भारत, अमेरिका, यूरोपीय संघ और दक्षिण अफ्रीका कोविड वैक्सीन के निर्माण को पेटेंट मुक्त करने की शर्तों पर सहमत हो गए हैं. विश्व व्यापार संगठन ने इस सहमति को बधाई लायक समझौता बताया है.
अब भी बड़ी आबादी तक कोविड वैक्सीन नहीं पहुंची हैतस्वीर: Guadalupe Pardo/AP/picture alliance
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विश्व व्यापार संगठन की प्रमुख डॉ. नगोजी ओकोंजो-इवेला ने कहा कि एक बड़ी रुकावट को दूर करने की दिशा में यह समझौता एक बड़ा कदम है. हालांकि उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकारों से जुड़े डबल्यूटीओ के नियमों में बदलाव की दिशा में अभी काफी काम बाकी है और इस समझौते को सभी सदस्य देशों की मंजूरी चाहिए होगी.
ओकोंजो-इविएला ने कहा, "यह एक बड़ा कदम है और यह समझौता घंटों चलीं कई लंबी-लंबी वार्ताओं का नतीजा है. लेकिन अभी हम मंजिल पर नहीं पहुंचे हैं. संगठन के सभी सदस्यों की सहमति हासिल करने के लिए अभी हमें काफी काम करना है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन में यह मामला अक्टूबर 2020 से जारी है जब भारत और दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 वैक्सीन, इलाज की दवाओं और अन्य मेडिकल साजो सामान को पेटेंट मुक्त करने की मांग उठाई थी. कई दवा कंपनियों ने भी कोविड-19 वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त करने के सुझाव का विरोध किया था. इन कंपनियों का तर्क था कि वैक्सीन के उत्पादन में पेटेंट बाधक नहीं है और नियम बदलने का असर उलटा हो सकता है.
इन सेलिब्रिटियों पर लगा वैक्सीन विरोधी होने का आरोप
टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच वैक्सीन के लिए समय-समय पर विरोध जताते रहे हैं. जानिए और कौन से सेलिब्रिटी हैं, जो वैक्सीन को लेकर शंका रखते हैं.
तस्वीर: Darko Vojinovic/AP Photo/picture alliance
नोवाक जोकोविच
10 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया में एक जज ने विश्व नंबर एक टेनिस खिलाड़ी नोवाक जोकोविच को इमिग्रेशन डिटेंशन से रिहा करने का फैसला सुनाया. इसके बाद भी जोकोविच ऑस्ट्रेलियन ओपन टूर्नामेंट खेल सकेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है. इस विवाद का मूल है, जोकोविच का कोविड वैक्सीन के लिए विरोध. कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों से ही जोकोविच वैक्सीन के प्रति अपना अविश्वास जताते रहे हैं.
तस्वीर: David Gray/AFP
रॉबर्ट डी नीरो
2017 में अभिनेता रॉबर्ट डी नीरो ने 'वर्ल्ड मरकरी प्रोजेक्ट' नाम के एक वैक्सीन विरोधी पैनल में हिस्सा लिया था. इस कार्यक्रम में वैक्सीन के चलते बच्चों में ऑटिज्म होने और बच्चों के टीकों के भीतर बड़ी मात्रा में पारा होने के निराधार दावे भी किए गए थे. 2016 में भी रॉबर्ट ने वैक्सीन विरोधी फिल्म 'वैक्स्ड' को प्रमोट किया था. आलोचना होने पर कहा कि वह वैक्सीन-विरोधी नहीं हैं, बस सुरक्षित टीके चाहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/United Archives
जेसिका बील
जून 2019 में अभिनेत्री जेसिका बील ने कैलिफॉर्निया स्टेट बिल 276 के खिलाफ लॉबिंग की थी. इस बिल में मेडिकल आधार पर बच्चों को टीकाकरण से छूट देनी है कि नहीं, यह तय करने का अधिकार प्रांतीय स्वास्थ्य विभाग को दिया गया था. आलोचना होने पर जेसिका ने कहा कि वह वैक्सीन विरोधी नहीं हैं. बस इतना चाहती हैं कि बच्चे को टीका लगवाने का फैसला लेने का अधिकार माता-पिता के पास भी हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen
चार्ली शीन
आरोप है कि 2008 में एक्टर चार्ली शीन का अपनी पूर्व पत्नी डेनिस रिचर्ड्स के साथ टीके को लेकर ही बड़ा विवाद हुआ था. इसकी वजह थी कि शीन अपनी दोनों बेटियों- सैम और लोला को वैक्सीन लगवाए जाने का विरोध कर रहे थे. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस मसले पर दोनों अदालत भी गए. वहां फैसला रिचर्ड्स के पक्ष में रहा.
तस्वीर: Getty Images/M. Simmons
माइम ब्यालिक
'बिग बैंग थिअरी' में अपनी भूमिका के लिए मशहूर माइम ब्यालिक ने 2009 में पीपल मैगजीन को एक इंटरव्यू दिया था. इसमें उन्होंने कहा था कि उनका परिवार टीका नहीं लगवाता. ब्यालिक ने यह भी कहा कि वह लोगों के निजी फैसलों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगी. आलोचना होने पर उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वह वैक्सीन विरोधी नहीं हैं. हालांकि उनका यह भी कहना था कि हर किसी को अच्छी तरह शोध करने के बाद ही वैक्सीन लगवानी चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Warner Bros/Entertainment Inc.
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लेकिन धीरे-धीरे भारत और दक्षिण अफ्रीका विभिन्न देशों को अपने पक्ष में लाने में कामयाब हुए. पिछले साल अमेरिका द्वारा उनकी मांग का समर्थन करने के बाद कई देशों ने अपना रुख बदल लिया था. बुधवार को अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथटीर टाइ ने घोषणा की कि लंबी वार्ताओं के बाद एक समझौता हो गया है.
टाइ ने कहा कि बातचीत के कई लंबे दौर आखिरकार "एक ठोस और अर्थपूर्ण नतीजा हासिल करने की दिशा में सबसे आशाजनक रास्ता देने वाली” सहमति बन गई है. हालांकि उन्होंने आगाह किया कि अभी समझौते के मसौदे पर समझौता नहीं हुआ है और उसके बारे में काम करना अभी बाकी है.
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बड़ा काम बाकी है
नाइजारिया की वित्त मंत्री रह चुकीं ओकोंजो-इवेला ने कहा कि इन चार पक्षों के बीच हुई बातचीत को अब डबल्यूटीओ के 164 सदस्य देशों के बीच ले जाने का काम फौरन शुरू करना होगा. लेकिन यह काम आसान नहीं होगा क्योंकि अब भी कई बड़े देश वैक्सीन को पेटेंट मुक्त किए जाने के विरोधी हैं. इनमें स्विट्जरलैंड भी है, जहां की बड़ी दवा कंपनियों के मुख्यालय हैं.
स्विट्जरलैंड ने एक बार फिर इशारा किया है कि वह इस बारे में सहमत नहीं होगा. ऐसा ही इशारा कई और देशों ने किया है. जैसे कि फ्रांस के व्यापार मंत्री फ्रांक रीस्टर से नजदीकी एक सूत्र ने कहा कि फिलहाल समझौता तकनीकी स्तर पर हुआ है लेकिन उसे राजनीतिक हरी झंडी मिलनी बाकी है.
वैक्सीन लगवाओ, लेडी के साथ आधा घंटा फ्री पाओ
ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में वेश्यालयों ने ग्राहकों के लिए एक स्कीम शुरू की है. वैक्सीन लगवाने पर अपनी पसंद की महिला के साथ आधा घंटा बिताने का मौका.
तस्वीर: Leonhard Foeger/REUTERS
वैक्सीन के लिए ऑफर
वियना में एक वेश्यालय ने लोगों को कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूक करने का बीड़ा उठाया है. इसके लिए एक विशेष योजना चलाई गई है.
तस्वीर: Leonhard Foeger/REUTERS
जागरूकता और मार्किटिंग
फन पलास्ट नामक इस वेश्यालय को उम्मीद है कि उनकी इस पेशकश से शहर में वैक्सीनेशन को लेकर जागरूकता भी बढ़ेगी और उनके ग्राहक भी.
तस्वीर: Leonhard Foeger/REUTERS
फ्री वाउचर
वेश्यालय में ही टीका लगवाने की सुविधा है और बदले में अपनी पसंद की महिला के साथ सॉना क्लब में आधे घंटे की फ्री विजिट का वाउचर दिया जा रहा है.
तस्वीर: Leonhard Foeger/REUTERS
आधे रहे गए ग्राहक
फन पलास्ट का कहना है कि कोविड महामारी के दौरान उनके ग्राहक आधे रह गए हैं. उन्हें उम्मीद है कि मुफ्त वैक्सीन से लोग उनकी ओर आकर्षित होंगे.
तस्वीर: Leonhard Foeger/REUTERS
खस्ता है हालत
ऑस्ट्रिया में टीकाकरण की दर यूरोप के देशों के मुकाबले काफी खराब है. देश के 64 फीसदी लोगों ने ही पूरी खुराक ली है. पिछले दिनों देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़े हैं और एक साल में सबसे ऊपर पहुंच गए हैं.
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कड़ी पाबंदियां लागू
जिन लोगों ने कोविड का टीका नहीं लगवाया है उन पर कैफे, रेस्तरां, सैलून आदि में जाने की रोक है. होटल और सिनेमा आदि भी ऐसे लोगों के लिए बंद हैं.
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इस सूत्र ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि समझौता सिर्फ उन विकासशील देशों पर लागू होगा जो दुनिया के कुल कोविड-19 वैक्सीन निर्यात का दस फीसदी से भी कम हिस्सा रखते हैं. चीन पर भी यह समझौता लागू नहीं होगा. उन्होंने कहा कि योजना इन देशों के साथ अनिवार्य लाइसेंसिंग समझौते लागू करने की है, जो पेटेंट नियमों के तहत अब भी एक प्रावधान है. अनिवार्य लाइसेंसिंग के तहत पेटेंट धारक कंपनियों के अलावा भी कंपनियों दवा का निर्माण कर सकती हैं लेकिन उसके लिए कुछ नियम और प्रक्रियाओं को पालन करना होता है.
दवा कंपनियां नाखुश
दवा कंपनियों को मनाना भी इस समझौते के सामने एक बड़ी चुनौती होगी. दवा कंपनियों के संगठन इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स ऐंड एसोसिएशंस ने इस समझौते की आलोचना की है. संगठन का कहना है कि यह समझौता पेटेंट के नियमों को कमजोर करता है जो एक गलती है.
बेहतर हेल्थ सिस्टम बनाने के लिए WHO की सात सिफारिशें
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बनाने के लिए एक रिपोर्ट में सात सिफारिशें की हैं. महामारी से जूझ रही दुनिया को जिस तरह की स्वास्थ्य व्यवस्था की जरूरत है, उसे हासिल करने के लिए ये कदम उठाने होंगे.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
ये सात कदम उठाने होंगे
कोविड ने दुनिया में 49 लाख जानें ली हैं. भारत में चार लाख 53 हजार लोग मर चुके हैं. ऐसा फिर ना हो, इसके लिए ये सात कदम उठाने होंगे.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
तैयारी
महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का फायदा उठाएं. भविष्य में ऐसे संकट से निपटने की तैयारी को और स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत किया जाए.
तस्वीर: Avishek Das/Zuma/picture alliance
निवेश
जन स्वास्थ्य सेवा में निवेश किया जाए, खासकर उन क्षेत्रों में जो आपातकालीन संकटों से निपटने के लिए जरूरी हैं.
तस्वीर: Sakib Ali/Hindustan Times/imago images
प्राथमिक स्वास्थ्य
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत बनाया जाए. प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की नींव मजबूत की जाए.
तस्वीर: Himanshu Sharma/abaca/picture alliance
तंत्र
पूरे समाज को शामिल करने के लिए एक संस्थागत तंत्र बनाने में निवेश किया जाए.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
शोध
शोध, खोज और अध्ययन का माहौल बनाया जाए और इन क्षेत्रों को बेहतर बनाने पर काम किया जाए.
सिर्फ घरेलू स्तर पर नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए निवेश किया जाए. जो खतरनाक क्षेत्र हैं, उनमें आपातकालीन संकट से निपटने की तैयारी के लिए निवेश हो.
तस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images
समीक्षा
आबादी के उन हिस्सों पर विशेष ध्यान दिया जाए जो कोविड के दौरान ज्यादा प्रभावित हुए. उन तबकों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में जो कमी रह गई, उसे दूर किया जाए.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
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संगठन ने कहा कि पहली वैक्सीन को अनुमति मिलने के सिर्फ एक साल के भीतर 12 अरब खुराक तैयार की गई हैं और उद्योग हर महीने एक अरब से ज्यादा खुराक तैयार कर रहा है. एक बयान में संगठन ने कहा, "चुनौती आपूर्ति की नहीं हैं बल्कि इन खुराकों को लोगों की बाजुओं तक पहुंचाने की है, जिन्हें इनकी जरूरत है. पेटेंट हटाना ना सिर्फ एक गलत हल है बल्कि यह पुराना हो चुका प्रस्ताव है जिसे बाद की घटनाएं अप्रासंगिक कर चुकी हैं.”
उधर पेटेंट से मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे संगठन पीपल्स वैक्सीन अलायंस ने कहा है कि यह प्रस्ताव अधूरा ही काम करता है. अलायंस के सह-अध्यक्ष मैक्स लॉसन ने कहा, "इन जरूरी वैक्सीन और इलाजों तक पहुंच को रोकने वाली हर बाधा को दूर किया जाना चाहिए.”
चिकित्सा जगत में काम करने वाली संस्था डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने समझौते का स्वागत किया है लेकिन इसके मसौदे में बड़ी कमियों की ओर इशारा करते हुए कहा है कि इसमें सिर्फ वैक्सीन पर बात हो रही है, इलाज पर नहीं. संस्था ने कहा, "इस समझौते में सिर्फ पेटेंट पर बात हुई है, अन्य बौद्धिक संपदाओं जैसे ट्रेड सीक्रेट आदि पर नहीं जबकी उनमें अहम सूचनाएं हो सकती हैं जो उत्पादन के लिए जरूरी होंगी.”