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क्या भारत में 'कंजेशन टैक्स' लागू करना जरूरी हो गया है?

शिवांगी सक्सेना
३ अक्टूबर २०२५

भारत में भारी ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करना जरुरी है. इसके लिए कई सालों से 'कंजेशन टैक्स' लागू करने पर विचार हो रहा है. यह टैक्स भीड़भाड़ वाले इलाकों में निजी वाहनों को नियंत्रित करेगा.

दिल्ली में स्मॉग के बीच सड़क पर चल रही गाड़ियां
'कंजेशन टैक्स' भारत के किसी भी शहर में लागू नहीं हुआ है. कई शहरों में इसे लागू करने पर विचार हुआ, प्रस्ताव दिया गया, लेकिन अमल नहीं हुआतस्वीर: Anushree Fadnavis/REUTERS

भारत के बड़े शहरों में ट्रैफिक एक बड़ी समस्या है. सरकार इससे निपटने के लिए 'कंजेशन टैक्स' पर विचार कर रही है. हालांकि, अभी तक यह भारत के किसी भी शहर में लागू नहीं हुआ है, लेकिन इसपर चर्चा जारी है.

ट्रैफिक जाम के मामले में बेंगलुरू भी कुख्यात है. घंटों लंबा जाम शहर की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है. हाल ही में यहां भी ट्रैफिक घटाने के लिए 'कंजेशन टैक्स' का प्रस्ताव रखा गया. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारी ट्रैफिक जाम से यात्रा का समय बहुत बढ़ जाता है. ईंधन की खपत अत्यधिक होती है. साथ ही वायु और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है.

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लंदन, सिंगापुर और स्टॉकहोम में यह योजना कई साल से लागू है. इसके कारण ट्रैफिक जाम में 13 से 30 प्रतिशत तक की कमी आई है. साथ ही, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक की कमी भी दर्ज की गई है. जहां तक भारत की बात है, तो यहां भी कई बार 'कंजेशन टैक्स' पर मंथन हो चुका है, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियां हैं.

'कंजेशन टैक्स' का मुख्य उद्देश्य ट्रैफिक व प्रदूषण को कम करना और सार्वजनिक यातायात को बढ़ावा देना हैतस्वीर: Uncredited/AP Photo/File/picture alliance

क्या होता है कंजेशन टैक्स?

'कंजेशन टैक्स' एक तरह का शुल्क है, जो बेहद भीड़-भाड़ वाली सड़कों को इस्तेमाल करने वालों पर लगाया जाता है. यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लागू होता है, जहां यातायात बहुत ज्यादा है. ऐसे क्षेत्रों में वाहनों के प्रवेश या आवाजाही पर यह टैक्स लगाया जाता है.

इसका मुख्य उद्देश्य ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करना है. यह टैक्स आमतौर पर 'पीक ऑवर्स' जैसे कि सुबह और शाम के ऑफिस टाइम में लगाया जाता है. इसके लिए शहर में कुछ इलाकों को चिह्नित किया जाता है, जहां भारी ट्रैफिक लगता है.

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भारत में निजी वाहनों पर लोगों की निर्भरता कम हो और सड़क पर गाड़ियों की संख्या घटे, इसके लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट दुरुस्त करना बहुत जरूरी हैतस्वीर: jayantbahel/Pond5/IMAGO

यह सबसे पहले सिंगापुर में साल 1975 में लागू हुआ. इसे 'एरिया लाइसेंसिंग स्कीम' का नाम दिया गया. जो वाहन चालक सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) में 'पीक ऑवर्स' के दौरान प्रवेश करते थे, उन्हें एक फीस चुकानी पड़ती थी. 'इंटरनेशनल कौंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन' की एक स्टडी के मुताबिक, कंजेशन टैक्स लागू होने के बाद ट्रैफिक में 44 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. बस में यात्रा करने वालों की संख्या 20 प्रतिशत बढ़ गई.

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स्टॉकहोम ने साल 2006 में अपनी 'कंजेशन टैक्स प्रणाली' का छह महीने का ट्रायल किया. इसके बाद ट्रैफिक में लगभग 20 प्रतिशत कमी आई. इस ट्रायल से पहले जनता इसके विरोध में थी, लेकिन इसका असर देखने के बाद इसे स्थायी कर दिया गया. इसका एक प्रभाव यह भी देखा गया कि लोगों की सार्वजनिक परिवहन पर निर्भरता बढ़ गई. लंदन, कैलिफोर्निया और हांगकांग ने भी इस प्रणाली को अपनाया है.

क्या भारत में लागू हो सकता है कंजेशन टैक्स?

भारत के बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरू, चेन्नई, और कोलकाता में जाम एक बहुत बड़ी समस्या है. टोमटोम के एक सर्वे के अनुसार, भारत के तीन शहर- कोलकाता, बेंगलुरू और पुणे सबसे खराब ट्रैफिक वाले शहरों की सूची के टॉप-5 शुमार हैं. इस लिस्ट में पहला स्थान कोलंबिया के बैरेंक्विला का है.

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भारत में वाहनों की संख्या में तेज उछाल आया है. इसके मुकाबले सड़कों और सार्वजनिक परिवहनों का विकास पीछे रह गया है. ट्रैफिक नियमों का कम पालन और अनुशासनहीन ड्राइविंग के कारण जाम और दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं. 'एनवायरनमेंट फॉर डेवलपमेंट' की एक स्टडी में पाया गया कि दिल्ली में ट्रैफिक जाम के कारण हर साल लगभग 5,000 मौतें होती हैं.

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अक्सर घंटों लंबा जाम लगने के चलते प्रदूषण स्तर में भी वृद्धि हो रही है. यह हृदय और सांस संबंधी बीमारियों का कारण भी बन रहा है. इन समस्याओं से निपटने के लिए आर्किटेक्ट, परिवहन विशेषज्ञ और शहरी योजनाकार लंबे समय से भारतीय शहरों में 'कंजेशन टैक्स' लागू करने का सुझाव देते आ रहे हैं.

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सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाना जरूरी

भारत में साल 2009 में पहली बार इस कॉन्सेप्ट का जिक्र हुआ था. इस योजना को देश की राजधानी दिल्ली में लागू करने की बात चल रही थी. उस समय दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने प्रस्ताव पेश किया था कि जो निजी वाहन दिल्ली में प्रवेश करेंगे, उन्हें एक अतिरिक्त टैक्स देना होगा. वह चाहती थीं कि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़े.

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करीब एक दशक बाद, साल 2018 में फिर से इसी तरह की योजना पर विचार किया गया था. इसके अंतर्गत दिल्ली सरकार ने कुछ निश्चित भीड़भाड़  वाले इलाकों में 'कंजेशन टैक्स' लगाने की बात की. साल 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने भी कंजेशन टैक्स और प्रति परिवार कार संख्या सीमित करने का एक प्रस्ताव रखा था, लेकिन यह लागू नहीं हो पाया.

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विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार इस टैक्स को लगाने से घबराती है. भारत में पहले से ही लोग महंगाई और टैक्स से परेशान हैं. ऐसे में 'कंजेशन टैक्स' लोगों पर अतिरिक्त बोझ की तरह देखा जाता है. इसे लागू करने से जनता में विरोध हो सकता है.

भारत में अब तक अच्छी तरह नेटवर्क में जुड़ी, सस्ती और सुविधाजनक सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था स्थापित नहीं हो पाई है. इसके कारण बड़ी संख्या में लोग निजी वाहन पर निर्भर हैं. सड़कों पर क्षमता से कहीं अधिक गाड़ियां हैं. घंटों कंजेशन और लंबे जाम का नुकसान पर्यावरण को भी झेलना पड़ता है. ट्रैफिक में सड़क पर खड़ी गड़ी की वजह से ईंधन की खपत भी बढ़ती है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी बता चुके हैं कि अकेले सड़क परिवहन ही भारत में 40 प्रतिशत वायु प्रदूषण की वजह है.

आकिस भट, ग्रीनपीस में अर्बन मोबिलिटी कैंपेनर हैं तस्वीर: Akiz Bhat

संस्था 'ग्रीनपीस' में अर्बन मोबिलिटी कैंपेनर आकिस भट ने डीडब्ल्यू को बताया, "कंजेशन और प्रदूषण का सीधा नाता है. जब सड़कों पर ट्रैफिक जाम होता है, तो गाड़ियां धीरे-धीरे या रुक-रुककर चलती हैं. इससे गाड़ियों में ज्यादा ईंधन खर्च होता है और ज्यादा धुआं निकलता है. वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ जाती है. जब तक सरकार 'कंजेशन टैक्स' पर विचार कर रही है, तब तक कुछ और उपाय किए जा सकते हैं. पार्किंग फीस बढ़ाई जा सकती है. इस से लोग सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित होंगे."

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