अमेरिकी जनगणना ब्यूरो की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल विश्व की जनसंख्या में 7.5 करोड़ की बढ़ोतरी हुई और नए साल के दिन वैश्विक आबादी आठ अरब से अधिक होने का अनुमान है.
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अमेरिकी जनगणना ब्यूरो के मुताबिक 2023 में दुनिया भर में जनसंख्या की वृद्धि दर एक प्रतिशत से कम रही. 2024 की शुरुआत में दुनिया भर में हर सेकंड में 4.3 लोगों का जन्म और दो लोगों की मौत होने का अनुमान है.
1 जनवरी 2024 को अनुमानित विश्व जनसंख्या 8,019,876,189 होने का अनुमान है, जो कि 2023 के पहले दिन से 75,162,541 (0.95 प्रतिशत) अधिक है.
अमेरिका की जनसंख्या वृद्धि धीमी हुई
पिछले साल अमेरिका की जनसंख्या दर 0.53 फीसदी थी, जो कि दुनिया भर की वृद्धि से आधी है. 2023 में अमेरिका की आबादी 17 लाख बढ़ी और नए साल पर इसकी आबादी 33 करोड़ 58 लाख हो जाएगी. वर्तमान में सबसे धीमी गति से बढ़ने वाला दशक 1930 के दशक में महामंदी के बाद 7.3 प्रतिशत था.
द ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के जनसांख्यिकी विशेषज्ञ विलियम फ्रे ने समाचार एजेंसी ने एपी से कहा, "आबादी में वृद्धि की मौजूदा गति अगर इस दशक के अंत तक बरकरार रही, तो 2020 का दशक जनसंख्या में बढ़ोतरी के लिहाज से अमेरिकी इतिहास में सबसे धीमी गति का दशक हो सकता है और 2020 से 2030 तक 10 साल की अवधि में वृद्धि दर चार प्रतिशत से कम रह सकती है.,"
उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से महामारी के वर्षों को छोड़ने के बाद जनसंख्या में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है. लेकिन 7.3 प्रतिशत तक पहुंचना अभी भी मुश्किल होगा."
कहां तक बढ़ेगी दुनिया की आबादी, जानिए
07:28
प्रवासन का अमेरिकी जनसंख्या पर असर
2024 की शुरुआत में अमेरिका में हर नौ सेकंड में एक जन्म और हर 9.5 सेकंड में एक मृत्यु होने का अनुमान है. लेकिन आप्रवासन के कारण जनसंख्या में कमी नहीं आएगी. नेट इंटरनेशनल इमिग्रेशन से हर 28.3 सेकंड में अमेरिकी जनसंख्या में एक व्यक्ति जुड़ने की उम्मीद है.
अमेरिकी जनगणना ब्यूरो का कहना है कि 26 सितंबर 2023 को विश्व की जनसंख्या आठ अरब के पार हो गई, हालांकि संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग का अनुमान था कि यह 15 नवंबर 2022 को ही हो चुका.
1960 के दशक से विश्व जनसंख्या वृद्धि धीमी हो रही है. वैश्विक जनसंख्या को सात अरब से आठ अरब होने में साढ़े 12 साल लग गए. लेकिन जनगणना ब्यूरो का कहना है कि आठ अरब से नौ अरब होने में 14.1 साल लगेंगे और नौ अरब से 10 अरब होने में 16.4 साल लगेंगे, जो 2055 के आसपास हो सकता है.
आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ते हुए इसी साल भारत दुनिया का सबसे आबादी वाला देश बना था. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक भारत की आबादी 142.86 करोड़ को पार कर गई है. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अगले तीन दशकों में भारत की आबादी बढ़ती रहेगी और उसके बाद इसमें गिरावट आनी शुरू होगी.
भारत में साल 2011 के बाद से जनगणना नहीं हुई है और इसलिए उसकी साल 2023 में सटीक आबादी कितनी है यह जानकारी नहीं है.
एए/वीके (एपी)
कहां घट रही है और कहां बढ़ रही है आबादी
दुनिया की आबादी ने भले ही आठ अरब का आंकड़ा पार कर लिया हो, लेकिन चीन समेत कई देशों की आबादी घट रही है. जानिए दुनिया के किस कोने में किस तरह के बदलाव आ रहे हैं.
तस्वीर: Roberto Paquete/DW
कम बच्चे पैदा हो रहे हैं
कई देशों की आबादी घट रही है और यह गिरावट आगे भी जारी रहेगी. इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, जैसे खर्चों का बढ़ना, ज्यादा महिलाओं का नौकरी करना, लोगों का देर से बच्चे पैदा करना, आदि. इन सब की वजह से कई देशों में पहले के मुकाबले कम बच्चे पैदा हो रहे हैं.
तस्वीर: CFOTO/picture alliance
चीन नहीं रहेगा नंबर एक
पिछले साल चीन की आबादी 60 सालों में पहली बार घट गई, जिसकी वहज से अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसी साल वो दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश की पहचान खो देगा. साल 2100 तक चीन की आबादी आज के स्तर से लगभग आधी, यानी 1.4 अरब से 77.1 करोड़ हो सकती है. भारत इसी साल चीन की जगह ले सकता है.
तस्वीर: Wang Zhao/AFP/Getty Images
यूरोप में गिरी आबादी
जुलाई 2022 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 सालों में एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले आठ देशों की आबादी कम हो गई. इनमें से अधिकांश देश यूरोप में हैं, जिनमें यूक्रेन, यूनान, इटली, पोलैंड, पुर्तगाल और रोमानिया शामिल हैं.
तस्वीर: Emmanuelle Chaze/DW
यूरोप के बाहर भी गिरावट
इस सूची में सिर्फ जापान और सीरिया गैर-यूरोपीय देश हैं. सीरिया में 2011 से युद्ध चल रहा है और उसका देश की आबादी पर गहरा असर पड़ा है. लेकिन आने वाले सालों में सीरिया की आबादी के बढ़ने का अंदाजा है. बाकी सात देशों में आबादी में आई गिरावट जारी रहेगी.
तस्वीर: Baderkhan Ahmad/AP/picture alliance
जापान में दोहरी समस्या
जापान में ज्यादा बुजुर्गों के होने की वजह से देश की कुल आबादी गिर रही है. वहां आप्रवासन भी कम हो रहा है. 2011 से 2021 के बीच जापान की आबादी में तीस लाख से ज्यादा की गिरावट आई.
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कई और देशों में भी आएगी गिरावट
2030 तक रूस, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और स्पेन की आबादी भी घटनी शुरू हो जाएगी. 2050 तक थाईलैंड, फ्रांस, उत्तर कोरिया और श्रीलंका की आबादी भी गिरने लगेगी. कई दूसरे देशों के लिए इस सदी के दूसरे हिस्से में आबादी के गिरने का पूर्वानुमान है. इनमें भारत, इंडोनेशिया, तुर्की और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
अफ्रीका में अलग तस्वीर
जहां साल 2100 तक यूरोप, अमेरिका और एशिया की आबादी में गिरावट आ रही होगी, वहीं उस समय तक अफ्रीका में अलग तस्वीर उभरने का पूर्वानुमान है. अनुमान है कि अफ्रीका की आबादी बढ़ती रहेगी और 2100 तक 1.4 अरब से बढ़कर 3.9 अरब हो जाएगी. जहां इस समय अफ्रीका में दुनिया की आबादी करीब 18 फीसदी हिस्सा रहता है, वहीं 2100 तक यह आंकड़ा बढ़कर 38 प्रतिशत हो जाएगा.
तस्वीर: Roberto Paquete/DW
कई दशक बाद गिरेगी दुनिया की आबादी
लेकिन संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कुल मिला कर धरती की आबादी में गिरावट 2090 के दशक में शुरू होगी. गिरने से पहले पूरी दुनिया की दुनिया बढ़ कर 10.4 अरब तक पहुंच जाएगी. (एएफपी)