ईस्टर पर एक और भारतीय परिवार के दो लोगों की ऑस्ट्रेलिया में डूबने से मौत हो गई. पिछले दो महीने में ऐसी सात मौतें हो चुकी हैं. भारतीयों के डूबने की घटनाएं चिंताजनक हो गई हैं.
खतरनाक हैं ऑस्ट्रेलिया समुद्र तटतस्वीर: Michael Runkel/robertharding/picture alliance
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ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न के रहने वाले 38 साल के सन्नी रंधावा अपने परिवार के साथ ईस्टर की छुट्टियां मनाने गोल्ड कोस्ट गए थे. अपने पिता के साथ वह स्विमिंग पूल के किनारे बैठे धूप सेंक रहे थे और दो साल की बेटी बगल में खेल रही थी. अचनाक बेटी पानी में गिर गई. उसे बचाने के लिए सन्नी पानी में कूदे. उन्होंने बेटी को तो निकाल लिया लेकिन खुद स्विमिंग पूल की गहराई में फंस गए. अपने बेटे को डूबता देख सन्नी के पिता भी पानी में कूदे. दोनों ही बाहर नहीं आ सके. परिवार के दोनों लोग वहीं खत्म हो गए.
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीय समुदाय के लिए यह समाचार बड़े सदमे की तरह है. इसी परिवार के चार लोग दो महीने पहले विक्टोरिया के फिलिप आईलैंड में डूब कर मर गए थे. वे समुद्र की खतरनाक लहरों का शिकार हुए थे. उससे पहले 25 साल के एक भारतीय छात्र की विक्टोरिया राज्य में ही डूबने से मौत हो गई थी.
पैर नहीं लेकिन युवा तैराकों के लिए प्रेरणा हैं माजिदी
गजा के माजिदी एल-तातर जब 9 साल के थे तब उन्होंने एक हादसे में अपना एक पैर खो दिया. आज वो एक स्विमिंग कोच हैं और बच्चों को तैरना सिखा रहे हैं.
तस्वीर: Ibraheem Abu Mustafa/REUTERS
दर्दनाक हादसा
9 साल की उम्र में माजिदी को एक कार ने कुचल दिया था. इस हादसे में उनका दाहिना पैर खत्म हो गया. जब कोई नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने स्विमिंग कोच बनने का फैसला किया.
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नहीं मानी हार
माजिदी अब 42 साल के हो गए हैं और खुद का स्विमिंग कोचिंग स्कूल चलाते हैं. जब अभिभावक अपने बच्चे को लेकर इस स्विमिंग स्कूल में पहली बार आते हैं तो कोच को बैसाखी के सहारे खड़ा देखकर चौंक जाते हैं, लेकिन उनका शक तब दूर हो जाता है जब वे पानी के भीतर माजिदी का कौशल देखते हैं.
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कठिन परीक्षा को आशीर्वाद में बदला
माजिदी कहते हैं, "मैंने खुद से कहा कि मुझे इस कठिन परीक्षा को आशीर्वाद में तब्दील करना है. मैंने अपने पैर के कटने को अपने जीवन के लिए एक मकसद बना लिया और मैं समाज का सक्रिय सदस्य बन गया."
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एक बदली हुई जिंदगी
माजिदी ने बुलंद हौसलों के साथ साबित कर दिया कि एक पैर से तैराकी सीखी ही नहीं जा सकती है बल्कि एक अच्छा कोच भी बना जा सकता है. एक अच्छा तैराक बनने के लिए सुबह और रात अभ्यास करने के बाद माजिदी ने गजा में फलीस्तीनी तैराकी अकादमी की स्थापना की.
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संघर्ष के कारण भी अपंग हुए लोग
रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति का कहना है कि गजा में कम से कम 1,600 लोगों के एक या दोनों पैर गायब हैं. अस्सलामा चैरिटेबल सोसायटी के मुताबिक गजा की 20 लाख आबादी में से कम से कम 532 लोग इस्राएल के साथ संघर्ष के कारण अपंग हो चुके हैं. एए/सीके (रॉयटर्स)
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ऑस्ट्रेलिया अपने हसीन समुद्र तटों से दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है. लेकिन हर साल ये समुद्र तट सैकड़ों लोगों की जान ले लेते हैं. नेशनल ड्राउनिंग रिपोर्ट 2023 के मुताबिक 1 जुलाई 2022 से 30 जून 2023 के बीच देश में 281 लोग डूबने से मरे जबकि सैकड़ों अन्य लोगों को मुश्किलों से बचाया जा सका.
‘द रॉयल लाइफ सेविंग' संस्था के मुताबिक इस गर्मी में यानी 1 दिसंबर 2023 से 29 फरवरी 2024 के बीच देश भर में डूबने से 99 लोगों की जान गई. यह पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा है और पांच साल की औसत से 5 फीसदी ज्यादा है.
मरने वालों में 26 फीसदी की मौत सिर्फ क्रिसमस और न्यू ईयर के बीच के हफ्ते में हुई जब ऑस्ट्रेलिया में गर्मी अपने चरम पर होती है. 26 फीसदी लोगों की आयु 55 साल या उससे अधिक थी जबकि 10 फीसदी 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे थे.
विदेशी पर्यटक खासकर खतरे में
इस गर्मी डूबकर मरने वालों में दस फीसदी विदेशी पर्यटक थे. राष्ट्रीयता के आधार पर इन पीड़ितों की कोई संख्या उपलब्ध नहीं है लेकिन हर गर्मी में भारतीय मूल के लोगों के डूबने की इतनी खबरें आती हैं कि समुदाय को डर लगने लगा है. मेलबर्न में रहने वालीं चमनप्रीत कहती हैं कि हर साल इतनी मौतें देखकर बहुत दुख होता है.
वह कहती हैं, "मुझे ऑस्ट्रेलिया में करीब आठ साल हो गए हैं और हर साल भारतीय समुदायों के लोगों के डूबने की इतनी खबरें आती हैं, जो बहुत उदास करती हैं. पूरे के पूरे परिवार बर्बाद हो जाते हैं.”
इंडिया की काली पीली टैक्सी सिडनी में
दिल्ली-मुंबई में चलने वाली एक काली पीली कार सिडनी में भी है. भारत से सिडनी पहुंचने की इस काली पीली कार की यात्रा भी बड़ी मजेदार है.
तस्वीर: Jammie Robinson
दिल्ली की कार सिडनी में
सिडनी में अक्सर सड़कों पर यह काली पीली टैक्सी घूमती दिखती है. अंदर से एकदम खांटी देसी अंदाज में सजी हुई. म्यूजिक भी देसी ही बजता है. बस चलाने वाला एक अंग्रेज है.
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जेमी की कार
इस काली पीली कार के मालिक हैं सिडनी में रहने वाले जेमी रॉबिनसन. उन्होंने अपनी इस प्यारी टैक्सी को नाम दिया है ‘बॉलीवुड कार.’
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भारत से प्यार
जेमी रहने वाले तो ब्रिटेन के हैं लेकिन बस गए हैं ऑस्ट्रेलिया में. पर उन्हें भारत से बहुत लगाव है. इसलिए वह कई बार भारत जा चुके हैं.
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काली पीली कार
इंडिया वाली टैक्सी को जेमी रॉबिनसन ने कारों के टीवी शो में देखा था. तभी उनका इस कार पर मन आ गया और वह इसे सिडनी लाने की जुगत में जुट गए.
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लाना तो संभव नहीं
नियम कानूनों के भारत से पुरानी कार को ऑस्ट्रेलिया लाना लगभग असंभव है. तो जेमी ने पुर्जे मंगाए भारत से और ऐम्बैस्डर की बॉडी खोजी ऑस्ट्रेलिया में. फिर उन्होंने कार को ऑस्ट्रेलिया में असेंबल किया, जिसमें तीन साल गए.
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आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा
अब जेमी की कार सिडनी में खूब चलती है. लोग, खासकर भारतीय इस कार को अपने अलग अलग इवेंट्स के लिए किराये पर लेते हैं. और इसमें घूमना फिरना भी करते हैं, भारत जैसा आनंद लेने के लिए.
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दीवाने हजारों हैं
जेमी बताते हैं कि इस पुरानी कार के बहुत दीवाने हैं. इसलिए लोग उन्हें कई बार राह चलते भी रोक लेते हैं और इस कार के बारे में पूछते हैं. उन्हें इंडिया की कार सिडनी में देखकर अचंभा होता है. यहां जेमी मशहूर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर स्टीव वॉ के साथ हैं.
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जेमी का लगाव
जेमी को भारत से गहरा लगाव है. इस कार में उन्होंने अपनी कई भारत यात्राओं की यादें सहेज कर रखी हैं, जिन्हें वह अपनी सवारियों के साथ भी बांटते हैं.
तस्वीर: Jammie Robinson
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ऑस्ट्रेलिया में तैरना सीखने को जीवन का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग माना जाता है. अधिकारी कहते हैं कि विदेशियों के ऑस्ट्रेलिया डूबने की इतनी घटनाएं इसलिए होती हैं क्योंकि वे तैरने में निपुण नहीं होते और समुद्र व पानी के खतरे को हल्के में लेते हैं.
रॉयल लाइफ सेविंग सोसायटी क्वींसलैंड के निदेशक पॉल बैरी कहते हैं कि जब लोग किसी अपने को बचाने के लिए पानी में कूदते हैं तो वे इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि उन्हें कितना तैरना आता है.
मीडिया से बातचीत में बैरी ने कहा, "हम अक्सर देखते हैं कि जब बच्चे पानी में फंस जाते हैं तो माता या पिता उन्हें बचाने के लिए कूद जाते हैं. कई बार ऐसा होता है कि बच्चा तो बच जाता है लेकिन अभिभावक की जान चली जाती है. अपने बच्चे को बचाना माता-पिता की कुदरती प्रतिक्रिया है.”
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विदेशियों में तैराकी के प्रति जागरूकता
बहुसांस्कृतिक समुदायों की देखरेख के लिए जिम्मेदार न्यू साउथ वेल्स सरकार की संस्था मल्टीकल्चरल एनएसडब्ल्यू के प्रमुख जोसेफ ला पोस्ता कहते हैं कि ये समुदाय ज्यादा खतरे में हैं क्योंकि विदेशों में जन्मे 3 से 5 फीसदी लोग तैरना बिल्कुल नहीं जानते या बहुत कम जानते हैं.
ऑस्ट्रेलिया की सरकार भी इस बात को समझ रही है कि ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले विदेशी मूल के लोगों में तैरने को लेकर उतनी जागरूकता नहीं है, जितनी अन्य समुदायों में है. इसलिए ऐसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं कि इन समुदायों की खासतौर पर मदद की जा सके.
नागरिकता छोड़ कहां बस रहे हैं भारतीय
भारत सरकार के मुताबिक जून 2023 तक कम से कम 87,026 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है. भारतीय नागरिकता छोड़ लोग अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपना नया ठिकाना बना रहे हैं.
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भारत छोड़ विदेशों में बसते भारतीय
भारतीय विदेश मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया है कि जून 2023 तक 87,026 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी.
तस्वीर: Francis Mascarenhas/REUTERS
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी जाते भारतीय
नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय 135 देशों में जा बसे, जिनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और पाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं.
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17 लाख से अधिक भारतीय छोड़ चुके नागरिकता
2011 के बाद से 17 लाख से अधिक लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. भारत दोहरी नागरिकता की इजाजत नहीं देता, इसलिए जो दूसरे देश की नागरिकता लेते हैं उन्हें भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है.
तस्वीर: Fotolia/Arvind Balaraman
2022 में सबसे ज्यादा भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
विदेश मंत्री ने संसद को बताया कि 2022 में 2,25,620 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी जबकि 2021 में उनकी संख्या 1,63,370 और 2020 में 85,256 थी.
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अमेरिका अब भी लोकप्रिय देश
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक संख्या के आधार पर भारतीयों ने अमेरिकी सपने का पीछा करना जारी रखा है और उनमें से 78 हजार से ज्यादा भारतीयों ने वहां की नागरिकता ली.
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ऑस्ट्रेलिया भी पसंद
अमेरिका के बाद दूसरी पसंद पर ऑस्ट्रेलिया है. विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में 23,533 भारतीयों ने ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता ली, इसके बाद कनाडा (21,597), और यूके (14,637) है.
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यूरोपीय देश भी पसंदीदा ठिकाना
हाल के सालों में इटली, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड्स, स्वीडन, स्पेन और सिंगापुर जैसे देश पसंदीदा ठिकाना बनकर सामने आए हैं. भारतीय नागरिकता छोड़ लोग यहां जाकर बसना पसंद कर रहे हैं.
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भारत के लिए एसेट
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में दिए बयान में कहा कि सरकार मानती है कि देश के बाहर रह रहे लोग देश के लिए बहुत मायने रखते हैं. उनका कहना है कि विदेश में रहने वाले भारतीयों की कामयाबी और प्रभाव से देश को लाभ पहुंचता है.
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क्यों छोड़ रहे हैं नागरिकता
विदेश मंत्री ने बताया कि पिछले दो दशकों में बड़ी संख्या में भारतीय ग्लोबल वर्कप्लेस की तलाश करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि इनमें से कई लोगों ने अपनी सुविधा के लिए दूसरे देशों की नागरिकता ली.
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करोड़पति छोड़ रहे भारत
ब्रिटिश कंपनी हेनली एंड पार्टर्नस की सालाना हेनली प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2023 के मुताबिक इस साल भारत के 6,500 करोड़पति देश छोड़कर चले जाएंगे. पिछले साल के मुकाबले यह संख्या कम है. 2022 में 7,500 करोड़पतियों ने भारत छोड़ा था.
तस्वीर: Getty Images/S. Flores
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उदाहरण के लिए सिडनी के पश्चिम में बहुसांस्कृतिक कस्बे लिवरपूल की काउंसिल ने ‘प्रोजेक्ट हार्मनी' नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया है जिसमें एक हजार स्थानीय बच्चों को मुफ्त तैरना सिखाया जाएगा.
रॉयल लाइफ सेविंग एनएसडब्ल्यू के सीईओ माइकल लिंस्की कहते हैं कि जिन इलाकों में डूबने की घटनाओं का औसत ज्यादा है, वहां इस तरह के कार्यक्रमों की खास जरूरत है. न्यू साउथ वेल्स में विधायक भारतीय मूल की करिश्मा कालियांदा कहती हैं कि अगर धन की कमी के कारण बच्चों को तैरना नहीं सिखाया जा रहा है, तो यह चिंता की बात है और इस समस्या का हल निकालना जरूरी है, इसलिए लिवरपूल काउंसिल जैसे कार्यक्रम बहुत अहम हो जाते हैं.