1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
आस्थाचीन

चीन में शी जिनपिंग सरकार के निशाने पर क्यों हैं चर्च?

यूशेन ली
२४ अक्टूबर २०२५

चीन ने बिना रजिस्ट्रेशन वाले चर्चों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए दर्जनों ईसाई पादरियों को गिरफ्तार किया है. अमेरिका और जर्मनी ने इसपर आपत्ति जताई है. आखिर शी जिनपिंग के शासन में ऐसा क्यों किया जा रहा है?

चीन में एक चर्च के आगे लगा चीन का झंडा.
चीन में कानून है कि ईसाई, केवल उन्हीं चर्चों में प्रार्थना कर सकते हैं जिन्हें धार्मिक संस्थानों से मान्यता मिली हो. ये संस्थान कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण में हैंतस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance

चीन में भूमिगत चर्चों से जुड़े ईसाई समुदाय को एक बार फिर दमनकारी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. उनपर नए सिरे से कार्रवाई की जा रही है. यह घटना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासनकाल में धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति बढ़ती असहिष्णुता को दिखाती है.

चीनी कानून के मुताबिक, ईसाइयों को सिर्फ उन्हीं चर्चों में प्रार्थना करने की अनुमति है जो कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से नियंत्रित किए जाने वाले धार्मिक संस्थानों से संबंध रखते हैं. अब तक, सिर्फ दो ईसाई समूहों को ही आधिकारिक मान्यता मिली है: चाइनीज पैट्रियोटिक कैथलिक एसोसिएशन और प्रोटेस्टेंट थ्री-सेल्फ पैट्रियोटिक मूवमेंट.

चीन और पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता का हो रहा हनन: अमेरिका

जिऑन प्रोटेस्टेंट चर्च को चीन के सबसे बड़े अनाधिकारिक ईसाई चर्चों में एक माना जाता है. इस महीने की शुरुआत में इस चर्च पर बड़ी कार्रवाई की गई. इसके संस्थापक जिन "एज्रा" मिंगरी सहित लगभग 30 पादरियों और सदस्यों को देश के कम-से-कम सात अलग-अलग प्रांतों से गिरफ्तार किया गया.

मानवाधिकार समूहों के मुताबिक, जिऑन चर्च के करीब 30 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें चर्च के संस्थापक जिन मिंगरी भी शामिल हैंतस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance

बॉब फू एक चीनी पादरी हैं. उन्होंने अमेरिका में धार्मिक समूह 'चाइनाएड' की स्थापना की है. वह चीन में ईसाई उत्पीड़न के मामलों पर बारीकी से नजर रखते हैं. बॉब फू ने इस कार्रवाई के संदर्भ में कहा, "कुछ (पुलिस अधिकारियों) ने ताले और दरवाजे तोड़ दिए. अन्य ने बिजली काट दी और बिजली मिस्त्री होने का नाटक किया. अंदर घुसने से पहले दरवाजे खटखटाए."

ह्यूमन राइट्स वॉच का चीन पर मस्जिदों को बंद करने और तोड़ने का आरोप

गिरफ्तार किए गए ज्यादातर लोगों पर 'धार्मिक सामग्री को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अवैध रूप से प्रसारित करने' का आरोप है. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि चर्च ने 2018 में वर्चुअल सेवाओं की ओर रुख किया. चर्च ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी पहुंच बढ़ानी शुरू की. तब से करीब 40 शहरों में कम-से-कम 10,000 लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए चर्च से जुड़ चुके हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चीन की सिर्फ दो फीसदी आबादी ही ईसाई है. हालांकि, इन आंकड़ों में भूमिगत चर्चों के सदस्य शामिल नहीं हैंतस्वीर: Greg Baker/AFP/Getty Images

चीन ईसाई धर्म पर लगाम कस रहा है?

जर्मनी के धार्मिक स्वतंत्रता आयुक्त थॉमस राचेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में "धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन" की निंदा की. उन्होंने चर्च के सभी सदस्यों को रिहा करने की मांग की.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी चीन की कार्रवाई की आलोचना की. उन्होंने हिरासत में लिए गए लोगों को तुरंत रिहा करने की मांग की. साथ ही, यह भी कहा कि सभी धार्मिक लोगों को बिना किसी डर के धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने की इजाजत दी जाए.

रुबियो ने अपने एक बयान में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का जिक्र करते हुए कहा, "यह कार्रवाई इस बात को साफ तौर पर जाहिर करती है कि सीपीसी उन ईसाइयों के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखती है, जो अपने धार्मिक मामलों में पार्टी के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करते हैं और बिना रजिस्ट्रेशन वाले हाउस चर्च में प्रार्थना करते हैं."

आलोचकों का कहना है कि चीन की सरकार धार्मिक आजादी के प्रति और ज्यादा असहिष्णु होती जा रही हैतस्वीर: Greg Baker/AFP/Getty Images

चीन के विदेश मंत्रालय ने रुबियो की आलोचना को खारिज कर दिया. उसने कहा कि बीजिंग, धार्मिक मामलों को कानून के हिसाब से नियंत्रित करता है. साथ ही, नागरिकों की आस्था की स्वतंत्रता और सामान्य धार्मिक गतिविधियों की सुरक्षा करता है.

जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि अमेरिका को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

मुस्लिम-बहुल एशियाई देशों के साथ संतुलन बिठाने की कोशिश कर रहा है जर्मनी

'चाइनाएड' के फू ने डीडब्ल्यू को बताया कि जिऑन चर्च के 23 सदस्य अभी भी हिरासत में हैं. आठ को अपने वकीलों से मिलने की अनुमति दी गई है. हालांकि, यह भी असामान्य बात है. चीन ने 'भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव' में ऐसा करने की इजाजत दी है.

फू ने कहा, "इस बार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने सचमुच रियायत बरती है. गिरफ्तार किए गए लोगों को राजनीतिक कैदी माना जाता है. इसलिए, पहले ऐसा सोचना भी मुश्किल था कि आपराधिक जांच के दौरान उन्हें अपने वकीलों से मिलने की अनुमति दी जाएगी.'

ईसाई धर्म पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कड़ा नियंत्रण

गैर-लाभकारी संस्था 'ग्लोबल क्रिश्चियन रिलीफ' का मानना है कि चीन दुनिया के सबसे ज्यादा सताए गए ईसाई समुदाय का घर है. उनका आकलन है कि 2012 में शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से वहां धार्मिक स्वतंत्रता में तेजी से गिरावट आ रही है.

पिछले दस वर्षों में, शी जिनपिंग ने धर्म के तथाकथित 'सिनिसाइजेशन' (चीनीकरण) पर जोर दिया है. इसके तहत उन्होंने धार्मिक समूहों पर वैचारिक नियंत्रण को सख्त कर दिया है. चर्चों तथा क्रॉस को तोड़ने का आदेश दिया है.

चीन की रहने वालीं मिरो रेन ईसाई हैं. अब वह अमेरिका में निर्वासित जीवन जी रही हैं. मिरो रेन ने डीडब्ल्यू को बताया कि उन्होंने हालिया समय में, चीन के भीतर बिना रजिस्ट्रेशन वाले स्वतंत्र 'हाउस चर्चों' पर पुलिस की छापेमारी में वृद्धि देखी है.

उन्होंने बताया, "मैंने पिछले कुछ वर्षों में कई (चर्च) सदस्यों को एक-के-बाद-एक गिरफ्तार होते तो देखा है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां नहीं देखी हैं. इस बार यह अलग लग रहा है."

मिरो रेन, दक्षिण-पश्चिमी चीनी शहर चेंगदू स्थित एक हाउस चर्च 'अर्ली रेन कॉन्वेंट चर्च' की सदस्य थीं. साल 2018 में इस चर्च के पादरी को गिरफ्तार कर लिया गया और नौ साल जेल की सजा सुनाई गई थी.

मिरो रेन ने डीडब्ल्यू को बताया कि रजिस्ट्रेशन सिस्टम अधिकारियों के लिए एक राजनीतिक हथियार बन गया है. इसकी मदद से, वे लोगों की आस्थाओं और धार्मिक मान्यताओं पर अधिक नियंत्रण हासिल करना चाहते हैं. रेन बताती हैं, "अधिकारियों की मंशा आपके विचारों पर नियंत्रण करने की है. यह आस्था की सीमाओं को लांघने जैसा है."

चीन के निशाने पर विदेशों में पढ़ रहे चीनी छात्रः एमनेस्टी

चीनी पादरी फू ने डीडब्ल्यू से बातचीत में रेखांकित किया कि यह उत्पीड़न ऐसे समय में हो रहा है, जब अधिकारी बिना रजिस्ट्रेशन वाले चर्चों में प्रार्थना और सभाओं को 'राजनीतिक और वैचारिक खतरा' मान रहे हैं.

उन्होंने कहा, "शी जिनपिंग ईश्वर जैसा बनना चाहते हैं. अगर आप उनका आदर, पूजा और पूरी तरह से उनकी आज्ञा का पालन नहीं करते हैं, तो वह आपको समाज का एक असहनीय व्यक्ति मानते हैं. यानी, ऐसा व्यक्ति जो समाज में रहने लायक नहीं है."

क्या चीन में बेचा जा रहा है फेस रेकग्निशन डेटा?

02:52

This browser does not support the video element.

चीन के हाउस चर्चों में भय का माहौल

'प्यू रिसर्च' की ओर से जारी किए गए चीन के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चीन की सिर्फ दो फीसदी आबादी (2.9 करोड़ से 4.4 करोड़ लोग) ही ईसाई है. हालांकि, इन आंकड़ों में भूमिगत चर्चों के सदस्य शामिल नहीं हैं.

कई धार्मिक विशेषज्ञों और विद्वानों का मानना है कि बिना रजिस्ट्रेशन वाले चर्चों के सदस्यों को भी शामिल कर लिया जाए, तो चीन में कुल ईसाइयों की संख्या करोड़ों में हो सकती है.

फू ने डीडब्ल्यू को बताया कि चर्च के नेताओं और मंत्रियों की सामूहिक गिरफ्तारी ने चर्च के सदस्यों में डर पैदा कर दिया है. हालांकि, लंबे समय तक निगरानी में रहने के कारण अब कई लोग मानसिक रूप से सबसे बुरे हालात के लिए तैयार हो गए हैं.

फू बताते हैं, "ईसाई धर्म मानने वाले ज्यादातर लोगों को पता है कि देर-सवेर ऐसा हो सकता है. यहां तक कि चर्च के नेतृत्व में उत्तराधिकार की योजनाएं भी तैयार कर ली गई हैं."

चीन में ऑनलाइन सेंसरशिप का नया दौर, 'नकारात्मक कंटेंट' पर सख्त कार्रवाई

ऐसे हालात के बावजूद, जिऑन चर्च के संस्थापक पादरी 'जिन' सहित सभी लोगों ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है. जिन के मित्र फू ने डीडब्ल्यू को बताया कि गिरफ्तार किए गए पादरी का मानना था कि 'अगर उन्हें जेल जाना पड़ा, तो इससे चीन के चर्च ज्यादा मजबूत और समृद्ध ही होंगे.'

फू ने कहा कि भले ही चीनी सरकार ने अपने गिरफ्तारी अभियान में चर्च के लगभग सभी शीर्ष पादरियों को हिरासत में ले लिया हो, लेकिन इसके बावजूद ईसाई समुदाय की सभाएं और चर्च सेवाएं पहले की तरह बिना रुकावट के चल रही हैं.

फू उम्मीद जताते हैं, "मेरा मानना है कि इतिहास एक बार फिर साबित करेगा कि ईसाई धर्म को दबाने की यह कोशिश सफल नहीं होगी."

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें