गिनी की प्रवासी आयशा कहती हैं, "मैंने एक बुरा सपना सिर्फ नरक में गिरने के लिए छोड़ा था." उत्तरी अफ्रीकी देश लीबिया में ऐसे कई गिरोह सक्रिय हैं जो लालच देकर इस तरह से मानव तस्करी करते हैं.
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पांच गर्भपात के बाद आयशा अपने देश से भाग गई. वह अपने ससुराल और पड़ोसियों के लिए या तो बांझ थी या "डायन." होटल मैनेजमेंट में ग्रेजुएट आयशा कहती हैं, "मैं अपने देश से केवल गायब होना चाहती थी." आयशा ने एक पूर्व सहपाठी से संपर्क किया, जो पड़ोसी लीबिया में अपना जीवन जी रही थी. उसने आयशा को साथ जुड़ने के लिए पैसे उधार दिए. आयशा अपनी कहानी बयां करती हैं, "मैंने देश तक नहीं देखा. जैसे ही मैं आई, मुझे बंद कर दिया गया, मैं एक गुलाम बन गई. मेरी दोस्त मेरे पास कुछ पुरुषों को लाई और उसे पैसे मिल गए." वह कमरे बंद रही और उसमें सिर्फ एक टॉयलेट था. उसकी "दोस्त" सिर्फ उसे खाना पहुंचाने आती.
नरक बनी जिंदगी
आयशा आज भी वह दिन याद कर सहम जाती हैं. वो बताती हैं, "युवक शराब के नशे में आते थे. मैं उसे याद भी नहीं करना चाहती हूं. मैंने सोचा था कि मेरी जिंदगी खत्म हो गई." तीन महीने बाद लीबिया के शख्स ने उस पर तरस दिखाते हुए उसको कैद करने वाले को धमकी देने के बाद उसे छुड़ाया. उस शख्स ने आयशा को ट्यूनीशिया की बस में सवार किया और उसे कुछ पैसे दिए. वह अब यूरोप जाना चाहती है लेकिन लीबिया लौटना नहीं चाहती. आयशा कहती हैं, "मैं अपने सबसे बड़े दुश्मन के लिए भी ऐसा होता देखना नहीं चाहूंगी."
पिछले दो सालों से आयशा अन्य प्रवासी महिलाओं के साथ दक्षिणी ट्यूनीशिया में रह रही हैं. स्थानीय रेड क्रिसेंट की प्रमुख मोंगी स्लिम के मुताबिक लीबिया जाने वाली अधिकांश महिलाओं को भी वेश्यावृत्ति, बलात्कार या यौन उत्पीड़न के लिए मजबूर किया गया. स्लिम कहती हैं, "उनमें से कुछ, अगर उनके पास एक पुरुष की सुरक्षा होती, तो उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया. लेकिन सिंगल महिलाओं के लिए यह लगभग व्यवस्थित है."
सेक्स गुलाम बनती महिलाएं
आयशा डायबिटीज की मरीज थीं और इलाज कराने के बाद उन्होंने पिछले साल एक लड़की को जन्म दिया है.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, लीबिया सरकार के नियंत्रण में आधिकारिक केंद्र और जहां यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित तटरक्षक ट्रांसफर-निर्वासित होते हैं, वे भी भ्रष्टाचार और हिंसा से ग्रस्त हैं, जिसमें यौन उत्पीड़न भी शामिल है.
संयुक्त राष्ट्र ने 2019 की एक रिपोर्ट में कहा था, "तस्करों और अपराधियों द्वारा प्रवासन मार्गों, हिरासत केंद्रों, जेलों और शहरी प्रवासियों के खिलाफ उग्रवादियों और सशस्त्र समूहों द्वारा यौन हिंसा जारी है." 2014 से लीबिया के संघर्ष की तीव्रता के साथ इस तरह के अपराधों में वृद्धि हुई है.
संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल यौन अपराधों से निपटने के लिए सुरक्षा अधिकारियों को तैनात करने का फैसला किया था. लेकिन उन्हें अभी तक भर्ती भी नहीं किया गया है. और पकड़े गए प्रवासियों को अब भी वापस लीबिया भेज दिया जाता है.
एए/सीके (एएफपी)
दुनिया का सबसे अनोखा बॉर्डर
यूरोपीय शहर बार्ले नीदरलैंड और बेल्जियम की सीमा पर स्थित है. यहां दोनों देशों के बीच की राष्ट्रीय सीमा घरों, रेस्तरां, टी हाउस और संग्रहालयों से होकर गुजरती है. इसके कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी.
तस्वीर: by-sa Jérôme
बार्ले है अनोखा शहर
लाल ईंट के घर, बड़े दरवाजे वाले गोदाम, साफ-सुथरी सड़कें, पहली नजर में यह शहर यूरोपीय देशों बेल्जियम और नीदरलैंड्स के आम सीमावर्ती शहरों जैसा दिखता है. लेकिन हकीकत में बार्ले की हैसियत बेहद अनोखी है. यहां आप एक देश में नाश्ता बना सकते हैं और दूसरे देश में खा सकते हैं.
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यह है बॉर्डर की पहचान
अगर आप बार्ले में हैं तो आप एक देश में कुर्सी पर बैठकर दूसरे देश की सीमा के भीतर टीवी देख सकते हैं. बार्ले में एक जोड़े के लिए एक ही बिस्तर पर सोना संभव है लेकिन एक ही समय में दो अलग-अलग देशों में. दो देशों को अलग करने के लिए बनी सीमा कई बार घर, सामुदायिक भवन और कैफे हाउस को पार करती हुई जाती है.
तस्वीर: Sanja Kljajić/DW
कभी नीदरलैंड्स तो कभी बेल्जियम
बेल्जियम के शहर को बार्ले हेरटोग के नाम से जाना जाता है और जो इलाका नीदरलैंड्स में उसे बार्ले नासायु के नाम से जाना जाता है. कुछ हिस्से बेल्जियम और कुछ नीदरलैंड्स में आते हैं. दोनों देशों के बीच की सीमा लोगों के घरों से होकर गुजरती है. सीमा को सफेद क्रॉस से चिह्नित किया गया है.
तस्वीर: Sanja Kljajić/DW
इतिहास और सीमाएं
स्थानीय पर्यटन कार्यालय के प्रमुख विलियम वैन गूल डीडब्ल्यू से कहते हैं 20वीं सदी में इलाका दलदली था. 1198 में ब्राबांट के ड्यूक हेनरी प्रथम ने इस क्षेत्र को ब्रेडा के शासक को जमीन पट्टे पर दी, लेकिन उन्हें वही जमीन दी गई जो उपजाऊ नहीं थी. हेनरी ने उपजाऊ भूमि को अपने लिए रखा.
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देशों का बनना
1830 में जब बेल्जियम नीदरलैंड्स से अलग होकर स्वतंत्रत राष्ट्र बना तो बेल्जियम को अपनी सीमाओं को निर्धारित करने की आवश्यकता थी. सर्वेक्षकों ने उत्तरी सागर के तट से जर्मन राज्यों की सीमा को निर्धारित किया. लेकिन जब वे इस क्षेत्र में पहुंचे, तो सीमा के मुद्दों को बाद में निपटाने के लिए छोड़ दिया गया.
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दरवाजे के हिसाब से नागरिकता
दोनों देशों में कई घर, बाग, गलियां, दुकानें आदि बंटे हुए थे. स्थायी संघर्ष से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया कि जिस घर का प्रवेश द्वार जिस देश की सीमा में खुलेगा, उसमें रहने वालों को उस देश की नागरिकता दी जाएगी.
तस्वीर: Sanja Kljajić
समस्या सुलझाने के उपाय
बार्ले में हर चीज दो हैं: शहर के दो नाम, दो महापौर, दो नगरपालिका प्रशासन, दो डाकघर - लेकिन उन सभी को चलाने वाली समिति एक ही है ताकि स्थानीय मुद्दों को जल्दी से हल किया जा सके और सहयोग को और बढ़ाया जा सके.
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पर्यटकों के बीच लोकप्रिय
बार्ले दुनिया के लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है. यहां पर्यटक आते हैं तो एक दरवाजे पर दो झंडे के साथ तस्वीर निकलवाते हैं तो सड़क पर बनी सीमा पर बैठकर एक ही समय में दो देशों में होने का अनुभव करते हैं.