कांग्रेस ने हाल ही में राज्यसभा चुनाव के लिए 10 नामों की सूची जारी की. इस सूची को लेकर कांग्रेस के नेता ही नाराज हो गए हैं और आरोप लगा रहे हैं कि पार्टी ने राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए बाहरी लोगों को टिकट दिया है.
विज्ञापन
कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के साथ ही पार्टी में घमासान जारी है. राजस्थान, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों से बाहरी लोगों को उतारने पर पार्टी के ही नेता सवाल उठा रहे हैं. आरोप लग रहे हैं कि टिकट बंटवारे में गांधी परिवार के सदस्यों के करीबी नेताओं को वरीयता दी गई है. इसी साल हुए उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस ने 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिया था और कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने नारा दिया था "लड़की हूं, लड़ सकती हूं" लेकिन राज्यसभा चुनाव के लिए जो टिकट बांटे गए हैं उन 10 नामों में केवल एक महिला है. पार्टी ने बिहार की पूर्व लोकसभा सांसद रंजीत रंजन को छत्तीसगढ़ से उतारा है. उनके अलावा कोई भी उम्मीदवार महिला नहीं है.
कई नेता टिकट बंटवारे को लेकर सोशल मीडिया पर अपना दर्द शब्दों में बयान कर रहे हैं. सबसे पहले पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ट्विटर पर लिखा, "शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई." इसके बाद मुंबई कांग्रेस की उपाध्यक्ष नगमा ने भी ट्वीट कर अपना दर्द बयान किया. उन्होंने लिखा, "हमारी भी 18 साल की तपस्या कम पड़ गई इमरान भाई के आगे." इसके अगले दिन उन्होंने एक और ट्वीट किया और कहा, "सोनिया गांधी ने 2003-04 में मुझे राज्यसभा में भेजने के लिए व्यक्तिगत रूप से वादा किया था, जब मैं उनके कहने पर पार्टी में शामिल हुईं. उस वक्त पार्टी सत्ता में नहीं थी. तब से 18 साल हो गए हैं, उन्हें कोई मौका नहीं मिला. इमरान को राज्यसभा भेजा गया है. मैं पूछती हूं कि क्या मैं कम योग्य हूं."
कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से उम्मीदवार बनाया है और राज्य के कई नेता इससे खफा हैं. शायर से नेता बने प्रतापगढ़ी साल 2019 का लोकसभा चुनाव भारी मतों से हार गए थे. प्रतापगढ़ी को उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के महासचिव डॉ. आशीष देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी अपनी नाराजगी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सामने दर्ज कराई है.
कांग्रेस के टिकट बंटवारे पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर बीजेपी और कांग्रेस की कार्यशैली के अंतर के बारे में लिखा, "बीजेपी और कांग्रेस की कार्यशैली में अंतर जानने के लिए उनकी राज्यसभा सूचियों को देखें. बीजेपी कई लोगों को उनके गृह राज्य में मजबूत स्थानीय संपर्क के साथ इनाम देती है, कांग्रेस कई लोगों को समायोजित करती है जो एक राज्य से जुड़े भी नहीं हैं. एक है तेज 'राजनीतिक' सूची, दूसरी है 'वफादार' समायोजन."
जानकारों का कहना है कि जहां एक ओर बीजेपी राजनीतिक तौर पर कड़े और नए फैसले लेती हैं वहीं कांग्रेस में न केवल नए विचारों की कमी है बल्कि लीक से हटकर सोचने का साहस भी नहीं है.
पूरे यूरोप में महिला नेताओं का बोलबाला
एलिजाबेथ बोर्न के फ्रांस की प्रधानमंत्री बनने के साथ ही यूरोप में करीब एक दर्जन महिला नेता शक्तिशाली पदों पर आसीन हो गई हैं. जानिए किन यूरोपीय देशों में महिलाएं हैं प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर.
तस्वीर: Ole Berg-Rusten/NTB/AP/picture alliance
फ्रांस
61 साल की एलिजाबेथ बोर्न पेशे से एक इंजीनियर हैं और फ्रांस की दूसरी महिला प्रधानमंत्री हैं. एडिथ क्रेसन देश की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली महिला थीं, जो 1990 के शुरुआती दशकों में एक साल से भी कम समय के लिए पद पर रही थीं.
तस्वीर: Ludovic Marin/AFP/Getty Images
यूरोपीय आयोग
उर्सुला फोन डेय लायन दिसंबर 2019 में यूरोपीय आयोग की पहली महिला अध्यक्ष बनी थीं. उससे पहले वो जर्मनी की रक्षा मंत्री थीं.
मेटे फ्रेडेरिक्सन जून 2019 में 41 साल की उम्र में डेनमार्क की सबसे युवा प्रधानमंत्री चुनी गईं. देश की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली महिला थीं हेले थोर्निंग-श्मिट, जिनका कार्यकाल 2011 से 2015 तक रहा.
52 साल की किर्स्टी कल्युलाइड अक्टूबर 2016 में एस्तोनिया की राष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला बनीं. जनवरी 2021 में काजा कल्लास देश की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली महिला बनीं.
तस्वीर: BGNES
फिनलैंड
दिसंबर 2019 में सना मरीन 34 साल की उम्र में फिनलैंड की प्रधानमंत्री और साथ ही दुनिया में सबसे युवा प्रधानमंत्री बनीं. वो फिनलैंड की प्रधानमंत्री बनने वाली तीसरी महिला हैं.
तस्वीर: Olivier Matthys/AP Photo/picture alliance
ग्रीस
जनवरी 2020 में पेशे से अधिवक्ता कटरीना सकेलारोपोलू ग्रीस की राष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला बनीं. सकेलारोपोलू इससे पहले 2018 में देश के सुप्रीम कोर्ट की अध्यक्ष रह चुकी हैं.
तस्वीर: Petros Giannakouris/AP/picture alliance
हंगरी
कैटलिन नोवाक मार्च 2022 में हंगरी की राष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला बनीं. वो इससे पहले परिवार नीति मंत्री रह चुकी हैं.
47 साल की इंग्रिडा सीमोनीते दिसंबर 2020 में लिथुआनिया की प्रधानमंत्री बनीं. वो देश की वित्त मंत्री भी रह चुकी हैं. लिथुआनिया में महिला नेताओं की मजबूत परंपरा है. बॉल्टिक आयरन लेडी के नाम से जानी जाने वाली डालिया ग्राईबाउसकाइट 2009 से 2019 तक देश की राष्ट्रपति रहीं.
तस्वीर: Petras Malukas/AFP/Getty Images
स्लोवाकिया
48 साल की जुजाना कपूतोवा जून 2019 में स्लोवाकिया की राष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला बनीं. राजनीति में नई होने के बावजूद उन्होंने चुनावों में बड़ी जीत हासिल की.
तस्वीर: Michal Svitok/TASR/TK KBS
स्वीडन
मैगडालेना एंडरसन नवंबर 2021 में स्वीडन की प्रधानमंत्री बनने वाली पहली महिला बनीं. वो इससे पहले वित्त मंत्री भी रह चुकी हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद जब संसद ने उनकी सरकार के बजट को ठुकरा दिया तब उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. चार दिनों बाद वो दोबारा चुनी गईं.
तस्वीर: Michele Tantussi/REUTERS
यूरोपीय संघ के बाहर
यूरोप में यूरोपीय संघ के बाहर जॉर्जिया में सलोम जुराबिशविली राष्ट्रपति हैं, आइसलैंड में कैटरीन जेकब्सडोत्तीर प्रधानमंत्री हैं, कोसोवो में व्योसा ओस्मानी राष्ट्रपति हैं, माल्डोवा में माइआ संदु राष्ट्रपति और नतालया गावृलिता प्रधानमंत्री हैं, नॉर्वे में एरना सोलबर्ग प्रधानमंत्री हैं और स्कॉटलैंड में निकोला स्टर्जन प्रधानमंत्री हैं. (एएफपी)