हमास के खिलाफ इस्राएल के युद्ध के ऐलान के बाद दुनिया के तमाम देशों ने प्रतिक्रियाएं जारी की हैं. इस युद्ध में कौन किसके साथ है?
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दुनियाभर के देशों ने फलीस्तीन के हथियारबंद संगठन हमास के इस्राएल पर किये गये हमले की निंदा की है. हमास ने जमीन, समुद्र और हवा के रास्ते इस्राएल पर चौतरफा हमला किया है, जिसके जवाब में इस्राएल ने भी गजा में विभिन्न हिस्सों पर हवाई हमले किये हैं. दशकों से चले आ रहे विवाद में बहुत से देशों का रुख पहले से तय है लेकिन इस बार हमास के हमले के कारण बहुत से पक्ष अपना रुख तय करना मुश्किल पा रहे हैं.
हमास के हमले में 700 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं. बदले में इस्राएल के हमले में दर्जनों बच्चों समेत 400 से ज्यादा फलस्तीनियों की जान जा चुकी है. इसलिए बहुत से देशों ने युद्ध को थामने की अपील की है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस्राएल के प्रति ‘ठोस और अटल' समर्थन जताया है. इस्राएल में मारे गये लोगों में कई अमेरिकी नागरिक भी हैं.
हम हमास का नामोनिशान मिटा देंगे: इस्राएल
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अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने रविवार को जारी एक बयान में इस्राएल को हथियार और उपकरणों से मदद करने का भी ऐलान किया है. अमेरिका ने अपने युद्धक विमानों और जहाजों को भी इस्राएल सीमा के पास जाने का हुक्म दे दिया है.
फलीस्तीन के समर्थन में कई देश
दूसरी तरफ ईरान ने फलीस्तीन का समर्थन किया है. वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने रविवार को फलीस्तीन के अपनी रक्षा करने के अधिकार का समर्थन करते हुए इस्राएल को चेतावनी दी कि इलाके को अस्थिर करने से बचे. ईरान के सुप्रीम लीडर अयोतोल्लाह अली खमेनेई के एक वरिष्ठ सलाहकार ने तो हमास के इस्राएल में जारी हमले पर ‘फख्र' जाहिर किया.
क्या है इस्राएल
मुस्लिम देश इस्राएल को मध्यपूर्व में विवादों का केंद्र कहते हैं. एक तरफ उसके आलोचक हैं तो दूसरी तरफ उसके मित्र. लेकिन इस रस्साकसी से इतर बहुत कम लोग जानते हैं कि इस्राएल आखिर कैसा है.
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राष्ट्र भाषा
आधुनिक हिब्रू के अलावा अरबी इस्राएल की मुख्य भाषा है. ये दोनों 1948 में बने इस्राएल की आधिकारिक भाषाएं हैं. आधुनिक हिब्रू 19वीं सदी के अंत में बनी. पुरातन हिब्रू से निकली आधुनिक हिब्रू भाषा अंग्रेजी, स्लाविक, अरबी और जर्मन से भी प्रभावित है.
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छोटा सा देश
1949 के आर्मिस्टिक समझौते के मुताबिक संप्रभु इस्राएल का क्षेत्रफल सिर्फ 20,770 वर्ग किलोमीटर है. इस समझौते पर मिस्र, लेबनान, जॉर्डन और सीरिया ने दस्तखत किए थे. लेकिन फिलहाल पूर्वी येरुशलम से लेकर पश्चिमी तट तक इस्राएल के नियंत्रण में 27,799 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है. इस्राएल के उत्तर से दक्षिण की दूरी 470 किमी है. देश का सबसे चौड़ा भूभाग 135 किलोमीटर का है.
अनिवार्य सैन्य सेवा
इस्राएल दुनिया का अकेला ऐसा देश है जहां नागरिकों और स्थायी रूप से रहने वाली महिला व पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है. 18 साल की उम्र के हर इस्राएली को योग्य होने पर तीन साल सैन्य सेवा करनी पड़ती है. महिलाओं को दो साल सेना में रहना पड़ता है.
तस्वीर: dapd
फलीस्तीन के समर्थक
नेतुरेई कार्टा का मतलब है कि "सिटी गार्ड्स." यह 1939 में बना एक यहूदी संगठन है. यह इस्राएल की स्थापना का विरोध करता है. इस संगठन का कहना है कि एक "यहूदी मसीहा" के धरती पर आने तक यहूदियों को अपना देश नहीं बनाना चाहिए. इस संगठन को फलीस्तीनियों का समर्थक माना जाता है.
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राष्ट्रपति पद ठुकराया
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइनस्टाइन भले ही पूजा नहीं करते थे, लेकिन जर्मनी में यहूदियों के जनसंहार के दौरान उनका यहूदी धर्म की तरफ झुकाव हो गया. उन्होंने यहूदी आंदोलन के लिए धन जुटाने के लिए ही अमेरिका की पहली यात्रा की. बुढ़ापे में उन्हें इस्राएल का राष्ट्रपति बनने का न्योता दिया गया, आइनस्टाइन ने इसे ठुकरा दिया.
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ईश्वर को चिट्ठियां
हर साल येरुशलम के डाक घर को 1,000 से ज्यादा ऐसे खत मिलते हैं, जो भगवान को लिखे जाते हैं. ये चिट्ठियां कई भाषाओं में लिखी होती हैं और विदेशों से भी आती हैं. ज्यादातर खत रूसी और जर्मन में होते हैं.
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येरुशलम की पीड़ा
इतिहास के मुताबिक येरुशलम शहर दो बार पूरी तरह खाक हुआ, 23 बार उस पर कब्जा हुआ, 52 बार हमले हुए और 44 बार शहर पर किसी और का शासन हुआ. गिहोन झरने के पास शहर का सबसे पुराना इलाका है, कहा जाता है कि इसे 4500-3500 ईसा पूर्व बनाया गया. इसे मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों का पवित्र शहर कहा जाता है.
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पैसेंजर फ्लाइट का रिकॉर्ड
24 मई 1991 को इस्राएली एयरलाइन कंपनी एल अल का बोइंग 747 विमान 1,088 यात्रियों को लेकर इस्राएल पहुंचा. किसी जहाज में यह यात्रियों की रिकॉर्ड संख्या है. इथियोपिया के ऑपरेशन सोलोमन के तहत यहूदियों को अदिस अबाबा से सुरक्षित निकालकर इस्राएल लाया गया.
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खास है मुद्रा
इस्राएली मुद्रा शेकेल दुनिया की उन चुनिंदा मुद्राओं में से है जिनमें दृष्टिहीनों के लिए खास अक्षर हैं. दृष्टिहीनों की मदद करने वाली मुद्राएं कनाडा, मेक्सिको, भारत और रूस में भी हैं.
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सऊदी अरब ने नपा तुला रुख अपनाते हुए दोनों पक्षों से ‘फौरन युद्ध रोकने, संयम बरतने और नागरिकों की रक्षा करने' का आग्रह किया. संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने रविवार को इस मसले पर आपातकालीन बैठक बुलाई. इससे पहले यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने दुनिया की ताकतों से मध्य पूर्व में युद्ध के विस्तार को रोकने के लिए कोशिश करने की अपील की थी. लेकिन सुरक्षा परिषद की बैठक में साझा बयान तक जारी नहीं हुआ. रूस के नेतृव में एक गुट ने सिर्फ हमास की निंदा करने के बजाय व्यापक रुख अपनाने की मांग की.
रूस के विदेश मंत्रालय ने तुरंत युद्ध विराम की अपील की. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोव ने एक बयान में कहा कि "समग्र, स्थायी और लंबे समय से मुंतजिर शांति” के लिए प्रयास किये जाने चाहिए.
उधर कुछ अफ्रीकी देशों ने फलीस्तीन का समर्थन किया है. दक्षिण अफ्रीका की सत्ताधारी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा, "इसमें अब कोई संदेह नहीं है कि दक्षिण अफ्रीका का रंगभेद का इतिहास फलीस्तीन की सच्चाई है. नतीजतन, कब्जा जमाने वाले इस्राएल की क्रूरता के खिलाफ फलीस्तीन की जवाबी कार्रवाई पर कोई हैरत नहीं होनी चाहिए.” उन्होंने कहा कि सुरक्षा स्थिति के खराब होने का सीधा संबंध इस्राएल के गैरकानूनी कब्जे से है.
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इस्राएल के दोस्त
रूस के हमले झेल रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रविवार को इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू से फोन पर बात की और "आतंकी हमलों में बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने पर संवेदनाएं” जतायी. उन्होंने कहा कि आतंकवाद हमेशा एक अपराध है और इस्राएल को अपनी रक्षा का "निर्विवादित” हक है.
हमास का यूथ कैंप
प्रतिबंधों और आर्थिक परेशानियों के बावजूद हमास जैसा आतंकी संगठन गजा पट्टी में अब भी युवाओं के लिए समर कैंप चला रहा है. इस कैंप में हिस्सा लेने वालों को गुरिल्ला स्टाइल युद्ध की ट्रेनिंग दी जाती है.
तस्वीर: Reuters/I. Abu Mustafa
हिंसा सिखाता समर कैंप
दुनिया के कई देशों में समर कैंपों के दौरान रॉक क्लाइबिंग, स्विमिंग या स्पोर्ट्स सिखाये जाते हैं. लेकिन हमास इस दौरान भविष्य के लड़ाकों की फौज तैयार करता है.
तस्वीर: Reuters/I. Abu Mustafa
हजारों की तादाद
हमास के समर कैंप में सैकड़ों नहीं, बल्कि हजारों युवा हिस्सा लेते हैं. आम तौर पर इनकी संख्या 15,000 से 25,000 के बीच होती है. ट्रेनिंग सेना जैसी कड़ी होती है. यह तस्वीर दक्षिणी गजा पट्टी के राफा समर कैंप की है.
तस्वीर: Reuters/I. Abu Mustafa
खतरनाक ट्रेनिंग
समर कैंप के दौरान फलीस्तीनी किशोर आग जैसे खतरों की भी परवाह नहीं करते. इन तस्वीरों से अंदाजा लगता है कि वहां संघर्ष किस कदर समाज के बीच जा चुका है.
तस्वीर: Reuters/I. Abu Mustafa
कैंप नहीं अभियान
इस कैंप का इस्तेमाल कर हमास किशोरों को इस्राएल के खिलाफ भड़काता भी है. हमास के मुताबिक एक अलग फलस्तीनी राष्ट्र के निर्माण के लिए वह युवाओं को यह ट्रेनिंग दे रहा है.
तस्वीर: Reuters/I. Abu Mustafa
दोहरा चेहरा
एक तरफ हमास बच्चों को लड़ने की ट्रेनिंग देता है और दूसरी तरफ हमलों में बच्चों के इस्तेमाल की आलोचना करता है.
तस्वीर: Reuters/I. Abu Mustafa
खुद को बचाओ
लड़ाई के साथ साथ कैंप में हिस्सा लेने वालों को प्राथमिक उपचार और राहत व बचाव करना भी सिखाया जाता है. रिपोर्ट: एपी/ओएसजे (रॉयटर्स)
तस्वीर: Reuters/I. Abu Mustafa
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यूरोपीय संघ की प्रमुख उरसूला फोन डेर लेयन शनिवार को ही हमास के हमले की निंदा कर चुकी थीं. रविवार को उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "हमास के व्यापक आतंकी हमले के कारण हमारी सांसें हलक में अटक गयी हैं. निहत्थे लोगों को गलियों में बेहरमी से कत्ल किया जा रहा है. हम इस्राएल और उसके लोगों के साथ पूरे सामर्थ्य से खड़े हैं. आज ईयू और इस्राएल के झंडे साथ-साथ हैं.”
भारत, इटली, जर्मनी और ब्रिटेन ने भी इस्राएल के समर्थन में बयान दिये हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस्राएल पर हुए हमले से उन्हें आघात पहुंचा है. उन्होंने कहा कि "मुश्किल की इस घड़ी में वह इस्राएल के साथ हैं.”
अब कैसा है गजा
इस्राएल और हमास के बीच हालिया संघर्ष को खत्म हुए तीन हफ्ते हो चुके हैं. अब बंदूकें शांत हैं पर जिंदगी शांत नहीं है. तस्वीरों में देखिए, युद्ध के बाद कैसा हो गजा.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
बस मलबा बचा है
गजा में 11 दिन तक बरसे बमों ने घरों के नाम पर बस मलबा छोड़ा है. लोग उसमें भी बसर कर रहे हैं.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
269 लोगों की मौत
21 मई को हमास और इस्राएल के बीच युद्ध विराम हुआ था. लेकिन तब तक गजा में 256 और इस्राएल में 13 लोगों की जानें जा चुकी थीं.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
कितने आम नागरिक थे?
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गजा में मरने वालों में कम से कम 128 आम नागरिक थे. इस्राएल ने कहा है कि उसने 200 उग्रवादी मारे. हमास के मुताबिक उसके 80 लड़ाके मारे गए.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
4,300 रॉकेट
संघर्ष के दौरान हमास ने इस्राएल पर गजा से 4,300 से ज्यादा रॉकेट दागे थे. उनमें से 680 तो गजा में ही गिर गए.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
कितने घर गिरे
फलस्तीन के भवन निर्माण मंत्रालय के मुताबिक कुल 258 इमारतों को नुकसान पहुंचा है जिनमें 1042 घर, दुकानें या दफ्तर थे.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
और जो गिरे नहीं
756 घरों को भारी नुकसान पहुंचा है जबकि 14,356 को हल्का नुकसान हुआ है.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
स्कूल, अस्पताल
संघर्ष के दौरान गजा के 54 स्कूल, छह अस्पताल और 11 स्वास्थ्य केंद्रों को नुकसान हुआ है.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
करोड़ों डॉलर का खर्च
फलस्तीन का कहना है कि पुनर्निर्माण में दसियों लाख डॉलर का खर्च आएगा. अमेरिका ने बर्बाद हुए गजा को फिर से बनाने के लिए मदद देने का वादा किया है.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
अमेरिकी मदद
युद्ध विराम के बाद मध्य पूर्व के दौरे पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने 55 लाख डॉलर यानी लगभग 40 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
महीनों लगेंगे
इस पुनर्निर्माण में महीनों का वक्त लगेगा. तब तक गजा के लोग इस मलबे के ढेर पर जिंदगी जीते रहेंगे.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
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चीन ने किसी एक पक्ष की तरफदारी ना करते हुए दोनों पक्षों से संयम बरतने और हिंसा रोकने का आग्रह किया है, तो फ्रांस ने भी सीधे तौर पर किसी पक्ष का समर्थन नहीं किया है. फ्रांसीसी विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना ने मध्यपूर्व में कई नेताओं से "युद्ध को बढ़ने से रोकने” पर चर्चा की. फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने हमास से अपहृत इस्राएली नागरिकों को फौरन रिहा करने की भी मांग की है.
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोआन ने इस्राएल और हमास से शांति का समर्थन करने का आग्रह किया और नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचने को कहा. उन्होंने कहा, "आम नागरिकों पर हमले में किसी का भला नहीं है. हम तनाव कम करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.”