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अर्थव्यवस्थाऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया में घर से काम करने पर लगीं सारी पाबंदियां खत्म

विवेक कुमार, सिडनी से
१४ जुलाई २०२३

ऑस्ट्रेलिया में अब सरकारी और कुछ निजी कंपनियों के कर्मचारियों को पूरी तरह घर से काम करने की छूट दे दी गयी है. उद्योग जगत इस बात से काफी चिंतित है.

पूरी दुनिया में घर से काम करना चाहते हैं लोग
पूरी दुनिया में घर से काम करना चाहते हैं लोगतस्वीर: Nada Harib/Getty Images

ऑस्ट्रेलिया में कर्मचारियों के घर से काम करने को स्थायी बनाने के लिए सरकार, निजी कंपनियों और कर्मचारी संघों के बीच ऐतिहासिक समझौते हो रहे हैं. सरकारी कर्मचारी तो अब जब तक चाहें घर से काम कर सकते हैं. इसी हफ्ते सरकार ने कर्मचारियों के साथ हुए एक समझौते के तहत घर से काम करने के घंटों पर लगी सीमा हटा ली है. समझौते में यह भी सुनिश्चित किया गया है कि बिना किसी वाजिब वजह के किसी कर्मचारी को दफ्तर आने के लिए नहीं कहा जा सकेगा.

ऐसा ही समझौता देश के सबसे बड़े निजी बैंकों में से एक नेशनल ऑस्ट्रेलियन बैंक (नैब) ने अपने कर्मचारियों के साथ किया है और उन्हें घर से काम करने के अधिकार दिये हैं. अन्य कई बड़ी निजी कंपनियां भी ऐसे ही समझौते की तैयारी में हैं.

लेकिन बहुत सारे उद्योगों ने इस समझौते पर निराशा जताते हुए कहा है कि इससे अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और शहरों के केंद्र, जहां अधिकतर दफ्तर होते हैं, बंद होने के कगार पर पहुंच सकते हैं.

सारी पाबंदियां खत्म

ऑस्ट्रेलिया की कम्युनिटी एंड पब्लिक सेक्टर यूनियन ने इसी हफ्ते ऐलान किया कि सरकार काम के और ज्यादा लचीले घंटों के लिए राजी हो गयी है. इस समझौते में सरकारी कर्मचारियों के घर से काम करने के दिनों पर लगी सीमा भी हटा ली गयी है. अगर जरूरी नहीं है तो कर्मचारी दफ्तर आने के अनुरोध को मना भी कर सकते हैं.

सीपीएसयू की राष्ट्रीय महासचिव मेलिसा डॉनली ने स्थानीय एबीसी रेडियो को बताया, "केंद्रीय सरकारी कर्मचारी घर से काम करने का अनुरोध कर सकते हैं. कम ही मामले हैं जिनमें इस अनुरोध को नकारा जा सकता है.”

असल में कोविड के दौरान घर से काम करने को लेकर कोई नियम नहीं था. लेकिन कोविड लॉकडाउन खत्म होने के बाद सरकार और निजी कंपनियों ने घर से काम करने पर पाबंदियां लगा दी थीं. इसकी मुख्य वजह अर्थव्यवस्था में आ रही मंदी थी, जिसके कारण लोगों को दफ्तरों में लाना आवश्यक समझा गया, ताकि बाजार में चहल-पहल लौटे. हालांकि करीब दो साल तक चले वर्क फ्रॉम होम के दौरान कर्मचारी काफी राहत महसूस कर रहे थे और दफ्तरों में लौटने को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं थे.

डॉनली बताती हैं, "कुछ कंपनियों और सरकारी एजेंसियों ने घर से काम करने को लेकर नियम बना दिये हैं. कितने दिन तक घर से काम किया जा सकता है, इसकी सीमाएं तय कर दी गयी हैं. इस समझौते के बाद वे सारी सीमाएं खत्म हो जाएंगी.”

अर्थव्यवस्था पर असर

यह समझौता खासतौर पर रिटेल बिजनेस करने वाले लोगों को पसंद नहीं आ रहा है. साउथ ऑस्ट्रेलिया प्रांत के उद्योग संगठनों ने तो इस पर काफी निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि इसके कारण शॉपिंग सेंटर ‘भुतहा जगहों' में बदल सकते हैं.

प्रॉपर्टी काउंसिल साउथ ऑस्ट्रेलिया के कार्यकारी निदेशक ब्रूस जीटे कहते हैं, "इसे मिसाल नहीं बनाया जा सकता. यह शहर के लिए मौत की खबर साबित होगा. घर से काम करने के असीमित घंटों का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर होगा. यह हजारों उद्योगों का दम तोड़ देगा.”

कोविड-19 महामारी के दौरान घर से काम करना पूरी दुनिया में ही सामान्य हो गया था. लेकिन तब बाजार भी बंद थे इसलिए इसका ज्यादा असर नजर नहीं आया. लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब उद्योग धंधे खुलने लगे तो वर्क फ्रॉम होम को अर्थव्यवस्था के लिए एक खतरे के तौर पर देखा गया.

अमेरिका में हुए एक अध्ययन में अर्थशास्त्रियों एलेग्जैंडर बिक, एडम ब्लांडिन और कैलर मर्टेन्स ने पाया कि मई 2020 में 35.2 फीसदी लोगों ने पूरी तरह घर से काम किया, जो फरवरी 2020 के मुकाबले 8.2 फीसदी ज्यादा था.

अपने अध्ययन की रिपोर्ट में उन्होंने लिखा, "उच्च शिक्षा प्राप्त, अधिक आय वाले श्वेत लोगों के घर से काम करने की संभावना ज्यादा थी." अमेरिका में जो लोग घर से काम कर सकते थे, उनमें से लगभग 71.2 फीसदी लोगों ने इस विकल्प को चुना.

घर से काम करना चाहते हैं लोग

कई अध्ययनों में यह बात भी सामने आई कि इस चलन का असर अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं पर हुआ. मैथ्यू जे. डेल्वेन्थल, युन्जी क्वोन और आंद्री पार्कहोमेंको ने एक अध्ययन में पाया कि जब लोगों ने घर से काम करना शुरू किया तो ना सिर्फ ट्रैफिक कम हुआ बल्कि प्रॉपर्टी की कीमतों में भी बदलाव हुआ और शहर के केंद्रों के आसपास कीमतें कम हो गयी व शहर से दूर के इलाकों में कीमतें बढ़ गईं क्योंकि लोग सस्ते इलाकों में घर लेने में ज्यादा इच्छुक नजर आए.

सरकारों के सामने चुनौती, लोगों को दफ्तर कैसे बुलाएं

कई अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि घर से काम करने पर लोगों की उत्पादकता बढ़ी है और वे कम समय में ज्यादा काम कर रहे हैं. स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के निकलस ब्लूम ने अपने शोध में पाया कि जो लोग घर से काम कर रहे हैं, वे ना सिर्फ बेहतर काम करते हैं, बल्कि उनके नौकरियां बदलने की संभावना भी कम होती है. एक अन्य अध्ययन में यह भी कहा गया कि कंपनियों ने अगर लोगों को दफ्तर आने को मजबूर किया तो वे नौकरियां छोड़ना बेहतर समझते हैं.

कोविड महामारी ने दुनिया पर कई ऐसे प्रभाव छोड़े हैं, जो सदा के लिए रह सकते हैं. घर से काम करने की संस्कृति को उनमें से एक के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि इस चलन का अपने आप में कितना असर होगा, यह समझना अभी कुछ जल्दबाजी है.

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