क्या आसान होगा एप्पल के लिए भारत में आईफोन का उत्पादन बढ़ाना
२ मई २०२५
एक मई को इस साल की पहली तिमाही में उम्मीद से ज्यादा मुनाफा होने की घोषणा के साथ साथ एप्पल ने यह चेतावनी भी दी कि नए अमेरिकी टैरिफ, कंपनी की सप्लाई चेन को प्रभावित कर रहे हैं और कंपनी को इसकी कीमत अदा करनी पड़ सकती है.
एप्पल के चीफ एग्जीक्यूटिव टिम कुक ने कहा कि इस साल की शुरुआत में टैरिफों का असर "सीमित" था लेकिन दूसरी तिमाही में इनकी वजह से कंपनी पर 90 करोड़ डॉलर भार पड़ सकता है.
क्या वाकई भारत में आईफोन का उत्पादन बढ़ सकता है?
कुक ने आगे कहा कि वो उम्मीद कर रहे हैं कि "अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश आईफोन भारत में बनेंगे." हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीतियों के तहत अमेरिका ने चीन पर भारी टैरिफ लगाया है. चीन ने भी जवाबी कार्रवाई में अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है.
स्मार्टफोन, सेमीकंडक्टरों और कंप्यूटरों को इस समय अमेरिकी टैरिफ से छूट दी गई है, लेकिन जानकारों का कहना है कि एप्पल पूरी तरह से इन नई नीतियों से बाहर नहीं है. स्वतंत्र टेक विश्लेषक रॉब एंडरले का कहना है अमेरिकी टैरिफ दरों से छूट, पूरी तरह से बन चुके स्मार्टफोनों को दी गई है, लेकिन आईफोन में लगने वाले सभी पार्ट्स को यह छूट नहीं मिली है.
एंडरले कहते हैं, "जितनी ज्यादा चीजें सीमाएं पार कर रही हैं, उतना ही डिवाइस का खर्च बढ़ता जा रहा है. अंत में कुल मिला कर यह एक महंगा सौदा पड़ेगा."
कुछ अन्य जानकारों को भी यही लगता है कि एप्पल भारत में उत्पादन बढ़ा सकती है. कैनालिस में रिसर्च मैनेजर ले शुआन चिउ ने कहा, "इन पारस्परिक टैरिफ नीतियों में हो रहे उतार चढ़ाव की वजह से, मुमकिन है कि एप्पल अमेरिका में बिकने वाले सामान का उत्पादन भारत शिफ्ट कर दे ताकि भविष्य में होने वाले जोखिम की संभावना को कम किया जा सके."
कैनालिस का कहना है कि हालांकि अमेरिका भेजे जाने वाले अधिकांश आईफोन अभी भी चीन में ही बन रहे हैं, लेकिन पहली तिमाही के अंत के आस पास भारत में उत्पादन बढ़ा है.
भारत में कई चुनौतियों का करना पड़ सकता है सामना
टिम कुक ने दो और दिलचस्प बातें बताईं. पहला, अमेरिका में बिकने वाले लगभग सभी आईपैड, मैक, एप्पल वॉच और एयरपॉड वियतनाम में बनेंगे. दूसरा, अमेरिका से बाहर बिकने वाले सभी एप्पल उत्पाद चीन में ही बनते रहेंगे.
यानी कुल मिला कर अगर एप्पल की रणनीति देखें तो आप पाएंगे कि वह एक साथ कई देशों में उत्पादन करने की नीति पर आगे बढ़ रही है. कुक ने यह माना भी और कहा कि कंपनी यह सीख चुकी है को सब कुछ एक ही जगह रखने में काफी जोखिम है.
एक्सटीबी में रिसर्च निदेशक कैथलीन ब्रुक्स ने कहा, "निवेशकों के लिए सवाल यह है कि एप्पल के लिए चीन की जगह कौन ले सकता है? यह एक आसान सवाल नहीं है और यह एप्पल के भविष्य की योजनाओं के लिए खतरा पैदा कर सकता है."
ईमार्केटर में एनालिस्ट जैकब बोर्न का कहना है, "असली कहानी इन अभूतपूर्व व्यापार चुनौतियों से जूझने की टिम कुक की योजनाओं में है."
उन्होंने आगे कहा कि उत्पादन को भारत शिफ्ट करने की एप्पल की योजना से "काम पूरा होने की समयरेखा, क्षमता की सीमाएं और संभावित रूप से खर्च में होने वाली बढ़त से जुड़े ऐसे सवाल खड़े होते है जिनसे शायद बचा ना जा सके और जिनसे मार्जिन गिरेंगे, उसका बोझ ग्राहकों की तरफ बढ़ा दिया जाएगा या मिले-जुले परिणाम हो सकते हैं."