अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. केंद्र ने कहा एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं दिया जाए क्योंकि इसका "राष्ट्रीय चरित्र" है.
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे का विवाद लगभग 57 साल पुराना है और इस पर विभिन्न अदालतों द्वारा कई बार फैसला सुनाया गया है. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई जारी है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विश्वविद्यालय के "राष्ट्रीय चरित्र" को देखते हुए इसे किसी खास धर्म का संस्थान नहीं कहा जा सकता.
एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का मुद्दा कई दशकों से कानूनी विवाद में फंसा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने 12 फरवरी, 2019 को इस मुद्दे को सात जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था.
साल 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि एएमयू की स्थापना जरूर अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा की गई थी, लेकिन इसे कभी भी प्रशासित नहीं किया गया या समुदाय द्वारा प्रशासित होने का दावा नहीं किया गया था. इस वजह से इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता. मौजूदा बेंच 2019 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा सात जजों की संविधान बेंच को भेजे विवादास्पद मामले पर सुनवाई कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की दलील
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद शर्मा की संविधान पीठ इसी फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है.
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संविधान पीठ के सामने केंद्र सरकार की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लिखित दलील की कि अपने राष्ट्रीय चरित्र को देखते हुए, एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता.
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने अपनी दलील पेश करते हुए कहा, "विश्वविद्यालय हमेशा राष्ट्रीय महत्व का संस्थान रहा है, यहां तक कि स्वतंत्रता-पूर्व युग में भी." उन्होंने कहा, "संविधान के तहत घोषित कोई भी विश्वविद्यालय राष्ट्रीय महत्व का होता है, इस परिभाषा के मुताबिक एएमयू एक अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता."
एएमयू की ओर से वकील राजीव धवन ने केंद्र की दलील का विरोध करते हुए कहा कि सरकार विश्वविद्यालय के इतिहास को नजरअंदाज करना चाहती है. उन्होंने कहा कि यह संस्थान पहले मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज था, जिसे बाद में बदलकर एएमएयू किया गया. उन्होंने यह भी कहा कि एएमयू को बनाने के लिए मुस्लिम समुदाय ने काफी प्रयास किया.
भारत की फर्जी यूनिवर्सिटियों से सावधान
आपने उन भारतीय छात्रों के बारे में सुना होगा जो आगे की पढ़ाई करने विदेश पहुंचे तो उनकी भारतीय डिग्रियों को फर्जी बता दिया गया. अब यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन ने देश में कई फेक यानी फर्जी यूनिवर्सिटियों की सूची जारी की है.
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एक नहीं, दो नहीं, पूरी बीस
यूजीसी की इस सूची में 20 ऐसे संस्थान हैं जिन्हें फेक या फर्जी विश्वविद्यालय बताया गया है. इन संस्थानों को आयोग से मान्यता प्राप्त नहीं है, यानी ये आयोग के नियमों के मुताबिक डिग्री देने के लिए अधिकृत नहीं हैं.
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इनकी डिग्री बेकार
ऐसे संस्थानों की डिग्रियां कहीं पर भी ना उच्च शिक्षा के लिए और ना नौकरी के लिए मान्य होती हैं. डिग्री वही संस्थान दे सकते हैं जिनकी स्थापना या तो किसी राज्य के कानून, केंद्रीय कानून या प्रोविंशियल कानून के तहत हुई हो या जिन्हें 1956 के यूजीसी कानून के तहत डिग्री देने की शक्ति दी गई हो.
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दिल्ली में सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा
दिल्ली में ऐसे सबसे ज्यादा (आठ) फर्जी विश्वविद्यालय हैं. इनके नाम - ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एंड फिजिकल हेल्थ साइंसेज, स्टेट गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी, कमर्शल यूनिवर्सिटी लिमिटेड, यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी, वोकेशनल यूनिवर्सिटी, दिल्ली एडीआर सेंट्रिक ज्यूरिडिकल यूनिवर्सिटी, इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग, विश्वकर्मा ओपन यूनिवर्सिटी फॉर सेल्फ एम्पलायमेंट, आध्यात्मिक विश्वविद्यालय.
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यूपी में भी कई फर्जी संस्थान
यूजीसी की सूची में उत्तर प्रदेश के भी कई फर्जी विश्वविद्यालयों का नाम है. इनमें शामिल हैं गांधी हिंदी विद्यापीठ, नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो कॉम्प्लैक्स होम्योपैथी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस यूनिवर्सिटी और भारतीय शिक्षा परिषद.
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और भी राज्यों में मौजूद
आंध्र प्रदेश में क्राइस्ट न्यू टेस्टामेंट डीम्ड यूनिवर्सिटी और बाइबिल ओपन यूनिवर्सिटी ऑफ इंडिया, पश्चिम बंगाल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन और इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च, बदगानवी सरकार वर्ल्ड ओपन यूनिवर्सिटी एजुकेशन सोसाइटी (कर्नाटक), सेंट जॉन्स यूनिवर्सिटी (केरल), राजा अरबी यूनिवर्सिटी (महाराष्ट्र) और श्री बोधि एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (पुडुचेरी)
भी फर्जी हैं.
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छात्र, अभिभावक सजग रहें
यूजीसी ने छात्रों और अभिभावकों से अपील की है कि वो किसी भी संस्थान में दाखिला लेने से पहले यूजीसी की वेबसाइट पर चेक कर लें की संस्थान मान्यता प्राप्त है या नहीं. साथ ही यूजीसी ने यह भी अपील की है कि अगर कोई संस्थान यूजीसी अधिनियम का उल्लंघन कर शैक्षणिक कार्यक्रम चला रहा है तो इसके बारे में यूजीसी को ईमेल पर अवगत कराया जा सकता है.
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किसी शैक्षणिक संस्थान का 'अल्पसंख्यक चरित्र' क्या है?
संविधान का अनुच्छेद 30 सभी धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और प्रशासित करने का अधिकार देता है. यह प्रावधान यह गारंटी देकर अल्पसंख्यक समुदायों के विकास को बढ़ावा देने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है कि यह उनके 'अल्पसंख्यक' संस्थान होने के आधार पर सहायता देने में भेदभाव नहीं करेगा.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुच्छेद 30 का जिक्र किया और कहा कि अनुच्छेद 30 को प्रभावी बनाने के लिए किसी अल्पसंख्यक समूह को इस तरह के दर्जे का दावा करने के लिए स्वतंत्र प्रशासन की जरूरत नहीं है.
एमएमयू के अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे का विवाद काफी पुराना है. 1961 में अजीज बाशा नाम के एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि इसे अल्पसंख्यक संस्थान ना माना जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया और एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से मना कर दिया लेकिन बाद में 1981 में केंद्र सरकार ने फिर से कानून में संशोधन किए और विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल कर दिया.
कैसे हुई थी एएमयू की स्थापना
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 में हुई थी. सत्रहवीं शताब्दी के समाज सुधारक सर सैयद अहमद खान ने आधुनिक शिक्षा की जरूरत को महसूस करते हुए साल 1875 में एक स्कूल शुरू किया जो बाद में मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बना.
एक दिसंबर 1920 को यही कॉलेज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बन गया. उसी साल 17 दिसंबर को एएमयू का औपचारिक रुप से एक यूनिवर्सिटी के रुप में उद्घाटन किया गया था. भारत में तमाम राज्यों के अलावा अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, सार्क और कई अन्य देशों के भी छात्र यहां पढ़ने आते हैं.
सर सैयद ने मुसलमानों के शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने और उन्हें सरकारी सेवाओं के लिए तैयार करने में मदद करने के लिए इसकी स्थापना की थी. एमओए ने न केवल पश्चिमी शिक्षा प्रदान की बल्कि इस्लामी धर्मशास्त्र पर भी जोर दिया. सर सैयद ने महिला शिक्षा की भी वकालत की थी.
बेस्ट यूनिवर्सिटीः भारत ने चीन को पछाड़ा
दुनिया के सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों की सूची में चीनी और भारतीय विश्विद्यालय तेजी से ऊपर की ओर चढ़ रहे हैं. ताजा टाइम्स हायर एजुकेशन यूनिवर्सिटी रैंकिंग में पहली बार चीनी विश्वविद्यालय टॉप 15 में पहुंच गये हैं.
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टॉप यूनिवर्सिटीः चीन से आगे भारत
पहली बार टॉप 1,000 विश्वविद्यालयों में सबसे ज्यादा विश्वविद्यालयों के मामले में भारत चीन से आगे निकल गया है. इस बार उसके 91 संस्थान इस सूची में हैं, जबकि चीन के 86 संस्थान हैं. इस तरह अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के बाद भारत चौथे नंबर पर है. पिछले साल भारत छठे नंबर पर था.
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टॉप 15 में चीन
20 साल के टाइम्स यूनिवर्सिटी रैंकिंग के इतिहास में पहली बार चीन के दो विश्वविद्यालय टॉप 15 में पहुंच गये हैं. शिंगुआ यूनिवर्सिटी 12वें नंबर पर है जबकि पेकिंग यूनिवर्सिटी 14वें नंबर पर आ गयी है. पिछले साल ये 16वें और 17वें नंबर पर थे.
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टॉप 100 में सात चीनी विश्वविद्यालय
चीनी विश्वविद्यालयों का स्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है. इस साल टॉप 100 में सात यूनिवर्सिटी हैं. 2018 में सिर्फ दो चीनी विश्वविद्यालय टॉप 100 में थे. 2021 के मुकाबले टॉप 400 में चीनी विश्वविद्यालयों की संख्या दोगुनी यानी 30 हो गयी है.
तस्वीर: Stringer/dpa/HPIC/picture alliance
अब भी अमेरिका टॉप पर
टॉप यूनिवर्सिटियों के मामले में अब भी अमेरिका का कोई सानी नहीं है. टॉप 20 में 13 विश्वविद्यालय अमेरिका के हैं. स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी दूसरे नंबर पर है जबकि मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी तीसरे नंबर पर है.
तस्वीर: Newscom/picture alliance
ऑक्सफर्ड फिर चैंपियन
ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी लगातार आठवें साल दुनिया की सबसे बेहतरीन यूनिवर्सिटी बनी हुई है. टॉप 20 में ब्रिटेन के दो और शिक्षण संस्थान हैं. केंब्रिज यूनिवर्सिटी पांचवें नंबर पर है जबकि इंपीरियल कॉलेज लंदन आठवें नंबर पर.
टॉप विश्वविद्यालयों की सूची पर अमेरिका और ब्रिटेन का दशकों से काबिज प्रभुत्व धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है. 2021 से टॉप 100 विश्वविद्यालयों इन दोनों महाशक्तियों की संख्या लगातार कम हुई है.
तस्वीर: Sergi Reboredo/IMAGO
टॉप 200 में भारत नहीं
दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटियों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है. उसका सबसे अच्छा विश्वविद्यालय इंडियन इंस्टिट्यूय ऑफ साइंस, बेंगलुरू है, जो 201-250 की रैंकिंग में है.
तस्वीर: IANS
टॉप 200 में भारत नहीं
दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटियों में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है. उसका सबसे अच्छा विश्वविद्यालय इंडियन इंस्टिट्यूय ऑफ साइंस, बेंगलुरू है, जो 201-250 की रैंकिंग में है.