1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

रिपोर्ट: तिब्बत में डीएनए सैंपल जुटा रहा है चीन

आमिर अंसारी
८ सितम्बर २०२२

तिब्बत में चीनी अधिकारियों ने डीएनए नमूने एकत्र करने के लिए एक अभियान शुरू किया है. गंभीर बात यह है कि पांच साल के उम्र के बच्चों को भी नहीं बख्शा जा रहा है.

तस्वीर: REUTERS

मानवाधिकार निगरानी समूह ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि चीनी अधिकारियों ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के कई कस्बों और गांवों के निवासियों से मनमाने ढंग से डीएनए एकत्र करने समेत पुलिसिंग में उल्लेखनीय तेजी कर दी है. मानवाधिकार निगरानी समूह एचआरडब्ल्यू ने बताया कि उपलब्ध जानकारी इंगित करती है कि लोग अपना डीएनए देने से इनकार नहीं कर सकते हैं और पुलिस को इसके लिए किसी भी "आपराधिक आचरण के विश्वसनीय सबूत" की जरूरत नहीं है.

चीन के विरोध के बावजूद यूएन ने जारी की शिनजियांग पर विस्फोटक रिपोर्ट

अप्रैल 2022 में ल्हासा नगरपालिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएनए संग्रह के लिए रक्त के नमूने किंडरगार्टन के बच्चों और अन्य स्थानीय निवासियों से व्यवस्थित रूप से एकत्र किए गए. दिसंबर 2020 में किंघई प्रांत के एक तिब्बती बस्ती की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 5 साल और उससे अधिक उम्र के सभी लड़कों से डीएनए एकत्र किया गया.

छोटे बच्चों के लिए जा रहे सैंपल

एचआरडब्ल्यू का आरोप है कि चीन तिब्बत में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन कर रहा है. एचआरडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वयस्कों से लेकर किंडरगार्टन के बच्चों के डीएनए सैंपल उनके माता-पिता की सहमति के बिना लिए जा रहे हैं.

सामूहिक डीएनए सैंपल का लिए जाने का घोषित उद्देश्य "अपराध का पता लगाना" है, लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि "सुरक्षा रखरखाव के लिए पूरे क्षेत्र या आबादी का जबरन डीएनए सैंपलिंग एक गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है, इसमें इसे आवश्यक या आनुपातिक के रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता है."

अंग्रेजी अखबार गार्डियन के मुताबिक एचआरडब्ल्यू की रिपोर्ट में प्रकाशित डीएनए संग्रह अभियान 2019 में "तीन महान" (निरीक्षण, जांच और मध्यस्थता) नामक एक पुलिस अभियान के तहत शुरू किया गया था.

अरुणाचल में तेज होती चीनी गतिविधियां और भारत का मॉडल गांव

ह्यूमन राइट्स वॉच की चीन मामलों की निदेशक सोफी रिचर्डसन ने कहा, "चीनी सरकार पहले से ही तिब्बतियों पर व्यापक दमन कर रही है. अब अधिकारी अपनी निगरानी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बिना सहमति के सचमुच खून के नमूने ले रहे हैं."

चीन का दबाव

1950 में चीन के एक प्रांत के रूप में अपने विलय के बाद से ही तिब्बत का भविष्य गर्त में रहा है. 1949 में चीन में गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आई और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई. 1950 में 14वें दलाई लामा के साथ एक सात-सूत्री समझौते के तहत तिब्बत को मेनलैंड चीन में मिला लिया गया. इस समझौते के तहत तिब्बत को खासी स्वायत्तता देने का वादा भी चीन की माओ सरकार ने किया था. लेकिन चीन ने यह वादा तोड़ दिया.

चीन से मुकाबले के लिए तिब्बती संस्कृति का पाठ पढ़ रही है भारतीय सेना

28 अप्रैल 1959 में तिब्बत की निर्वासित सरकार की स्थापना हुई और भारत के हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में उसका मुख्यालय बना. पिछले कई दशकों से धर्मशाला में तिब्बत की निर्वासित सरकार अपना शासन चला रही है. तिब्बत की निर्वासित सरकार तिब्बत के चीन में विलय को अवैध मानती है.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें