दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों के रसोइये जब एक साथ जमा होंगे तो क्या खुश्बूदार समां होगा. दिल्ली में ऐसा ही हुआ. 16 देशों के राष्ट्रपतियों के रसोइये दिल्ली में जमा हुए.
विज्ञापन
दुनिया के सारे बड़े नेताओं को विशेष खानसामे मिले होते हैं. लेकिन लोग उनके बारे में कुछ नहीं जानते. वे रसोई तक ही सिमटे रहते हैं और बस अपना काम किए जाते हैं. हां, साल में एक बार उन्हें छुट्टी मिलती है और तब उन्हें मेहमान की तरह का ऐश ओ आराम भी दिया जाता है. तब वे सब किसी एक देश में जमा होते हैं, खाते पीते हैं और मजे करते हैं. इस बार वे दिल्ली में जमा हुए हैं.
यह आयोजन क्लब डेस शेफ्स डेस शेफ्स यानी बॉस के रसोइयों का क्लब करता है. इस क्लब में शामिल होना कितना मुश्किल होता होगा, इसका अंदाजा लगाना तो मुश्किल नहीं है. ये ऐसे लोग होते हैं जो जानते हैं कि दुनिया के सबसे ताकतवर लोग क्या खाते पीते हैं. 1977 में इस क्लब की स्थापना पेरिस में हुई थी. तब से हर साल ये लोग किसी एक देश में जमा होते हैं. इस बार मेहमाननवाजी का मौका भारत के राष्ट्रपति के निजी रसोइये मोंटू सैनी को मिला है. क्लब के संस्थापक गिलेस ब्रागार्द ने बताया, "राष्ट्रपति तो हर साल मिलते ही हैं. मैंने सोचा कि क्यों ना उनके रसोइयों को मिलवाया जाए. अगर राजनीति लोगों को बांटती है तो अच्छे खाने से सजी मेज उन्हें जोड़ती है."
साल में एक बार जब ये लोग मिलते हैं तो उस देश के खाने पीने का लुत्फ उठाते हैं, जहां बैठक हो रही है. इस बार सैनी अपने मेहमानों को पूरे भारत के स्वाद चखा रहे हैं. इनमें भारत का मशहूर स्ट्रीट फूड जैसे गोलगप्पा और आलू टिक्की भी है जो एक फाइव स्टार रेस्तरां में तैयार किया गया. वह कहते हैं, "वे सारे विदेशी हैं. मैं उन्हें नुक्कड़ पर तो नहीं ले जा सकता. उनके पेट बहुत संवेदनशील होंगे. इसलिए मैं होटलों में ही वैसा खाना बना रहा हूं."
यह भी देखिए, जापान में खाना परोसने की कला न्योताईमोरी
न्योताईमोरी, शरीर पर खाना
क्या आपने न्योताईमोरी के बारे में सुना है? जापान की मशहूर डिश सुशी के बारे में तो सुना होगा. सुशी को परोसने का एक तरीका है न्योताईमोरी. देखिए, क्या खास है इसमें.
तस्वीर: Lisa Maree Williams/Getty Images
न्योताईमोरी, यानी...
न्योताईमोरी का मतलब है नारी शरीर पर परोसा गया खाना. इसे बॉडी सुशी भी कहते हैं.
तस्वीर: Lisa Maree Williams/Getty Images
नानताईमोरी भी
न्योताईमोरी का मर्दाना रूप नानताईमोरी भी है जिसमें सुशी परोसने के लिए किसी मर्द का शरीर इस्तेमाल किया जाता है.
तस्वीर: Ron Wurzer/Getty Images
समुराई युग से
यह परंपरा नई नहीं है. बताते हैं कि समुराई युग में ही इसकी शुरुआत हो चुकी थी. किसी जंग की जीत के जश्न में न्योताईमोरी होता था.
तस्वीर: Lisa Maree Williams/Getty Images
इशिवाका में
जापान के इशिवाका इलाके से न्योताईमोरी की शुरुआत हुई थी. आज भी यहां यह दस्तूर जारी है.
तस्वीर: Ron Wurzer/Getty Images
महिलाओं को ट्रेनिंग
न्योताईमोरी के लिए जिन मॉडल्स का इस्तेमाल होता है, उन्हें बाकायदा ट्रेनिंग दी जाती है.
तस्वीर: Lisa Maree Williams/Getty Images
कैसे करते हैं मॉडल
काम आसान नहीं होता. मॉडल्स को लगातार लेटे रहना होता है और वे मेहमानों से बात भी नहीं कर सकते.
तस्वीर: AFP/Getty Images
पत्तों पर
खाने को पत्तों पर परोसा जाता है ताकि शरीर से खाने का संपर्क ना हो.
तस्वीर: fotolia/Maksim Shebeko
समतल
खाना समतल हिस्से पर ही रखा जाता है ताकि वह बिखरे ना और गिर ना जाए.
तस्वीर: fotolia/Forewer
कला है
न्योताईमोरी को कला का ही एक रूप माना जाता है. इसमें अभ्यास की जरूरत होती है.
तस्वीर: fotolia/Forewer
शैंपेन के साथ
आमतौर पर सुशी के साथ शैंपेन परोसी जाती है.
तस्वीर: fotolia/oneinchpunch
मेहमानों के कायदे-1
न्योताईमोरी का आनंद लेने के लिए मेहमानों के भी कायदे होते हैं. उन्हें सख्त अनुशासन का पालन करना होता है.
तस्वीर: fotolia/oneinchpunch
मेहमानों के कायदे-2
मेहमान अश्लील इशारे नहीं कर सकते. वे मॉडल्स से बात नहीं कर सकते. खाना चॉपस्टिक्स से ही खाना होता है.
तस्वीर: fotolia/Sunshine Pics
कुछ ढील
कुछ रेस्तरां नियमों में ढील भी देते हैं. वहां आप सीधे मुंह से भी सुशी उठा सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
विवाद भी
न्योताईमोरी को सभी जगह सम्मान की निगाह से नहीं देखा गया. कई विशेषज्ञों ने इसे नारी शरीर के गलत इस्तेमाल के तौर पर देखा.
तस्वीर: fotolia/oneinchpunch
कई देशों में बैन
न्योताईमोरी कई देशों में प्रतिबंधित है. चीन ने 2005 में इस पर बैन लगा दिया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
15 तस्वीरें1 | 15
और मेहमानों को भारत में कैसा लग रहा है? फ्रांस के छह राष्ट्रपतियों के लिए खाना बना चुके बर्नार्ड वोसाँ कहते हैं, "शानदार. मतलब गंदा और शोर भरा तो है लेकिन क्या फर्क पड़ता है. यह तो शानदार अनुभव है." लेकिन सबके लिए अनुभव इतना अच्छा नहीं रहा. सैनी को जिस बात का डर था वही हुआ. तीसरे ही दिन एक मेहमान बीमार हो गया और एक अन्य का पेट भी गुड़गुड़ा रहा है. इतालवी राष्ट्रपति के खानसामा फाबरित्सियो बोका कहते हैं, "चार दिन तक मसालेदार खाने के बाद आपको महसूस तो होगा ही. ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि आदत पड़ने में थोड़ा वक्त लगता है."
भारत में जो मेहमान पहुंचे हैं उनमें 16 पुरुष हैं और एकमात्र महिला. यह महिला हैं अमेरिका की क्रिस्टेटा कमरफर्ड. फिलीपीनी मूल की कमरफर्ड को भारतीय खाना रूहानी लगता है. वह कहती हैं, "यह खाना रेसिपी से नहीं बनता. फिलॉसफी से बनता है."
वीके/एमजे (एएफपी)
और जानिए, प्लेन में कैसे सोते हैं पायलट और एयरहोस्टेस
ऐसे सोते हैं पायलट और एयर होस्टेस
क्या आपने कभी सोचा है कि आपको खाना खिलाने के बाद जब प्लेन में रोशनी कम कर दी जाती है, तो एयर होस्टेस कहां जा कर छिप जाती हैं और इतनी लंबी फ्लाइट में पायलट कहां आराम करते हैं? यहां जानें.
तस्वीर: Getty Images/C. McGrath
लंबी फ्लाइट
दिल्ली से न्यू यॉर्क की डायरेक्ट फ्लाइट 15 घंटे की होती है. ऐसे में यात्री बैठे बैठे थक जाते हैं, तो प्लेन चलाने वाले पायलट का क्या हाल होता होगा. कुछ वक्त तो काम को को-पायलट संभाल लेता है. लेकिन उस वक्त पायलट साहब कहां जाते हैं?
तस्वीर: Boeing
पायलट का कमरा
यह है नए बोइंग 777 का पायलट केबिन. बिजनेस क्लास जैसी आरामदेह कुर्सियां, पीछे बिस्तर और साइड में वॉश बेसिन भी लगा है. पायलट यहां आराम से अपनी थकान उतार सकते हैं.
तस्वीर: Boeing
ताबूत जैसा!
यह है पुराने बोइंग 777 का विश्राम कक्ष. पायलट अक्सर इसे ले कर शिकायत करते थे कि इसमें आराम करना ताबूत में लेटने जैसा महसूस होता है. पायलट इसमें लेट तो सकते हैं लेकिन ज्यादा हिलडुल नहीं सकते.
तस्वीर: Boeing
काम से ब्रेक
जिस समय यात्री सो रहे होते हैं और एयर होस्टेस के पास कोई खास काम नहीं होता, वे इस तरह के चेंबर में आराम करने आ जाती हैं. जाहिर है, यात्रियों को यह कभी देखने को नहीं मिलता.
तस्वीर: Boeing
सीक्रेट चेंबर
बोइंग 777 के अंत में इस तरह के चेंबर बने होते हैं. यहां तक पहुंचने का रास्ता इतना संकरा होता है कि एयर होस्टेस को अक्सर सिर झुका कर चलना पड़ता है. यहां छह से दस बिस्तर लगे होते हैं.
तस्वीर: Boeing
ड्रीमलाइनर का केबिन
यह है बोइंग 787 के ड्रीमलाइनर का केबिन. यह यात्री कक्ष के ऊपर बना होता है और पुराने केबिनों के मुकाबले काफी ज्यादा आरामदेह है. दोनों बिस्तरों के बीच जो पर्दा लगा है, वह सिर्फ रोशनी को ही नहीं, आवाज को भी रोकता है.
तस्वीर: Getty Images/C. McGrath
कोई खिड़की नहीं
विमान का जब इंटीरियर डिजाइन किया जाता है, तब प्राथमिकता यात्री और उनका आराम ही होता है. बची खुची जगह में एयर होस्टेस के लिए केबिन बन जाते हैं. यहां वे सो तो सकती हैं लेकिन बाहर का नजारा देखने के लिए कोई खिड़की नहीं है.
तस्वीर: Getty Images/McGrath
एक जैसे केबिन
और यह है बोइंग 787 के पायलटों का आराम कक्ष. एयर होस्टेस और पायलट के कमरों में कोई खास फर्क नहीं है, बस दोनों प्लेन के अलग अलग कोनों में बने हैं. एयर होस्टेस का काम कितना मुश्किल होता है, यह जानने के लिए ऊपर बने "+और" पर क्लिक करें.