सोमवार को जापान और फिलीपींस के बीच एक अहम रक्षा समझौता हुआ जिसके तहत दोनों देश एक-दूसरे के यहां सैनिक तैनात कर सकेंगे.
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दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के फिलीपींस पर आक्रमण और कब्जे के 70 साल से अधिक समय बाद, दोनों देशों ने सोमवार को एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो उन्हें एक-दूसरे की भूमि पर सैनिकों को तैनात करने की अनुमति देता है.
इस समझौते पर मनीला में उच्च-स्तरीय रक्षा वार्ता के दौरान हस्ताक्षर हुए. दोनों देशों के बीच यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब चीन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य और कूटनीतिक दबाव बढ़ा रहा है और फिलीपींस के उसके साथ संबंधों में लगातार तनाव बढ़ रहा है.
क्या है नया समझौता?
रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट (आरएए) नामक यह समझौता जापानी सैनिकों और उपकरणों की फिलीपींस में तैनाती के लिए कानूनी इजाजत देता है. इसी तरह फिलीपींस के सैनिक और साज ओ सामान भी जापान में तैनात किए जा सकेंगे. सात महीने से अधिक समय तक बातचीत करने के बाद यह समझौता हुआ है और दोनों देशों की संसदों की मंजूरी के बाद लागू होगा.
2023 में बढ़ गए तैनात परमाणु हथियार
स्वीडन के थिंक टैंक सिप्री (SIPRI) के मुताबिक परमाणु शक्ति संपन्न देशों की नीतियों में परमाणु हथियारों की भूमिका शीत युद्ध के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है.
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परमाणु हथियारों की भूमिका
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट ने कहा है कि परमाणु शक्ति संपन्न नौ देशों की कूटनीति में परमाणु हथियारों की भूमिका तेजी से बढ़ रही है.
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हर सेकंड 2,898 डॉलर का खर्च
इंटरनेशनल कैंपेन टु अबॉलिश न्यूक्लियर वेपंस (ICAN) के मुताबिक बीते साल इन नौ देशों ने परमाणु हथियारों पर कुल मिलाकर 91.4 अरब डॉलर खर्च किए. यानी प्रति सेकेंड 2,898 डॉलर खर्च किए गए.
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10.7 अरब डॉलर की वृद्धि
2022 के मुकाबले 2023 में परमाणु हथियारों पर 10.7 अरब डॉलर ज्यादा खर्च किए गए. इसका सबसे ज्यादा 80 फीसदी अमेरिका ने खर्च किया.
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अमेरिका सबसे ऊपर
अमेरिका ने एक साल में परमाणु हथियारों पर 51.5 अरब डॉलर खर्च किए जो बाकी आठ देशों के कुल खर्च से भी ज्यादा है.
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चीन दूसरे नंबर पर
परमाणु हथियारों पर खर्च के मामले में चीन दूसरे नंबर पर रहा. 2023 में उसने 11.8 अरब डॉलर खर्च किए. 8.3 अरब डॉलर खर्च के साथ रूस तीसरे नंबर पर रहा.
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2,100 परमाणु हथियार हमले के लिए तैयार
सिप्री का अनुमान है कि इस वक्त 2,100 परमाणु हथियार हमले के लिए पूरी तरह तैयार स्थिति में रखे गए हैं. इनमें से अधिकतर अमेरिका और रूस के हैं. हालांकि चीन ने भी कुछ हथियार तैनात कर दिए हैं जो कि पहली बार है.
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12,121 परमाणु हथियार
सिप्री के मुताबिक दुनिया में कुल 12,121 न्यूक्लियर वॉरहेड हैं जिनमें से 9,585 सेनाओं के पास हैं और इस्तेमाल किए जा सकते हैं. 3,904 वॉरहेड मिसाइलों और विमानों के साथ तैनात किए गए हैं. यह संख्या जनवरी 2023 के मुकाबले 60 ज्यादा है.
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यह समझौता लड़ाकू प्रशिक्षण और आपदा प्रतिक्रिया में बढ़ते सहयोग का रास्ता खोलता है. सिंगापुर स्थित आईएसईएएस-यूसुफ इशाक संस्थान के वरिष्ठ फेलो एरीज अरुगाय ने बताया कि इसमें लाइव-फायर अभ्यास और संयुक्त रूप से सैन्य गश्त भी शामिल हैं.
आरएए के तहत, दोनों देश एक दूसरे से संयुक्त गतिविधियों के लिए सुविधाओं और क्षेत्रों तक "पहुंच और उपयोग" का अनुरोध कर सकते हैं. हालांकि कुल मिलाकर नियंत्रण मेजबान देश का होगा. समझौते के अनुसार, दोनों को किसी अन्य देश की भूमि पर "सैन्य सुविधाओं की स्थापना" का आधार नहीं होगा.
एशिया में अमेरिकी गठजोड़
जापान में 54,000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. उसने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ ऐसे ही रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट किए हैं, लेकिन एशिया में यह उसका पहला समझौता है. इसी तरह फिलीपींस के भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ इस तरह के समझौते हैं और फ्रांस के साथ भी ऐसा समझौता करने की योजना है.
इसके अलावा मनीला का वॉशिंगटन के साथ एक अलग समझौता है जो अमेरिकी सैनिकों को फिलीपींस के नौ सैन्य ठिकानों पर तैनाती और रक्षा उपकरण और आपूर्ति जमा करके रखने की अनुमति देता है.
फिलीपींस और जापान लंबे समय से अमेरिका के सहयोगी हैं. अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में इन देशों के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके. यह बात चीन को नापसंद है और वह अक्सर अमेरिकी गतिविधियों की आलोचना करता रहा है.
सोमवार को जापान में अमेरिकी राजदूत रैम इमैनुएल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि जापान-फिलीपींस समझौता "इंडो-पैसिफिक सुरक्षा साझेदारी के नेटवर्क में एक और परत" है.
भारत और चीन की सैन्यशक्ति की तुलना
पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी भारत और चीन की सैन्य ताकत को आंकड़ों के आधार पर समझा जा सकता है. यूं तो भारत चीन से सिर्फ एक कदम पीछे, दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है लेकिन शक्ति में अंतर बड़ा है.
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भारत और चीन की तुलना
थिंकटैंक ग्लोबल फायर पावर ने चीन को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति माना है और भारत को चौथी. यह तुलना 46 मानकों पर परखने के बाद की गई है, जिनमें से 38 में चीन भारत से आगे है.
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सैनिकों की संख्या
चीन के पास 20 लाख से ज्यादा बड़ी सेना है जबकि भारत की सेना में 14 लाख 50 हजार जवान हैं. यानी चीन की सेना साढ़े पांच लाख ज्यादा जवानों के साथ मजबूत है.
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अर्धसैनिक बल
भारत में 25 लाख 27 हजार अर्धसैनिक बल हैं जबकि चीन में मात्र छह लाख 24 हजार. यानी भारत 19 लाख तीन हजार अर्धसैनिक बलों के साथ हावी है.
तस्वीर: Sourabh Sharma
रक्षा बजट
भारत रक्षा मद में 70 अरब डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये खर्चता है. इसके मुकाबले चीन का बजट तीन गुना से भी ज्यादा यानी लगभग 230 अरब डॉलर है.
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लड़ाकू विमान
चीन के पास 1,200 लड़ाकू विमान हैं जबकि भारत के पास 564. चीन के पास कुल विमान भी ज्यादा हैं. भारत के पास कुल 2,182 विमान हैं जबकि चीन के पास 3,285.
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टैंक
भारत के पास 4,614 टैंक हैं जो चीन के 5,250 टैंकों से कम हैं. बख्तरबादं गाड़ियां भी चीन के पास ज्यादा हैं. उसके पास 35,000 बख्तरबंद गाड़ियां हैं जबकि भारत के पास 12,000.
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विमानवाहक युद्धक पोत
भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक पोत है जबकि चीन के पास दो. भारत के पास 10 डिस्ट्रॉयर जहाज हैं और चीन के पास 41.
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पनडुब्बियां
भारत के पास 17 पनडुब्बियां हैं और चीन के पास 79.
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उन्होंने लिखा, "ऐतिहासिक रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट... न केवल उनके सहयोग और क्षमताओं को बढ़ाता है, बल्कि हमारे सामूहिक रूप से (दूसरों को) सीमित करने और एक स्वतंत्र व खुले इंडो-पैसिफिक के प्रति प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है."
जापान अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ क्वॉड समूह का हिस्सा है, जबकि आकुस सुरक्षा समझौते के सदस्य - ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – सैन्य तकनीकी पर टोक्यो के साथ सहयोग करने पर विचार कर रहे हैं.
लंबे समय से शांतिवादी जापान, अमेरिका के समर्थन से चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और उत्तर कोरिया की मिसाइल गतिविधियों के जवाब में अधिक आक्रामक हो रहा है. उसने 2027 तक रक्षा खर्च को आर्थिक उत्पादन के दो प्रतिशत तक दोगुना करने और अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों के साथ जवाबी हमले की क्षमताएं हासिल करने का संकल्प लिया है.
वॉशिंगटन और टोक्यो ने अप्रैल में रक्षा संबंधों में बड़े बदलाव की घोषणा की थी. इसमें संकट के वक्त उन्हें अधिक चुस्त बनाने के लिए अपने सैन्य ढांचे को विकसित करना शामिल है.
फिलीपींस के समुद्री मामलों और कानून संस्थान के निदेशक जे बैटोंगबैकल कहते हैं कि इस क्षेत्र के प्रति अमेरिकी नीति में अनिश्चितता देखने को मिलती है, इसलिए जापान अपने पड़ोसियों के लिए एक मजबूत सुरक्षा भागीदार बनने के लिए "स्तर बढ़ा रहा है."
ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर इयान हॉल कहते हैं कि जबकि चीन मनीला और टोक्यो के बीच समझौते से नाराज होगा, अमेरिका इससे खुश होगा.
उन्होंने कहा, "ट्रंप और अब बाइडेन दोनों के तहत, अमेरिका अपने क्षेत्रीय सहयोगियों को सहयोग करने और क्षेत्रीय सुरक्षा बनाए रखने के बोझ को अधिक उठाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. यह नया आरएए उस प्रक्रिया में मददगार है."
बड़ा सप्लायर बना जापान
जापान फिलीपींस को सुरक्षा उपकरणों और तकनीक का मुख्य सप्लायर है. वह खुद भी अपनी सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण और अपने तट रक्षक को मजबूत करने की प्रक्रिया में है. 2016 से जापान ने फिलीपींस तट रक्षक सेना को दस 44-मीटर (144-फुट) और दो 97-मीटर के ऐसे जहाजों की सप्लाई की है जो विभिन्न गतिविधियों में सक्षम हैं. इसके अलावा उसने पांच और 97-मीटर के आकार वाले जहाज देने पर भी सहमति दी है.
सबसे शक्तिशाली देश
सक्रिय सैन्य शक्ति के विभिन्न मानकों जैसे सैनिकों की संख्या, कुदरती संसाधन, एयरपोर्ट और बजट आदि पर परखने के बाद थिंक टैंक 'ग्लोबल फायर पावर' ने सबसे शक्तिशाली देशों की सूची बनाई है. टॉप 10 देश हैं...
तस्वीर: Eraldo Peres/AP/picture alliance
सबसे शक्तिशाली है अमेरिका
अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है. उसका रक्षा बजट 801 अरब डॉलर का है. उसके पास करीब 14 लाख से ज्यादा सैनिक हैं, जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सेना है.
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रूस
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत रूस के पास 10 लाख से ज्यादा सैनिकों की जमात है. उसके पास हथियारों का विशाल जखीरा है.
तस्वीर: Sefa Karacan/AA/picture alliance
चीन
चीन को सैन्य शक्ति के रूप में तीसरे नंबर पर रखा गया है. उसकी सेना दुनिया में सबसे बड़ी है. चीन के पास लगभग 22 लाख सक्रिय सैनिक हैं.
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भारत
कुल सैन्य शक्ति में भारत चीन से थोड़ा ही पीछे माना गया है. चौथे नंबर की शक्ति भारत के पास परमाणु हथियारों का भी फायदा है.
जापान के पास सैनिकों की संख्या भले ही ज्यादा ना हो लेकिन वह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, अपनी तकनीक और हथियारों के बल पर. उसके पास एक हजार के करीब तो लड़ाकू विमान हैं. 2021 में उसका रक्षा बजट दुनिया में छठा सबसे बड़ा था.
तस्वीर: The Yomiuri Shimbun/AP/picture alliance
दक्षिण कोरिया
उत्तर कोरिया से युद्ध का खतरा झेलना वाला दक्षिण कोरिया भी बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में तैयार है. उसके पास करीब छह लाख सक्रिय जवान हैं, जो दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी सेना बनाते हैं.
तस्वीर: Kim Jae-Hwan/AFP
फ्रांस
फ्रांस हथियारों के निर्माण में सबसे बड़े देशों में से एक फ्रांस के आधुनिक हथियार उसे सातवीं सबसे बड़ी शक्ति बनाते हैं.
तस्वीर: abaca/picture alliance
ब्रिटेन
रक्षा बजट के मामले में टॉप 5 देशों में शामिल ब्रिटेन की सेना दुनिया की सबसे पुरानी सेनाओं में से एक है. हालांकि उसके पास सक्रिय जवानों की बहुत बड़ी संख्या नहीं है लेकिन परमाणु और अन्य आधुनिक हथियार उसे ताकत देते हैं.
तस्वीर: Andrew Matthews/PA Images/imago images
पाकिस्तान
भारत का पड़ोसी और प्रतिद्वन्द्वी पाकिस्तान नौवें नंबर पर है. उसके पास भी परमाणु हथियार हैं जो उसे शक्तिशाली देशों में शामिल करते हैं.
तस्वीर: Anjum Naveed/AP/picture alliance
ब्राजील
ब्राजील दुनिया का दसवां सबसे ताकतवर देश माना गया है. उसके पास चार लाख से कम सक्रिय सैनिक हैं और विदेशों से खरीदे व घरेलू स्तर पर बनाए गए उसके ताकतवर हथियार उसकी ताकत हैं.
तस्वीर: Eraldo Peres/AP/picture alliance
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जापान ने फिलीपींस की सेना को पांच टीसी-90 प्रशिक्षक विमान और यूएच-1एच हेलीकॉप्टरों के लिए पुर्जे भी दिए हैं. इस वर्ष फिलीपींस में एक जापानी निर्मित मोबाइल एयर सर्विलांस रडार प्रणाली पहुंची और टोक्यो ने तटीय रडार प्रणाली देने का वादा किया.
टोक्यो के मनीला में राजदूत काज़ुया एंडो ने गुरुवार को कहा कि "फिलीपींस को जापान की रक्षा उपकरण आपूर्ति में” और बढ़ोतरी होने वाली है.