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अपराधभारत

भारत में जानलेवा बन रही है गलत दिशा में ड्राइविंग

आमिर अंसारी
१२ जुलाई २०२३

भारत में गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण हर साल हजारों सड़क हादसे हो रहे हैं. तेज गति से होने वाले हादसों के बाद गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण सबसे अधिक लोग सड़कों पर मारे जाते हैं.

भारत में सड़क हादसे
भारत में सड़क हादसेतस्वीर: Getty Images/AFP

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार की सुबह हुए भीषण हादसे में एक ही परिवार के 6 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. गलत दिशा से आ रही स्कूल बस की एक कार से सीधी टक्कर हुई. हादसा इतना भीषण था कि कार के परखच्चे उड़ गए और बस को भी काफी नुकसान पहुंचा.

इस हादसे की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई, जिसमें दोनों गाड़ियों की सीधी टक्कर देख लोग सहम उठे हैं. बस करीब आठ किलोमीटर तक गलत दिशा में दौड़ती रही और सामने से आ रही कार से टकरा गई. कार चालक ने आखिरी पल में टक्कर से बचने की कोशिश लेकिन वह सफल नहीं रहा.

सवाल उठ रहे हैं कि बस इतनी दूर तक गलत दिशा में कैसे चलती रही और क्यों किसी पुलिसकर्मी की उस पर नजर नहीं गई. यह इस तरह का एकलौता मामला नहीं है. भारत में आए दिन गलत दिशा में गाड़ी चलाने से इस तरह के हादसे पेश आते हैं.

सड़क सुरक्षा ताक पर

यातायात नियमों की अनदेखी और ट्रैफिक पुलिस द्वारा इस तरह के उल्लंघन पर नरम कार्रवाई भी हादसे का कारण बन रहे हैं. हजारों लोग इस तरह के हादसे में मारे जाते हैं या फिर गंभीर रूप से घायल होते हैं.

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सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में तेज गति के बाद सड़क पर होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण गलत दिशा में या यातायात के प्रवाह के विपरीत गाड़ी चलाना है. ऐसे यातायात अपराधों के कारण 2017 और 2021 के बीच लगभग 43,000 लोग मारे गए.

उड़ने वाली कार

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साल 2021 में गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण 21,491 दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 20,351 लोग घायल हुए. वहीं इसी साल इस तरह के हादसों में 8,122 लोगों की जान चली गई.

आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में 29,148 दुर्घटनाएं गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण हुईं जिनमें 9,527 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा. उस साल इस तरह के हादसों में 30,124 लोग घायल हुए.

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सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत

सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट "भारत में सड़क दुर्घटनाएं" से पता चलता है कि गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण होने वाली मौतों का प्रतिशत बहुत अधिक है. रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्गों, जिनमें एक्सप्रेसवे भी शामिल हैं, वहां पर गलत दिशा में गाड़ी चलाने की रिपोर्टें आईं.

उदाहरण के लिए 7,332 में से 44 प्रतिशत ऐसी मौतें राष्ट्रीय राजमार्गों पर हुईं और 2021 में 35 प्रतिशत सड़क हादसे एनएच नेटवर्क पर गलत दिशा में ड्राइविंग के कारण हुए. सरकार ने 2022 की रिपोर्ट अब तक जारी नहीं की है.

ऐसे उल्लंघन दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर हुई दुर्घटना की तरह अधिक घातक हो जाते हैं क्योंकि कई एक्सप्रेसवे पर गति सीमा 120 किमी प्रति घंटे तक है. जब वाहन इतनी तेज गति से चल रहे हों तो ड्राइवरों को प्रतिक्रिया करने के लिए केवल कुछ सेकंड मिलते हैं.

ऐसे उल्लंघन शहरों और अन्य शहरी क्षेत्रों से गुजरने वाले राजमार्गों पर अधिक होते हैं और उल्लंघन करने वाले कमजोर प्रवर्तन और एक मजबूत राजमार्ग पुलिस व्यवस्था के अभाव के कारण छूट जाते हैं.

जानकार कहते हैं कि वीडियो स्ट्रीम और सेंसर सिस्टम की मदद से इस तरह के उल्लंघन को रोका जा सकता है. इस तरह की तकनीक की मदद से तेज गति, जिग-जैग ड्राइविंग और गलत दिशा में ड्राइविंग को रियल टाइम में पकड़ा जा सकता है और पैट्रोलिंग टीम को समय रहते अलर्ट किया जा सकता है.

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