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ब्रिटेन के लोग अपना प्रधानमंत्री क्यों नहीं चुनते हैं?

२४ अक्टूबर २०२२

ब्रिटेन को 70 साल बाद नया राजा मिला है, लेकिन पंद्रह सालों में 5 प्रधानमंत्री बदल चुके हैं और अब देश को छठा प्रधानमंत्री मिला है. लोकतंत्र के प्रबल पैरोकार ब्रिटेन के लोग अपना प्रधानमंत्री क्यों नहीं चुनते हैं?

बोरिज जॉनसन चुनाव से पहले प्रधानमंत्री बन गये
बोरिस जॉनसन चुनाव से पहले पांच महीने प्रधानमंत्री रह चुके थेतस्वीर: Frank Augstein/AP Photo/picture alliance

ब्रिटेन में बिना चुनाव ही जिस तरह प्रधानमंत्री बदल रहे हैं, उससे यहां के सरकारी तंत्र पर नजर रखने वाले भी सिर खुजाने को मजबूर हो गए हैं. जहां विपक्षी लेबर पार्टी चुनाव कराने की मांग कर रही है, वहीं सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी अपने नेताओं में एक और प्रधानमंत्री की तलाश कर ली है.  कंजर्वेटिव पार्टी के पास यह फैसला लेने का अधिकार है, क्योंकि ब्रिटेन का संसदीय लोकतंत्र इसी तरह काम करता है.

ब्रिटेन के लोग नहीं चुनते प्रधानमंत्री

650 संसदीय क्षेत्रों में बंटे ब्रिटेन के लोग चुनाव के समय उस व्यक्ति के नाम के आगे सही का निशान लगाते हैं, जिसे वे अपने स्थानीय क्षेत्र से संसद भेजना चाहते हैं. ज्यादातर मामलों में यह व्यक्ति देश की किसी प्रमुख पार्टी का सदस्य होता है.

चुनाव में बहुमत के लिए जरूरी सीटें हासिल करने वाली पार्टी सरकार बनाती है और उस पार्टी का नेता खुद-ब-खुद प्रधानमंत्री बन जाता है. ब्रिटेन में गठबंधन की सरकार भी संभव है, लेकिन यहां का वोटिंग सिस्टम अमूमन दो बड़ी पार्टियों को पसंद करता है. ऐसे में ज्यादतर मौकों पर किसी एक पार्टी को सीटों के लिहाज से बहुमत हासिल हो जाता है. इस बार कंजर्वेटिव पार्टी के साथ यही हुआ और सरकार बनाने का मौका उसके पास है.

लिज ट्रस को छह हफ्ते में ही इस्तीफा देना पड़ातस्वीर: Frank Augstein/AP/picture alliance

पार्टियां कैसे चुनती हैं अपना नेता?

1922 के बाद से अब तक ब्रिटेन के सभी 20 प्रधानमंत्री या तो लेबर पार्टी से रहे हैं या फिर कंजर्वेटिव पार्टी से. इसका मतलब है कि देश का प्रधानमंत्री कौन होगा, इस पर इन पार्टियों के सदस्यों का काफी ज्यादा प्रभाव रहा है. प्रधानमंत्री का नाम तय करने के लिए पार्टियों में आंतरिक प्रक्रिया है.

कंजर्वेटिव पार्टी के लिए उनके सांसद अपने समर्थन का पहले संकेत देते हैं. अगर पर्याप्त समर्थन हो, तो वह व्यक्ति आधिकारिक उम्मीदवार बन जायेगा.

इसके बाद कंजर्वेटिव पार्टी के सभी सांसद कई चरणों में वोट डालते हैं और इसके जरिये उम्मीदवारों की संख्या छांटते हुए आखिरी में दो पर लाई जाती है. अंत में पार्टी के सामान्य सदस्य इन दो सदस्यों में से किसी एक का चुनाव करते हैं. कंजर्वेटिव पार्टी में सदस्यों की संख्या 1,80,000 है. पिछली बार ऐसे चुनाव में उन्होंने ऋषि सुनक के बजाय लिज ट्रस को चुना था.

अगर सभी सांसद किसी एक उम्मीदवार को समर्थन दे दें, तो फिर पार्टी सदस्यों से वोटिंग कराने की जरूरत नहीं पड़ती. आखिरी बार यह 2016 में हुआ था, जब डेविड कैमरन के इस्तीफे के बाद थेरेसा मे प्रधानमंत्री बनी थीं. इस बार भी यह हो सकता है.

ब्रिटेन के भावी प्रधानमंत्री को कंजर्वेटिव पार्टी के सांसदों ने इस पद के लिए चुना हैतस्वीर: Stefan Rousseau/empics/picture alliance

क्या 2019 में ब्रिटेन ने बोरिस जॉनसन को नहीं चुना था?

कंजर्वेटिव पार्टी ने बोरिस जॉनसन को थेरेसा मे के इस्तीफे के बाद चुना था. दिसंबर 2019 में चुनाव होने के पहले ही वह पांच महीने के लिए प्रधानमंत्री रह चुके थे. हालांकि, वोटरों ने कंजर्वेटिव पार्टी को समर्थन देकर प्रधानमंत्री के रूप में उनकी स्थिति मजबूत कर दी.

वैसे उस चुनाव में भी महज 70,000 लोग ही थे, जिन्होंने सीधे जॉनसन के लिए वोट किया था. ये वे लोग हैं, जो उनके संसदीय क्षेत्र पश्चिमी लंदन के रुयिस्लिप और उक्सब्रिज में रहते हैं. इसके बाद से एक और प्रधानमंत्री यानी लिज ट्रस आकर जा चुकी हैं. अब अगले हफ्ते तक एक नए प्रधानमंत्री का नाम सामने होगा. यह सब देश की जनता से उनकी राय पूछे बगैर होगा.

क्या ब्रिटेन में जल्द चुनाव हो सकते हैं?

संवैधानिक रूप से ब्रिटेन में अगले दो साल किसी आम चुनाव की जरूरत नहीं है. हालांकि, जिस तरह आबादी के एक बहुत छोटे से हिस्से के चुनाव पर प्रधानमंत्री आ और जा रहे हैं, ऐसे में बहुत से ब्रिटिश लोगों के मन में सवाल है कि उन्हें अपना अगला नेता चुनने का मौका क्यों नहीं मिल रहा है. निकट भविष्य में आम चुनाव की मांग के बढ़ते जाने के आसार नजर आ रहे हैं.

एनआर/वीएस (एपी)

 

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