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समाज

भारत में नेटफ्लिक्स जैसे ओटीटी बॉलीवुड को कैसे बदल रहे हैं?

५ फ़रवरी २०२२

कोरोनो वायरस महामारी के दौरान स्ट्रीमिंग सेवाओं की लोकप्रियता बढ़ी है. बॉलीवुड की फिल्में देखने के तरीके पर ओटीटी प्लेटफॉर्म अपना असर दिखा रहे हैं. क्या ये बॉलीवुड को बदल पाएंगे?

कोरोना लॉकडाउन के दौरान कई बड़े सितारों की फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई हैं.
कोरोना लॉकडाउन के दौरान कई बड़े सितारों की फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई हैं. तस्वीर: PVR Pictures/Everett Collection/picture alliance

कोरोना वायरस महामारी के पिछले दो वर्षों के दौरान, नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम वीडियो और डिज्नी + हॉटस्टार जैसे ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मीडिया स्ट्रीमिंग चैनलों ने भारत में काफी वृद्धि हासिल की है. अब इनका असर बॉलीवुड की व्यावसायिक कार्यशैली पर भी दिख रहा है. कोविड महामारी ने भारतीय फिल्म उद्योग को बहुत प्रभावित किया है. फिल्मों की संख्या के लिहाज से देखें तो भारत का बॉलीवुड दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है.

इस दौरान कई फिल्मों का निर्माण अटक गया. फिल्म निर्माता कमाई के लिए संघर्ष कर रहे थे. यह तब तक था, जब तक ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने जोर नहीं पकड़ लिया. कोविड-19 की वजह से हुए लॉकडाउन में मूवी हॉल भी बंद कर दिए गए. तब इसका विकल्प बने ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स.

डीडब्ल्यू से बातचीत में फिल्म समीक्षक हिमेश मांकड कहते हैं, "बॉलीवुड प्रोड्यूसर्स के लिए ओटीटी वरदान बनकर आया है क्योंकि इतने लंबे समय से उनका पैसा फंसा हुआ था. ऐसे में वे अपनी फिल्मों को सिर्फ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर बेच सकते थे और इस कारोबार को चालू रख सकते थे. अगर ओटीटी न होता तो एक उद्योग के रूप में हमें बहुत नुकसान होता. क्योंकि थिएटर काम नहीं कर रहे थे और फिल्मों पर ब्याज का बोझ बढ़ गया था.”

बॉलीवुड की फिल्म लेखक शोखी बनर्जी का कहना है कि ज्यादातर निर्माता अब ओटीटी प्लेटफॉर्म को थिएटर रिलीज जितना ही महत्वपूर्ण मानते हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में बनर्जी कहती हैं, "लॉकडाउन ने बॉलीवुड को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है. इन प्लेटफॉर्म्स ने फिल्मों से पैसा कमाने का एक और अहम रास्ता खोल दिया है.”

एक नए वैश्विक बाजार में प्रवेश

भारत में ओटीटी के असर पर फिल्म प्रदर्शक अक्षय राठी का कहना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने दर्शकों की पहुंच अब दुनिया भर की सामग्री तक बढ़ा दी है.

राठी कहते हैं, "हम इजराइल, स्पेन, कोरिया और दुनिया के तमाम हिस्सों से आ रहा कुछ जबरदस्त कंटेंट देख रहे हैं. यह दर्शकों को नए विकल्प देता है और उनके मनोरंजन की उनकी उम्मीदों को बदल देता है.”

भारतीय दर्शकों के लिए अब उपलब्ध सामग्री की अधिकता ने भी बाजार को और अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है. राठी कहते हैं, "दर्शकों के दिमाग में बेंचमार्क वही सामग्री है जिसे उन्होंने दुनिया भर में देखा है. इसने भारतीय फिल्म निर्माताओं, लेखकों और अभिनेताओं को अधिक मेहनत करने और मनोरंजन की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए प्रेरित किया है.”

बनर्जी के मुताबिक, ओटीटी फिल्म सामग्री को भारत जैसे भाषाई विविधता वाले देश में घरेलू दर्शकों तक अच्छी तरह से पहुंचाता है. वह कहती हैं, "भाषा के विकल्प होने के साथ, बॉलीवुड के लोग भी क्षेत्रीय सिनेमा तक पहुंचने में सक्षम हैं. ऐसी कंटेंट जिसे पहले कभी इतना एक्सपोजर नहीं मिला था, तो ओटीटी हमें ऐसे कंटेंट पर खेलने का मौका देता है.”

हाल ही में नेटफ्लिक्स ने भारत में अपनी सेवाओं के दाम कम किए हैं.तस्वीर: Jaap Arriens/ZUMA Press/imago images

राजनीति प्रेरित फिल्मों के लिए नए मंच

स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ने बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और लेखकों को नए मौके दिए हैं. जिन कहानियों को बड़े पर्दे पर नहीं दिखाया जा सकता था, उन्हें ओटीटी के जरिए दिखाने वाले निर्माता मिल गए हैं. बनर्जी कहती हैं, "ओटीटी प्लेटफॉर्म ने आपको सभी प्रकार की शैलियों के लिए खोल दिया है और हम लेखक और निर्माता के रूप में अपनी कहानियों को बताने के लिए आजाद हैं.”

वो बताती हैं, "ऐसे विषय जिन्हें बड़े निर्माता ये बोल कर खारिज कर देते थे कि यह फिल्मों में काम नहीं करेंगे, जैसे कि सामाजिक कलंकों पर फिल्में या राजनीतिक थ्रिलर, हमेशा बैकसीट पर रखी जाती थीं. लेकिन अब हालात ये हैं कि अगर फिल्म निर्माता इसे नहीं लेते तो इसे लेने के लिए पांच और ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं.”

मांकड़ का कहना है कि फिल्म निर्माताओं को हमेशा ओटीटी का साथ मिलेगा, क्योंकि ओटीटी प्लेटफॉर्म रिस्क लेना जानते हैं.

मांकड़ के मुताबिक ओटीटी ने भारत में स्टारडम के मायने भी बदल दिए हैं. कुछ बॉलीवुड अभिनेता जो बड़े पर्दे पर जगह नहीं बना सके, वे अब ओटीटी स्टार बन रहे हैं और अपना खुद का ब्रांड बना रहे हैं. दूसरी ओर ए-लिस्ट बॉलीवुड अभिनेता एक नए बाजार और वैश्विक दर्शकों तक पहुंचने के लिए ओटीटी की तलाश कर रहे हैं.नेटफ्लिक्स का शो ‘कॉल माई एजेंट': फिल्मीहस्तियों का ऐसा मजाक!

क्या ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म बॉलीवुड को बदल देंगे?

बनर्जी कहती हैं कि बॉलीवुड और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बीच लड़ाई बड़ी होने वाली है. वो कहती हैं, "इसने पहले ही बॉलीवुड इंडस्ट्री को बदल कर रख दिया है. पिछले दो वर्षों में कई ब्लॉकबस्टर फिल्में ओटीटी पर रिलीज हुई हैं. यहां तक कि बड़े फिल्म निर्माता भी अब ओटीटी प्रोडक्शन में हैं, वे बड़े बजट ड्रामों के बजाय डिजिटल फिल्मों को देख रहे हैं.”

लेकिन राठी कहते हैं कि स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म का असर ज्यादातर टेलीविजन और सैटेलाइट चैनलों पर ही पड़ेगा. वो कहते हैं, "मैं इसे मुकाबले की तरह नहीं देखता. दोनों एक दूसरे के पूरक होंगे.”

मांकड़ कहते हैं, "जब 'सूर्यवंशी', 'पुष्पा' और '83' जैसी फिल्में रिलीज हुईं, तो ओटीटी के आस-पास बातचीत कम हो गई क्योंकि बड़े पर्दे में एक जादू है और वह कभी नहीं मरेगा. आप सिनेमाघरों में फिल्म देखने नहीं जाते हैं, आप अनुभव के लिए जाते हैं.”

रिपोर्ट- धारावी वैद्य

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