू जैन और डॉ. मुकेश कुमार दोनों को ही लगता है कि बीजेपी ने गुप्ता का चयन करके वैश्य समुदाय को साधने की कोशिश भी की है. जैन कहती हैं, "संदेश वैश्य समुदाय को दिया गया है, यह समुदाय हमेशा से ही संघ और बीजेपी के साथ रहा है और उसकी फंडिंग भी करता रहा है. बीजेपी ने इस समुदाय को साफ संदेश दिया है कि देखिए हमने आपके समुदाय से एक सदस्य को मुख्यमंत्री बनाकर आपको सम्मान दिया."
प्रधानमंत्री मोदी के साथ दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता तस्वीर: IANS
डॉ. कुमार कहते हैं, "बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं, पहला महिला वोटरों को आकर्षित किया है, दूसरा वैश्य समुदाय को खुश करने की कोशिश की है और तीसरा यह भी है कि वो हरियाणा से हैं और हरियाणा के वोटर अच्छी संख्या में दिल्ली में रहते हैं, इसका असर हरियाणा में भी देखने को मिलेगा."
साथ ही डॉ. कुमार कहते हैं कि दिल्ली में रेखा गुप्ता की जगह कोई और मुख्यमंत्री बनता तो उसकी भूमिका सीमित ही होती, क्योंकि दिल्ली की सरकार मोदी-शाह और उपराज्यपाल से ही चलनी है, रेखा गुप्ता की जगह कुर्सी पर कोई और भी बैठता तो सरकार चलाने में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था. लेकिन राजनीतिक लिहाज से बीजेपी महिलाओं को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है वह इसी का हिस्सा है.
रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री होंगी. सुषमा स्वराज साल 1998 में सिर्फ 52 दिन के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं. इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. दिल्ली में कांग्रेस सत्ता में आई और शीला दीक्षित 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं.
शीला दीक्षित के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो अरविंद केजरीवाल इस सरकार के मुखिया बने. मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें जेल जाना पड़ा. जेल से आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनी.
कितने राज्यों में है बीजेपी और एनडीए की सरकार
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/S. Kumar
दिल्ली
फरवरी, 2025 के दिल्ली चुनावों में बीजेपी को जबर्दस्त जीत हासिल हुई है. पार्टी ने 27 वर्षों के बाद दिल्ली की सत्ता हासिल की है. इससे पहले दिल्ली में दो बार आम आदमी पार्टी और तीन बार कांग्रेस पार्टी की सरकार रही थी.
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महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले शिवसेना से अलग हुए एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री थे. शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर बीजेपी का हाथ थाम लिया था. देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महारष्ट्र के मुख्यमंत्री बने हैं.
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छत्तीसगढ़
लंबे समय से नक्सल के प्रभाव में रहे छत्तीसगढ़ में वर्तमान विधान सभा के चुनाव को ऐतिहासिक बताया गया. राज्य के कई इलाकों में पहली बार लोगों ने वोट डाला. इन चुनावों में बीजेपी को सफलता मिली और विष्णु देव साई राज्य के मुख्यमंत्री बने.
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उड़ीसा
उड़ीसा में कई दशकों से बीजू जनता दल की सरकार थी और मुख्यमंत्री थे नवीन पटनायक. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने उनके किले में सेंध लगा दी और सत्ता अपने हाथ में ले लिया. राज्य में अब बीजेपी के मोहन चरण मांझी मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं
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आंध्र प्रदेश
लंबे समय के बाद आंध्र प्रदेश की राजनीति एक बार फिर चंद्रबाबू नायडू के हाथ में है. उनकी पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया है. राज्य और केंद्र दोनों जगह एनडीए की सरकार है.
तस्वीर: Mahesh Kumar A./AP Photo/picture alliance
राजस्थान
2023 के विधानसभा चुनाव ने राजस्थान की सत्ता से कांग्रेस पार्टी को बेदखल कर दिया. राज्य में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बनी और मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली भजन लाल शर्मा को.
तस्वीर: IANS
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
तस्वीर: Imago/Zumapress
त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली. 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद से यहां बीजेपी के माणिक साहा मुख्यमंत्री हैं.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. दो साल के भीतर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की. 2023 में एक बार फिर पार्टी ने जीत हासिल की लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी मोहन यादव को मिली.
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उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा. जुलाई 2021 से पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की कमान संभाली 2022 के चुनाव के बाद भी पद पर हैं.
तस्वीर: Hindustan Times/IMAGO
बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. कई बार पाला बदल चुके नीतीश कुमार वर्तमान में बीजेपी के साथ हैं. 2024 का लोकसभा चुनाव भी दोनों पार्टियों ने साथ मिल कर लड़ा था.
तस्वीर: AP
गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था. 2022 के चुनाव के बाद एक बार फिर प्रमोद सावंत राज्य के मुख्यमंत्री बने
तस्वीर: IANS
गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के भूपेंद्रभाई पटेल (तस्वीर में बाएं) के हाथ में है.
तस्वीर: IANS
मणिपुर
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
हरियाणा
बीजेपी के नायब सिंह सैनी हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. 2024 में पार्टी की जीत के बाद राज्य में नेतृत्व बदला. इससे पहले बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर 10 साल तक हरियाणा में मुख्यमंत्री थे
तस्वीर: IANS
असम
असम में बीजेपी के हिमंता बिस्व सरमा मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. इसके बाद 2021 में एक बार फिर पार्टी को राज्य में सफलता मिली.
तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
तस्वीर: IANS
मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
तस्वीर: DW/Zeljka Telisman
मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
तस्वीर: IANS
2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 21 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. बीते साल राष्ट्रीय चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और उसे गठबंधन सरकार बनानी पड़ी लेकिन फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.