उत्तर कोरिया इलाके में विदेशी युद्धपोतों से क्यों परेशान
यूलियन रयाल
२० अगस्त २०२१
दक्षिण कोरिया और अमेरिका इस महीने संयुक्त अभ्यास कर रहे हैं और जल्द ही एक ब्रिटिश युद्धपोत बुसान पहुंच रहा है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय प्योंगयांग पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन करने का दबाव डाल रहा है.
ब्रिटिश युद्धपोत एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ और उसका बेड़ा 31 अगस्त को बुसान में पहुंचेगातस्वीर: Andrew Matthews/PA Wire/picture alliance
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दक्षिण कोरिया और अमेरिका इस महीने संयुक्त युद्ध अभ्यास शुरू कर रहे हैं और ब्रिटेन की रॉयल नेवी का सबसे शक्तिशाली युद्धपोत दक्षिण कोरियाई बंदरगाह बुसान में इस महीने के अंत तक पहुंच रहा है. इस कदम को उत्तर कोरिया ने क्षेत्र में शांति को खतरा बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की है. दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने उत्तर कोरिया को समझाने की कोशिश की कि यह कार्रवाई सिर्फ रक्षात्मक तरह की है और कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु हथियारविहीन करने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उससे भी बातचीत के दरवाजे खुले हैं. लेकिन लगता है कि उत्तर कोरिया इन बातों से सहमत नहीं है.
दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चुंग युई यॉन्ग ने उत्तर कोरिया से कहा कि वो इस महीने की शुरुआत में सीमाओं की किलेबंदी को खोलने संबंधी फैसले पर अमल करे. दोनों देशों के बीच बातचीत फिर से शुरू करने के लिए सीमाओं को खोलने पर सहमति बनी थी. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने सुझाव दिया है कि उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बातचीत फिर से शुरू कर सकता है. उन्होंने संकेत दिया है कि बातचीत में कई तरह के विकल्प और संभावनाएं मौजूद हैं.
हालांकि उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया और अमेरिकी सैनिकों के संयुक्त के फैसले से नाराज़ हो गया है जो चार-दिवसीय संकट-प्रबंधन स्टाफ प्रशिक्षण अभ्यास के साथ शुरू होगा और उसके बाद 10-दिवसीय कंप्यूटर-सिम्युलेटेड कंबाइंड कमांड पोस्ट ट्रेनिंग ड्रिल होगी.
किम जोंग उन की करीबी सलाहकार और उनकी बहन किम यो जोंग ने एक अगस्त को सरकारी समाचार एजेंसी उरिमिनजोकिरी में जारी अपने बयान में कहा था कि यह "एक अप्रिय कहानी थी कि दक्षिण कोरियाई सेना और अमेरिकी सेना के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास निर्धारित समय के अनुसार आगे बढ़ सकता है." उन्होंने यह भी कहा था कि यह अभ्यास उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है.
कहां है सबसे ज्यादा भुखमरी
कोरोनावायरस महामारी ने कई देशों को भुखमरी के कगार पर धकेल दिया है. ये हैं दुनिया के वे देश जहां सबसे ज्यादा भुखमरी है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/A. Ufumeli
डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम यूएसए के मुताबिक भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या सबसे ज्यादा डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में है, जो पहले सीरिया में थी. यहां 2.7 करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हैं जबकि दो साल पहले इनकी तादाद 1.3 करोड़ थी.
तस्वीर: Guerchom Ndebo/AFP/Getty Images
अफगानिस्तान
संयुक्त राष्ट्र की संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम कहती है कि भारत के पड़ोसी अफगानिस्तान में एक करोड़ 69 लाख लोगों के सामने रोज खाने का संकट खड़ा हो जाता है.
तस्वीर: Rahmatullah Alizadah/Xinhua/imago images
यमन
युद्ध की मार झेल रहे यमन पर कोविड ने भयंकर कहर ढाया है और यह इलाका आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े अकाल की ओर बढ़ रहा है. देश की आधी आबादी यानी लगभग 1.6 करोड़ लोग रोज सुबह खाली पेट जगते हैं.
तस्वीर: Mohammed Mohammed/Xinhua/picture alliance
नाईजीरिया
गरीबी के मारे इस अफ्रीकी देश पर कोविड का कहर ऐसा बरपा है कि एक करोड़ 30 लाख लोगों के भूखे मरने की नौबत आ गई है.
तस्वीर: Afolabi Sotunde/Reuters
इथियोपिया
2021 के आंकड़े बताते हैं कि देश के एक करोड़ 29 लाख लोगो खाने के संकट से जूझ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ टिग्रे प्रांत में लगभग 3,50,000 लोगों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है.
तस्वीर: Ben Curtis/AP Photo/picture alliance
सीरिया
एक दशक से जारी युद्ध ने 1.24 करोड़ लोगों को गरीबी और भूख के चंगुल में लपेट लिया है. 67 लाख से ज्यादा लोगों के पास खाना नहीं है.
तस्वीर: Baderkhan Ahmad/AP Photo/picture alliance
सूडान
सूडान में पिछले साल 96 लाख लोग भूखे सोये थे. इस साल यह संख्या और बढ़ सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/AA/M. Hjaj
साउथ सूडान
सालों से जारी गृह युद्ध और खराब मौसम से जूझते इस नए देश के सामने कोविड के दौरान भूखा मरने की नौबत आ चुकी है. यहां 72 लाख लोग भूख से लड़ रहे हैं.
तस्वीर: Stefanie Glinski/AFP/Getty Images
हैती
हैती में 44 लाख लोगों के पास खाना नहीं है. पिछले तीन साल से यह संख्या लगातार बढ़ रही है.
जिम्बाब्वे में भूखमरी का शिकार लोगों की संख्या पिछले साल की तुलना में घटी है. 2020 के 43 लाख के मुकाबले 2021 यह 34 लाख पर आ गई है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/A. Ufumeli
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उत्तरकोरिया ने की युद्धपोत भेजने के लिए ब्रिटेन कीआलोचना
ब्रिटिश युद्धपोत एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ और उसके साथ के बेड़े 31 अगस्त को बुसान पहुंचने वाले हैं. इस बात ने उत्तर कोरिया को और भड़का दिया है और उत्तर कोरिया ने इसकी निंदा करते हुए ग्रेट ब्रिटेन पर "गनबोट कूटनीति" और एशिया-प्रशांत मामलों में "अपनी नाक थपथपाने" का आरोप लगाया है. उत्तर कोरिया-यूरोप एसोसिएशन के एक अधिकारी, चो ह्योन डो के नाम पर उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय के एक बयान ने ब्रिटेन पर इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया. बयान में यह भी दावा किया गया कि ब्रिटेन "यूरोपीय संघ से अपने प्रस्थान के परिणामस्वरूप बहिष्कृत" होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रोफ़ाइल को ऊपर उठाना चाह रहा था.
बयान में कहा गया, "वह समय हमेशा के लिए चला गया जब ब्रिटेन ने दुनिया के देशों को 'गनबोट डिप्लोमेसी' से धमकाया और उन्हें अपनी मर्जी से उपनिवेश बना लिया. अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए जो कुछ भी चाहता है उसे हथियाने के लिए दूसरों पर आधारहीन रूप से चुनने के बजाय ब्रिटेन को ब्रेक्सिट के परेशानी के बाद के प्रभावों के साथ बेहतर चिंता थी."
कैसा है उत्तर कोरिया का बसाया नया शहर
उत्तर कोरिया ने समजियोन में नया शहर बसाया है जिसे देश का मीडिया 'आधुनिक सभ्यता का सार' बता रहा है. यह शहर उस पवित्र पहाड़ी के निकट बसाया गया है जिसे मौजूदा नेता किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल का जन्मस्थान माना जाता है.
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उद्घाटन
उत्तर कोरिया सरकार ने समजियोन शहर को नए सिरे से आधुनिक सुविधाओं से लैस किया है. परियोजना पूरी होने पर सुप्रीम लीडर किम जोंग उन ने रिबन काट कर इसका उद्घाटन किया. किम ने इसे 'आधुनिक सभ्यता का सार' कहा है.
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किम जोंग इल का जन्मस्थान
समजियोन टाउनशिप पाएकेतु पहाड़ी के करीब है. उत्तर कोरिया और चीन की सीमा से 15 किलोमीटर दूर स्थित इस जगह को बेहद पवित्र माना जाता है. इसे किम जोंग इल का जन्मस्थान बताया जाता है.
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रिजॉर्ट सिटी
समजियोन को 'समाजवादी व्यवस्था के तहत बना एक आधुनिक पहाड़ी शहर' बताया जा रहा है. उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए के अनुसार यहां पर चार हजार लोग रह सकते हैं. यहां पर अस्पताल, सांस्कृतिक केंद्र और स्की रिजॉर्ट हैं.
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बड़ी पहल
समजियोन के उद्घाटन के मौके पर शानदार आतिशबाजी हुई. किम ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच 'अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने' के लिए जो कई पहल शुरू की हैं, उनमें समजियोन एक बड़ा प्रोजेक्ट है.
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मुश्किलें
सरकारी मीडिया का कहना है कि मुश्किलों के बावजूद यह प्रोजेक्ट एक बड़ी कामयाबी है. निर्माण सामग्री और श्रमिकों की कमी के कारण निर्माण कार्य में विलंब भी हुआ. उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के चलते उस पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हैं.
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यूथ लेबर ब्रिगेड
निर्माण में विलंब के कारण सरकार ने यूथ लेबर ब्रिगेड को सक्रिय किया. आलोचकों का कहना है कि समजियोन में लोगों से जबरन काम कराया गया है. आरोप है कि लोगों से 10 साल तक बिना वेतन काम कराया गया और इस दौरान पर्याप्त खाना भी नहीं दिया गया.
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ब्रिटिश बेड़ा सात महीने की वैश्विक तैनाती पर है और 6 अगस्त को प्रशांत महासागर के द्वीप गुआम के बंदरगाह पर पहुंचा. इसके साथ कई ब्रिटिश, अमेरिकी और डच युद्धपोत भी थे और यह ग्रुप सितंबर में जापान पहुंचने से पहले बुसान की यात्रा करने वाला है. ऐसा लगता है कि यह दक्षिण कोरियाई ठहराव है जिसने उत्तर कोरियाई शासन को विशेष रूप से नाराज़ किया है.
ट्रॉय यूनिवर्सिटी के सियोल कैंपस में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर डेनियल पिंक्सटन कहते हैं, "यह उस तरह की भाषा है जिसका इस्तेमाल उत्तर कोरिया तब करता है जब वह उत्तेजित हो जाता है और उसे लगता है कि उसे पीछे धकेलना होगा. यह एक तरह की बयानबाजी है जिसे वे नियमित रूप से करते हैं और यह उनकी विश्वदृष्टि के अनुरूप है कि बाकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आक्रामक है और उन्हें नष्ट करने के लिए दृढ़ है और इसलिए एकमात्र सहारा 'सही हो सकता है'."
पिंक्सटन कहते हैं, "उत्तर कोरिया के गुस्से के और भड़काने की आशंका थी क्योंकि ब्रिटेन उन 16 देशों में से एक था जो संयुक्त राष्ट्र कमांड फोर्स के लिए प्रतिबद्ध था, जिसने साल 1950 में दक्षिण कोरिया पर उत्तर कोरियाई आक्रमण का विरोध किया और फिर तीन साल का कोरियाई युद्ध लड़ा.
उत्तर कोरिया की अजीब जिंदगी
आपका कैसा हेयर स्टाइल हो, आप क्या पहनें और आप अपना जन्मदिन कब मनाएं, ऐसे नियमों को आप अजीब कहेंगे या नहीं? दुनिया से अलग थलग देश उत्तर कोरिया के अजीब नियमों बारे में जानिए और बताइए.
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राष्ट्रीय विचारधारा
उत्तर कोरिया अब साम्यवादी राष्ट्र नहीं है. 2009 से इस देश ने नई विचारधारा को अपनाया हुआ है जिसे यहां "जूचे" कहते हैं. इस विचारधारा का प्रस्ताव सबसे पहले किम इल सुंग ने 1955 ने दिया था जिसके अनुसार, "इंसान हर चीज का मालिक है और सब कुछ तय करता है."
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तारीखें
उत्तर कोरिया जूचे कैलेंडर पर चलता है जिसे 1997 में लागू किया गया. यह किम इल सुंग की जन्मतिथि 15 अप्रैल 1912 पर आधारित है. 1912 को पहला जूचे वर्ष माना जाता है. कैलेंडर के महीने पारंपरिक ग्रेगोरियन कैलेंडर जैसे हैं.
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उत्तर कोरिया का स्वर्ग
उत्तर कोरिया एक रूढ़िवादी देश के रूप में मशहूर है. यहां के लोग तानाशाह शासक के अधीन गरीबी और बेबसी के शिकार हैं. हालांकि मैरिजुआना के लती लोगों के लिए यह देश स्वर्ग है. यह कानूनी है और इसे ड्रग्स की श्रेणी में भी नहीं रखा गया है.
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स्टेडियम
मई 1989 को बनकर तैयार हुआ उत्तर कोरिया का रुंगराडो मे डे स्टेडियम देश का गौरव है. यहां डेढ़ लाख लोग समा सकते हैं. स्टेडियम में फुटबॉल और एथलेटिक्स जैसे खेलों के अलावा सामूहिक जिम्नास्टिक्स और कई कलात्मक उत्सवों का आयोजन होता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम है.
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बालों का स्टाइल
सत्ता में आने के एक साल बाद उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने बालों के स्टाइल के बारे में एक नया कानून लागू किया. पुरुषों के पास केवल 10 विकल्प हैं और महिलाओं के पास 18.
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जन्मदिन मना रहे हो?
उत्तर कोरिया में 8 जुलाई और 17 दिसंबर को पैदा होने वालों को इन तारीखों में अपना जन्मदिन मनाने की अनुमति नहीं है. कारण यह कि ये दो तारीखें उनके पूर्व शासकों किम इल सुंग और किम जोंग इल की पुण्यतिथियां हैं.
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जीन्स ना पहनें
उत्तर कोरिया अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है. उत्तर कोरियाई शासन ने अपने नागरिकों के जीन्स पहनने पर पाबंदी लगा रखी है. इसे अमेरिकी पहनावे के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
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सबसे ताकतवर
उत्तर कोरिया में सबसे ताकतवर शख्स यानि किम जोंग उन. वह देश के सबसे युवा तानाशाह शासक हैं जिन्हें अत्यंत क्रूर माना जाता है. हालांकि वे अपने हेयरस्टाइल के लिए खासे मशहूर हैं. लेकिन उनके जैसा हेयरस्टाइल बनवाने की किसी और को अनुमति नहीं.
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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करना
जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका हाल के वर्षों में अन्य सरकारों से पूर्वोत्तर एशिया की सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाने का आह्वान कर रहे हैं. खासतौर पर सैन्य तैनाती के माध्यम से जो दक्षिण चीन सागर के एक विशाल क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों को दरकिनार कर चीन के अनुचित दावों और उत्तर कोरिया के प्रयासों को चुनौती देते हैं.
ब्रिटेन और फ्रांस के युद्धपोतों ने पहले से ही बहुराष्ट्रीय अभियानों में भाग लिया है, जो उत्तर कोरिया को प्रतिबंधित सामानों के आयात को जहाज-से-जहाज हस्तांतरण को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. इन सामानों में उत्तर कोरिया को जाने वाला ईंधन भी शामिल है. एक जर्मन युद्धपोत भी इस क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है. ये प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों की एक श्रृंखला में लगाए गए हैं क्योंकि उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियारों और लंबी दूरी की मिसाइलों के विकास को रोकने के लिए वार्ता को टालना जारी रखा है.
जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के राजनीतिक अर्थशास्त्री जून पार्क कहती हैं कि जब इस क्षेत्र में दूसरे देश सैन्य सामग्री तैनात कर रहे हैं तब उत्तर कोरिया के पास विरोध करने का कोई कारण नहीं है. उनके मुताबिक, "ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के लिए यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने सहयोगियों के साथ सहयोग करने और अपने स्वयं के हितों को विकसित करने का एक मौका है."
पार्क कहती हैं कि ब्रिटेन के पास इस इलाके में अपने झंडे गाड़ने के स्पष्ट रूप से आर्थिक और व्यापारिक कारण हैं क्योंकि वह 11 देशों के उस समूह में है जिसने ट्रांस-पैसिफिक पार्टनर व्यापारिक सौदे के लिए कंप्रेहेन्सिव एंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट किया है. और जबकि बुसान की यात्रा का दक्षिण कोरिया के साथ व्यापार से कोई लेना-देना नहीं है, यह प्रदर्शित करने का काम करेगा कि इंडो-पैसिफिक सुरक्षा मामलों पर ब्रिटेन अमेरिका के साथ है.
ऐसी है उत्तर कोरिया की राजधानी
उत्तर कोरिया की गिनती दुनिया के सबसे गरीब देशों में होती है. लेकिन इस कम्युनिस्ट देश ने अपनी राजधानी को चकाचक बना रखा है. वहां चौड़ी-चौड़ी सड़कें, गगनचुंबी इमारतें, बड़े बड़े चौक और सब कुछ बहुत व्यवस्थित दिखता है.
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प्योंगयांग की पहचान
ये है प्योंगयांग का मशहूर रयुगयोंग होटल, जिसमें 105 मंजिलें हैं. इसका निर्माण 1987 में शुरू हुआ था और अब तक पूरा नहीं हुआ है. फिर भी, ये प्योंगयांग की बड़ी पहचान बन चुका है.
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शानदार परेड
सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी की कांग्रेस हो या फिर कोई अन्य अहम राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मौका, प्योंगयांग में ऐसी परेड जरूर होती है.
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नदी के किनारे
ताएदोंग नदी प्योंगयांग शहर के बीचों बीच से गुजरती है. 439 किलोमीटर लंबी ताएदोंग उत्तर कोरिया की एक बड़ी नदी है.
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उत्तर कोरिया की संसद
उत्तर कोरिया की संसद को सुप्रीम पीपुल्स असेंबली कहते हैं. 687 सदस्यों वाली इस संसद में सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी के 607 सदस्य हैं.
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चीन से दोस्ती का जश्न
ये तस्वीर 2009 की है जब चीन और उत्तर कोरिया के राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ पर प्योंगयांग में एक रंगारंग कार्यक्रम हुआ था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
खाली सड़कें
प्योंगयांग में चौड़ी-चौड़ी सड़कें है, लेकिन उन पर वाहन इक्का दुक्का ही दिखाई देते हैं. अपने परमाणु कार्यक्रम के कारण उत्तर कोरिया बरसों से आर्थिक प्रतिबंध झेल रहा है.
तस्वीर: AP
प्रोपेगैंडा
प्योंगयांग में इस तरह के होर्डिंग बहुत आम हैं जिनमें अकसर सत्ताधारी पार्टी की तारीफ लिखी होती है. इस तरह कई होर्डिंगों में पश्चिम विरोधी बातें भी होती हैं.
तस्वीर: AP
ऊंची ऊंची इमारतें
राजधानी में गगनचुंबी इमारतें. लेकिन सहायता एजेंसियों का कहना है कि प्योंगयांग की चमक दमक से परे ग्रामीण इलाकों में लोग बहुत ही दयनीय हालत में रहते हैं.
तस्वीर: dapd
नेता का सम्मान
उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल सुंग का यह स्मारक प्योंगयांग के सबसे अहम स्थानों में से एक है. उन्होंने ही 1948 में कम्युनिस्ट देश उत्तर कोरिया की स्थापना की थी.
तस्वीर: AP
प्योंगयांग का मतलब
प्योंगयांग शब्द का अर्थ है समतल भूमि या शांतिपूर्ण भूमि. 32 लाख से ज्यादा की आबादी के साथ यह उत्तर कोरिया का सबसे बड़ा शहर है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Wong Maye-E
प्योंगयांग एयपोर्ट
प्योंगयांग के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ज्यादा हलचल नहीं रहती. यहां सरकारी एयरलाइन एयर कोरयो के अलावा सिर्फ एयर चाइना के विमान आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Yonhap
ताकत का प्रदर्शन
उत्तर कोरिया में होने वाली सैन्य परेडों की तस्वीरें दुनिया भर के मीडिया में जगह बनाती हैं. गरीबी और भुखमरी के लिए आलोचना झेलनी वाली सरकार ताकत पेश करने में कोई कसर नहीं छोड़ती.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
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क्या जर्मनी भी ऐसी ही बयानबाजी का निशाना बनेगा?
पार्क कहती हैं, "उत्तर कोरियाई स्थिति को देखते हुए, कोई यह सोचेगा कि उनके नेतृत्व के लिए उन सभी समस्याओं से निपटना अधिक महत्वपूर्ण होगा जिनका वे वर्तमान में सामना कर रहे हैं. पश्चिम के कुछ देशों में से एक के उत्तर कोरिया के साथ राजनयिक संबंध हैं." उत्तर कोरिया का लंदन में दूतावास है और ब्रिटेन का भी प्योंगयांग में दूतावास है, हालांकि कोरोना प्रतिबंधों की वजह से अभी यह बंद पड़ा है.
इस क्षेत्र में अन्य देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों की निंदा जर्मन युद्धपोत बायर्न के प्रशांत क्षेत्र की ओर रवाना होने के बीच आई है. युद्धपोत की उत्तर कोरिया की संयुक्त राष्ट्र समुद्री निगरानी में भागीदारी शामिल होगी. संभावित रूप से जर्मनी को भी उत्तर कोरिया इसीलिए इस तरह की बयानबाजी का निशाना बनाएगा. लेकिन पिंक्स्टन का मानना है कि बयानबाजी ब्रिटेन की तुलना में कम कठोर होगी क्योंकि साल 1950 के दशक में कोरियाई युद्ध में जर्मनी ने सेना भेजने की प्रतिबद्धता नहीं जताई थी. जर्मनी उन देशों में से था जिन्होंने सेना नहीं भेजी थी.
इन देशों से होती है उत्तर कोरिया को कमाई
उत्तर कोरिया पर कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हैं. फिर भी कई ऐसे देश हैं जहां से लगातार उसे आमदनी होती रहती है. चलिए डालते हैं इन्हीं देशों पर एक नजर.
तस्वीर: Reuters/KCNA
अंगोला
उत्तर कोरिया ने इस अफ्रीकी देश के प्रेसिडेंशियल गार्ड्स को मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दी है. इसके अलावा अंगोला में उत्तर कोरिया के कामगारों ने कई स्मारक भी तैयार किये हैं.
तस्वीर: Gianluigi Guercia/AFPGetty Images
चीन
चीन उत्तर कोरिया का सबसे करीबी सहयोगी है. चीनी उद्योगों में हजारों उत्तर कोरियाई लोग काम कर रहे हैं. चीन में कई उत्तर कोरियाई रेस्तरां भी हैं, जिनसे होने वाले कमाई उत्तर कोरिया के विदेशी मुद्रा का अहम जरिया है.
तस्वीर: Getty Images/K. Frayer
कांगो
कांगो की सरकार ने उत्तर कोरिया से ऑटोमेटिक पिस्तौल और अन्य दूसरे छोटे हथियार मंगाये हैं जिन्हें इस मध्य अफ्रीकी देश को प्रेसिडेंशियल गार्ड और पुलिस बल इस्तेमाल करते हैं. कांगो में भी उत्तर कोरियाई कामगारों ने कई स्मारक बनाये हैं.
तस्वीर: Reuters/R. Carrubba
मिस्र
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वह इन रिपोर्टों की जांच कर रहा है कि उत्तर कोरिया ने मिस्र को स्कड मिसाइलों के पुर्जे दिये हैं. यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि मिस्र अमेरिका का करीबी सहयोगी है और उत्तर कोरिया अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता है.
तस्वीर: Reuters/Amr Abdallah Dalsh
इरिट्रिया
इरिट्रिया हॉर्न ऑफ अफ्रीका इलाके में स्थित एक छोटा सा देश है. उसके भी उत्तर कोरिया से सैन्य संबंध रहे हैं. बताया जाता है कि उसने उत्तर कोरिया से सैन्य साजोसामान खरीदा है.
तस्वीर: DW
कुवैत
उत्तर कोरिया निर्माण कार्य में काम करने के लिए अपने मजदूरों को कुवैत भेजता है. उत्तर कोरिया का कुवैत में दूतावास भी है जो खाड़ी देशों में रहने वाले उत्तर कोरियाई लोगों का ध्यान रखता है.
तस्वीर: Imago/Xinhua
मोजाम्बिक
उत्तर कोरिया मोजाम्बिक को एयर डिफेंस सिस्टम दे रहा है और जमीन से हवा में मार करने वाले उसके मिसाइल सिस्टम को भी आधुनिक बना रहा है. उत्तर कोरियाई कामगारों ने मोजाम्बिक में भी कई स्मारक और इमारतें बनायी हैं.
तस्वीर: Gianluigi Guercia/AFP/Getty Images
नामीबिया
उत्तर कोरिया ने इस दक्षिण पश्चिमी अफ्रीकी देश को युद्धक सामग्री तैयार करने वाली एक फैक्ट्री कायम करने के लिए सामग्री और कामगार दोनों मुहैया कराये हैं. इसके अलावा यहां भी कई स्मारक उत्तर कोरिया कामगारों ने तैयार किये हैं.
तस्वीर: DW/B. Osterath
नाइजीरिया
पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजीरिया में उत्तर कोरिया के बहुत से डॉक्टर जाते हैं. 2013 में एक हमले में उत्तर कोरिया के तीन डॉक्टर भी मारे गये थे. इस हमले के पीछे उस समय आतंकवादी संगठन बोको हराम का हाथ होने का संदेह जताया गया था.
तस्वीर: picture alliance /AP Photo/L. Oyekanmi
ओमान
खाड़ी देश ओमान में निर्माण क्षेत्र से जुड़ी परियाजनों में काम करने के लिए उत्तर कोरिया ने अपने मजदूरों को भेजा है. दक्षिण एशियाई देशों के साथ साथ कई विकासशील देशों के मजदूर ओमान में काम करते हैं.
तस्वीर: SR
कतर
कतर में भी निर्माण परियोजनाओं में उत्तर कोरिया के लोग काम कर रहे हैं. यह छोटा सा खाड़ी देश 2022 में फीफा फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी करेगा, इसीलिए वहां बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Zumapress
रूस
जिन देशों में उत्तर कोरिया के मजदूर काम करने के लिए सबसे बड़ी संख्या में जाते हैं, उनमें रूस भी शामिल है. ये लोग वहां लकड़ी और निर्माण उद्योग में काम करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/W. Maye-E
सूडान
उत्तर कोरिया ने सूडान को भी बहुत से सैन्य साजोसामान दिये हैं, जिनमें रॉकेट कंट्रोल सेक्शन और सेटेलाइट गाइडेड मिसाइलें शामिल हैं. सूडान पर अपने पश्चिमी दारफूर इलाके में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगता रहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Shazly
सीरिया
लंबे समय से गृह युद्ध का शिकार रहा सीरिया भी उत्तर कोरिया के लिए आमदनी का जरिया रहा है. बताया जाता है कि सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार ने उत्तर कोरिया से कई सैन्य साजोसामान और हथियार खरीदे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Press Service of the President
युगांडा
अफ्रीकी देश युगांडा का भी उत्तर कोरिया के साथ सैन्य सहयोग रहा है. उत्तर कोरिया की सेना ने युगांडा की एयरफोर्स के पायलटों और तकनीशियनों को ट्रेनिंग दी है.
तस्वीर: AP
संयुक्त अरब अमीरात
यूएई में उत्तर कोरिया के रेस्तरां और निर्माण कंपनियां हैं जिनमें काम करने के लिए लगातार लोगों को वहां भेजा जाता है. इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात ने भी उत्तर कोरिया से स्कड मिसाइलें खरीदी हैं.