जर्मन चांसलर के लिए इम्तिहान बने स्थानीय निकाय चुनाव
१३ सितम्बर २०२५
रविवार को राज्य के स्थानीय निकाय की करीब 20 हजार सीटों के लिए मतदान होगा. इनमें शहरी और ग्रामीण इलाकों की निकाय परिषद और उनके प्रमुखों और मेयर का चुनाव होगा. एनआरडब्ल्यू 1.8 करोड़ लोगों के साथ जर्मनी में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है और यहां पर कोलोन, डुसेलडॉर्फ और डॉर्टमुंड जैसे बड़े शहर हैं.
यह चुनाव स्थानीय निकाय के लिए हैं, लेकिन संघीय स्तर पर भी इन्हें बहुत दिलचस्पी से देखा जा रहा है. दरअसल मई में फ्रीडरिष मैर्त्स के नेतृत्व में जर्मनी की नई सरकार बनने के बाद ये पहले चुनाव हैं.
क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के मैर्त्स क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) और सोशल डेमोक्रेट्स (एसपीडी) के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चला रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक ओलिवर लैम्बैक कहते हैं, "प्रभावी रूप से यह संघीय सरकार के लिए लिटमस टेस्ट है."
यह चुनाव नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के मुख्यमंत्री हेंड्रिक वुएस्ट के लिए भी बड़ा इम्तिहान बताए जा रहे हैं. वह 2022 से पद पर हैं और मैर्त्स के संभावित उत्तराधिकारी माने जाते हैं. मैर्त्स और हेंड्रिक, दोनों का ही संबंध एनआरडब्ल्यू से है.
कौन कितना मजबूत
चुनावी सर्वेक्षणों के मुताबिक एसपीडी को कई जगहों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है जबकि धुर दक्षिणपंथी एएफडी कुछ इलाकों में बढ़त बना सकती है. राज्य में बहुत से लोगों में सामुदायिक सुविधाओं को लेकर नाराजगी है. ओलिवर लैम्बैक कहते हैं, "सड़कें, पुल, स्थानीय परिवहन, स्कूल, इन्हें लेकर लोगों में काफी असंतुष्टि है. उन्हें लगता है कि जो लोग सत्ता में हैं, वे इन चीजों का ध्यान नहीं रख रहे हैं."
इस बीच, एक ताजा सर्वे के नतीजे संघीय सरकार में शामिल पार्टियों के लिए उत्साहजनक नहीं हैं. इसके अनुसार सिर्फ 22 प्रतिशत लोग मैर्त्स सरकार के काम से खुश हैं. वहीं समस्याओं को सुझलाने की एएफडी की क्षमता को लेकर लोगों का भरोसा काफी बढ़ रहा है, जिनमें आर्थिक नीति से लेकर विदेश और वित्तीय नीति भी शामिल है. शरणार्थी और उनसे जुड़ी नीति के विषय पर इस सर्वे में शामिल लोगों ने एएफडी को सबसे सक्षम बताया.
इस साल के शुरू में मैर्त्स ने कहा था कि आर्थिक स्थिति बहुत बेहतर होने वाली है और गर्मियों तक इसका असर महसूस होने लगेगा. लेकिन जर्मनी की अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर नहीं निकली, जबकि देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ कर 30 लाख तक जा पहुंची जो पिछले दस साल में सबसे ज्यादा है. अगर एनआरडब्ल्यू के स्थानीय चुनावों में एएफडी बेहतर प्रदर्शन करती है, तो इससे संघीय स्तर पर सत्ताधारी गठबंधन पर दबाव बढ़ेगा.
फिलहाल सर्वेक्षणों में बताया गया है कि एनआरडब्ल्यू के स्थानीय चुनावों में सीडीयू सबसे मजबूत पार्टी के तौर पर उभरेगी. वहीं एसपीडी, जैसी कि आशंका है, अगर उसका प्रदर्शन कमजोर रहता है तो इससे राष्ट्रीय स्तर पर भी उसकी स्थिति को धक्का लगेगा.