भारत: ई20 ईंधन वाहन मालिकों में आक्रोश का कारण क्यों बन रहा?
११ सितम्बर २०२५
भारत में हाल के हफ्तों में इथेनॉल मिले पेट्रोल (ई20) की अनिवार्य बिक्री को लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर इसकी खूब आलोचना की. वाहन मालिकों का दावा है कि यह ईंधन माइलेज कम करता है और पुराने वाहनों को नुकसान पहुंचाता है, जो उच्च इथेनॉल मिश्रण के लिए नहीं बने हैं. उद्योग विशेषज्ञों और कुछ सर्विस गैरेजों ने भी 2023 से पहले के मॉडल के मालिकों की शिकायतों की रिपोर्ट दी है.
भारत ने 2025 तक 20 फीसदी इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य तय किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ ऊर्जा योजना के तहत इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया. लेकिन हाल के हफ्तों में देशभर के लगभग 90,000 पेट्रोल पंपों पर अब केवल ई20 ही उपलब्ध है. पहले जिन पुराने मिश्रणों (ई5 और ई10) को पुराने वाहनों के लिए अधिक अनुकूल माना जाता था, उन्हें बंद कर दिया गया है.
क्या है भारत की ई20 नीति
भारत सरकार द्वारा ई20 नामक इथेनॉल-मिश्रित ईंधन की शुरुआत से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ऑटो बाजार में घबराहट और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है.
ई20, 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल है, जो मुख्य रूप से गन्ने और मक्का व चावल जैसे अनाजों से प्राप्त होने वाला एक अल्कोहल है. इसे अप्रैल 2023 में कुछ पेट्रोल पंपों पर पेश किया गया था और अप्रैल 2025 से पूरे भारत में लागू किया गया, जो 10 प्रतिशत इथेनॉल ईंधन, जिसे ई10 कहा जाता है, की जगह लाया गया.
हाल के सप्ताहों में, ई10 और ई5 जैसे पुराने ईंधन पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध नहीं है, जिससे उपभोक्ताओं के पास ई20 पेट्रोल खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. भारत का कहना है कि ई20 से तेल आयात में कमी आएगी, जिससे इस वर्ष 5 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा की बचत होगी और किसानों की आय में लगभग 4.6 अरब डॉलर की वृद्धि होगी. भारत का तर्क है कि इस ईंधन से प्रदूषण भी कम होता है.
भारतीय उपभोक्ता क्यों नाराज हैं?
ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका इथेनॉल-मिश्रित ईंधन को बढ़ावा देने वाले अन्य प्रमुख बाजारों में शामिल हैं, लेकिन ये देश भारत के विपरीत अपने पेट्रोल पंपों पर कई ईंधन मिश्रण उपलब्ध कराते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को विकल्प मिलते हैं. लेकिन हाल के हफ्तों में भारत के लगभग 90,000 पेट्रोल पंपों पर अब केवल ई20 ही उपलब्ध है. पहले जिन पुराने मिश्रणों (ई5 और ई10) को पुराने वाहनों के लिए अधिक अनुकूल माना जाता था, उन्हें बंद कर दिया गया है. वाहन मालिक अपनी पुरानी कार और बाइक के प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं.
कई कार मैनुअल में केवल ई5 या ई10 को ही अनुकूल ईंधन के रूप में बताया गया है, जिससे भ्रम और बढ़ गया है. ई20 ईंधन से होने वाले नुकसान को लेकर एक ऑटो उद्योग समूह ने कहा है कि वारंटी और बीमा दावों का सम्मान किया जाएगा.
सरकार का कहना है कि ये आशंकाएं निराधार हैं और ई20 ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है. पुराने वाहनों में कुछ रबर के पुर्जे और गास्केट बदलने की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन सरकार का कहना है कि यह एक "सरल प्रक्रिया" है.
ऑटोमोबाइल कंपनियों का कहना है कि इस ईंधन से वाहनों का माइलेज 2 फीसदी से 4 फीसदी तक घटता है, लेकिन सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं है. दूसरी ओर, पुराने वाहनों के मालिक माइलेज में बड़ी गिरावट की शिकायत कर रहे हैं.
2020 में सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स ने कहा कि सरकार को वाहनों के "सुरक्षित संचालन" को सुनिश्चित करने के लिए ई20 के साथ-साथ ई10 भी उपलब्ध कराना चाहिए, साथ ही कहा था कि पुराने वाहनों में पुर्जे बदलना एक "बहुत बड़ा काम" है.
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के कार्यकारी निदेशक पीके बनर्जी ने 30 अगस्त को कहा कि पुराने वाहनों में भी ई20 सुरक्षित है, भले ही माइलेज पर असर पड़ता हो. उन्होंने कहा, "लाखों वाहन लंबे समय से ई20 पर चल रहे हैं. अब तक एक भी इंजन के फेल होने या वाहन खराब होने की घटना सामने नहीं आई है. यदि कोई समस्या आती है तो कंपनियां वॉरंटी और बीमा दावे पूरी तरह मानेंगी.”
वहीं मारुति सुजुकी के मुख्य तकनीकी अधिकारी सीवी रामन का कहना है, "सड़क पर नतीजे अलग हो सकते हैं. वाहनों की देखरेख कैसे की जाती है और वे कैसे चलाए जाते हैं, इससे फर्क पड़ता है.”
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गडकरी ने किया बचाव
इस बीच केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ई20 नीति का बचाव करते हुए गुरूवार को कहा, "यह ईंधन सुरक्षित है और नियामकों और ऑटोमोबाइल निर्मातओं द्वारा समर्थित है. ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट ने ई20 कार्यक्रम को लेकर पूरी स्पष्टता दे दी है. "
एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने कहा, "ये राजनीति से प्रेरित एक पेड कैंपेन था, जो मेरे खिलाफ चलाया जा रहा था." उन्होंने कहा कि यह अभियान पूरी तरह से गलत साबित हुआ है. गडकरी का कहना है कि सोशल मीडिया पर राजनीतिक रूप से उनको निशाना बनाने के लिए यह पेड कैंपेन चलाया गया था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर पेट्रोल पंपों पर ई20 के विकल्प देने की मांग की गई थी लेकिन कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था.