जलवायु परिवर्तन से महासागरों की सतह तप रही है और उसके चलते समुद्री तूफान अभूतपूर्व ढंग से और ताकतवर और विनाशकारी बन रहे हैं.
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25 अक्टूबर, 2023 को ओटिस नाम का समुद्री तूफान मेक्सिको के पश्चिमी तट को बहा ले गया. तूफान इतना प्रचंड था कि कम से कम दो दर्जन लोग मारे गए और विश्व प्रसिद्ध अकापुल्को बीच रिसॉर्ट के आसपास का इलाका बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. मकानों के अगले हिस्से गिर गए, पेड़ उखड़ गए, खिड़कियों के पल्ले टूट गए और सड़कों पर पानी भर गया. अटलांटिक महासागर और कैरेबियन सागर में उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) साइक्लोन और तूफान आते रहते हैं. लेकिन, ओटिस तो असामान्य रूप से तीव्र था. महज 12 घंटों में यह कैटगरी 5 वाले हरीकेन में बदल गया, यानी सबसे ज्यादा प्रचंड.
ओटिस करीब 270 किलोमीटर प्रति घंटे (167 मील प्रति घंटा) की तीव्र रफ्तार वाली हवा के साथ तट से टकराया और 330 किलोमीटर प्रति घंटे (205 मील प्रति घंटा) की तीव्रता तक गया.
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प्रचंड होते समुद्री तूफान
चरम मौसमों का अध्ययन कर रहे शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से तूफान और ताकतवर हो रहे हैं. उष्णकटिबंधीय चक्रवात अपनी ज्यादातर ऊर्जा महासागर की सतह पर उठती भाप की गरमी से हासिल करते हैं.
साइंटिफिक रिपोर्ट्स नाम के एक जर्नल में हाल में प्रकाशित एक विश्लेषण के मुताबिक महासागरों की सतह का तापमान बढ़ रहा है. लिहाजा तूफान भाप को और तेजी से सोखने लगे हैं. तूफानों की तीव्रता बढ़ाने के साथ-साथ ये रुझान मौसम विज्ञानियों के लिए भी सही-सही अंदाजा लगा पाने में मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं कि तूफान का कहर कब और कहां टूटेगा.
समुद्री तूफान की रेसिपी
अंग्रेजी में टाइफून, हरीकेन और साइक्लोन, ये तीनों एक ही मौसमी प्रचंडता के स्वरूप हैं और वह हैः ट्रॉपिकल साइक्लोन. पूर्वी और दक्षिणपूर्वी एशिया में मौसमी परिघटना को टाइफून की तरह इंगित किया जाता है. भारत और ऑस्ट्रेलिया में साइक्लोन और उत्तरी-अमेरिकी तट पर आने वाले तूफानों को हरीकेन नाम से संबोधित किया जाता है.
आप इन्हें कुछ भी कहें. ये तूफान एक ही तरह से जन्म लेते हैं. जब समुद्र की सतह पर 26 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गरम हुआ पानी भाप बनता है. पानी से जुड़े इन साइक्लोनों का जमीनी स्वरूप टॉरनेडो कहलाता है. हरीकेन से उलट टॉरनेडो उन तमाम जगहों पर विकसित हो सकते हैं, जहां आंधी आए और बिजली कड़के. स्थानीय तापमान में अंतर आने की वजह से गरम हवा को ऊपर की ओर धक्का लगता है. ठंडी हवा बैठ जाती है और गरम हवा का स्तंभ ऊपर की ओर तेजी से घूमता हुआ जाता है. टॉरनेडो का व्यास एक किलोमीटर से भी कम का होता है.
तूफानों की खास परिस्थितियां
जर्मन मौसम सेवी में मौसम विज्ञानी और टॉरनेडो अधिकारी आंद्रियास फ्रीडरिश कहते हैं, "हरीकेन को बनने के लिए बहुत सारी बुनियादी स्थितियों की जरूरत होती है." समुद्री सतह का तापमान कम से कम 26 डिग्री सेल्सियस तो होना ही चाहिए. इसके अलावा गरम पानी का वह क्षेत्र इतना बड़ा होना चाहिए कि हरीकेन आकार ले सके. यानी सैकड़ों-हजारों वर्ग किलोमीटर. कम दबाव वाले क्षेत्र की उपस्थिति के बगैर हरीकेन तूफान विकसित नहीं हो सकते.
फ्रीडरिष कहते हैं, "अक्सर छोटे, कम दबाव वाले क्षेत्र अफ्रीका के पश्चिमी तट से निकलकर अटलांटिक की मॉनसूनी धाराओं के साथ गरम सतह वाले इन सागरों में बनने आ जाते हैं." ये बताते हैं कि हरीकेन तभी बनेगा, जब समुद्र की सतह के पास या ऊंचाई वाले इलाकों में हवा के अंतर ज्यादा बड़े नहीं होंगे. इनसे तूफान छिटक जाएगा.
ऑरोरा बोरिएलिस: आकाश में चमत्कार
ऑरोरा हर बार हमें मोहित कर लेती हैं. हाल ही में एक सौर तूफान ने दुनिया के ऐसे इलाकों में आकाश में रंगीन कलाकृतियां बिखेर दीं, जहां अमूमन इन्हें कम ही देखा जाता है. देखिए ऐसी ही कुछ इलाकों में ली गईं दुर्लभ तस्वीरें.
तस्वीर: SANKA VIDANAGAMA/AFP
हरी लालटेन
हाल ही में अमेरिकी राज्य वॉशिंगटन के वाश्टुकना कस्बे में रात को आसमान जहरीले हरे रंग का हो गया. रविवार 30 अप्रैल को अमेरिकी मौसम एजेंसी एनओएए ने सौर तूफान के बारे में आगाह किया था जो रात के आसमान में इस चित्रकारी का जिम्मेदार था. यूरोप और एशिया में भी कई स्थानों से ऑरोरा के देखे जाने की खबरें आईं.
तस्वीर: Ted S. Warren/AP Photo/picture alliance
रात को सूर्यास्त?
रात की ये घटनाएं ध्रुवीय इलाकों में असामान्य नहीं हैं, लेकिन जर्मन बॉल्टिक सागर के द्वीप यूजडोम पर ये एक यादगार नजारा बन गए. रात के आसमान में ये चमकीले रंग तब बनते हैं जब सौर हवाओं के बिजली से चार्ज हो चुके कण वायुमंडल की ऊपरी सतहों से टकराते हैं.
तस्वीर: Christian Grube/IMAGO
उत्तर में ही नहीं
यह दिलचस्प नजारा सिर्फ उत्तर में ही नहीं बल्कि धरती के दक्षिणी हिस्सों में भी देखा जाता है. तथाकथित उत्तरी रोशनी (ऑरोरा बोरिएलिस) के अलावा दक्षिणी रोशनी (ऑरोरा ऑस्ट्रालिस) भी होती है, जिसे ऑस्ट्रेलिया की एलेस्मेयर झील के पास ली गई इस तस्वीर में देखा जा सकता है.
तस्वीर: SANKA VIDANAGAMA/AFP/Getty Images
बर्लिन में प्रकाश प्रदूषण
बर्लिन में इन रंगों की बस एक झलक ही देखी जा सकी क्योंकि वहां प्रकाश प्रदूषण बहुत ज्यादा है. फिर भी आने वाले सालों में आपको आसमान की तरफ और ज्यादा देखना चाहिए क्योंकि विशेषज्ञों का कहना कि मौजूदा सौर चक्र 2024 और 2025 में अपनी चोटी पर पहुंचेगा और तब रोशनी फैलाने वाले इन कणों का विस्फोट बढ़ जाएगा.
तस्वीर: Jörg&Nicole Krauthöfer/IMAGO
जुड़े हुए मिथक
फिनलैंड में उत्तरी रोशनी असामान्य नहीं है. लेकिन जब तक इनके वैज्ञानिक कारण की खोज नहीं हुई थी तब तक इनके इर्द-गिर्द कई मिथक थे. स्कैंडिनेविया के मूल निवासी 'सामी' लोग इस रहस्यमयी रोशनी में बुरी किस्मत और आत्माएं देखते थे. इनके दिखाई देने पर वो बच्चों को घर से बाहर निकलने से मना कर देते थे और मौन हो कर तब तक इंतजार करते थे जब तक आत्माएं फिर से शांत नहीं हो जाती थीं.
तस्वीर: ALEXANDER KUZNETSOV/AFP
रात का इंद्रधनुष
इंग्लैंड के उत्तर-पूर्वी तट पर व्हिटली बे में सेंट मेरीज लाइटहाउस ऑरोरा बोरिएलिस के इंद्रधनुषीय रंगों के आगे चमक रहा है. रोशनी में हरे, लाल और कभी कभी बैंगनी से लेकर नीले रंग दिखाई देते हैं. रोशनी की तीव्रता में कमी की वजह से रंग हर किसी को अलग भी दिख सकते हैं. (उलरिके शुल्ज)
अगर सब कुछ साथ आ जाए, तो एक कम दबाव का क्षेत्र हरीकेन में बदल सकता है. समुद्र से उठती गरम, नम हवा ठंडी ऊंचाइयों पर गाढ़ी होकर गरजने वाले बादल और समुद्र की सतह पर नकारात्मक दबाव बनाती है. आसपास की तमाम हवा को तूफान अपनी ओर खींच लेता है.
तब हवा के ये पिंड ऊपर की ओर खिंचते हैं, जैसे चिमनी में होता है और 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पैदा करते हैं. पृथ्वी के स्पिन यानी घुमाव से जुड़ा कोरियोलिस बल इन पिंडों को रोटेशन यानी आवर्तन में डाल देता है. फ्रीडरिष कहते हैं, "इस भंवर के केंद्र में तूफान की वह विशिष्ट 'आंख' बन जाती है, जहां वह पूरी तरह से शांत और बादलविहीन होता है. जबकि आंख की किनारी पर बादल और ऊंचाई तक जमा होने लगते हैं."
धीमी गति वाले तूफान ज्यादा विनाशकारी
हरीकेन के लिए ये मुफीद स्थितियां जितनी लंबी खिंचेगी, तूफान उतनी ज्यादा तबाही लाने वाला बनेगा.
फ्रीडरिष कहते हैं, "हरीकेन वायु धाराओं की मदद से 5 से 8 किलोमीटर की ऊंचाई पर घूमते हैं. ये धाराएं ही तय करती हैं कि हरीकेन किस ओर जाएगा."
हरीकेन जब तट को छूता है, तो आमतौर पर यह अपनी ताकत जल्द ही गंवा देता है. उच्चतर वायुमंडल की धाराएं तूफान को जल्द ही जमीन की ओर ले आती हैं और इसकी ऊर्जा के मुख्य स्रोत गरम, नम महासागरीय हवा को उससे काट देती हैं. वहां तूफान कम दबाव वाली प्रणालियों में बदल जाता है. उसकी विनाशकारी शक्ति खत्म हो जाती है.
लेकिन अगर एक ट्रॉपिकल साइक्लोन बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है और उसे तट के पास महासागर की नम हवा से पोषण मिलना जारी रहता है, तो वह ज्यादा कहर ढा सकता है.
बवंडर में तहस नहस अमेरिका के गरीबों की जिंदगी
घरों के बाहर उखड़े हुए पेड़ गिरे हैं जिनके पत्ते, टहनियां जमीन पर और जड़ें हवा में हैं. भीतर स्ट्रेचरों पर खाने का अंबार है. मिसिसिपी की मदद के लिए स्वयंसेवक पहुंच रहे हैं. बवंडर ने यहां जिंदगी उलट पुलट कर रख दी है.
तस्वीर: Lokman Vural Elibol/AA/picture alliance
सबकुछ तहस नहस
बवंडर आने के 24 घंटे के भीतर रेड क्रॉस की टीम पहुंच गई, लेकिन तब तक रोलिंग फॉर्क के 2000 निवासियों में से 25 लोगों की जान जा चुकी थी. राहतकर्मी लोगों को सूचना, भोजन, पानी, दवाएं, डायपर और दूसरी जरूरी चीजें मुहैया कराने में जुटे हुए हैं.
तस्वीर: Lokman Vural Elibol/AA/picture alliance
युद्ध का मैदान
बवंडर के बाद यह इलाका किसी 'युद्ध के मैदान' में तब्दील हो गया. कहीं एंबुलेंस के सायरन गूंजने लगे तो कहीं राहतकर्मियों की भीड़, किसी का घर उजड़ा तो किसी की गाड़ी पलट गई और कोई खुद ही दुनिया से चला गया.
तस्वीर: Fatih Aktas/AA/picture alliance
उजड़े घर
बहुत से लोगों के घर इस बवंडर की चपेट में आने के बाद रहने लायक नहीं बचे. कुछ मकानों की तो पूरी छत ही उड़ गई. कई लोगों ने बाथरूम और दूसरी जगहों पर छिप कर अपनी जान बचाई. राहत के लिए पहुंचे लोगों ने शेल्टर बनाने में मदद की ताकि प्रभावित लोगों को वहां रखा जा सके.
तस्वीर: Lokman Vural Elibol/AA/picture alliance
तेज हवाओं का कहर
करीब 320 किलोमीटर प्रति घंट की रफ्तार वाली हवाएं लेकर आया बवंडर, 160 किलोमीटर लंबे इलाके से गुजरा है. बहुत से लोग घायल हुए हैं और मरने वालों की तादाद भी बढ़ने की आशंका है. बवंडर के बाद एक दूसरे का हाथ थामे अपने घरों में जा कर हुए नुकसान का जायजा ले रहे हैं.
तस्वीर: Sylveon Gamer Jake via REUTERS
गाड़ियों को नुकसान
छोटी बड़ी कई गाड़ियां भी बवंडर की चपेट में आ कर बर्बाद हो गई हैं. अलाबामा में एक ट्रेलर पलट गया. इसके नीचे दब कर एक आदमी की मौत हुई है. कई और जगहों पर गाड़ियां औंधी पड़ी हुई हैं. बवंडर ने पूरे इलाके को अस्त व्यस्त कर दिया है.
तस्वीर: Cheney Orr/REUTERS
बवंडर के बाद बिजली गायब
बवंडर के बाद बिजली की सप्लाई चालू करने के लिए बड़े स्तर पर कोशिशें हुईं लेकिन रविवार शाम तक भी 60 हजार से ज्यादा लोग बगैर बिजली के रह रहे थे.
तस्वीर: Fatih Aktas/AA/picture alliance
सरकार की मदद
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अस्थायी घरों के लिए पैसा देने के साथ ही जिन लोगों के घर का बीमा नहीं है उन्हें सस्ते कर्ज देने के लिए आपातकालीन आदेश जारी किया है. बहुत से लोग यह भी शिकायत कर रहे हैं कि सरकार की तरफ से समय रहते ना तो चेतावनी दी गई ना ही उनकी मदद के लिए कोशिश की गई.
तस्वीर: Barbara Gauntt/The Clarion-Ledger/AP/dpa/picture alliance
बवंडर की भविष्यवाणी मुश्किल
मौसम विभाग इस तरह के बवंडरों की सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकता. अमेरिका के मध्य और उत्तरी हिस्से में इस तरह के बवंडरों की आने की घटनाएं अकसर होती हैं. हालांकि बीते सालों में इनकी तीव्रता बढ़ती जा रही है.
तस्वीर: Ringo H.W. Chiu/AP/picture alliance
गरीब इलाका है मिसिसिपी
अमेरिका के सबसे गरीब राज्यों में एक है मिसिसिपी और बवंडर जिस इलाके में आया वह और भी ज्यादा गरीब है. यहां के ज्यादातर लोगों की रोजीरोटी खेती और खेतों में मजदूरी से चलती है. बवंडर की चपेट में आये शार्की और हंफ्री काउंटी में 35 और 33 फीसदी गरीबी है जबकि मिसिसिपी में 19 फीसदी.
तस्वीर: DOUG HOKE/THE OKLAHOMAN/VIA REUTERS
छिटपुट आबादी
कपास, मक्का और सोयाबीन के खेतों के साथ रहने वाली यहां की आबादी ज्यादा घनी नहीं है. हालांकि जो लोग बवंडर की चपेट में आये हैं उनके लिए दोबारा से खुद को खड़ा करना आसान नहीं होगा.
तस्वीर: CHANDAN KHANNA/AFP
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जलवायु परिवर्तन से भयंकर होते तूफान
फ्रीडरिष जोर देकर कहते हैं कि समुद्री सतह का उच्च तापमान तूफानों के लिए बेहतर स्थितियां बना रहा है.
"26 डिग्री से ऊपर वाला महासागरीय क्षेत्र जितना बड़ा होगा, उतने ही ज्यादा बड़े क्षेत्र में हरीकेन बन सकते हैं." वह कहते हैं कि जलवायु के मॉडल दिखाते हैं कि भविष्य में न सिर्फ ज्यादा तूफान आएंगे, बल्कि वे ज्यादा शक्तिशाली भी होंगे. साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित विश्लेषण इस दलील का समर्थन करता प्रतीत होता है. विश्लेषण के मुताबिक आज के हरीकेन 24 घंटे के अंदर कैटगरी 1 के कमजोर हरीकेन से कैटगरी 3 या उससे अधिक के मजबूत हरीकेन में बदल सकते हैं. यह संभावना दोगुनी से ज्यादा है.
इसके अलावा अध्ययन काल के दौरान अटलांटिक और कैरेबियन सागर में जिन क्षेत्रों में ट्रॉपिकल साइक्लोन आते हैं, वे क्षेत्र भी महासागरीय तपिश की प्रतिक्रिया में खिसक गए थे.
चक्रवात बनते कैसे हैं और अमेरिका में इतने क्यों आते हैं?