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२४ मई २०१९_______________
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जेपैग, गिफ या पीएनजी फोटो में अंतर ऐसे समझिए
जेपैग, गिफ या पीएनजी फोटो में अंतर ऐसे समझिए
कभी न कभी कंप्यूटर पर इमेज का इस्तेमाल करते वक्त आपको कहा गया होगा कि कोई फोटो जेपैग फॉर्मेट की है तो कोई पीएनजी या डीएनजी है. लेकिन असल अंतर इन फॉर्मेट्स के नामों में नहीं बल्कि इनके फीचर में है.
जीआईएफ (ग्राफिक्स इंटरचेंज फॉर्मेट) या गिफ
वे तस्वीरें जिनमें कोई मूवमेंट नजर आए इस कैटेगिरी में आती हैं. लेकिन ये वीडियो नहीं होते. इस फॉर्मेट का अधिकतर इस्तेमाल ग्राफिक्स और एनिमेटिड विजुअल्स के साथ किया जाता है. डिजाइनर्स और ग्राफिक ऑर्टिस्ट इस फॉर्मेट का इस्तेमाल किसी खास आर्टवर्क, लोगो बनाने या बैनर बनाने के लिए करते हैं. बड़ी फाइलों का डाटा कंप्रेस कर उन्हें जिफ फाइलों में बदला जा सकता है. यह इंटरनेट पर बहुत जल्दी अपलोड हो जाती है.
आरएडब्ल्यू या रॉ फाइल
आरएडब्ल्यू फाइल और रॉ फाइल सीधे कैमरे के सेंसर पर आती है और कंप्रेस नहीं होती. रॉ इमेज हाई क्वालिटी इमेज मानी जाती है. इसमें रंगों का उभार और मिश्रण अधिक नजर आता है. अगर फाइल में कोई बदलाव भी किए जाते हैं तो असल फाइल को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. क्योंकि कोई भी बदलाव इसके मेटाडाटा में ही परिवर्तन करता है और मूल फाइल के डाटा पर असर नहीं होता. लेकिन इन इमेजों का फाइल साइज बहुत बड़ा होता है.
डीएनजी (डिजिटल निगेटिव)
यह भी रॉ फाइल के जैसा फॉरमेट होता है. लेकिन रॉ से अलग डीएनजी में इमेज डाटा को स्टोर करने का तरीका बेहद ही आसान है. रॉ फाइल को डीएनजी में तब्दील करने का सुझाव अकसर दिया जाता है. इस बदलाव से साइज कम हो जाता है साथ ही उन फाइल्स को डाउनलोड करना, अपलोड करना, ईमेल से भेजना भी आसान होता है. डीएनजी फाइल्स, रॉ फाइल्स की तुलना में 15 से 20 फीसदी तक छोटे साइज की होती हैं.
टीआईएफएफ या टिफ्फ (टेग्ड इमेज फाइल फॉर्मेट)
टिफ्फ फाइल फॉर्मेट ग्राफिक आर्टिस्ट, फोटोग्राफर्स और प्रकाशकों के बीच काफी पसंद किया जाता है. साथ ही प्रिंटर भी इसे पसंद करता है क्योंकि जब इमेज प्रिंट होती है तो उसकी क्वालिटी में कमी नहीं आती. इस फाइल फॉर्मेट को कई फोटो एडटिंग एप्लीकेशन सपोर्ट करती हैं. मसलन फोटोशॉप, लाइटरूस, फोटोमैटिक्स, गूगल निक आदि. लेकिन रॉ फाइल की तरह इसका साइज बहुत बड़ा होता है.
पीएनजी (पोर्टेबल नेटवर्क ग्राफिक्स)
पीएनजी को जिफ फाइल से बेहतर माना जाता है. यह एडवांस फॉर्मेट फोटोग्राफर और ग्राफिक डिजाइनर सबसे अधिक इस्तेमाल करते हैं. इसमें डाटा का कोई नुकसान नहीं होता. मतलब जब सेव करने के बाद दोबारा इमेज खोली जाती हैं तो बहुत सारी जानकारी उसमें जस की तस बनी रहती है. इन फाइल्स को बेव पर आसानी से साझा किया जा सकता है. इनका डाटा कंप्रेस किया जा सकता है लेकिन इसके बाद भी साइज जेपीइजी से बड़ा होता है.
जेपैग (ज्वाइंट फोटोग्राफिक एक्सपर्ट्स ग्रुप)
आजकल अधिकतर डिजिटल कैमरों में डिफॉल्ट फॉर्मेट के तौर पर आने वाला जेपीईजी या जेपैग बहुत ही आम फाइल टाइप है. इसे ऑनलाइन और हार्ड प्रिंट के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस फॉर्मेट में फाइल के साइज को कंप्रेस किया जा सकता है लेकिन इसमें किए गए बदलाव ऐसे होते हैं जो आपको आसानी से पकड़ में नहीं आते. लेकिन जेपैग में किसी फाइल को बार-बार सेव करते हैं तो एडीटेड इमेज मूल इमेज से भी खराब हो सकती है.