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असम में क्यों हो रही हैं इतनी गिरफ्तारियां?

प्रभाकर मणि तिवारी
१५ मई २०२५

कथित पाक समर्थक पोस्ट की वजह से बढ़ती गिरफ्तारियों के बाद असम में अब लोग सोशल मीडिया के दूरी बनाने लगे हैं. इस मामले में अब तक राज्य के विभिन्न हिस्सों से 58 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जो देश में सबसे ज्यादा है.

असम हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार के कई फैसलों ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं
असम हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार के कई फैसलों ने खूब सुर्खियां बटोरी हैंतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार कहा जाने वाले असम राज्य में बीजेपी और खासकर हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही विवादास्पद फैसलों और कार्रवाइयों के लिए सुर्खियां बटोरता रहा है. मुख्यमंत्री पर अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडा चलाने के आरोप भी लगते रहे हैं. अब बीते महीने पहलगाम हमले के बाद भी राज्य में कथित 'पाक समर्थकों' और 'गद्दारों' की गिरफ्तारियों ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. हालांकि मामला संवेदनशील होने की वजह से अब तक किसी ने इसके खिलाफ टिप्पणी नहीं की है.

मुख्यमंत्री ने पाक का कथित समर्थन करने वाले लोगों पर एनएसए लगाने की भी बात कही है. असम में पाकिस्तान के कथित समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट लिखने के आरोप में अब तक 58 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें एक विपक्षी विधायक और छात्रों के अलावा एक महिला भी शामिल है. एक युवक को तो पुलिस ने तेलंगाना से गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तारी का सिलसिला

बीते 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद असम में 26 अप्रैल को देशद्रोह के आरोप में विपक्षी आल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अमीनुल इस्लाम को गिरफ्तार किया गया था. उस मामले में जमानत मिलने के बाद उनको राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत हिरासत में रखा गया है. इससे पहले उनको पहलगाम हमले को केंद्र की बीजेपी सरकार की साजिश बताने पर गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के बाद उनकी पार्टी ने इसे उनका निजी बयान बताते हुए इससे किनारा कर लिया था.

वैसे, अमीनुल इस्लाम का विवादों से पुराना नाता रहा है. उनको इससे पहले वर्ष 2020 में भी देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद तो यह सिलसिला लगातार तेज होता रहा. ऐसी हर गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री खुद अपने एक्स हैंडल पर अपडेट देते रहे हैं. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई जारी रहेगी.

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हिमंता ने पहलगाम हमले के अगले दिन कहा था कि उसे (पाकिस्तान को) इसकी कड़ी सजा मिलेगी. उन्होंने हिंदुओं की एकता पर जोर देते हुए पाक समर्थकों की शिनाख्त करने की भी अपील की है.

काफी संवेदनशील है मामला

सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह गिरफ्तारियां किसी खास इलाके नहीं बल्कि राज्य के 21 जिलों से की गई हैं. इनमें सबसे ज्यादा सात लोग बांग्लाभाषी बराक घाटी के कछार जिले से की गई हैं. जिले के पुलिस अधीक्षक नुमाल महात्ता बताते हैं, "सोशल मीडिया पोस्ट पर निगरानी के लिए मेरे दफ्तर में एक मॉनिटरिंग सेल खोला गया है. इसके अलावा असम पुलिस मुख्यालय से भी हमें आपत्तिजनक पोस्ट के बारे में सूचना मिल रही है. उसी के आधार पर गिरफ्तारियां की जा रही हैं."

यह भी दिलचस्प है कि राज्य के किसी भी विपक्षी पार्टी ने इस मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक रूप से सरकार की कार्रवाई पर सवाल नहीं उठाया है. कांग्रेस के एक नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू से कहते हैं, "असम ने इस मामले में गिरफ्तारियों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यह तादाद और बढ़ने की आशंका है. लेकिन मामला संवेदनशील होने की वजह से इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं है."

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मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अपनी एक फेसबुक में लिखा है, "असम पुलिस के अभियान के दौरान अब तक राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में 58 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. यह पाक-समर्थक फिलहाल जेल में हैं. पुलिस का अभियान जारी रहेगा और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा."

मुख्यमंत्री ने राजधानी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, "गिरफ्तार लोगों में से कुछ के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की जाएगी. इसका फैसला एक समिति करेगी. उनका कहना था, मेरी लड़ाई पाकिस्तान और बांग्लादेश समर्थक तत्वों के साथ है. भारत और पाकिस्तान में कोई समानता नहीं है. यह दोनों दुश्मन राष्ट्र हैं और हमें इसी के अनुरूप व्यवहार करना होगा. इसलिए उनका समर्थन करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी."

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताते हैं, "कुछ छात्रों को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है."

एबीवीपी की असम शाखा के संयुक्त संगठन सचिव तुषार भौमिक भी मानते हैं कि संगठन के कार्यकर्ताओं ने इन लोगों की आपत्तिजनक पोस्ट के बारे में पुलिस से शिकायत की थी.

पत्रकारों की भी गिरफ्तारी

गिरफ्तार लोगों में हैलाकांदी के एक पत्रकार जाबिर हुसैन भी शामिल हैं. इस मामले में गिरफ्तार एकमात्र महिला डिंपल बोरा भी पहले पत्रकार रही हैं. फिलहाल वो गुवाहाटी में एक दुकान चलाती हैं.

इस मामले में गिरफ्तार ज्यादातर लोगों के अल्पसंख्यक समुदाय का होने के कारण दबे- छिपे स्वर में सवाल तो उठ रहे हैं. लेकिन अब तक सार्वजनिक रूप से किसी ने इसका विरोध नहीं किया है.

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वैसे, अतीत में भी मुख्यमंत्री के कई फैसलों पर विवाद होता रहा है. इनमें बाल विवाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चला कर हजारों लोगों की गिरफ्तारियों के अलावा बहुविवाह प्रथा के खिलाफ कानून बनाना और अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाने जैसे कई फैसले शामिल हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता में आने के बाद से ही मुख्यमंत्री पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की निगाहों में अपना कद मजबूत करने की कवायद में जुटे रहे हैं. एक विश्लेषक जयंत गोस्वामी डीडब्ल्यू से कहते हैं, "यह मामला इतना संवेदनशील है कि गिरफ्तारी के डर से कोई इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. अब सोशल मीडिया के जरिए अपनी भावनाएं जताने वाले लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया है. लेकिन जैसा मुख्यमंत्री पहले ही कह चुके हैं, गिरफ्तारियों का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा."

नाम ना छापने की शर्त पर असम की एक वरिष्ठ महिला पत्रकार डीडब्ल्यू से कहती हैं, "मैंने मौजूदा परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए कुछ दिनों तक सोशल मीडिया से दूर रहने का फैसला किया है. पता नहीं कब कौन सी टिप्पणी सरकार को खटक जाए." उनकी तरह सैकड़ों अन्य लोग भी फिलहाल सोशल मीडिया से दूरी बरत रहे हैं.

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