जापान में अब तक क्यों नहीं देखी गई फिल्म ओपेनहाइमर
१५ मार्च २०२४
निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म ओपेनहाइमर बीते साल की सबसे सफल फिल्मों में से एक है. इस साल ऑस्कर में उसने बेस्ट फिल्म समेत सात पुरस्कार जीते. पूरी दुनिया में फिल्म दिखाई गई है, लेकिन जापान में नहीं. ऐसा क्यों?
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2024 के ऑस्कर समारोहों में सबसे ज्यादा सात पुरस्कार जीतने वाली फिल्म ओपेनहाइमर ने जुलाई 2023 में अपनी रिलीज के वक्त से अब तक 1.4 अरब डॉलर का व्यापार किया है. लेकिन जापान के लोगों ने अब तक यह फिल्म नहीं देखी है. महीनों के इंतजार के बाद इस महीने आखिरकार फिल्म रिलीज हो रही है.
ओपेनहाइमर अमेरिका के लिए एटम बम बनाने वाले वैज्ञानिक दल के मुखिया रॉबर्ट जे ओपेनहाइमर की कहानी है. यह एटम बम जापान पर ही गिराया गया था इसलिए रॉबर्ट जे ओपेनहाइमर देश के दुखदायी अतीत की याद दिलाने वाले प्रतीक हैं.
जापान में विरोध
हालांकि फिल्म ओपेनहाइमर एक युद्ध-विरोधी फिल्म है लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो इसका जापान में खासा विरोध हुआ था. दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान पर दो एटम बम गिराये थे. हिरोशिमा और नागासाकी शहरों को पूरी तरह तबाह करने वाले इन हमलों में दो लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर आम नागरिक थे.
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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बहुत से लोग कहते हैं कि 1945 में जापान पर गिराए गए एटम बमों ने ही दूसरे विश्व युद्ध को खत्म किया. लेकिन अन्य लोगों का कहना है कि जापान इन हमलों से पहले ही लगभग हार चुका था और आत्मसमर्पण करने के कगार पर था, इसलिए ये हमले कतई जरूरी नहीं थे.
फिल्म के आलोचक कहते हैं कि इसमें जापान का पक्ष नहीं दिखाया गया है और मानवीय पक्ष से ज्यादा अहमियत युद्ध के वक्त परमाणु कार्यक्रम को दी गई है. जापान में आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो हिरोशिमा और नागासाकी हमलों को युद्ध अपराध मानते हैं और उसके लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराते हैं. फिल्म के आलोचकों की एक दलील यह भी है कि इसमें परमाणु हमलों की समुचित और खुलकर आलोचना नहीं की गई है.
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरने की कहानी
हिरोशिमा और नागासाकी पर 75 साल पहले गिरा परमाणु बम यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिकों के छह साल लंबे खुफिया मिशन का नतीजा था. इन छह सालों की कहानी तस्वीरों में देखिए...
तस्वीर: Hiroshima Peace Memorial Museum
परमाणु बम का विचार
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने 1939 में पत्र लिख कर अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी रूजवेल्ट को नाभिकीय संलयन की विनाशकारी ताकत के बारे में बताया. जर्मन रसायनविज्ञानी ऑटो हान ने इसकी खोज की थी. पत्र में कहा गया था कि इस प्रक्रिया का नतीजा "एक नए तरह का अत्यंत शक्तिशाली बम" होगा. रूजवेल्ट ने इसके बाद यूरेनियम पर सलाहकार बोर्ड का गठन किया.
तस्वीर: picture alliance/CPA Media Co. Ltd
पर्ल हार्बर पर हमला
7 दिसंबर 1941 को जापान के सैकड़ों युद्धक विमानों ने पर्ल हार्बर में मौजूद अमेरिकी बेस का ज्यादातर हिस्सा तबाह कर दिया. इस हमले में हजारों सैनिकों की मौत हुई. इसके अगले ही दिन अमेरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध में उतरने का एलान कर दिया.
तस्वीर: AP
2 अरब डॉलर का बजट
साल 1942 में अगस्त के महीने में अमेरिका ने आधिकारिक रूप से परमाणु बम बनाने के लिए एक बेहद खुफिया कार्यक्रम का फैसला किया. इस प्रोजेक्ट का नाम बाद में मैनहटन प्रोजेक्ट रखा गया. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने 2 अरब डॉलर का बजट दिया.
तस्वीर: picture-alliance/Everett Collection
न्यू मेक्सिको की खुफिया लैब
न्यू मेक्सिको के लॉस अलामोस की एक खुफिया लैब में बम बनाने का काम शुरू हुआ. इसके लिए रॉबर्ट ओपेनहाइमर को साइंटिफिक डायरेक्टर बनाया गया. इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के शीर्ष भौतिकविज्ञानियों की टीम बनी. इसके साथ ही हजारों ऐसे लोग भी काम पर लगे जो नाजी शासन से भाग कर आए थे.
1945 में 9 और 10 मार्च को अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने जापान में टोक्यो और दूसरे शहरों पर भारी बमबारी की. इस बमबारी ने केवल राजधानी में ही करीब एक लाख लोगों की जीवनलीला खत्म कर दी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
ओकिनावा की लड़ाई
26 मार्च को ओकिनावा की लड़ाई शुरू हुई. अगले तीन महीने में इस लड़ाई में एक लाख से ज्यादा जापानी सैनिकों और इतनी ही संख्या में आम लोगों की बलि चढ़ गई. 12 हजार अमेरिकी सैनिक भी मारे गए. अमेरिकी अधिकारियों ने इस लड़ाई के आधार पर ही परमाणु बम के इस्तेमाल को न्यायोचित ठहराया. उनकी दलील थी कि जापान की मुख्य भूमि पर हमले में इससे भी ज्यादा लोगों की जान जाती.
तस्वीर: picture alliance/akg-images
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन
12 अप्रैल को रूजवेल्ट की मौत हुई और हैरी ट्रूमैन अमेरिका के राष्ट्रपति बने. तब उन्हें अब तक बेहद खुफिया रहे मैनहटन प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी मिली. यह तस्वीर 1945 की है.
तस्वीर: Getty Images
नाजी जर्मनी का समर्पण
8 मई को जर्मनी ने समर्पण कर दिया और इसके साथ ही दूसरे विश्वयुद्ध में यूरोप की लड़ाई खत्म हो गई. हालांकि इसके बाद भी एशिया और प्रशांत के क्षेत्र में युद्ध अभी जोरों पर चल रहा था. मई और जुलाई के बीच परमाणु बम के हिस्से टिनियान लाए गए. यह मारियाना चेन में वो द्वीप था जहां से बी-29 बॉम्बर विमान जापान पहुंच सकता था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Tass/Jewgeni Chaldej
"ट्रिनिटी टेस्ट"
16 जुलाई को न्यू मेक्सिको के अलामोगोर्दो के पास सुबह 5.30 बजे ट्रिनिटी टेस्ट किया गया. इस टेस्ट में परमाणु बम की ताकत समझ में आई और परमाणु युग की शुरुआत हो गई.
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
ट्रूमैन की मंजूरी
"ट्रिनिटी टेस्ट" के सफल होने के बाद 25 जुलाई को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने जापान पर परमाणु बम गिराने के मिशन को मंजूरी दे दी. इसमें उपलब्ध होते ही अतिरिक्त बमों को गिराने की मंजूरी भी शामिल थी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
जापान को चेतावनी
26 जुलाई को पोट्सडाम घोषणा के बाद ब्रिटेन, चीन और अमेरिका ने जापान को चेतावनी दी कि वो या तो समर्पण करे या फिर "तुरंत और पूर्ण विनाश का" सामना करे. जापान ने इस चेतावनी की अनदेखी करने का फैसला किया हालांकि इसके लिए "मोकुसात्सु" शब्द का प्रयोग किया गया जिसका मतलब है "नो कमेंट."
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
विनाश का पल
6 अगस्त को सुबह 8.15 बजे अमेरिकी बी29 बॉम्बर "इनोला गे" ने 9000 पाउंड का परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया. दिसंबर के महीने तक इसकी वजह से 1लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई. ट्रूमैन ने जापानी नेताओं को कहा अगर वो समर्पण नहीं करेंगे तो वो हवा से बर्बादी की ऐसी बारिश देखेंगे जैसी पृथ्वी पर कभी नहीं देखी गई.
तस्वीर: Hiroshima Peace Memorial Museum
नागासाकी का विध्वंस
9 अगस्त को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम जापान के नागासाकी पर गिराया. समय था सुबह 11.02 बजे का. परमाणु बम के इस हमले में 74000 लोगों की जान चली गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जापान का समर्पण
15 अगस्त को जापान के सम्राट हिरोहितो ने घोषणा की कि उनका देश युद्ध हार गया है. हालांकि इसके बाद भी वो देश के सम्राट बने रहे और युद्ध के बाद देश के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई.
तस्वीर: AFP/AFP/Getty Images
रूस का हमला
हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने के चार साल बाद 29 अगस्त 1949 को रूस ने अपने परमाणु बम का कजाखस्तान में परीक्षण किया और परमाणु बम रखने वाला दूसरा देश बन गया. विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में उसने जापान पर हमला किया और उसके कई इलाकों पर कब्जा कर लिया. कुरील द्वीप उनमें से एक था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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फिल्म की ऑस्कर समारोह में सफलता के बाद जापान के हिरोशिमा फिल्म फेस्टिवल के अध्यक्ष कयोको हेया ने जापान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा, "क्या यह वाकई एक ऐसी फिल्म है जिसे देखना हिरोशिमा के लोग सहन कह सकते हैं?”
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त्रासदी का मजाक
जापान में फिल्म का विरोध तब शुरू हुआ जब अमेरिका में रिलीज होने के बाद जमकर इसका प्रचार किया गया. दरअसल उसी वक्त फिल्म बार्बी भी रिलीज हुई थी और दोनों एक दूसरे से एकदम अलग फिल्में हैं. लेकिन निर्माता कंपनी वॉर्नर ब्रदर्स ने दोनों का प्रचार मिलाकर किया. इस तरह सोशल मीडिया पर ‘बार्बनहाइमर' एक ट्रेंडिंग टॉपिक बन गया.
सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस तरह की कई तस्वीरें वायरल हुईं जिनमें बार्बी की स्टार मार्गोट रॉबी और ओपेनहाइमर के एक्टर सीलियन मर्फी को परमाणु बम धमाकों की तस्वीरों के साथ दिखाया गया. कई जापानियों को यह युद्ध की विभीषिका का मखौल लगा और उन्होंने आपत्ति दर्ज कराई. बाद में बार्बनहाइमर के प्रचार के ऐसे कई पोस्ट डिलीट किए गए, जिन्हें वॉर्नर ब्रदर्स ने भी लाइक किया था. तब जापान में NoBarbenheimer हैशटैग भी ट्रेंड हुआ और वॉर्नर ब्रदर्स ने माफी मांगी.
मनोज बाजपेयी: अंग्रेजी क्या शुरू में हिंदी भी नहीं आती थी
24:51
दरअसल, परमाणु हथियार जापान में एक संवेदनशील मुद्दा है. वहां परमाणु हमलों में बचे लोगों को बहुत इज्जत की नजर से देखा जाता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि विरोध सीधे तौर पर फिल्म का नहीं बल्कि उसके प्रचार के तरीकों का ज्यादा था क्योंकि ‘बार्बनहाइमर' ट्रेंड होने से बहुत से जापानी लोगों को ऐसा लगा जैसे एक बहुत बड़ी त्रासदी का मखौल बनाया जा रहा है.
कांदा यूनिवर्सिटी में जैपनीज स्टडीज विभाग में लेक्चरर जेफ्री हॉल ने ऑस्ट्रेलिया के समाचार चैनल एबीसी से बातचीत में कहा, "जापन में हर पीढ़ी के लोग हिरोशिमा और नागासाकी को एक भयानक त्रासदी के रूप में देखते हैं, जिनमें दसियों हजार आम नागरिकों की मौत हुई. इसलिए सोशल मीडिया पर जारी किए जा रहे मीम को लोगों ने बहुत आपत्तिजनक पाया.”
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने लिखा है कि एटम बम को लेकर जापान का पक्ष दिखाया जाना भी जरूरी है. फिल्म 29 मार्च को जापान में रिलीज होगी.