शतरंज में ट्रांसजेंडर खिलाड़ी महिलाओं के खेल से बैन
१८ अगस्त २०२३
अंतरराष्ट्रीय शतरंज संघ ने ट्रांसजेंडर महिला खिलाड़ियों को महिलाओं के खेलों से प्रतिबंधित कर दिया है. इस तरह के कदम अन्य खेलों में भी उठाये जा चुके हैं. कई खेलों में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को लेकर विवाद चल रहा है.
शतरंज में ट्रांसजेंडर खिलाड़ीतस्वीर: Ralf Hirschberger/dpa/picture-alliance
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फीडे के नाम से जाने जाने वाले शतरंज संघ ने नए नियमों की इसी महीने अनुमति दी और ये 21 अगस्त से लागू हो जाएंगे. संघ ने कहा है कि बैन के साथ साथ वह सभी पहलुओं का "गहन विश्लेषण" भी करेगा. इस प्रक्रिया में दो साल तक लग सकते हैं.
नए नियमों के मुताबिक ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को इस बात का "पर्याप्त सबूत देना होगा कि उन्होंने उनके देश के कानून और नियमों के अनुसार लिंग परिवर्तन" कराया है.
दूसरे खेलों की तर्ज पर
संघ ने आगे कहा है कि सबूत देने के बाद भी "अगर किसी खिलाड़ी ने मेल जेंडर से फीमेल मेंपरिवर्तन करवाया है, तो उसे महिलाओं के लिए आयोजित फीडे के आधिकारिक इवेंट्स में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं है, जब तक फीडे इस पर आगे कोई फैसला नहीं ले लेता."
अभी तक इस तरह के कदम जिन खेलों में उठाये गए हैं उनमें भारी शारीरिक गतिविधि शामिल होती है, लेकिन शतरंज में ऐसा नहीं हैं.तस्वीर: Andreas Gora/dpa/picture alliance
संघ के मुताबिक वह यह "मानता है कि यह शतरंज के लिए एक विकसित होता हुआ मुद्दा है और ट्रांसजेंडर नीतियों को लेकर तकनीकी नियमों के अलावा भविष्य में शोध से मिले प्रमाण के आधार पर और नीतियों की भी जरूरत पड़ सकती है."
संघ के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स से ईमेल के जरिए अपना बयान साझा किया जिसमें उन्होंने लिखा कि यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि खिलाड़ियों के लिंग परिवर्तन से जुड़ी प्रक्रियाओं को बेहतर परिभाषित किया जा सके.
बयान के मुताबिक, "कई देशों में ट्रांसजेंडर कानून तेजी से विकसित हो रहे हैंऔर कई खेल संस्थाएं अपनी नीतियां अपना रही हैं. फीडे इन सभी बदलावों को देखता रहेगा और यह फैसला लेगा कि इन्हें शतरंज की दुनिया में कैसे लागू किया जा सकता है."
बयान में यह भी कहा गया कि ट्रांसजेंडर खिलाड़ी अभी भी "ओपन" श्रेणी की प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकते हैं. शतरंज में अधिकांश प्रतियोगिताएं सभी खिलाड़ियों के लिए खुली होती हैं, सिवाय महिलाओं की विश्व चैंपियनशिप जैसी कुछ प्रतियोगिताओं के.
'ट्रांस पैनिक' का मामला?
कई खेलों की प्रबंधक संस्थाओं ने महिलाओं की एलीट प्रतियोगिताओं में ट्रांसजेंडर महिलाओं के हिस्सा लेनेसे जुड़े नियमों को कड़ा कर दिया है. इनमें साइकलिंग, ऐथलेटिक्स और तैराकी भी शामिल हैं.
शोएब खान, कामयाब कश्मीरी ट्रांसजेंडर
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अभी तक इस तरह के कदम जिन जिन खेलों में उठाये गए हैं उनमें भारी शारीरिक गतिविधि शामिल होती है, लेकिन शतरंज में ऐसा नहीं हैं. फीडे के इस फैसले का एडवोकेसी समूहों और ट्रांसजेंडर अधिकार समर्थकों ने आलोचना की है.
अमेरिका में नेशनल एलजीबीटीक्यू टास्क फोर्स की कम्युनिकेशन्स डायरेक्टर कैथी रेना ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह "'ट्रांस पैनिक' का मामला लगता है, जिसकी कोई सफाई नहीं है, हकीकत में कोई आधार नहीं है और एक बार फिर ट्रांस लोगों को मार्जिनलाइज करने" की कोशिशहै.
रेना ने एक ईमेल में लिखा कि ये नए दिशानिर्देश "गुस्सा दिलाने वाले, कंफ्यूज करने वाले, विरोधाभासी हैं और इस बात का संकेत हैं कि ट्रांस-विरोधी मूवमेंट - विशेष रूप से वो लोग जो खेलों में एक्सक्लूजन को बढ़ावा देते हैं - कॉम्पिटिटिव खेलों के दूसरे इलाकों में भी फैल रहा है और यह एक बेहद परेशान करने वाली घटना है."
सीके/वीके (रॉयटर्स, एपी)
कहां कहां अवैध है लिंग परिवर्तन
रूस की संसद ने लिंग परिवर्तन करने पर प्रतिबंध का प्रस्ताव पेश किया है. ऐसे कई देश हैं, जहां लिंग परिवर्तन अवैध है और ऐसा करने पर सजा का भी प्रावधान है.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
अमेरिका
अमेरिका में लिंग परिवर्तन एक विवादास्पद मुद्दा है. कई राज्यों में ऐसी सर्जरी अवैध है. जून में ही टेक्सस ने अवयस्कों के लिए लिंग परिवर्तन सेवा उपलब्ध कराने पर प्रतिबंध लगाया. करीब एक दर्जन राज्यों में ऐसे प्रतिबंध लागू हैं.
तस्वीर: Spencer Platt/Getty Images
पाकिस्तान
पाकिस्तानी न्यायपालिका ने इसी साल मई में एक फैसला दिया कि ट्रांसजेंडर लोगों को मिली कानूनी सुरक्षा इस्लामिक दृष्टि से अवैध है, इसलिए लागू नहीं होती. हालांकि पाकिस्तान में लोग अपने आपको थर्ड जेंडर के रूप में रजिस्टर करा सकते हैं. 2009 में पाकिस्तान ऐसा करने वाला पहला दक्षिण एशियाई देश बना था. उसके बाद 2014 में भारत ने भी ऐसा ही किया.
तस्वीर: Betsy Joles/Getty Images
स्वीडन
लैंगिक अधिकारों के मामले में सबसे उदारवादी देशों में से एक स्वीडन ने 1972 में ही लिंग परिवर्तन को कानूनन मान्य कर दिया था. लेकिन पिछले साल बच्चों के लिए उपलब्ध कुछ हॉर्मोन थेरेपी पर पाबंदियां लगनी शुरू हुईं. इसकी वजह ‘मांग में बहुत ज्यादा वृद्धि के कारण सावधानी’ को बताया गया. वहां लड़कियों के लिए स्तन हटवाना भी अवैध है.
समलैंगिक अधिकारों के मामले में फिनलैंड को दुनिया के सबसे आधुनिक और उदार देशों में गिना जाता है. लेकिन 2020 में फिनलैंड ने अवयस्कों के लिए हॉर्मोन थेरेपी पर रोक लगा दी थी.
तस्वीर: Peter Endig/ZB/picture alliance
हंगरी
हंगरी में दक्षिणपंथी नेता विक्टर ओर्बन की सरकार आने के बाद से लिंगभेद को लेकर रवैया काफी अनुदार हुआ है. मई 2020 में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए पहचान पत्र पर अपना नाम और लिंग बदलना असंभव कर दिया गया.
तस्वीर: Frank Hoermann/Sven Simon/IMAGO
अर्जेन्टीना
ट्रांसजेंडर अधिकारों को लेकर अर्जेन्टीना ने काफी तरक्कीपसंद रवैया बरता है. 2012 में ही वहां पहचान पत्रों पर लिंग बदलना आसान किया गया. कई दक्षिण अमेरिकी देशों ने भी ऐसा ही किया है.
2014 में डेनमार्क यूरोप का पहला देश बना था, जहां वयस्कों को लिंग परिवर्तन के लिए बिना किसी जांच के अर्जी देने का अधिकार दिया गया. उसके बाद माल्टा, आयरलैंड, नॉर्वे, बेल्जियम और पुर्तगाल ने भी ऐसा ही किया.
इसी साल फरवरी में संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसके तहत 16 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी व्यक्ति को पहचान पत्र में लिंग परिवर्तन की इजाजत दी गई. 14 वर्ष से अधिक आयु के लोग अपने अभिभावकों की सहमति से ऐसा कर सकते हैं. अब जर्मनी भी ऐसा ही करने जा रहा है.
तस्वीर: Susana Vera/REUTERS
फ्रांस
फ्रांस में लोग बिना लिंग परिवर्तन कराए भी पहचान पत्र पर अपना लिंग बदल सकते हैं. इसके लिए उन्हें सर्जरी कराने की जरूरत नहीं है लेकिन कोर्ट से इजाजत लेनी होती है.