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मानवाधिकारसंयुक्त राज्य अमेरिका

26 सबसे गरीब देशों का कर्ज 18 साल के उच्चतम स्तर पर

१५ अक्टूबर २०२४

वर्ल्ड बैंक ने एक नई रिपोर्ट में कहा कि दुनिया के 26 सबसे गरीब देश, जहां दुनिया के 40 प्रतिशत सबसे गरीब लोग रहते हैं, 2006 के बाद से किसी भी समय की तुलना में अधिक कर्जदार हैं.

यमन में संघर्ष के कारण विस्थापित हुए लोग (फाइल तस्वीर)
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश गरीब देश उप-सहारा अफ्रीका में हैं, इथियोपिया से लेकर चाड और कांगो तक, लेकिन सूची में अफगानिस्तान और यमन भी शामिल हैंतस्वीर: Khaled Ziad/AFP

वर्ल्ड बैंक की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के 26 सबसे गरीब देश, जिनमें 40 प्रतिशत सबसे अधिक गरीबी से ग्रस्त लोग रहते हैं, 2006 के बाद से किसी भी समय की तुलना में अधिक कर्ज में हैं और प्राकृतिक आपदाओं और अन्य झटकों के प्रति अधिक खतरे में हैं.

रिपोर्ट में पाया गया है कि ये अर्थव्यवस्थाएं आज औसतन कोविड-19 महामारी के पहले की तुलना में अधिक गरीब हैं, जबकि बाकी दुनिया कोविड से काफी हद तक उबर चुकी है और अपनी विकास दर को फिर से शुरू कर चुकी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे गरीब देश प्राकृतिक आपदाओं और अन्य समस्याओं के प्रति संवेदनशील होते जा रहे हैं.

वॉशिंगटन में वर्ल्ड बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की वार्षिक बैठक से एक सप्ताह पहले जारी की गई रिपोर्ट, अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने के प्रयासों के लिए एक बड़े झटके की पुष्टि करती है. इस वर्ष वर्ल्ड बैंक दुनिया के सबसे गरीब देशों के लिए 100 अरब डॉलर जुटाने के प्रयासों पर जोर दे रहा है.

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सूची में अफगानिस्तान और यमन भी

वर्ल्ड बैंक ने कहा कि अध्ययन के तहत 26 सबसे गरीब अर्थव्यवस्थाएं, जिनकी वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 1,145 डॉलर से कम है, काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) की सहायता और लगभग शून्य ब्याज दरों पर कर्ज पर निर्भर हैं. उनका औसत ऋण-से-जीडीपी अनुपात 72 प्रतिशत है, जो 18 साल का उच्चतम स्तर है, और समूह का आधा हिस्सा या तो कर्ज की समस्या में है या उच्च जोखिम में है.

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक प्राकृतिक आपदाएं 2011 और 2023 के बीच सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत के औसत वार्षिक नुकसान से जुड़ी थीं, जो निम्न-मध्यम आय वाले देशों में औसत निवेश की आवश्यकता का पांच गुना हैतस्वीर: LUIS TATO/AFP

अधिकांश गरीब देश उप-सहारा अफ्रीका में हैं, इथियोपिया से लेकर चाड और कांगो तक, लेकिन सूची में अफगानिस्तान और यमन भी शामिल हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 सबसे गरीब देशों में से दो-तिहाई या तो सशस्त्र संघर्ष के शिकार हैं या वहां संस्थागत और सामाजिक कमजोरी के कारण व्यवस्था बनाए रखने में कठिनाई होती है, जो विदेशी निवेश को रोकती है. इस कारण लगभग सभी तरह का निर्यात रुक जाता है, और उन्हें बार-बार तेजी और मंदी के चक्र का सामना करना पड़ता है.

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प्राकृतिक आपदाओं का भी असर

वर्ल्ड बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रमीत गिल ने एक बयान में कहा, "दुनिया का अधिकांश हिस्सा सबसे गरीब देशों की सूची से बाहर हो गया है. आईडीए उनकी जीवन रेखा रही है. पिछले पांच वर्षों में इसने अधिकांश वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए हैं."

उन्होंने कहा, "आईडीए ने कम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में निवेश किया और उन्हें ऐतिहासिक असफलताओं से उबरने में मदद की." पिछले एक दशक में प्राकृतिक आपदाओं ने भी इन देशों पर भारी असर डाला है. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक प्राकृतिक आपदाएं 2011 और 2023 के बीच सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत के औसत वार्षिक नुकसान से जुड़ी थीं, जो निम्न-मध्यम आय वाले देशों में औसत निवेश की आवश्यकता का पांच गुना है.

रिपोर्ट यह भी सिफारिश करती है कि ये अर्थव्यवस्थाएं, जिनमें अनौपचारिक क्षेत्र कर प्रणाली के बाहर काम कर रहे हैं, खुद को समर्थन देने के लिए और अधिक प्रयास करें. इसमें करदाता पंजीकरण और कराधान को सरल बनाकर टैक्स कलेक्शन में सुधार करना शामिल है.

एए/वीके (रॉयटर्स)

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