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पाकिस्तान में फिर से बढ़ रहा है पोलियो

हारून जंजुआ (इस्लामाबाद से)
११ जून २०२२

पाकिस्तान में पोलियो के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह पोलियो वैक्सीन को लेकर लोगों में कई तरह की आशंकाएं हैं जो वैक्सीन को किसी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा समझते हैं.

BG Geschichte der Impfungen | Polio Pakistan
पाकिस्तान में पोलियो टीकाकरण बहुत मुश्किल अभियान साबित हुआ हैतस्वीर: Metin Aktas/AA/picture alliance

पाकिस्तान में पोलियो उन्मूलन अभियान खतरे में है क्योंकि उत्तरी वजीरिस्तान के इलाके में पोलियो के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एक महीने के भीतर वहां पोलियो के आठ मामले सामने आने के बाद लोगों में चिंता बढ़ गई कि कहीं यह बीमारी एक बार फिर न लौट आए. पाकिस्तान में पोलियो की वजह से किसी बच्चे में पैरालिसिस का सबसे ताजा मामला जनवरी 2021 में मिला था.

जानकारों का कहना है कि इस बीमारी के फैलने के पीछे सबसे बड़ी वजह लोगों में वैक्सीन को लेकर आशंकाएं हैं. लोग बिना टीका लगवाए ही उसके नकली निशान दर्ज करा लेते हैं.

डीडब्ल्यू से बातचीत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अब्दुल कादिर पटेल कहते हैं, "उत्तरी वजीरिस्तान का मामला बिल्कुल उसी तरह से है जैसे 2014 और 2019 में इसी इलाके में पोलियो के कुछ मामले सामने आए थे. हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इस पैटर्न को तोड़ा जा सके.”

पटेल आगे कहते हैं, "दुनिया का करीब 99 फीसदी हिस्सा पोलियो मुक्त हो चुका है. हम अपने देश में भी चाहते हैं कि बच्चे इस बीमारी से मुक्त रहें.” पोलियो पांच साल से ऊपर के बच्चों को प्रभावित करता है. यह बीमारी स्पाइनल कॉर्ड पर असर डालती है जिसकी वजह से बच्चों को पैरालिसिस हो जाता है.

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वैक्सीन को लेकर गलत धारणाएं हैं

पाकिस्तान में पोलियो उन्मूलन अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताया, "नकली निशान और टीके लगवाने से इनकार करना, ये दो चीजें ऐसी हैं जिनकी वजह से पोलियो के मामलों में उछाल आया है. पोलियो टीकाकरण में लगी टीमें भी कई बार अभिभावकों के साथ मिलकर बच्चों को टीके से वंचित रखती हैं.”

पोलियो उन्मूलन अभियान में लगी टीमें जब टीकाकरण के लिए जाती हैं तो वो बच्चों की उंगलियों पर एक निशान बना देती हैं जिससे पता चलता है कि बच्चे को टीका लग गया है. जो अभिभावक अपने बच्चों को पोलियो वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते वो बच्चों की उंगलियों पर फर्जी निशान लगा देते हैं ताकि पता चले कि बच्चे को टीका लग गया है.

उत्तरी वजीरिस्तान में नए मामले सामने आने के बाद सरकार ने जांच शुरू कर दी है. अफगानिस्तान से लगे इस इलाके में कभी तालिबान की पकड़ काफी मजबूत थी.

पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर कैसर सज्जाद ने डीडब्ल्यू को बताया, "नए मामले वास्तव में बहुत खतरनाक हैं, खासकर जब हम एक पोलियो मुक्त देश होने की ओर बढ़ रहे हों. मुझे तो इस बात का डर है कि कहीं भविष्य में और ज्यादा मामले न आने लगें. फर्जी निशान लगाने वाले कर्मचारियों को निलंबित कर दिया जाएगा.”

षडयंत्र की आशंका भी एक बड़ा कारण है. हजीरा वजीर की तरह कुछ लोगों को यह आशंका है कि टीकाकरण मुस्लिम बच्चों को नपुंसक बनाने का पश्चिमी देशों का एक षडयंत्र है. उत्तरी वजीरिस्तान की रहने वाली 27 वर्षीया वजीर तीन बच्चों की मां हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में वो कहती हैं, "पश्चिमी देश वैक्सीन को एक कवर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं और हमारी सरकार उनके एजेंडो का समर्थन कर रही है.”

व्हील चेयर भी सपनों की उड़ान में नहीं बनी बाधा

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झूठे आंकड़ों पर मुकदमा चलाने का आह्वान

सरकारी वैक्सीनेशन टीमों को झूठे आंकड़े देना भी गैरकानूनी है. डीडब्ल्यू से बातचीत में कानूनी जानकार ओसामा मलिक कहते हैं, "फर्जी जानकारी देने वाले लोग कभी भी दंडित नहीं हुए और न ही उनसे जुर्माना लिया गया. इसीलिए वैक्सीन को लेकर आशंकित रहने वाले तमाम लोग यह सोचते हैं कि हम अपने बच्चों को वैक्सीन नहीं लगवाएंगे और बच निकलेंगे.”

मलिक कहते हैं, "यदि पाकिस्तान को पोलियो मुक्त देश बनाने में सरकार गंभीर है तो फर्जी आंकड़े देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी.” यदि दुनिया के किसी भी कोने में पोलियो का कोई एक भी मामला सामने आता है तो यह पूरी दुनिया के लिए खतरा होगा क्योंकि वायरस उन देशों में भी आसानी से पहुंच सकता है जहां पोलियो को खत्म किया जा चुका है और आबादी को प्रभावित कर सकता है. 

पाकिस्तान में एक बड़ी आबादी पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम की विरोधी है और कई बार तो पोलियो कर्मचारियों पर हमले भी हो चुके हैं. इस्लामी कट्टरपंथी मानते हैं कि वैक्सीन पश्चिमी देशों के लोग इसलिए लगवा रहे हैं ताकि मुसलमानों की जासूसी की जा सके. ये लोग आरोप लगाते हैं कि यह अभियान संदिग्ध है और ये लोग इसमें पाकिस्तानी डॉक्टर शकील अफरीदी का उदाहरण भी देते हैं जिन पर आरोप है कि उन्होंने अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पकड़वाने में अमेरिकी सैनिकों की मदद की थी. लादेन को साल 2011 में एबटाबाद में पकड़ा गया था.

सज्जाद कहते हैं, "वैक्सीन के खिलाफ गलत धारणाएं तभी खत्म की जा सकती हैं जब बड़े पैमाने पर लोगों को इसके बारे में शिक्षित किया जाए और वैक्सीन की गंभीरता को समझाया जाए. धर्मगुरुओं से अपील की जाए कि वो लोगों को पोलियो वैक्सीन के नुकसान के बारे में बताएं.”

पाकिस्तान में पोलियो के खिलाफ पिछले 25 साल से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और घर-घर जाकर बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है. पोलियो टीका लगाने वाली टीम में मुख्य रूप से महिला स्वास्थ्यकर्मी होती हैं जिनकी मदद के लिए कुछ सुरक्षा गार्ड होते हैं.

पाकिस्तान ने इस साल भी जनवरी, मार्च और मई में तीन राष्ट्रव्यापी पोलियो टीकाकरण अभियान चलाए. मार्च में पश्चिमोत्तर पाकिस्तान में कुछ बंदूकधारियों ने एक महिला पोलियो वर्कर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जनवरी में भी पश्चिमोत्तर इलाके में ही बंदूकधारियों ने पोलियो कार्यकर्ताओं की सुरक्षा में लगे एक पुलिसकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

साल 2012 से लेकर अब तक पाकिस्तान में इस्लामी चरमपंथी समूहों ने सौ से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों और उनके सुरक्षा गार्डों की हत्या की है.

कानूनी जानकार मलिक कहते हैं कि इन हत्याओं के दोषियों को सजा दिलाने में संघीय और प्रांतीय सरकारों ने कोई खास प्रयास नहीं किए.

सिर्फ दो देशों में ही रह गया है पोलियो वायरस

कई दशक तक पोलियो दुनिया की सबसे भयावह बीमारी रही है और इसकी वजह से लाखों लोगों में कई तरह की दिक्कतें आईं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पाकिस्तान के अलावा सिर्फ अफगानिस्तान ही दूसरा देश है जहां बच्चे अभी भी पोलियो वायरस से पीड़ित हैं.

पाकिस्तान में वैक्सीन के खिलाफ इतना माहौल है कि एक महिला ने अपने पति को इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि पति ने बच्चों को पोलियो का टीका लगवा दिया था. अप्रैल 2019 में करीब 25 हजार बच्चों को अस्पताल पहुंचाने की नौबत आ गई थी. ऐसा उस अफवाह के कारण हुआ जिसमें कहा गया कि पोलियो वैक्सीन के कारण बच्चों को उल्टी हो रही है और वो बेहोश हो जा रहे हैं.

पटेल कहते हैं, "ये सारे मामले पाकिस्तान के एक ही हिस्से से आ रहे हैं लेकिन अभिभावकों को थोड़ा चौंकन्ना रहना होगा और उन्हें अपने बच्चों को पोलियो की वैक्सीन हर बार दिलानी चाहिए.”

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