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खेलसंयुक्त राज्य अमेरिका

टी20 क्रिकेट वर्ल्ड कप अमेरिका में क्यों हो रहा है?

मैट पियर्सन
१ जून २०२४

अमेरिकी फुटबॉल, बास्केटबॉल और बेसबॉल दुनियाभर में मशहूर हैं. ऐसे में अमेरिका क्रिकेट वर्ल्ड कप की मेजबानी क्यों कर रहा है? अमेरिका में इसके क्या मायने हो सकते हैं?

अमेरिका की क्रिकेट टीम के कप्तान मोनांक पटेल
भारत में जन्मे मोनांक पटेल टी20 वर्ल्ड कप में अमेरिकी क्रिकेट टीम के कप्तान हैं. तस्वीर: Robert Cianflone/Getty Images

अमेरिका क्रिकेट वर्ल्ड कप की मेजबानी क्यों कर रहा है?

साल 2021 में टी-20 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप मैचों के लिए अमेरिका का नाम सह-मेजबान के तौर पर चुना गया था. टी-20 क्रिकेट का सबसे छोटा प्रारूप है. इस टूर्नामेंट में 20 टीमें शामिल हो रही हैं और कुल 55 में से 16 मैचों की मेजबानी अमेरिका करेगा. ये मुकाबले फ्लोरिडा, न्यूयॉर्क और टेक्सास में होने वाले हैं. 2 जून को अमेरिका की घरेलू टीम कनाडा के साथ इस टूर्नामेंट की शुरुआत करेगी. टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला 29 जून को होना है. अमेरिका के अलावा वेस्टइंडीज भी इस खेल शृंखला की मेजबानी कर रहा है.

टी-20 विश्व कप के आगमन से इस खेल के लिए नए व्यावसायिक क्षितिज खुल गए हैं. इसमें अमेरिका में जीत को एक नए आयाम के रूप में देखा जा रहा है. अमेरिकी क्रिकेट के अध्यक्ष पराग मराठे कहते हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) ने अमेरिका को "वृद्धि के लिए रणनीतिक बाजार के रूप में चिह्नित किया है, जो विश्व भर में क्रिकेट के लिए फायदेमंद होगा" और घरेलू खेलों में भी प्रगति लाएगा. मेजर लीग क्रिकेट (एमएलसी) के कारण यह नाटकीय प्रगति पहले से ही देखी जा रही है.

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की अपार सफलता के बाद टी-20 खेलों की फ्रेंचाइजी एमएलसी शुरू की गई है. एमएलसी के निवेशकों में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला और एडोबी के एक्जीक्यूटिव शांतनु नारायण शामिल हैं. दोनों ही भारतीय मूल के हैं. इस लीग में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई कद्दावर खिलाड़ी जैसे इंग्लैंड से जेसन रॉय, वेस्टइंडीज से सुनील नरेन, न्यूजीलैंड से ट्रेंट बोल्ट और दक्षिण अफ्रीका से कैगिसो रबाडा जैसे नाम शामिल हैं. एमएलसी के नए सीजन से विश्व कप के कुछ सकारात्मक प्रभाव को भुनाए जाने की उम्मीद है. इस शृंखला का अगला सत्र टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल के तुरंत बाद शुरू होने वाला है.

क्या अमेरिका का कोई क्रिकेट इतिहास है?

कई लोगों को इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि अमेरिका ने 1844 के पहले अंतरराष्ट्रीय मैच में कनाडा के खिलाफ खेलने का दावा किया है. यह इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए 1882 के टेस्ट मैच से बहुत पहले की बात है. 1882 के इस मैच को पहला टेस्ट मैच बताया जाता है. ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने अमेरिका समेत बाकी दुनिया में क्रिकेट को फैलाया, लेकिन 1861 से 1865 के बीच गृह युद्ध के दौरान बेसबॉल अमेरिका का पसंदीदा बल्ले और गेंद वाला खेल बन गया.

उस समय से लेकर कुछ सालों पहले तक नीति नियंताओं की अनदेखी और प्रतिभागिता को लेकर रुचि न दिखाने से कई अवसर गंवाने और पहचान न मिलने की कई दास्तानें इसका हिस्सा हैं. हालांकि, अमेरिका को हाल के कुछ समय से कुछ अच्छे नतीजे भी मिले हैं. हाल ही में प्री-टूर्नामेंट वार्म अप सीरीज में अमेरिका ने बांग्लादेश की टीम को दो-एक से हराकर जीत हासिल की है.

क्या अमेरिका में क्रिकेट प्रेमी हैं?

इसका जवाब है- हां. अमेरिका में क्रिकेट को पसंद करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. यहां सबसे बड़ी संख्या में प्रवासी रहते हैं. इनमें भारतीय दूसरे नंबर पर हैं, जबकि कई अन्य लोग ब्रिटिश या कैरेबियन मूल के हैं. इसके बावजूद यूजीओवी नाम की एक संस्था का सर्वे बताता है कि महज 10% अमेरिकी ही एमएलसी के बारे में जानते हैं. इससे भी कम, छह प्रतिशत लोग आगामी विश्व कप के बारे में जानकारी रखते हैं.

हालांकि, सर्वे में यह भी सामने आया कि पांच में से एक व्यक्ति को टूर्नामेंट में रुचि है और इनमें 18 से 34 साल के युवाओं की संख्या अधिक थी. क्रिकेट में रुचि रखने वाले लोगों में सिर्फ 62% लोग ही अमेरिका का समर्थन करेंगे, जो कि प्रवासी प्रभाव का भी एक सबूत है और यह अमेरिकी टीम में भी दिखता है. कैप्टन मोनांक पटेल भारत, पाकिस्तान या अमेरिका के बाहर के देश में जन्मे खिलाड़ियों में से एक हैं.

रोहित शर्मा अब तक के हर एक टी20 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में खेले हैं. तस्वीर: Nigel French/empics/picture alliance

टूर्नामेंट के लिए पसंदीदा खिलाड़ी कौन हैं?

भारत में जन्मे या भारत से जुड़ाव रखने वाले लोगों की संख्या इस कड़ी में पहले से ही एक मजबूत हिस्सा है. 2007 में आयोजित पहले टी-20 विश्व कप में भारत ने जीत हासिल की थी. इसके बाद वह कभी नहीं जीता, जबकि टीम में प्रतिभाशाली एवं दिग्गज खिलाड़ियों की भरमार है, जो आईपीएल में दिखती है. रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे अनुभवी खिलाड़ियों की जोड़ी एक उदाहरण है. वहीं, सूर्यकुमार यादव आईसीसी बैटिंग रैंकिंग में शीर्ष पायदान पर विराजमान हैं और जसप्रीत बुमराह टी-20 के सबसे उम्दा गेंदबाजो में गिने जाते हैं.

भारत से ठीक पीछे ऑस्ट्रेलिया और वर्तमान चैंपियन इंग्लैंड उसके ठीक पीछे हैं, जबकि सह- मेजबान वेस्टइंडीज 2012 और 2016 में दो बार इस प्रतियोगिता में जीत हासिल कर चुके हैं और उनके पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. टी-20 रैंकिंग में भारत टॉप पर है. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड हैं. वेस्टइंडीज ने 2012 और 2016 में शृंखला जीती है और उसके पास कुछ बेहद विस्फोटक खिलाड़ी हैं.

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कौन कर सकता है उलटफेर?

अमेरिका की तरह पहली बार हिस्सा लेने वाले कनाडा और युगांडा की जीत हासिल करने की संभावना काफी कम है. इस साल टीमों की संख्या 16 से बढ़कर 20 हो जाएगी, जिससे इस तरह के उभरते देशों के पास विश्व कप को जीतने का एक मौका तो मिलेगा.

खेल का यह छोटा प्रारूप कई झटके और उलटफेर का मौका भी देता है. इसने अफगानिस्तान जैसी टीम को पहले ही एक मंच दिया है, जिसने 2016 में वेस्टइंडीज को बुरी तरह हराया था. राशिद खान जैसे बेहतरीन स्पिनर और मोहम्मद नबी जैसे अनुभवी और ऑलराउंडर खिलाड़ी के साथ उनके पास अपनी टीम को आगे बढ़ाने का कम से कम एक मौका तो है.

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