भारत सरकार पर इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर कई कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी कराने का आरोप लगा है. सरकार ने इस आरोप पर दी गई प्रतिक्रिया में स्पष्ट भी नहीं किया है कि उन्होंने इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं.
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पेगासस के जरिए लोगों की जासूसी के खुलासे के बावजूद भारत में स्पष्ट तौर पर कोई गुस्सा या नाराजगी, कम से कम आम जनता में, नजर नहीं आई. कई पत्रकार और सिविल सोसाइटी के लोग इससे चकित हैं.
कई लोगों का मानना था कि सरकार अपने नागरिकों की जासूसी कर रही है, अगर ऐसे आरोप जनता के सामने आते हैं तो इसकी गंभीर प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिलहाल भारतीय विपक्षी दलों की ओर से संसद में इस मुद्दे पर सरकार का विरोध किया जा रहा है लेकिन यह भारत में आम चर्चा का विषय नहीं है.
बता दें कि पेगासस एक इस्राएली सॉफ्टवेयर है, जो किसी भी फोन को हैक कर सकता है. पेगासस बनाने वाली कंपनी की उपभोक्ता सिर्फ सरकारें होती हैं. एक हालिया जांच रिपोर्ट में भारत सरकार के ऊपर इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, नौकरशाहों और पत्रकारों की जासूसी कराने का आरोप लगा है. सरकार ने इस आरोप पर दी गई प्रतिक्रिया में स्पष्ट भी नहीं किया है कि उन्होंने इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं.
फ्रांस और इस्राएल में जांच शुरू
पहली बार पेगासस सॉफ्टवेयर का मामला करीब दो साल पहले सामने आया था. अब दुनियाभर के पत्रकारों के एक समूह की ओर से की गई हालिया जांच में 50 हजार लोगों की एक लिस्ट उजागर की गई है. इस लिस्ट में शामिल लोगों को पेगासस का संभावित शिकार बताया गया है. हालांकि जांच में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि जिन लोगों का नाम लिस्ट में है, उनमें से कितने लोगों की वाकई पेगासस के जरिए जांच की गई है.
तस्वीरों मेंः भारत सरकार के पास आंकड़े नहीं
कब-कब सरकार ने कहा आंकड़े नहीं हैं
भारत में ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर भारत सरकार के पास आंकड़े नहीं हैं. विपक्ष सरकार से आंकड़े मांगता है सरकार कहती है हमें जानकारी ही नहीं है. एक नजर, ऐसे मुद्दों पर जिनके बारे में सरकार के पास डेटा नहीं हैं.
तस्वीर: Sonali Pal Chaudhury/NurPhoto/picture alliance
ऑक्सीजन की कमी से मौत
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं होने के बयान के बाद सरकार दोबारा से डेटा जुटाएगी. सरकार ने संसद में 20 जुलाई को बयान दिया था कि देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी मौत नहीं हुई थी. लेकिन विपक्षी दलों के हंगामे और आलोचना के बाद सरकार ने राज्यों से दोबारा से ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों का आंकड़ा मांगा है.
कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर पैदल ही शहरों से गांव की ओर निकल पड़े. सफर के दौरान प्रवासी मजदूरों की सड़क हादसे, रेल ट्रैक पर चलने और अन्य कारणों से मौत हुई. स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क के आंकड़ों के मुताबिक पिछले लॉकडाउन के दौरान 971 प्रवासी मजदूरों की गैर कोविड मौतें हुईं. सरकार ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मौत के बारे में उसके पास डेटा नहीं है.
तस्वीर: DW/M. Kumar
बेरोजगारी और नौकरी गंवाने पर डेटा
मानसून सत्र में सरकार से सभी दलों के कम से कम 13 सांसदों ने कोरोना महामारी के दौरान बेरोजगारी और नौकरी गंवाने वालों का स्पष्ट डेटा मांगा था, लेकिन सरकार ने डेटा मुहैया नहीं कराया. इसके बदले केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज, मेड इन इंडिया परियोजनाओं, स्वरोजगार योजनाओं और ऋणों का विवरण देकर इस मुद्दे को टाल दिया.
तस्वीर: Pradeep Gaur/Zumapress/picture alliance
किसान आंदोलन के दौरान मौत का आंकड़ा
23 जुलाई 2021 को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन पंजाब सरकार ने जो डेटा इकट्ठा किया है उसके मुताबिक कुल 220 किसानों की राज्य में मौत हुई. राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10.86 करोड़ मुआवजा भी दिया है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
कितना काला धन
मानसून सत्र में सरकार ने कहा है कि पिछले दस साल में स्विस बैंकों में कितना काला धन छिपाया गया है उसे इस बारे में कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. लोकसभा में कांग्रेस सांसद विन्सेंट एच पाला के सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने बीते कई सालों में विदेशों में छिपाए गए काले धन को लाने की कई कोशिशें की हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Global Travel Images
क्रिप्टो करेंसी के कितने निवेशक
भारत में काम कर रहे निजी क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंजों की संख्या बढ़ रही है, केंद्र के पास उन पर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है. इन एक्सचेंजों से जुड़े निवेशकों की संख्या के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. देश में एक्सचेंजों की संख्या और उनसे जुड़े निवेशकों की संख्या पर एक प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने 27 जुलाई को संसद में एक लिखित जवाब में कहा, "यह जानकारी सरकार द्वारा एकत्र नहीं की जाती है."
तस्वीर: STRF/STAR MAX/IPx/picture alliance
पेगासस जासूसी मामला
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में पेगासस जासूसी मामला इस वक्त सबसे गर्म मुद्दा है. दुनिया के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की. भारत के संचार मंत्री ने इस मामले में लोकसभा में एक बयान में कहा कि फोन टैपिंग से जासूसी के आरोप गलत है.
इनमें से सिर्फ 67 लोगों के ही फोन की ही फॉरेंसिक जांच की गई है. जानकार कहते हैं कि यह बात जांच को थोड़ा कमजोर करती है, फिर भी यह समझ से परे है कि जिस खुलासे के बाद फ्रांस और इस्राएल में जांच शुरू हो चुकी है, भारत में उस पर ऐसी चुप्पी कैसे है.
निजता को तवज्जो नहीं
जानकार इसकी वजह भारत में निजता को ज्यादा तवज्जो न दिया जाना मानते हैं. समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय महासचिव अफलातून कहते हैं, "बहुसंख्य भारतीय व्यक्तिगत अधिकारों को कमतर मानते हैं.
वर्तमान सरकार की ओर से भी 'आधार' से जुड़े एक मामले में यह तर्क दिया जा चुका है कि जब भारत की बहुसंख्यक जनता गरीब है और उसके पास बुनियादी अधिकार तक नहीं हैं तो ऐसे में निजता के अधिकार का मसला बहुत पीछे आता है."
हालांकि सरकार के इस तर्क को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था और निजता को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 से जुड़ा बताया था. यह अनुच्छेद नागरिकों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है. जानकार कहते हैं लेकिन ऐसे फैसले भी सरकार को निजता के उल्लंघन से नहीं रोक पाते.
पेगासस जासूसी कांड पर सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत
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अफलातून ऐसा ही एक उदाहरण देते हैं. वह कहते हैं, "फैसले में आधार को अनिवार्य नहीं बताया गया था लेकिन सच्चाई यह है कि बिना आधार आप ज्यादातर सरकारी काम नहीं कर सकते."
सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक चंदन श्रीवास्तव कहते हैं, "सरकार कई मामलों में तर्क दे चुकी है कि जब तक नागरिकों को बुनियादी अधिकार नहीं मिल जाते, निजता के अधिकार का कोई मूल्य नहीं है. लेकिन इसी तर्क को उल्टा करके देखने की जरूरत है. यानी जब तक नागरिकों को निजता का अधिकार नहीं मिलता तब तक वे पूर्ण नागरिक नहीं बन सकेंगे."
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मुग्ध लोगों का समाज
भारत के राजनीतिक जानकार कहते हैं कि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले भारत में भ्रष्टाचार बड़ा राजनीतिक मसला हुआ करता था. यह मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता खोने की बड़ी वजहों में से एक था. लेकिन फिलहाल भारत में सरकार को भ्रष्ट नहीं माना जा रहा है क्योंकि लोग ऐसा मानने को तैयार नहीं हैं. जानकार कहते हैं कि कई बार ऐसी सोच का जमीन पर नेताओं के व्यवहार से खास लेना-देना नहीं होता बल्कि यह बात नेता के व्यक्तित्व से तय की जाने लगती है.
तस्वीरों मेंः कौन है खबरों की दुनिया का बादशाह
अखबार, टीवी या इंटरनेट: कौन है खबरों की दुनिया का बादशाह
रॉयटर्स इंस्टीट्यूट द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में भारत में समाचारों की खपत को लेकर दिलचस्प नतीजे सामने आए हैं. आइए देखते हैं भारत में लोग किस माध्यम से खबरें देखना ज्यादा पसंद करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/P. Kumar
खबरों पर भरोसा कम
संस्थान ने पाया कि भारत में सिर्फ 38 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर से नीचे है. पूरी दुनिया में 44 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं. फिनलैंड में खबरों पर भरोसा करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है (65 प्रतिशत) और अमेरिका में सबसे कम (29 प्रतिशत). भारत में लोग टीवी के मुकाबले अखबारों पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Pan
खोज कर खबरें देखना
45 प्रतिशत लोगों को परोसी गई खबरों के मुकाबले खुद खोज कर पढ़ी गई खबरों पर ज्यादा भरोसा है. सोशल मीडिया से आई खबरों पर सिर्फ 32 प्रतिशत लोगों को भरोसा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
इंटरनेट पसंदीदा माध्यम
82 प्रतिशत लोग खबरें इंटरनेट पर देखते हैं, चाहे मीडिया वेबसाइटों पर देखें या सोशल मीडिया पर. इसके बाद नंबर आता है टीवी का (59 प्रतिशत) और फिर अखबारों का (50 प्रतिशत).
तस्वीर: DW/P. Samanta
स्मार्टफोन सबसे आगे
खबरें ऑनलाइन देखने वाले लोगों में से 73 प्रतिशत स्मार्टफोन पर देखते हैं. 37 प्रतिशत लोग खबरें कंप्यूटर पर देखते हैं और सिर्फ 14 प्रतिशत टैबलेट पर.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
व्हॉट्सऐप, यूट्यूब की लोकप्रियता
इंटरनेट पर खबरें देखने वालों में से 53 प्रतिशत लोग व्हॉट्सऐप पर देखते हैं. इतने ही लोग यूट्यूब पर भी देखते हैं. इसके बाद नंबर आता है फेसबुक (43 प्रतिशत), इंस्टाग्राम (27 प्रतिशत), ट्विटर (19 प्रतिशत) और टेलीग्राम (18 प्रतिशत) का.
तस्वीर: Javed Sultan/AA/picture alliance
साझा भी करते हैं खबरें
48 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर पढ़ी जाने वाली खबरों को सोशल मीडिया, मैसेज या ईमेल के जरिए दूसरों से साझा भी करते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
सीमित सर्वेक्षण
यह ध्यान देने की जरूरत है कि ये तस्वीर मुख्य रूप से अंग्रेजी बोलने वाले और इंटरनेट पर खबरें पढ़ने वाले लोगों की है. सर्वेक्षण सामान्य रूप से ज्यादा समृद्ध युवाओं के बीच किया गया था, जिनके बीच शिक्षा का स्तर भी सामान्य से ऊंचा है. इनमें से अधिकतर शहरों में रहते हैं. इसका मतलब इसमें हिंदी और स्थानीय भाषाओं बोलने वालों और ग्रामीण इलाकों में रहने वालों की जानकारी नहीं है.
तस्वीर: R S Iyer/AP/picture alliance
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कई विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि साधारण भारतीय कहीं ज्यादा आसानी से नेताओं को माफ कर देते हैं और उन्हें राजनीतिज्ञों के बर्ताव से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. वे कहते हैं कि जिन राजनेताओं को लोग पसंद करते हैं, उन्हें सही ठहराने के लिए रास्ते निकाल लेते हैं.
यूं तो भारत में ईमानदार, शांतिप्रिय, प्रभावी, बुद्धिमान और एक ही शादी या कोई शादी न करने वाले नेता पसंद किए जाते रहे हैं लेकिन लोग जिन नेताओं को पसंद करते हैं, भले ही उनका आपराधिक मामलों या भ्रष्टाचार का इतिहास रहा हो, वे उन्हें सही ठहरा लेते हैं. सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक चंदन श्रीवास्तव के शब्दों में ऐसा भारत 'मुग्ध लोगों का समाज' है.
जनता से सीधा जुड़ाव नहीं
जानकार कहते हैं कि भारतीयों को खुद पर नजर रखे जाना बिल्कुल पसंद नहीं है लेकिन सरकार का जानी-मानी हस्तियों पर नजर रखना उसे उत्तेजित नहीं करता. इसकी वजह के बारे में सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषक चंदन श्रीवास्तव कहते हैं, "जब तक सरकार ऐसा कोई फैसला नहीं करती जिससे जनता पर सीधा बुरा असर हो, तब तक लोगों में गुस्सा नहीं पैदा होता."
इंस्टाग्राम के सितारे
इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो होने वाले सितारे
सोशल मीडिया पर आज कल हर कोई दिखता है चाहे सेलेब्रेटी हों या आम लोग. कई जाने माने चेहरे अपनी तस्वीरें शेयर करते हैं, लेकिन कम ही स्टार्स हैं जिनके करोड़ों दीवाने हैं. एक नजर उन सेलेब्रेटीज पर जिनके मिलियन फॉलोअर्स हैं.
तस्वीर: Imago/Zumapress
इंस्टाग्राम
जी हां सुन कर तो अजीब लगेगा लेकिन खुद इंस्टाग्राम ने सभी सेलेब्रेटीज को पीछे छोड़ते हुए नंबर एक की पोजीशन ले ली है. इंस्टाग्राम के 38.7 करोड़ फॉलोअर्स हैं. इंस्टाग्राम आमतौर पर आईजी या इंस्टा के रुप में जाना जाता है. ये फेसबुक के स्वामित्व वाली अमेरिकी फोटो और वीडियो वाली सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Dovarganes
क्रिस्टियानो रोनाल्डो
क्रिस्टियानो रोनाल्डो ऐसा नाम है जिसे फुटबॉल जगत में हर कोई जानता है. करोड़ों लड़कियां उनकी दीवानी हैं, लेकिन इनकी लोकप्रियता सिर्फ असल जीवन में नहीं बल्कि इंस्टाग्राम पर भी है. कई सेलेब को पीछे छोड़ते हुए ये नंबर दो के पायदान पर हैं और क्रिस्टियानो के 26.6 करोड़ फॉलोवर्स हैं. क्रिस्टियानो इंस्टाग्राम पर अकसर अपने परिवार और फुटबॉल से जुड़ी तस्वीरें शेयर करते हैं.
तस्वीर: Getty Images
अरियाना ग्रांडे
जी हां तीसरे नंबर पर हैं एक लोकप्रिय अमेरिकी गायिका और अभिनेत्री अरियाना ग्रांडे. अरियाना काफी प्रसिद्ध गायकों में से एक हैं और इंस्टाग्राम पर इनके 22.4 करोड़ फॉलोवर्स है. यही नहीं ये इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो की जाने वाली महिला हैं. वो ज्यादातर अपनी सोलो (सिंगल) फोटोस इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर करती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Everett Collection/Tsuni
ड्वेन जॉनसन
हॉलीवुड के ‘द रॉक’ उर्फ ड्वेन जॉनसन इकलौते पहलवान व एक्टर हैं जिनके इंस्टाग्राम पर 22 करोड़ फॉलोवर्स हैं. ड्वेन को अब तक के महान कुश्तीबाजों में से गिना जाता है. उन्होंने कई जानी मानी फिल्मों में काम किया है जैसे ‘द स्कोर्पियन किंग’ ‘द रनडाउन’, ‘बी कूल’. हाल ही में 2017 में रॉक ने एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा के साथ फिल्म बेवाच में भी काम किया था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Shotwell
काइली जेनर
सोशल मीडिया की बात हो और काइली जेनर का नाम ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता. काइली इंस्टाग्राम पर काफी फेमस हैं. इनके अब तक 21.8 करोड़ फॉलोवर्स हैं. काइली अमेरिकी मीडिया परसनैलटी , सोशलाइट, मॉडल और बीजनेसवूमन हैं. ये अपनी बहनों में सबसे छोटी हैं लेकिन लोकप्रियता में इन्होंने अपनी सभी बहनों को पीछे छोड़ दिया है. वो इंस्टा पर खुद की और अपने निजी जीवन की कई तस्वीरें शेयर करती हैं.
तस्वीर: Getty Images/M. Winkelmeyer
सेलेना गोमेज
सबसे अधिक पसंद की जाने वाली इंस्टाग्राम पोस्ट की सूची में सेलेना गोमेज का नाम शुमार है. सेलेना अमेरिकी गायिका और अभिनेत्री हैं. उनके इंस्टा पर 21.3 करोड़ फॉलोवर्स हैं.
तस्वीर: dpa
किम कर्दाशियन
किम पूरी दुनिया में जानी मानी हस्ती हैं. वो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और इंस्टा पर अक्सर सेक्सी अंदाज में दिखती हैं. किम काइली जेनर की बड़ी बहन हैं. वे अपने मॉडलिंग, प्राईवेट लाईफ के साथ-साथ कुछ पुरानी पारिवारिक तस्वीरें भी शेयर करती हैं. उनके इंस्टाग्राम पर 20.7 करोड़ फॉलोवर्स हैं.
लियोनेल मेसी अर्जेंटीना के पेशेवर फुटबॉलर हैं. यूरोप हो या कोई और देश इनका नाम बच्चे बच्चे जानते हैं. फुटबॉल जगत में तो इन्होंने शोहरत पाई ही है साथ ही ये इंस्टाग्राम पर भी ये काफी लोकप्रिय हैं. मेसी के इंस्टाग्राम पर 18.7 करोड़ फॉलोवर्स हैं.
तस्वीर: Christophe Ena/AP/picture alliance
बियॉन्से नॉलेस
इस लिस्ट में अगला नाम है बियॉन्से का है. वे अमेरिकी गायिका, गीतकार, अभिनेत्री, निर्देशक और रिकॉर्ड निर्माता हैं. इंस्टाग्राम के टॉप दस में ये नंबर नौ पर है और इनके 18.7 करोड़ फॉलोवर्स हैं.
तस्वीर: Chris Pizzello/Invision/AP/picture alliance
जस्टिन बीबर
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जस्टिन बीबर का भी नाम इस लिस्ट में है. जस्टिन पॉप की दुनिया के सबसे बड़े सितारों में से एक हैं. उन्होंने 16 साल की उम्र में अपना पहला स्टूडियो एल्बम माई वर्ल्ड 2.0 (2010) रिलीज किया था और इस अल्बम के गाने "बेबी" से रातों रात लोकप्रियता हासिल कर ली थी. जस्टिन के इंस्टाग्राम पर 16.4 करोड़ फॉलोवर्स हैं.
तस्वीर: Cindy Ord/Getty Images for MTV
विराट कोहली
भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली इंस्टा फॉलोविंग के मामले में 23वें स्थान पर हैं. विराट ने इंस्टाग्राम पर भी क्रिकेट की तरह सेंचुरी लगा दी है यानी विराट के 10 करोड़ फॉलोवर्स हैं. ये एक इकलौते भारतीय क्रिकेट स्टार हैं जिनका नाम इंस्टाग्राम के टॉप लिस्ट में शामिल है.
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images
प्रियंका चोपड़ा जोनस
प्रियंका चोपड़ा जोनस ऐसी अगली भारतीय हैं जिन्होंने अपने फैंस का दिल जीत कर इंस्टाग्राम पर करोड़ों फॉलोवर्स बनाए हैं. प्रियंका एक ऐसा नाम हैं जो ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड में भी मशहूर है. उनके 6 करोड़ इंस्टा फॉलोवर्स हैं.
तस्वीर: Maurizio Gambarini/dpa/picture alliance
श्रद्धा कपूर
ये नाम आपको थोड़ा चौंका देगा, लेकिन बॉलीवुड की कई जानी मानी अभिनेत्रिओं को श्रद्धा कपूर ने इंस्टाग्राम के मामले में पीछे छोड़ दिया है. यही नहीं इंस्टाग्राम की टॉप सूची में सिर्फ तीन भारतीयों का नाम शुमार है जिसमें से एक हैं श्रद्धा. इनके 5.8 करोड़ इंस्टा फॉलोवर्स हैं.
तस्वीर: STRDEL/AFP/Getty Images
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भारत में फिलहाल पत्रकारिता का राजनीतिक आधार पर बंट जाना भी समस्या को बढ़ाने की वजह रहा है. फिलहाल ज्यादातर व्यावसायिक मीडिया का इस्तेमाल सरकार के कदमों को सही ठहराने के लिए किया जा रहा है. पेगासस खुलासे के बाद भी ज्यादातर भारतीय मीडिया ने सरकार से सवाल पूछने के बजाए सामने आई सूचनाओं पर ही सवाल खड़े किए.
दिख सकती है प्रतिक्रिया
चंदन श्रीवास्तव कहते हैं, "भारत में सत्ता और जनता के बीच पर्याप्त दूरी है. इसके बीच में कई चरण होते हैं. वे चरण मौजूद हैं लेकिन अपना काम सुचारु रूप से नहीं कर रहे हैं." इस बात को अफलातून भी दोहराते हैं और सरकार की निरंकुशता की वजह बताते हैं.
भारत में ज्यादातर जानकार मानते हैं कि सत्ता की मनमानी लंबे समय तक जारी रहेगी और बढ़ती महंगाई, खराब होती अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और निजता के उल्लंघन की खबरों के बावजूद वह शक्तिशाली बनी रहेगी. लेकिन अफलातून मानते हैं कि जनता में सीधी प्रतिक्रिया नहीं दिख रही क्योंकि भारत में विपक्षी दल जनता की गोलबंदी करने और किसी आंदोलन को खड़ा करने में कमजोर हुए हैं लेकिन जनता के मन में जासूसी की बात बैठ गई है और समय आने पर लोगों की राजनीतिक रुचि में इसकी प्रतिक्रिया भी दिखेगी. भारत में पिछले कुछ सालों में ज्यादातर राजनीतिक आंदोलन आम जनता ने किए हैं.