जर्मनी की राजधानी का नारा 'बर्लिन: पूअर बट सेक्सी' शहर की सच्चाई बयान करता है. हर साल यहां की आबादी 40,000 बढ़ रही है और सवा करोड़ पर्यटक यहां आते हैं. इसके बावजूद यह शहर 60 अरब डॉलर के कर्ज तले दबा है.
बर्लिन की स्टार्ट अप कंपनियों का मूल मंत्र है डिजिटल कनेक्टिविटी और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस. देखिए भविष्य की तकनीकें.
जर्मनी ही नहीं स्टार्ट अप की भी राजधानी बर्लिन
इस साल बर्लिन के क्यूब टेक मेले में अपने नवीनतम प्रोडक्ट दिखा रही स्टार्ट अप कंपनियों का मूल मंत्र है डिजिटल कनेक्टिविटी और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस. देखिए भविष्य की तकनीकें.
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सच्चाई या केवल ख्याल
अगर अब भी आपको लगता है कि तकनीक आपके जीवन को बदल नहीं सकती, तो एक बार इन प्रोडक्ट्स को देखें. दुनिया भर से बर्लिन के क्यूब टेक फेयर में डिजिटल हेल्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर, मशीनरी और इंटरकनेक्टिविटी से जु़ड़ी इन चीजों को देखकर आपका ख्याल बदल जाएगा.
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लाइसेंस लेना होगा?
हाल के समय में ड्रोन से ज्यादा उत्साह शायद ही किसी गैजेट ने जगाया हो. कई तरह के आकार में आने वाले ड्रोन कैमरे हमें दुनिया का नया ही चेहरा दिखा रहे हैं. कहीं पार्क रेंजर इसकी मदद से बड़े इलाके में वन्यजीवों पर नजर रख पा रहे हैं, तो कई कंपनियां इनसे सामान डिलिवर कर रही हैं.
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हाउस ऑफ कार्ड्स - डिजिटल
रॉबिन राइट, जो लोकप्रिय नेटफ्लिक्स सिरीज हाउस ऑर कार्ड्स की एक्टर हैं, मानवाधिकारों की सक्रिय समर्थक भी हैं और खनिजों के खूनी व्यापार को लेकर भी अपनी आवाज बुलंद करती हैं. यह खनिज हमारे मोबाइल फोन से लेकर टोस्टर तक हर मशीन में लगते हैं.
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3डी प्रिंटिंग से तैयार
बर्लिन का एक स्टार्ट अप 'बिगरेप' बड़े स्तर पर 3डी प्रिंटिंग करने पर ध्यान देता है. उनकी इस मशीन से कंपनियां इस तरह के प्रोटोटाइप बहुत जल्द बना सकती हैं. इससे नई मशीनें या उत्पाद विकसित करने में काफी समय बचता है और साथ ही खर्च भी.
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भविष्य की कारें
भविष्य की कारों में भी स्टीयरिंग व्हील होगी, उन्हें एक ब्रीफकेस में पैक करके ले जाने का सपना भी दूर है. लेकिन विश्व भर में कई स्टार्ट अप कंपनियां और श्टुटगार्ट, डेट्रॉइट जैसी जगहों पर स्थित बड़े कार निर्माता सभी भविष्य की कारों के नये नये मॉडलों पर काम कर रहे हैं.
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मदद के हाथ
इन दस्तानों को वो हरकतें याद रहती हैं, जिन्हें किसी खास काम को करते समय कर्मचारी करते हैं. इनको लगा कर काम करने से काफी समय बचता है. एक स्टार्ट अप ने 2014 में यह 'प्रोग्लव' बनाया था. आज इस कंपनी में ही 45 लोग काम करते हैं और सेंसरों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ऑटो निर्माण और गोदामों जैसी जगहों पर इससे काफी मदद होगी. (टिमोथी रूक्स/आरपी)