तंजानिया में पवन चक्की से मिलती बिजली
२८ जून २०१९Wind power boosts energy supply in Tanzania
जर्मनी: जलवायु का रक्षक या भक्षक
एक तरफ जर्मनी उत्सर्जन घटाने के लक्ष्यों को पाने के लिए संघर्ष कर रहा है तो दूसरी तरफ यहां 40 फीसदी बिजली कोयला जला कर पैदा हो रही है. इन तस्वीरों में देखिये जलवायु के प्रति जर्मनी के जुर्म और उनसे निपटने की कोशिशों को.
कोयले से प्रेम
जर्मनी के सबसे बड़े कोल खदान का भविष्य उज्ज्वल है. जलवायु संरक्षण के उपायों को लागू करने और अक्षय ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाने के बावजूद कोयले से चलने वाले बिजलीघरों पर इसकी निर्भरता वैसी ही बनी हुई है. हालत यह है कि जर्मनी 2020 तक कार्बन उत्सर्जन घटाने के लक्ष्यों को भी हासिल नहीं कर पायेगा. यह पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं फिर भी कुछ आंखों को हामबाख का यह नजारा सुंदर लगता है.
छलनी होती धरती
हामबाख की सीमा अनंत तक जाती दिखती है. कोलोन के पश्चिम में मौजूद जर्मनी की सबसे बड़ी खान का दायरा 4,300 हेक्टेयर में फैला है और लगातार बढ़ रहा है. अक्षय ऊर्जा के स्रोतों को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने के बावजूद जर्मन उद्योग को 40 फीसदी ऊर्जा अब भी सस्ते भूरे कोयले से मिल रही है.
खत्म होते गांव
ज्यादा दिन नहीं हुए जब मनहाइम नाम का यह गांव खत्म हो गया. पास में स्थित हामबाख की खान लगातार बढ़ रही है और बहुत जल्द यह इन घरों को भी निगल जायेगी. 1000 साल पुराने गांव के ज्यादातर बाशिंदे पहले ही अपने घरों को छोड़ कर जा चुके हैं.
कोई विकल्प नहीं.
2020 तक खुदाई करने वाले गांव तक पहुंच जाएंगे. तब तक मजदूर बचे हुए घरों को तोड़ रहे हैं और यहां रहने वाले दूसरी जगहों का रुख कर रहे हैं. कुर्ट रुइटगर्स उन 500 लोगों में हैं जो अब भी वहां बचे हुए हैं, वो यहां की एक पब के मालिक हैं. उन्होंने इस गांव को खत्म होते देखा है, "मैं बचपन से ही जानता था कि मनहाइम एक दिन खत्म हो जायेगा. यह बहुत बुरा है लेकिन कोयले की इस खान का कोई और विकल्प फिलहाल नहीं है."
अक्षय ऊर्जा में निवेश
जर्मनी में बाकी जगहों पर कंपनियां अक्षय ऊर्जा के स्रोतों की तरफ कदम बढ़ा रही हैं. जमीन से 109 मीटर ऊंची यह पवन चक्कियां राजधानी बर्लिन के सिटी सेंटर से करीब एक घंटे की दूरी पर हैं. इनसे राजधानी को उत्सर्जन से मुक्त ऊर्जा मिलती है.
हवा से बिजली
जर्मनी में फिलहाल 27000 से ज्यादा पवन चक्कियां चल रही हैं जो पिछले दशक में पूरे देश में फैल गयी हैं. पशुओं के अधिकार की बात करने वाले कार्यकर्ता इनके विशाल पंखों के संपर्क में आने से चिड़ियों को होने वाले नुकसान की बात करते हैं तो दूसरे किसी और वजह से. बावजूद इसके पवन चक्की जर्मनी में अक्षय ऊर्जा के एक बड़ा स्रोत है. हाल के दिनों तक सरकार पवन चक्कियों के पार्क को भारी सब्सिडी देती रही..
क्या घर से होगी जलवायु की रक्षा?
कुछ जर्मनों के लिए जलवायु की जंग उनके घर से शुरू होती है. सालों पहले कलाकार प्रिस्का वोलाइन ने अपने स्टूडियो के लिए ऊर्जा मुक्त घर बनाने के पैसला किया. लगभग पूरी तरह से लडक़़ी से बने इस घर को जियोथर्मल ऊर्जा से गर्म किया जाता है और इस में हवा के आने जाने का रास्ता ऐसा बनाया गया है कि गर्मी इसके भीतर बनी रहे.
भविष्य के घर
अगर कोई घर कम ऊर्जा खर्च करने के साथ ही, उसे पैदा भी करे तो? जर्मनी में मकान उद्योग ने मकानों के लिए बनाए ऊर्जा दक्षता के नए नियमों का यह हल निकाला है. इन घरों को एनर्जी प्लस हाउस कहा जाता है. इस तरह के नए डिजायन वाले घर अपनी ऊर्जा का ज्यादातर हिस्सा सौर ऊर्जा से हासिल करते हैं.
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