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और प्रचंड क्यों होते जा रहे हैं समुद्री तूफान?

३ नवम्बर २०२३

जलवायु परिवर्तन से महासागरों की सतह तप रही है और उसके चलते समुद्री तूफान अभूतपूर्व ढंग से और ताकतवर और विनाशकारी बन रहे हैं.

Mexiko Hurricane Otis Acapulco Satellitenbild
तूफान के जमीन से टकराने से कुछ दिन पहले ओटिस की सैटेलाइट इमेजिंग से तूफान की भयावहता का पता चला था.तस्वीर: NOAA/AP Photo/picture alliance

25 अक्टूबर, 2023 को ओटिस नाम का समुद्री तूफान मेक्सिको के पश्चिमी तट को बहा ले गया. तूफान इतना प्रचंड था कि कम से कम दो दर्जन लोग मारे गए और विश्व प्रसिद्ध अकापुल्को बीच रिसॉर्ट के आसपास का इलाका बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. मकानों के अगले हिस्से गिर गए, पेड़ उखड़ गए, खिड़कियों के पल्ले टूट गए और सड़कों पर पानी भर गया. अटलांटिक महासागर और कैरेबियन सागर में उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) साइक्लोन और तूफान आते रहते हैं. लेकिन, ओटिस तो असामान्य रूप से तीव्र था. महज 12 घंटों में यह कैटगरी 5 वाले हरीकेन में बदल गया, यानी सबसे ज्यादा प्रचंड.

ओटिस करीब 270 किलोमीटर प्रति घंटे (167 मील प्रति घंटा) की तीव्र रफ्तार वाली हवा के साथ तट से टकराया और 330 किलोमीटर प्रति घंटे (205 मील प्रति घंटा) की तीव्रता तक गया.

प्रचंड होते समुद्री तूफान

चरम मौसमों का अध्ययन कर रहे शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से तूफान और ताकतवर हो रहे हैं. उष्णकटिबंधीय चक्रवात अपनी ज्यादातर ऊर्जा महासागर की सतह पर उठती भाप की गरमी से हासिल करते हैं.

साइंटिफिक रिपोर्ट्स नाम के एक जर्नल में हाल में प्रकाशित एक विश्लेषण के मुताबिक महासागरों की सतह का तापमान बढ़ रहा है. लिहाजा तूफान भाप को और तेजी से सोखने लगे हैं. तूफानों की तीव्रता बढ़ाने के साथ-साथ ये रुझान मौसम विज्ञानियों के लिए भी सही-सही अंदाजा लगा पाने में मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं कि तूफान का कहर कब और कहां टूटेगा.

ओटिस के बाद मेक्सिको के प्रभावित इलाके का मंजर.तस्वीर: Henry Romero/REUTERS

समुद्री तूफान की रेसिपी

अंग्रेजी में टाइफून, हरीकेन और साइक्लोन, ये तीनों एक ही मौसमी प्रचंडता के स्वरूप हैं और वह हैः ट्रॉपिकल साइक्लोन. पूर्वी और दक्षिणपूर्वी एशिया में मौसमी परिघटना को टाइफून की तरह इंगित किया जाता है. भारत और ऑस्ट्रेलिया में साइक्लोन और उत्तरी-अमेरिकी तट पर आने वाले तूफानों को हरीकेन नाम से संबोधित किया जाता है.

आप इन्हें कुछ भी कहें. ये तूफान एक ही तरह से जन्म लेते हैं. जब समुद्र की सतह पर 26 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गरम हुआ पानी भाप बनता है. पानी से जुड़े इन साइक्लोनों का जमीनी स्वरूप टॉरनेडो कहलाता है. हरीकेन से उलट टॉरनेडो उन तमाम जगहों पर विकसित हो सकते हैं, जहां आंधी आए और बिजली कड़के. स्थानीय तापमान में अंतर आने की वजह से गरम हवा को ऊपर की ओर धक्का लगता है. ठंडी हवा बैठ जाती है और गरम हवा का स्तंभ ऊपर की ओर तेजी से घूमता हुआ जाता है. टॉरनेडो का व्यास एक किलोमीटर से भी कम का होता है.

ओटिस कैटेगरी 5 का तूफान था, जो संभवतः सबसे शक्तिशाली थातस्वीर: Henry Romero/REUTERS

तूफानों की खास परिस्थितियां

जर्मन मौसम सेवी में मौसम विज्ञानी और टॉरनेडो अधिकारी आंद्रियास फ्रीडरिश कहते हैं, "हरीकेन को बनने के लिए बहुत सारी बुनियादी स्थितियों की जरूरत होती है." समुद्री सतह का तापमान कम से कम 26 डिग्री सेल्सियस तो होना ही चाहिए. इसके अलावा गरम पानी का वह क्षेत्र इतना बड़ा होना चाहिए कि हरीकेन आकार ले सके. यानी सैकड़ों-हजारों वर्ग किलोमीटर. कम दबाव वाले क्षेत्र की उपस्थिति के बगैर हरीकेन तूफान विकसित नहीं हो सकते.

फ्रीडरिष कहते हैं, "अक्सर छोटे, कम दबाव वाले क्षेत्र अफ्रीका के पश्चिमी तट से निकलकर अटलांटिक की मॉनसूनी धाराओं के साथ गरम सतह वाले इन सागरों में बनने आ जाते हैं." ये बताते हैं कि हरीकेन तभी बनेगा, जब समुद्र की सतह के पास या ऊंचाई वाले इलाकों में हवा के अंतर ज्यादा बड़े नहीं होंगे. इनसे तूफान छिटक जाएगा.

विनाशकारी मिश्रण

अगर सब कुछ साथ आ जाए, तो एक कम दबाव का क्षेत्र हरीकेन में बदल सकता है. समुद्र से उठती गरम, नम हवा ठंडी ऊंचाइयों पर गाढ़ी होकर गरजने वाले बादल और समुद्र की सतह पर नकारात्मक दबाव बनाती है. आसपास की तमाम हवा को तूफान अपनी ओर खींच लेता है.

तब हवा के ये पिंड ऊपर की ओर खिंचते हैं, जैसे चिमनी में होता है और 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पैदा करते हैं. पृथ्वी के स्पिन यानी घुमाव से जुड़ा कोरियोलिस बल इन पिंडों को रोटेशन यानी आवर्तन में डाल देता है. फ्रीडरिष कहते हैं, "इस भंवर के केंद्र में तूफान की वह विशिष्ट 'आंख' बन जाती है, जहां वह पूरी तरह से शांत और बादलविहीन होता है. जबकि आंख की किनारी पर बादल और ऊंचाई तक जमा होने लगते हैं."

मेक्सिको के तूफान ओटिस ने अकापुल्को बीच रिसॉर्ट के पास भारी तबाही मचाई.तस्वीर: Marco Ugarte/AP Photo/picture alliance

धीमी गति वाले तूफान ज्यादा विनाशकारी

हरीकेन के लिए ये मुफीद स्थितियां जितनी लंबी खिंचेगी, तूफान उतनी ज्यादा तबाही लाने वाला बनेगा.

फ्रीडरिष कहते हैं, "हरीकेन वायु धाराओं की मदद से 5 से 8 किलोमीटर की ऊंचाई पर घूमते हैं. ये धाराएं ही तय करती हैं कि हरीकेन किस ओर जाएगा."

हरीकेन जब तट को छूता है, तो आमतौर पर यह अपनी ताकत जल्द ही गंवा देता है. उच्चतर वायुमंडल की  धाराएं तूफान को जल्द ही जमीन की ओर ले आती हैं और इसकी ऊर्जा के मुख्य स्रोत गरम, नम महासागरीय हवा को उससे काट देती हैं. वहां तूफान कम दबाव वाली प्रणालियों में बदल जाता है. उसकी विनाशकारी शक्ति खत्म हो जाती है.

लेकिन अगर एक ट्रॉपिकल साइक्लोन बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है और उसे तट के पास महासागर की नम हवा से पोषण मिलना जारी रहता है, तो वह ज्यादा कहर ढा सकता है.

जलवायु परिवर्तन से भयंकर होते तूफान

फ्रीडरिष जोर देकर कहते हैं कि समुद्री सतह का उच्च तापमान तूफानों के लिए बेहतर स्थितियां बना रहा है.

"26 डिग्री से ऊपर वाला महासागरीय क्षेत्र जितना बड़ा होगा, उतने ही ज्यादा बड़े क्षेत्र में हरीकेन बन सकते हैं." वह कहते हैं कि जलवायु के मॉडल दिखाते हैं कि भविष्य में न सिर्फ ज्यादा तूफान आएंगे, बल्कि वे ज्यादा शक्तिशाली भी होंगे. साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित विश्लेषण इस दलील का समर्थन करता प्रतीत होता है. विश्लेषण के मुताबिक आज के हरीकेन 24 घंटे के अंदर कैटगरी 1 के कमजोर हरीकेन से कैटगरी 3 या उससे अधिक के मजबूत हरीकेन में बदल सकते हैं. यह संभावना दोगुनी से ज्यादा है.

इसके अलावा अध्ययन काल के दौरान अटलांटिक और कैरेबियन सागर में जिन क्षेत्रों में ट्रॉपिकल साइक्लोन आते हैं, वे क्षेत्र भी महासागरीय तपिश की प्रतिक्रिया में खिसक गए थे.

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