भारत में क्यों इतनी छंटनी कर रही हैं टेक कंपनियां?
मुरली कृष्णन
२३ नवम्बर २०२२
पिछले कुछ महीनों में भारत में हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं. छंटनी करने वालों में वे टेक कंपनियां सबसे आगे हैं जिनमें कोविड के दौरान जमकर भर्तियां हुई थीं.
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नेहा सेतिया मुंबई में एक मल्टीनेशनल टेक कंपनी में सीनियर मैनेजर थीं. पिछले महीने जब उनके कई दोस्तों को कंपनी ने नोटिस थमा दिए तो उनके मन में भी आशंकाएं घर करने लगीं. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "मुझे पता था कि कोविड के दौरान ई-कॉमर्स का विस्फोट हुआ था और तब निवेशक उस ओर आकर्षित हुए थे. बाजार की अस्थिरता के बीच जैसे ही महामारी खत्म हुई, टेक कंपनियों के सामने संकट खड़ा होने लगा. लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि संकट इतनी जल्दी आ जाएगा.”
प्रज्ञा कपूर दिल्ली में एक कंपनी में काम करती हैं. वह कहती हैं कि उनके वरिष्ठों ने उन्हें बता दिया है कि वैश्विक संकट के कारण लोगों की छंटनी की जा रही है. कपूर ने कहा, "मुझे बताया गया कि अब मेरी जरूरत नहीं है. इसका मेरे काम से कोई लेना देना नहीं था. एकाएक उन्होंने मुझे छंटनी की एवज में पैसा दे कर बाहर का रास्ता दिखा दिया.”
मार्केट वैल्यू के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी 10 कंपनियां
कंपनी की संपत्तियां भले ही बहुत कम हों, लेकिन शेयरों के कारण बाजार में उसकी वैल्यू अरबों-खरबों में हो सकती है. एक नजर मार्केट वैल्यू के लिहाज से दुनिया की टॉप 10 कंपनियों पर. साथ में उनका राजस्व भी है.
तस्वीर: Hamad I Mohammed/REUTERS
10. यूनाइडेट हेल्थकेयर
मार्केट वैल्यूः 456.09 अरब डॉलर, रेवेन्यूः 293.51 अरब डॉलर
तस्वीर: Jim Mone/AP/picture alliance
09. जॉनसन एंड जॉनसन
मार्केट वैल्यूः 463.46 अरब डॉलर, रेवेन्यूः 94.88 अरब डॉलर
तस्वीर: Frank Hoermann/SvenSimon/picture alliance
08. मेटा प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक)
मार्केट वैल्यू: 539.60 अरब डॉलर रेवेन्यू: 120.18 अरब डॉलर
तस्वीर: Tony Avelar/AP/picture alliance
07. बेर्कशर हैथवे
मार्केट वैल्यू: 687.77 अरब डॉलर
रेवेन्यू: 353.16 अरब डॉलर
तस्वीर: Pavlo Gonchar/Zuma Wire/picture alliance
06. टेस्ला
मार्केट वैल्यू: 760. अरब डॉलर
रेवेन्यू: 62.19 अरब डॉलर
तस्वीर: picture alliance/Lu Hongjie
05. एमेजॉन
मार्केट वैल्यू: 1,072 अरब डॉलर
रेवेन्यू: 477.74अरब डॉलर
तस्वीर: Richard Drew/AP Photo/picture alliance
04. अल्फाबेट (गूगल)
मार्केट वैल्यू: 1499 अरब डॉलर
रेवेन्यू: 270.33 अरब डॉलर
तस्वीर: Daniel Kalker/picture alliance
03. माइक्रोसॉफ्ट
मार्केट वैल्यू: 1,948 अरब डॉलर
रेवेन्यू: 192.55अरब डॉलर
तस्वीर: Pavlo Gonchar/ZUMA Wire/imago images
02. एप्पल
मार्केट वैल्यू: 2371 अरब डॉलर
रेवेन्यू: 386.01 अरब डॉलर
तस्वीर: STRF/STAR MAX/picture alliance
01.आरामको
मार्केट वैल्यूः 2424 अरब डॉलर, रेवेन्यूः 341.92 अरब डॉलर स्रोतः कंपनीज मार्केट डॉट कॉम
तस्वीर: Hamad I Mohammed/REUTERS
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मंदी की गड़गड़ाहटः टेस्ला ने कम कर दी हैं भर्तियां
नेहा और प्रज्ञा जैसी कहानियां हजारों भारतीय युवाओं की हैं जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में अपनी नौकरियां गवाईं हैं. ये लोग बड़ी टेक कंपनियों से निकाले गए हैं. आमतौर पर माना जाता है कि ये कंपनियां खूब पैसा खर्च करती हैं लेकिन अब ये बड़े पैमाने पर कटौती कर रही हैं.
बड़ी कंपनियों में छंटनी
शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वालीं टेक कंपनियां जैसे कि यूनिकॉर्न बायजू जैसी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी की है. बायजू तो भारत के सबसे अमीर स्टार्ट-अप में से एक है जिसने पिछले कुछ महीनों में 2,500 लोगों को निकाला है. उद्योग जगत पर नजर रखने वाले लोग बताते हैं कि भारत में 44 स्टार्ट-अप कंपनियों ने अपने यहां छंटनी की है.
एक जॉब पोर्टल में वरिष्ठ पद पर काम करने वाले एक व्यक्ति ने नाम ना छापने की शर्त पर डॉयचे वेले को बताया, "जब अगस्त में वैश्विक टेक जगत में छंटनियां शुरू हुईं, तभी यह साफ हो गया था कि यह तूफान भारत तक भी पहुंचेगा. यह भी सच है कि अमेरिका में बढ़ती महंगाई के कारण कई कंपनियां अब भारत में भी विज्ञापन पर खर्च नहीं करना चाहतीं. नतीजा छंटनी के रूप में सामने आ रहा है.”
रिपोर्ट बताती हैं कि इलॉन मस्क के कमान संभालने के बाद ट्विटर ने तो अपने लगभग आधे कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है. उसका असर फेसबुक की कंपनी मेटा पर भी दिखाई दिया जिसने करीब 11,000 लोगों को निकालने की बात कही है. इसका असर भारत में काम करने वाले लोगों पर भी होगा. अन्य कंपनियों में माइक्रोसॉफ्ट, सेल्सफोर्स और ऑरैकल शामिल हैं जहां से लोगों की नौकरियां गई हैं या जा रही हैं.
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वैश्विक संकट
पिछले हफ्तों में हुई छंटनी इन कंपनियों के इतिहास की सबसे बड़ी छंटनी कही जा रही है. इसकी वजहों में कोविड महामारी के कारण पैदा हुआ आर्थिक संकट और यूक्रेन युद्ध भी शामिल है. आलम यह है कि अब ऐसी आशंकाएं जताई जा रही हैं कि आईटी कंपनियों के लिए एक अंधेरा युग आने वाला है. भारत को हमेशा आईटी उद्योग में विकास के बड़े रास्ते के रूप में देखा जाता है, इसलिए इस अंधकार का असर भारतीय बाजार पर होना लाजमी है.
सर्वे: दुनिया भर के कर्मचारी घर से काम करना चाहते हैं
27 देशों की 36,000 प्रतिक्रियाओं से आए नतीजों के मुताबिक कर्मचारी घर से काम के घंटे बढ़ाना चाहते हैं. हालांकि, कंपनियां और उनके बॉस अपने कर्मचारियों को दफ्तर में अधिक देखना चाहते हैं.
तस्वीर: Robin Utrecht/picture alliance
लुभा रहा है वर्क फ्रॉम होम
एक अंतरराष्ट्रीय शोध के परिणामों के मुताबिक दुनिया भर में घर से काम करने वाले कर्मचारियों की इतनी संख्या पहले कभी नहीं देखी गई. ऐसे कर्मचारी घर से काम करने के अपने मौजूदा घंटों को भी बढ़ाना चाह रहे हैं.
तस्वीर: Rafael Ben-Ari/Newscom/picture alliance
27 देशों में किया गया सर्वे
जर्मनी की आईएफओ इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा प्रकाशित सर्वेक्षण के मुताबिक 27 देशों के सभी उद्योगों और क्षेत्रों के कर्मचारियों ने प्रति सप्ताह औसत डेढ़ दिन घर से काम किया.
तस्वीर: Westend61/picture alliance
जर्मनों में कितना काम घर से किया गया
जर्मनी में कोरोना की ढाई साल लंबी वैश्विक महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम का औसत समय इस सर्वेक्षण के परिणामों से थोड़ा कम है, यानी प्रति सप्ताह 1.4 दिन.
इस सर्वे के मुताबिक फ्रांस में वर्क फ्रॉम होम की अवधि 1.3 दिन, अमेरिका में 1.6 और जापान में 1.1 दिन है. आईएफओ शोधकर्ता और वर्क फ्रॉम होम अध्ययन के सह-लेखक माथियाज डोल्ज के मुताबिक, "जिस तरह कोरोना वायरस महामारी ने बहुत कम समय में काम और जीवन को उल्ट पुलट कर दिया, इससे पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई."
तस्वीर: Robin Utrecht/picture alliance
कुछ उद्योगों में घर से काम करना असंभव
जर्मन शोधकर्ताओं ने स्टैनफोर्ड और प्रिंसटन विश्वविद्यालयों समेत अमेरिका, ब्रिटेन और मेक्सिको में पांच अन्य शोध संस्थानों के सहयोग से यह सर्वेक्षण किया है. डोल्ज के मुताबिक इस अध्ययन के परिणाम औसत मूल्यों पर आधारित हैं, क्योंकि कुछ उद्योगों में घर से काम करना बिल्कुल भी संभव नहीं है.
तस्वीर: Stanislav Krasilnikov/TASS/picture alliance
घर से काम करना पसंद
सर्वेक्षण से पता चला कि एक और अंतरराष्ट्रीय समानता यह है कि कर्मचारी अपने बॉस की तुलना में घर से काम करना पसंद करते हैं. सर्वेक्षण किए गए सभी 27 देशों में औसतन 36,000 उत्तरदाता सप्ताह में 1.7 दिन घर से काम करना चाहते थे.
यह सर्वे ब्रिटिश मार्केट रिसर्च इंस्टीट्यूट 'रेस्पोंडी' द्वारा किया गया था. समायोजन के बाद सर्वेक्षण के परिणाम लगभग 36,000 प्रतिक्रियाओं पर आधारित हैं. दो चरणों का सर्वेक्षण 2021 की गर्मियों में और इस साल जनवरी और फरवरी के महीनों में किया गया था.
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यूनिकॉर्न बिजनेस मॉडल और टेक कंपनियों की बर्बादी जैसी आशंकाओं के बीच यह देखा जा रहा है कि स्टार्ट-अप कंपनियों पर दबाव बहुत ज्यादा है और कई कंपनियों ने अपने यहां बड़े बदलाव का ऐलान किया है, जिसका एक हिस्सा लोगों को हटाना भी होगा.
टेक स्टार्ट-अप कंपनियों को कानूनी सलाह-मश्विरा उपलब्ध कराने वाली कंपनी लीगलविज के संस्थापकों में से एक श्रीजय सेठ कहते हैं, "महामारी के दौरान टेक कंपनियों में उछाल आया और अतिरिक्त भर्तियां हुई थीं. जाहिर है, उसका नतीजा उम्मीद के उलट निकला.”
सेठ कहते हैं कि अब कंपनियों के सामने बढ़ी हुई ब्याज दरें भी हैं, जिसके कारण उधार लेने की क्षमता घट गई है. डीड्ब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, "वैश्विक आर्थिक संकट के कारण पूरी दुनिया में कंपनियों के लिए तेजी से बदलते हालात का सामना करना मुश्किल हो गया है. भारत भी उस आंच को महसूस कर रहा है. चीजों को शांत होने में एक से दो तिमाहियां लग सकती हैं.”