सीमा अधिकारियों ने एक महिला को राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को जहरीला खत भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया है. यह महिला कनाडा से अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश में थी. इसके पास से एक बंदूक भी मिली है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को जहरीले केमिकल वाला खत भेजने की आरोपी महिला को सीमा बल ने कनाडा की सीमा से गिरफ्तार किया है. व्हाइट हाउस के पते पर जो लिफाफा भेजा गया उसमें रिसिन नामक खतरनाक जहर था. आरोपी महिला कनाडा से अमेरिका में घुसने की फिराक में थी, अधिकारियों ने बताया है कि उसके पास से एक बंदूक भी मिली है.
अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, महिला कनाडा-न्यूयॉर्क सीमा से देश में दाखिल होने की कोशिश कर रही थी, तभी उसे अमेरिकी सीमा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. संघीय अधिकारियों ने समाचार एजेंसी एपी को बताया कि महिला पर अमेरिकी कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. आरोप है कि महिला ने जो खत भेजा था वह राष्ट्रपति ट्रंप के नाम पर था. इस खत की जानकारी अधिकारियों को तब लगी जब वे व्हाइट हाउस आए पत्रों की जांच कर रहे थे.
एफबीआई की शुरुआती जांच में जहरीले पदार्थ रिसिन की पुष्टि हुई है. रिसिन को खतरनाक जहर माना जाता है और यह मुख्य रूप से अरंडी की फलियों में पाया जाता है. और अगर यह जहरीला पदार्थ सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करता है तो संक्रमित व्यक्ति को उल्टी हो सकती है, शरीर के भीतर रक्तस्राव शुरू हो सकता है और अंग काम करना बंद कर सकते हैं. यह जहर 48 से 72 घंटे के भीतर किसी व्यक्ति को मार सकता है. इस खतरनाक जहर का अब तक कोई एंटीडोट तैयार नहीं हो पाया है.
रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस का कहना है कि यह खत कनाडा से भेजा गया था. हालांकि अधिकारियों को इस बारे में बात करने की इजाजत नहीं है, उन्होंने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर यह बात बताई है. कनाडा की पुलिस के मुताबिक एफबीआई ने उससे संदिग्ध खत के बारे में मदद मांगी है. पुलिस इस मामले में एफबीआई के साथ मिलकर काम कर रही है. हालांकि पुलिस ने इस बारे में कुछ भी विस्तार से नहीं बताया है.
अमेरिका में पहले भी खत और पार्सल के जरिए जहर भेजने की घटनाएं हुईं हैं. 2018 में अमेरिका के यूटा में एक व्यक्ति ने ट्रंप के साथ साथ एफबीआई निदेशक को जहरीला पदार्थ भेजा था, लेकिन व्हाइट हाउस पहुंचने के पहले ही उस खत को पकड़ लिया गया था और कोई भी संक्रमित नहीं हुआ था.
इससे पहले 2014 में राष्ट्रपति बराक ओबामा को रिसिन के पाउडर से लिपटा खत भेजने के एक आरोपी को 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. मिसिसिपी के रहने वाले दोषी ने ओबामा के साथ साथ कई अधिकारियों को जहरीला खत भेजा था.
2018 में रूस के पूर्व जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर नर्व एजेंट से हमला किया गया था. नर्व एजेंट आखिर होता क्या है और कैसे शरीर पर असर करता है?
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क्या होता है नर्व एजेंट?
नर्व एजेंट ऐसे जहरीले रसायन हैं जो सीधे नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र पर असर करते हैं. ये दिमाग तक जाने वाले संकेतों को रोक देते हैं, जिससे शरीर ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है. इसका असर सबसे पहले मांसपेशियों पर लकवे के रूप में देखने को मिलता है.
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कैसा दिखता है?
यह पाउडर के रूप में भी होते हैं और गैस के भी, लेकिन ज्यादातर द्रव का इस्तेमाल किया जाता है, जो भाप बन कर उड़ जाता है. अक्सर यह गंधहीन और रंगहीन होता है, इसलिए किसी तरह का शक भी नहीं होता.
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कैसे दिया जाता है?
यह भाप अगर सांसों के साथ शरीर के अंदर पहुंचे, तो कुछ सेकंडों में ही अपना असर दिखा सकती है. कई बार द्रव को त्वचा के जरिये शरीर में भेजा जाता है. ऐसे में असर शुरू होने में कुछ मिनट लग जाते हैं.
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कैसा होता है असर?
नर्व एजेंट के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को फौरन ही सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. आंखों की पुतलियां सफेद हो जाती हैं, हाथ-पैर चलना बंद कर देते हैं और व्यक्ति कोमा में पहुंच जाता है. ज्यादातर मामलों में कुछ मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है.
जहर देने के तरीके
कई बार इन्हें खाने में या किसी ड्रिंक में मिला कर दिया जाता है. लेकिन ऐसे में असर देर से शुरू होता है. ऐसे भी मामले देखे गए हैं जब इन्हें सीधे व्यक्ति पर स्प्रे कर दिया गया हो. इससे वे सीधे त्वचा के अंदर पहुंच जाते हैं.
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क्या है इलाज?
जहर को जहर काटता है. इसके असर को कम करने के लिए एक एंटीडोट दिया जा सकता है लेकिन जरूरी है यह जल्द से जल्द दिया जाए. एंटीडोट देने से पहले यह पता लगाना भी जरूरी है कि किस प्रकार का नर्व एजेंट दिया गया है.
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किस प्रकार के होते हैं?
नर्व एजेंट को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. जी-एजेंट, वी-एजेंट और नोविचोक. शुरुआत 1930 के दशक में हुई जब सस्ते कीटनाशक बनाने के चक्कर में एक घातक जहर का फॉर्मूला तैयार हो गया और यह जर्मन सेना के हाथ लग गया.
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क्या है जी-एजेंट?
'जी' इसलिए क्योंकि यह जर्मनी में बना. 1936 में सबसे पहला जी-एजेंट जीए बना. उसके बाद जीबी, जीडी और जीएफ तैयार किए गए. जीबी को ही सारीन के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिका युद्ध की स्थिति में रासायनिक हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल कर चुका है.
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क्या है वी-एजेंट?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने भी नर्व एजेंट बनाना शुरू किया. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 1950 के दशक में वीएक्स तैयार किया. वीएक्स के अलावा वीई, वीजी, वीएम और वीआर भी हैं लेकिन वीएक्स सबसे घातक है.
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क्या है नोविचोक?
रूसी भाषा में नोविचोक का मतलब है नया. इन्हें 70 और 80 के दशक में सोवियत संघ में बनाया गया था. इनमें से एक ए-230, वीएक्स की तुलना में पांच से आठ गुना ज्यादा जहरीला होता है और मिनटों में जान ले सकता है.
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कैसे ट्रांसपोर्ट होते हैं?
यह इतने जहरीले होते हैं कि इन्हें ले जाने वाले पर भी खतरा बना रहता है. जरा सा संपर्क भी जानलेवा साबित हो सकता है. इसलिए इनके लिए खास तरह की शीशी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कस कर बंद किया जाता है. साथ ही ट्रासंपोर्ट करने वाला खास तरह के कपड़े भी पहनता है.
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कहां से आया?
नर्व एजेंट कोई आम जहर नहीं है जिसे घर पर बना लिया जाए. यह सैन्य प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है और हर एक फॉर्मूले में थोड़ा बहुत फर्क होता है. इसलिए हमले के मामले में पता किया जाता है कि फॉर्मूला कौन से देश का है. इसके अलावा जिस शीशी या कंटेनर में जहर लाया गया, उसकी बनावट से भी पता किया जाता है.
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कितना असरदार?
नर्व एजेंट के हमले के बाद बचने की संभावना बहुत ही कम होती है. हालांकि खतरा कितना ज्यादा है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि जहर किस मात्रा में दिया गया है.