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इन महिलाओं ने बदल दी विज्ञान की दुनिया

१९ अप्रैल २०१९

ब्लैक होल की तस्वीर के साथ अमेरिका की कंप्यूटर साइंटिस्ट केटी बाउमैन दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गईं. बाउमैन की ही तरह और भी कई महिलाओं ने विज्ञान जगत में अपना योगदान दिया है लेकिन उन्हें पहचान नहीं मिली.

Projekt Zukunft vom 17.02.2019 Frauen in der Wissenschaft
तस्वीर: DW

सदियों से महिलाओं ने विज्ञान के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है लेकिन महिला वैज्ञानिकों को कभी वो सम्मान नहीं मिला जिसकी वे हकदार थीं. मिसाल के तौर पर, क्या आप जानते हैं कि इतिहास में दर्ज पहली महिला डॉक्टर कौन थीं? प्राचीन मिस्र की पेसेशेट. करीब 2600 ईसा पूर्व में उन्होंने चिकित्सा का काम किया और सौ से ज्यादा दाइयों को प्रशिक्षण दिया.

इसी तरह एक बेबिलॉनियन टैबलेट पर मिले 1200 ईसा पूर्व के शिलालेख से पता चलता है कि टापुति-बेलाटेकालिम दुनिया की पहली केमिस्ट यानी रसायनशास्त्री थीं. वह इत्र बनाना जानती थीं. इसके अलावा उन्होंने तरल पदार्थों को साफ करने यानी डिसटिलेशन के लिए एक उपकरण भी बनाया था. इसके आधुनिक स्वरूप आज भी काम में आते हैं.

फिर सन 400 में अलेक्जेंड्रिया की हाइपेशिया, यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्र और खगोल-विज्ञान पर लेक्चर देने वाली दुनिया की पहली महिला बनीं. हाइपेशिया एक गणित की विद्वान थीं जिनकी ईसाई कट्टरपंथियों की भीड़ ने जान ले ली थी. इतिहास की किताबों में उनकी हत्या तो दर्ज है लेकिन उनकी उपलब्धियां नहीं.

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ऐसी ही एक और मिसाल हैं ब्रिटेन की गणितज्ञ एडा लवलेस, जो अपने समय में तो प्रसिद्ध नहीं थीं लेकिन कंप्यूटर साइंस के प्रथम अन्वेषकों में से थीं. 1843 में उन्होंने पहली बार आधुनिक डिजिटल कंप्यूटर का पहला एलगोरिदम "एनेलिटिकल इंजन" बना लिया था. उन्हें दुनिया की पहली प्रोग्रामर भी कहा जाता है.

1903 में मैरी क्यूरी को रेडियोएक्टिविटी पर अपने बड़े काम के लिए पहचान मिली. पोलिश मूल की क्यूरी को भौतिक विज्ञान में साझा नोबेल और बाद में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार मिला. वे नोबेल से सम्मानित की जाने वाली दुनिया की पहली महिला थीं. हालांकि ऑस्ट्रिया की वैज्ञानिक लिजे माइटनर ने परमाणु विखंडन की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन उन्हें नोबेल नहीं दिया गया.

ब्रिटिश रसायनशास्त्री रोजालिंड फ्रेंकलिन के साथ भी ऐसा ही हुआ. उन्होंने डीएनए अणु की संरचना की पहचान के लिए जरूरी पहली एक्स-रे तस्वीर बनाई थी. दरअसल नोबेल पुरुस्कारों के 118 साल के इतिहास में विज्ञान के क्षेत्र में केवल तीन प्रतिशत पुरस्कार ही महिलाओं को दिए गए हैं. जर्मनी की बात करें तो केवल एक महिला, क्रिस्टियाने न्युसलाइन-फॉलहार्ड को फलों में लगने वाले कीड़ों की आनुवांशिकी पर शोध के लिए नोबेल मिला है.

साल 2018 में कनाडा की डॉना स्ट्रिकलैंड 55 साल में पहली ऐसी महिला बनीं जिन्हें भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल मिला. उन्हें पल्स्ड लेजर पर किए गए काम के लिए नोबेल से सम्मानित किया गया था. अब उम्मीद है कि अमेरिका की केटी बाउमैन को ब्लैक होल की पहली तस्वीर तैयार करने में मिली सफलता के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. इसके बाद भी विज्ञान जगत में महिलाओं को प्रोत्साहित करते रहना होगा.

आंद्रेयास नॉयहाउस/आईबी

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