चीन की कई बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों के ऊपर जो कर्ज का बोझ है वह देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ने के लिए काफी है. इसके बावजूद, बैंकिंग सेक्टर सहित दूसरे क्षेत्रों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ सकता है.
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चीन की आबादी करीब 1.4 अरब की है. इस देश ने पिछले एक दशक में अपनी अर्थव्यवस्था को दोगुना कर लिया है. यहां के बारे में आप जो भी कहानी सुनते या सुनाते हैं उनमें हमेशा बड़ी संख्याएं शामिल होती हैं. कभी-कभी ये संख्या काफी डरावनी भी लगती हैं. उदाहरण के लिए, सितंबर महीने में काफी ज्यादा हड़कंप मच गया था. खबर सामने आयी थी कि देश के बड़े रियल एस्टेट डेवलपर्स में से एक एवरग्रांदे समूह काफी ज्यादा कर्ज में डूब गया है.
इस समूह के ऊपर करीब 305 अरब डॉलर का कर्ज हो चुका है. साथ ही, अनुमान लगाया गया कि शायद यह समूह कर्ज न चुका पाए. हालांकि, यह आंकड़ा पानी में बहती हुई बर्फ का सिरा मात्र था. हकीकत में यह आंकड़ा काफी ज्यादा था. वित्तिय समूह नोमुरा ने अनुमान लगाया है कि एवरग्रांदे कंपनी का कुल कर्ज 50 खरब डॉलर से ज्यादा का है. क्या यह आपके लिए एक बड़ी और डरावनी संख्या है? क्या आपको इस संख्या से डरने की जरूरत है?
खाली इमारतों ने लुढ़काए प्रॉपर्टी के दाम
कई देशों में रियल एस्टेट बाजार की हालत खस्ता होने लगी है. एशिया से लेकर यूरोप और अमेरिका में प्रॉपर्टी के दाम लुढ़कते जा रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/imaginechina/D. Dong
चीन
चीन के कई शहरों में प्रॉपर्टी के दाम बहुत ज्यादा गिर चुके हैं. कई शहरों में ऊंची ऊंची इमारतें एकदम खाली पड़ी हैं. समीक्षकों के मुताबिक प्रॉपर्टी की कीमत लोगों की क्षमता से कहीं ज्यादा है. ठंडी पड़ी खरीदारी ने प्रॉपर्टी के दाम भी गिरा दिए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/imaginechina/D. Dong
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के हाउसिंग मार्केट में 2004 के बाद पहली बार गिरावट देखी जा रही है. एक साल के भीतर दाम 10 फीसदी गिर चुके हैं
तस्वीर: Imago/ZUMA Press/A. Drapkin
बैंकॉक, थाईलैंड
बीते पांच साल में चीनी निवेशकों ने बैंकॉक में खूब पैसा लगाया. इसकी वजह से वहां प्रॉपर्टी के दाम हर साल 5 से 10 फीसदी बढ़ते गए. लेकिन अब थाईलैंड की राजधानी में 40,000 अपार्टमेंट खाली हैं. इस साल 53,000 नए अपार्टमेंट लॉन्च होने वाले हैं, लेकिन खरीदार नहीं दिखाई पड़ रहे हैं.
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लंदन, यूके
ब्रेक्जिट के चलते यूरोप की आर्थिक राजधानी लंदन की हालत खस्ता होने लगी है. 2018 में लगातार दूसरे साल लंदन में प्रॉपर्टी के दाम गिरे. शहर में सैकड़ों नए अपार्टमेंट खाली पड़े हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Arcaid/R. Bryant
वेंकूवर, कनाडा
कनाडा में रियल स्टेट मार्केट ने बीते 15 साल में 337 फीसदी का उछाल देखा. लेकिन अब यह उछाल गोता लगा रहा है और इसकी सबसे करारी चोट वेंकूवर पर पड़ी है. बिक्री 30 फीसदी गिर चुकी है और दाम 10 फीसदी नीचे आ गए हैं.
तस्वीर: imago/All Canada Photos
इस्तांबुल, तुर्की
तुर्की की मुद्रा लीरा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 40 फीसदी गिर चुकी है. कर्ज पर ब्याज दर 24 फीसदी हो चुकी है. इसका असर सीधा रियल एस्टेट मार्केट पर पड़ा है. कर्ज लेकर मकानों की खरीद में 80 फीसदी गिरावट आई है. मांग से ज्यादा अपार्टमेंट्स के चलते समस्या और बुरी हो चुकी है.
तस्वीर: Reuters
हांग कांग, चीन
हांग कांग में प्रॉपर्टी के दाम बीते एक साल में सात फीसदी गिर चुके हैं. 2019 में इसमें और 15 फीसदी गिरावट आने का अनुमान है. (रिपोर्ट: निक मार्टिन/ओएसजे)
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ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार, इससे भी बुरी बात यह है कि रियल एस्टेट की 30 बड़ी कंपनियों में से 20 ने रियल एस्टेट की अटकलों पर लगाम लगाने के लिए चीन की सरकार द्वारा निर्धारित कर्ज से जुड़े तीन रेडलाइन में से कम से कम एक का उल्लंघन किया है. इसका साफ मतलब है कि इन कंपनियों की स्थिति सही नहीं है. इनमें बिक्री के हिसाब से सबसे बड़ी कंपनी कंट्री गार्डन और चाइना रेलवे कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (सीआरसीसी) शामिल हैं. सीआरसीसी ने रियल एस्टेट के साथ-साथ देश के कई हाई-स्पीड रेल नेटवर्क और सबवे सिस्टम का निर्माण किया है. सीआरसीसी और एवरग्रांदे ने कर्ज से जुड़े तीनों रेडलाइन का उल्लंघन किया है.
नए घरों की बिक्री में एक-तिहाई की कमी
रियल एस्टेट, आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाता है. चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में रियल एस्टेट का 29 प्रतिशत योगदान है. ऐसी स्थिति में अगर इस क्षेत्र में किसी तरह की उथल-पुथल होती है, तो इसका सीधा असर चीन की पूरी अर्थव्यवस्था पर हो सकता है. एवरग्रांदे का घोटाला सामने आने के बाद से इस क्षेत्र के निवेशक काफी परेशान हो गए हैं. इस वजह से पिछले महीने नए घरों की बिक्री में 32% की गिरावट आयी है. इन सब के बावजूद, चीनी रियल एस्टेट बाजार के संचालन के तरीके की वजह से किसी भी संभावित खतरे के प्रभाव को कम किया जा सकता है.
ब्रिटेन के मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में चीन के अर्थशास्त्र के वरिष्ठ व्याख्याता शियाओबिंग वांग ने डीडब्ल्यू को बताया, "अमेरिका में 2008 में रियल एस्टेट के क्षेत्र में गंभीर संकट पैदा हुई थी. इस तरह की संकट चीन में पैदा न हो, इसके लिए चीनी सरकार ने कर्ज को लेकर रेडलाइन बनाने का फैसला किया था." वांग का अनुमान है कि इस घटना से काफी ज्यादा लोगों की आजीविका पर संकट आ सकता है. कइयों की नौकरियां जा सकती हैं. हालांकि, पूरी अर्थव्यवस्था पर इसका असर सीमित होगा.
सबसे ज्यादा पेटेंट किसने मांगे
वर्ल्ड इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के मुताबिक 2015 में चीन ने पेटेंट्स के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा अर्जियां भेजीं. भारत भी है टॉप 10 में. देखिए, पूरी लिस्ट.
तस्वीर: EPO
ब्राजील, 30 हजार
तस्वीर: Reuters
कनाडा, 37 हजार
तस्वीर: Reuters/Paul Darrow
रूस, 45 हजार
तस्वीर: Reuters/M. Shipenkov
भारत, 46 हजार
तस्वीर: Reuters
जर्मनी, 67 हजार
तस्वीर: imago/United Archives
यूरोपीय संघ, एक लाख 60 हजार
तस्वीर: Rob Cameron
दक्षिण कोरिया, 2 लाख 14 हजार
तस्वीर: AP
जापान, 3 लाख 19 हजार
तस्वीर: REUTERS/Al Nels/Two Eagles Balloon Team
अमेरिका, 5 लाख 89 हजार
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Film
चीन, 11 लाख
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वांग इसके पीछे की वजह बताते हैं. वह कहते हैं कि पश्चिम के देशों की तुलना में चीन में मध्यमवर्ग के अधिकांश परिवारों के पास ज्यादा बचत रहता है. गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, चीनी उपभोक्ताओं ने 2020 में अपनी आय का औसतन 33.9 प्रतिशत हिस्सा बचाया. परंपरागत तौर पर, उन्होंने अपनी इस बचत को शेयर बाजार या रियल एस्टेट में निवेश किया.
वांग कहते हैं, "आमतौर पर एक चीनी परिवार संपत्ति खरीदने के लिए सिर्फ 60% हिस्सा ही बैंक से कर्ज के तौर पर लेता है. बाकी का 40% वे डाउनपेमेंट करते हैं. इसके विपरीत अमेरिका में लोग 3 से 6%, ब्रिटेन में 5 से 15% और जर्मनी में 20% तक डाउनपेमेंट करते हैं. इसलिए, अगर संपत्ति की कीमतें 20 से 30% तक कम भी होती हैं और डिफॉल्ट होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती है, तो भी बैंकिग सेक्टर की स्थिति सामान्य बनी रहेगी.
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संपत्ति के मालिकों को होगा भारी नुकसान
मौजूदा हालात में संपत्ति खरीद चुके लाखों लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. हालांकि, यह ऐसे संकट से बेहतर है जिसमें दुनियाभर की वित्तिय प्रणाली प्रभावित होती है. जैसे कि 2008 में अमेरिकी निवेश बैंक लेहमन ब्रदर्स के दिवालिया होने की वजह से हुआ था. 1990 के दशक के अंत में चीनी अर्थव्यवस्था खुलने लगी. संपत्ति की कीमतों से जुड़ी अटकलों ने करोड़ों चीनी निवेशकों को अमीर बना दिया. 2000 और 2018 के बीच संपत्ति की कीमत औसतन चार गुना बढ़ गई.
राजधानी बीजिंग में अपार्टमेंट की कीमतें औसत आय से 55 गुना तक पहुंच गई हैं. अमेरिका की तुलना में चीन का रियल एस्टेट बाजार पहले से ही दोगुना है. 2019 में इसकी कीमत करीब 52 ट्रिलियन डॉलर थी. वांग कहते हैं कि एक और अंतर यह है कि चीन में संपत्ति खरीदने वाले लोग अपनी संपत्ति से ज्यादा किराया पाने की उम्मीद नहीं रखते हैं जबकि पश्चिमी देशों में संपत्ति के मालिक 10 से 20 साल के अंदर किराए से संपत्ति की कुल कीमत वापस पा लेना चाहते हैं. चीन में यह समय करीब 50 साल है. कुछ शहरों में तो 100 साल तक है.
चीन सीमा पर ट्रकों का रेला
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किराए से होने वाली कम आय की वजह से डिफॉल्ट होने वाले लोगों की संख्या कम हो जाती है. अधिकांश लोग डिफॉल्ट होने की जगह नए हालात और नई कीमतों को स्वीकार कर लेते हैं. एक और बात यह है कि चीन में हर पांचवां घर (65 मिलियन) खाली है. यहां रहने वाला कोई नहीं है. वांग ने डीडब्ल्यू को बताया, "जाहिर है, बड़े पैमाने पर आपूर्ति है, लेकिन ये मकान मालिक हैं जिनके पास इनमें से कई खाली संपत्तियां हैं. ये लोग रियल एस्टेट का कारोबार करने वाले नहीं हैं.
हस्तक्षेप कर सकती है सरकार
हाल के कुछ हफ्तों में एवरग्रांदे सहित कई अन्य बड़ी कंपनियों ने अपने कर्ज को चुकाने के लिए अपनी संपत्तियां बेचने की कोशिश की है. एवरग्रांदे की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर न पड़े, इसलिए चीन की सरकार इस मामले को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकती है. फिलहाल, इस कंपनी में 2 लाख लोग काम करते हैं. साथ ही, 30 लाख लोगों की आजीविका अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ी हुई है.
कंपनी अब तक डिफॉल्ट होने से बची हुई है. इसने अब तक दो बार कर्ज की रकम का भुगतान किया है. भुगतान के लिए एक और समय सीमा अगले सप्ताह की है. वांग कहते हैं, "जाहिर तौर पर बैंकों को कुछ नुकसान होगा, लेकिन अधिकांश कंपनियां अपना कर्ज चुका देंगी."
दुनिया के सबसे बेहतरीन रेस्तरां
इस साल के दुनिया के 50 बेहतरीन रेस्तरां में ज्यादातर यूरोप के हैं. एशिया के कुछ रेस्तरां भी इस लिस्ट में हैं, लेकिन भारत का कोई रेस्तरां इस सूची में अपनी जगह नहीं बना पाया.
तस्वीर: Scanpix Denmark/picture alliance
नोमा, कोपहेगन, डेनमार्क
डेनमार्क की राजधानी के नोमा रेस्तरां को नबंर एक पर जगह मिली है. यह पांचवी बार है जब नोमा इस सूची में टॉप पर है. "वर्ल्ड्स 50 बेस्ट रेस्टोरेंट्स" का अवॉर्ड फंक्शन बेल्जियम के एंटवर्प में हुआ. यहां नोमा समेत 50 रेस्तरां को सम्मानित किया गया. नोमा नए नॉर्डिक व्यंजन बनाने के लिए जाना जाता है.
तस्वीर: Dan Himbrechts/dpa/picture alliance
जेरेनियम, कोपहेगन, डेनमार्क
दूसरे नबंर पर भी डेनमार्क का ही जेरेनियम रेस्तरां है. जेरेनियम अपने मौसमी व्यंजनों के लिए मशहूर है. अगर आपको सी फूड पसंद है तो आप इस रेस्तरां को आजमा सकते हैं. खाने के शौकीन लोगों को यहां 16-कोर्स का मेन्यू मिल सकता है.
तस्वीर: Scanpix Denmark/picture alliance
असडोरे चेबारी, एटक्सोंडो, स्पेन
असडोरे चेबारी रेस्तरां स्पेन के एट्क्सोन्डो इलाके में है. यहां आपको 30 तरह का खाना मिल सकता है. इस रेस्तरां में खाने के लिए आपको 209 यूरो खर्च करना होगा. ग्रिल पर तैयार भोजन यहां की खासियत हैं, इसलिए यहां के हर खाने में आपको आग पर भुने होने का स्वाद मिलेगा.
तस्वीर: Horst Ossinger/picture alliance
सेट्रल, लिमा, पेरू
सेंट्रल रेस्तरां पेरू की राजधानी लिमा में है और बेहतरीन रेस्तरां की सूची में चौथे नंबर पर. सेंट्रल को दक्षिण अमेरिका का सबसे अच्छा रेस्तरां बताया गया है. यहां का खाना खासतौर पर पेरू के इतिहास और परंपराओं से जुड़ा है. इस रेस्तरां का खाना ज्यादातर स्थानीय उपज से तैयार किया जाता है.
तस्वीर: Ernesto Arias/dpa/picture alliance
डिसप्रूटर, बार्सिलोना, स्पेन
डिसप्रूटर का मतलब होता है आनंद लें और यही मकसद है इस रेस्तरां का. हालांकि यह आनंद थोड़ा महंगा है. यहां खाने के लिए आपको कम से कम 165 यूरो देने होंगे. 2018 में भी यह 50 बेस्ट रेस्टोरेंट की सूची में था. उस समय यह 18वें स्थान पर था.
तस्वीर: Zoonar/picture alliance
फ्रांट्जेन, स्टॉकहोम, स्वीडेन
फ्रांट्जेन स्कैंडिनेविया से तीसरा रेस्तरां है. यह स्वीडेन की राजधानी स्टॉकहोम में है. रेस्तरां को छठे नंबर पर रखा गया है. फ्रांट्जेन का खाना हाइब्रिड नॉर्डिक व्यंजन है जो स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय परंपरा से प्रेरित है. सभी खाने क्लासिक और आधुनिक तकनीकों से बनाये जाते हैं.
तस्वीर: Fredrik Sandberg/TT/picture alliance
माइडो, लिमा, पेरू
सातवें नबंर पर है दक्षिण अमेरिकी देश पेरू का एक और रेस्तरां. माइडो रेस्तरां भी यहां की राजधानी लिमा में है. यहां आपको लैटिन अमेरिकी और पूर्वी व्यंजनों का एक रोमांचक और असाधारण मेल मिल जाएगा. खाने के शौकिन लोगों के लिए यहां 12-कोर्स मील उपलब्ध है.
तस्वीर: Ernesto Benavides/AFP/Getty Images
ओडेटे, सिंगापुर
सिंगापुर का ओडेटे रेस्तरां नंबर आठ पर है. यह एशिया के सबसे बेहतरीन रेस्तरां में से एक है और अब पहली बार वैश्विक रैंकिंग में टॉप 10 में शामिल हुआ है. यहां के खाने में फ्रांस और एशिया में उगाई चीजों का इस्तेमाल होता है. यहां खाने के लिए आपको करीब एक महीने पहले बुकिंग करनी होगी.
तस्वीर: Zoonar/picture alliance
पूजोल, मेक्सिको सिटी, मेक्सिको
मेक्सिको की राजधानी में बसा पूजोल रेस्तरां दुनिया का 9वां सबसे बेहतरीन रेस्तरां है. पुजोल लैटिन अमेरिका और विश्व की 50 सर्वश्रेष्ठ रेस्टोरेंट रैंकिंग के शीर्ष में लगातार आता है. यहां आपको मेक्सिकन खाना मिल जाएगा जो देश के पारंपरिक मसालों और अनूठी तकनीक से बनाया जाता है.
हांग कांग का रेस्तरां `द चेयरमैन` नंबर दस पर है. इस रेस्तरां में पुराने कैंटोनीज चीनी परंपरा से लैस खाना मिल जाएगा. यहां के सी फूड खाने के लिए स्थानीय मछुआरों से चीजें ली जाती हैं. सॉस की तैयारी पूरी तरह से रेस्तरां में होती है. द चेयरमैन को चीन में साल 2020 और 2021 के बेस्ट रेस्तरां का भी खिताब मिला था.
तस्वीर: Jonathan Wong /newscom/picture alliance
डेन, टोक्यो, जापान
डेन जापान की राजधानी टोक्यो में स्थित है. यह दुनिया का 11वां सबसे अच्छा रेस्तरां है. सिंगापुर, हांग कांग के बाद इस सूची में एशिया का यह तीसरा रेस्तरां है जो टॉप 12 में अपनी जगह बना पाया है. डेन में आपको पांरपरिक जापानी खाना खाने को मिल जाएगा. यहां के खाने में हमेशा समुद्र, हर्ब और जंगल से मिलने वाली चीजों का इस्तेमाल होता है.
तस्वीर: Matthias Tödt/dpa/picture alliance
स्टाइरेरेक, विएना, ऑस्ट्रिया
स्टाइरेरेक रेस्तरां के मेन्यू में दुर्लभ नस्ल वाली मछलीयों की प्रजाति, विलुप्त हो रहे फल और सब्जियों की किस्में खाने को मिल जाएंगी. यहां 6 से 7 कोर्स वाले खाने के लिए कम से कम 165 यूरो खर्च करना होगा. यह रेस्तरां नबंर 12 पर है.
तस्वीर: Rainer Hackenberg/picture-alliance
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वांग का अनुमान है कि संपत्ति की कीमतों में 20% से ज्यादा की औसत गिरावट नहीं आएगी. कुछ शहरों में यह गिरावट और कम हो सकती है जबकि 2008 में कई अमेरिकी शहरों में कीमतें 50% तक कम हो गई थीं. वहीं, चीन की सरकार कुछ शहरों में नए संपत्ति कर को लागू करने की दिशा में प्रयास कर रही है, ताकि अलग-अलग तरह की अटकलों को विराम दिया जा सके. हालांकि, वांग को लगता है कि ऐसा सिर्फ कुछ समय के लिए किया जाएगा.
वांग कहते हैं, "चीन में शहरीकरण केवल आधा ही हुआ है. गांव में रहने वाले चीनी दूसरे और तीसरे स्तर के शहरों में जाना जारी रखेंगे. जैसे-जैसे उनकी आय और जीवन स्तर में वृद्धि होगी, वे बेहतर घर चाहेंगे." आंकड़े बताते हैं कि 1978 में सिर्फ 17% चीनी लोग शहरों में रहते थे. अब यह आंकड़ा 60% को पार कर गया है. अनुमान है कि 2050 तक हर पांच में चार चीनी लोग शहर में रहेंगे.