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नरक की ओर बढ़ रहे हैं हम, और पांव रेस पर हैः गुटेरेश

८ नवम्बर २०२२

मिस्र के शर्म अल शेख में 27वें सालाना जलवायु सम्मेलन कॉप27 का उद्घाटन करते हुए यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने चेताया कि दुनिया ‘नरक के रास्ते पर चल रही है.’

शर्म अल शेख में जलवायु सम्मेलन की शुरुआत
शर्म अल शेख में जलवायु सम्मेलन की शुरुआततस्वीर: Joseph Eid/AFP/Getty Images

शर्म अल शेख में दो दिवसीय जलवायु सम्मेलन कॉप27 की शुरुआत गंभीर चेतावनियों से हुई है. यूएन महासचिव गुटेरेश और कई अन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भविष्य अंधकारमय है और चीजें ठीक करने के लिए बहुत कम समय बचा है.

गुटेरेश ने कहा, "मानवता के पास दो ही विकल्प हैः सहयोग या विनाश. या तो जलवायु के मुद्दे पर साथ आना होगा या फिर सामूहिक आत्महत्या.” उन्होंने चेतावनी दी कि फिलहाल जो दिशा है, वह बताती है कि "हम जलवायु-नरक के हाईवे पर चल रहे हैं और हमारा पांव एक्सलरेटर पर है.”

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गुटेरेश ने कहा कि जीवाश्म ईंधनों को छोड़ वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाने की रफ्तार बढ़ाने के लिए दुनिया के सबसे धनी और सबसे गरीब देशों के बीच एक समझौते की जरूरत है. उन्होंने कम संसाधन-संपन्न देशों को तुरंत धन उपलब्ध कराने का आग्रह किया ताकि वे अपना उत्सर्जन घटा सकें और जलवायु परिवर्तन के असर को झेल सकें.

बड़े देश जिम्मेदारी लें

गुटेरेश ने कहा, "दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन को इस समझौते को वास्तविकता बनाने के लिए कोशिशों का हिस्सा बनने की खासतौर पर जरूरत है.” उन्होंने कॉप27 में शामिल नेताओं से आह्वान किया कि स्पष्ट और समयबद्ध रास्ते पर सहमत हों और "वित्त उपलब्ध कराने के लिए प्रभावशाली संस्थागत प्रबंध” करें.

गुटेरेश ने कहा, "घाटे और नुकसान पर ठोस नतीजे हासिल करना कॉप27 की सफलता के प्रति सरकारों की प्रतिबद्धता का पैमाना है.”

दुनिया के कई बड़े नेताओं ने कॉप27 के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने वादा किया कि 2025 तक जलवायु-वित्त में जर्मनी की सहयोग राशि बढ़कर छह अरब डॉलर सालाना की जाएगी. इसके अलावा बाढ़, तूफान और सूखे जैसी आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जर्मनी 17 करोड़ डॉलर का योगदान देगा.

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अपने भाषण में शॉल्त्स ने जीवाश्म ईंधनों के पुनर्जागरण के प्रति चेतावनी जारी करते हुए कहा, "जर्मनी में ऐसा नहीं होगा.” उन्होंने जर्मनी का 2045 तक कार्बन न्यूट्रल बन जाने का लक्ष्य भी दोहराया. उन्होंने कहा, "कम नहीं, ज्यादा रफ्तार. अधिक महत्वाकांक्षा. अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ने में ज्यादा सहयोग हमारे वक्त की जरूरत है.”

ज्यादा सहयोग का आह्वान

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने जलवायु प्रतिबद्धातओं पर रूस-यूक्रेन युद्ध के असर की बात की. उन्होंने कहा, "भले ही हमारी दुनिया बदल गई है, जलवायु के मुद्दे को रूस द्वारा यूक्रेन में छेड़े गए युद्ध का हथियार नहीं बनाया जा सकता. ऊर्जा जैसी चीजों को लेकर रूस धमकियों के बावजूद हम जलवायु के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को नकारेंगे नहीं.”

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने चर्चा को सकारात्मकता की ओर ले जाते हुए कहा, "हम जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपने संघर्ष को नई नौकरियों और नए विकास के लिए एक अभियान में बदल सकते हैं और अपने बच्चों को एक ज्यादा हराभरा ग्रह देकर जा सकते हैं. उम्मीद के लिए जगह बाकी है. आइए, इस जगह को भर दें.”

वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी, डीपीए)

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