इसी सप्ताह अफगानिस्तान में दो और महिला कार्यकर्ता लापता हो गईं. उन्हें गायब करने के आरोप तालिबान पर लग रहे हैं और अब संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान से इस मामले में जानकारी मांगी है.
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इसी के साथ 2022 में अभी तक अफगानिस्तान में अचानक लापता हो जाने वाली महिला कार्यकर्ताओं की संख्या चार हो गई है. बताया जा रहा है कि इन दोनों महिलाओं को तालिबान ने हिरासत में ले लिया है लेकिन इन रिपोर्टों की पुष्टि नहीं हो पाई है.
इसी बीच अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन (यूएनएमए) ने बताया कि उसने तालिबान से इस बारे में "तुरंत जानकारी" मांगी है. संस्था ने एक ट्वीट में कहा, "संयुक्त राष्ट्र "गायब" महिला कार्यकर्ताओं और उनके रिश्तेदारों को छोड़े जाने की मांग दोहरा रहा है."
तालिबान ने फंसाया
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की विशेष राजदूत रीना अमीरी ने भी तालिबान से कहा कि वो महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करे. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "अगर तालिबान अफगान लोगों से और दुनिया से मान्यता चाहते हैं तो उन्हें अफगान लोगों के और विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करना पड़ेगा."
यूएनएमए ने गायब हुई महिलाओं का नाम नहीं बताया लेकिन एक और अधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि तालिबान ने जहरा मोहम्मदी और मुरसल अयार को गिरफ्तार कर लिया है. इस कार्यकर्ता ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया, "जहरा एक दंत चिकित्सक हैं और एक क्लीनिक में काम करती हैं. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है."
उन्होंने यह भी बताया कि अयार से उनके एक पुरुष सहयोगी ने उनका वेतन उन्हें देने के लिए उनका पता मांगा और उसके बाद उनके घर से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने बताया, "इस तरह से उन्हें फंसाया गया. तालिबान ने उन्हें ढूंढ निकाला और गिरफ्तार कर लिया."
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लापता कार्यकर्ता
उन्होंने यह भी बताया कि अयार के पिता को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. कुछ ही हफ्तों पहले तमन्ना जरयाबी परयानी और परवाना इब्राहिमखेल नाम की कार्यकर्ता भी काबुल में एक प्रदर्शन में शामिल होने के बाद इसी तरह गायब हो गई थीं.
संयुक्त के मानवाधिकार उच्चायुक्त ने इन महिलाओं और उनके परिवार के चार रिश्तेदारों के लिए चिंता जताई है. ये सब अभी भी लापता हैं. तालिबान ने कहा है कि इनमें से किसी के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. उसने यह भी कहा है कि वो मामले की जांच कर रहा है.
अगस्त 2020 में देश में सत्ता हथियाने के बाद तालिबान ने विरोध के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं. महिलाओं की रैलियों को जबरन तितर-बितर कराया गया, आलोचकों को गिरफ्तार किया गया और प्रदर्शनों पर खबर कर रहे स्थानीय पत्रकारों को मारा-पीटा.
तालिबान ने वादा तो किया है कि 1996 से 2001 के बीच उनके पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने जो कड़े इस्लामी कानून लागू किए थे उतने कड़े कानून इस बार लागू नहीं किए जाएंगे. लेकिन सत्ता में आते ही बहुत जल्द ही महिलाओं को अधिकांश सरकारी नौकरियों से प्रतिबंधित कर दिया और लड़कियों के अधिकांश माध्यमिक स्कूल भी बंद कर दिए.
सीके/एए (एएफपी)
अब महिला पुतलों के सिर कटवा रहा तालिबान
अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में कपड़ा और अन्य दुकानदारों को अपनी दुकान के महिला पुतलों का सिर काटने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस आदेश को लेकर स्थानीय दुकानदार गुस्से में हैं जबकि बाहर आदेश का मजाक उड़ाया जा रहा है.
तस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance
महिला पुतलों के सिर काटने का आदेश
अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी दुकानदारों को महिला पुतलों के सिर काटने का आदेश दिया है. तालिबान का तर्क है कि इस तरह का इंसानी बुत इस्लामिक कानूनों का उल्लंघन करता है. हेरात के एक शख्स की दुकान पर इन पुतलों के सिर काटने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसका अफगानिस्तान के अंदर और बाहर काफी मजाक उड़ाया जा रहा है.
तस्वीर: Sayed Aqa Saeedi/dpa/picture alliance
महिलाओं और लड़कियों पर पाबंदियां
अगस्त में सत्ता में लौटने के बाद से ही तालिबान ने इस्लामिक कानूनों की कट्टर व्याख्या को लोगों पर लागू किया है. लोगों की आजादी पर कई तरह की पाबंदियां लग गई हैं, खासकर महिलाओं और लड़कियों पर. हालांकि कट्टर इस्लामिक गुट ने इन पुतलों को लेकर अब तक कोई औपचारिक राष्ट्रीय नीति या प्रतिबंध घोषित नहीं किए हैं लेकिन कई स्थानीय धड़े ऐसी चीजों को अनैतिक बताकर लोगों पर नकेल कसने का काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Jalil Rezayee/dpa/picture alliance
स्कार्फ से ढंकने की कोशिश रही बेकार
हेरात में सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई को रोकने के मंत्रालय के प्रमुख अजीज रहमान ने बुधवार को ऐसा आदेश दिए जाने की पुष्टि भी की. आदेश आने के बाद कुछ दुकानदारों ने स्कार्फ या बैग से ढंककर पुतलों का सिर छिपाने की कोशिश की लेकिन यह बेकार रही. रहमान ने यह भी कहा, "अगर वे सिर्फ सिर ढकेंगे या पूरे पुतले को ही छिपा देंगे तो अल्लाह उनकी दुकान, या घर में नहीं घुसेगा और उन्हें आशीर्वाद भी नहीं देगा."
तस्वीर: Haroon Sabawoon/AA/picture alliance
गुस्से में कपड़ा विक्रेता
6 लाख की आबादी वाले इस शहर के कई दुकानदार आदेश को लेकर गुस्से में हैं. एक कपड़ा विक्रेता बशीर अहमद कहते हैं, "आप देख सकते हैं, हमने सिर काट दिए हैं." उन्होंने यह भी बताया कि हर डमी का दाम करीब साढ़े तीन हजार होता है. उनके मुताबिक "जब कोई पुतले ही नहीं होंगे तो हम अपना सामान कैसे बेचेंगे? जब कोई कपड़ा ढंग से पुतले को पहनाया गया हो तभी वो ग्राहकों को वह पसंद आता है."
तस्वीर: Jalil Rezayee/dpa/picture alliance
शासन के कट्टर कानून
15 अगस्त को सत्ता में वापसी के बाद तालिबान ने 1996 से 2001 के दौरान पहले शासन के कट्टर कानूनों को इस बार हल्का रखने का वादा किया था. तब भी इंसान जैसी दिखने वाली नकली चीजों को बैन किया गया. ये कड़ी पाबंदियां फिर वापस आ रही हैं. नई पाबंदियों में लोगों को दिन में पांच दफा नमाज के लिए आने, मर्दों को दाढ़ी बढ़ाने और पश्चिमी कपड़े ना पहनने के लिए प्रेरित करने की बात भी स्थानीय रिपोर्ट्स में कही गई है.
तस्वीर: Mohd Rasfan/AFP/Getty Images
लड़कियों के ज्यादातर स्कूल बंद
महिलाएं इन पाबंदियों का खासा नुकसान झेल रही हैं और धीरे-धीरे उनकी सार्वजनिक जिंदगी खत्म होती जा रही है. लड़कियों के ज्यादातर स्कूल बंद कर दिए गए हैं. महिलाओं को ज्यादातर सरकारी नौकरियों में शामिल होने से रोक दिया गया है. पिछले हफ्ते एक नए आदेश में महिलाएं के लंबी यात्राओं पर अकेली जाने पर भी रोक लगा दी गई है. उन्हें किसी न किसी पुरुष रिश्तेदार को साथ लेकर ही यात्रा करनी होगी.
तस्वीर: Allauddin Khan/AP/picture alliance
शराब बेचने वालों पर छापेमारी
तालिबान ने शराब बेचने वालों पर छापेमारी तेज कर दी है. ड्रग्स के आदी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है और संगीत को भी बैन कर दिया है. तालिबान के सत्ता में आने ने अफगानिस्तान की पहले से ही मदद पर आधारित अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है. अमेरिका ने जहां कई बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद पर रोक लगा दी है, वहीं अफगानिस्तान को मिलने वाली ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मदद भी रोक दी गई है.