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अमेरिका के बाद चीन के राष्ट्रपति वियतनाम पहुंचे

१२ दिसम्बर २०२३

अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे के एक ही महीने बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग वियतनाम के दौरे पर पहुंचे हैं. छह साल बाद चीनी राष्ट्रपति वियतनाम का दौरा कर रहे हैं.

2017 में हनोई में शी जिन पिंग
शी जिन पिंग ने 2017 में भी वियतनाम का दौरा किया थातस्वीर: Minh Hoang/AP/picture alliance

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मंगलवार को वियतनाम के दौरे पर पहुंच रहे हैं, जहां हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यात्रा की थी. अमेरिका और वियतनाम के बीच हाल के समय में काफी करीबी आई है और विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन एक कम्यूनिस्ट देश में अमेरिका के बढ़ते प्रभाव को रोकना चाहता है.

शी जिनपिंग छह साल बाद वियतनाम के दौरे पर हैं.  वियतनाम लंबे समय से ‘बैम्बू डिप्लोमेसी' की नीति पर चला है यानी दोनों महाशक्तियों से अच्छे संबंध रखे जाएं. जब अमेरिकी राष्ट्रपति वहां के दौरे पर थे तो वियतनाम ने दक्षिणी चीन सागर में चीन के दबदबे को लेकर चिंता जताई थी. दूसरी तरफ चीन के साथ उसके गहरे आर्थिक संबंध भी हैं.

चीन और वियतनाम के बीच पहले से ही ‘समग्र रणनीतिक साझेदारी' समझौता है जिसके तहत चीन को सर्वोच्च कूटनीतिक साझीदार का दर्जा मिला हुआ है. सितंबर में अमेरिका के साथ भी उसने ऐसा ही समझौता कर लिया.

वियतनाम को करीब लाने की कोशिश

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति की यात्रा "चीन और वियतनाम के रिश्तों को और ऊंचे दर्जे पर” ले जाएगी. इस बयान का यह अर्थ माना जा रहा है कि शी वियतनाम को अपने उस समूह में शामिल होने को बोल सकते हैं, जहां चीन के वे सारे साझीदार एक साथ हैं जो आर्थिक, सुरक्षा और राजनीतिक मुद्दों पर एक जैसा दृष्टिकोण रखते हैं.

वांग ने कहा कि शी के दौरे पर एजेंडे में "राजनीतिक, सुरक्षा, व्यवहारिक सहयोग, जनता के बीच आमराय बनाना और समुद्री सहयोग” जैसे मुद्दे शामिल हैं. शी बुधवार को वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन चिन और राष्ट्रपति वो वान थूंग से मिलेंगे. वह राजधानी में वियतनाम के क्रांतिकारी नेता हो चीन मिन के स्मारक पर भी जाएंगे.

दक्षिणी चीन सागर में तनाव

दो दिन का यह दौरा तब हो रहा है जब चीन और फिलीपींस के बीच राजनीतिक तनावचरम पर है. दक्षिणी चीन सागर में दोनों देशों के बीच कई झड़पें हो चुकी हैं. सोमवार को फिलीपींस ने आरोप लगाया था कि एक चीनी नौसैनिक जहाज ने उसकी नौकाओं पर पानी की बौछार की.

इसके बाद फिलीपींस ने चीन के राजदूत को समन भी किया था और उन्हें निष्कासन की धमकी तक दी थी.

ऐसे माहौल में चीन के लिए वियतनाम अहम हो जाता है क्योंकि मलयेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के साथ वह भी दक्षिणी चीन सागर में कई द्वीपों पर दावा जताता है.

चीन ने पिछले एक दशक में दक्षिणी चीन सागर में अपनी सीमा का काफी विस्तार किया है. उसने कई सैन्य द्वीप बनाए हैं, जहां हवाई अड्डे और राडार सिस्टम तक तैयार हैं. वियतनाम आसियान के उन कई सदस्य देशों में से है जिन्होंने पिछले महीने जारी चीन के नए नक्शे पर आपत्ति जताई थी. इस नक्शे में दक्षिणी चीन सागर के बड़े हिस्से को उसने अपनी सीमा में दिखाया था.

दुर्लभ खनिजों की जरूरत

सितंबर में जब बाइडेन ने वियतनाम का दौरा किया तो कुछ विश्लेषकों का कहना था कि शी भी वियतनाम के साथ रिश्ते मजबूत करने की कोशिश करेंगे. खासतौर पर दुर्लभ खनिजों के मामले में दोनों देशों के बीच सहयोग हो सकता है क्योंकि चीन को स्मार्ट फोन और इलेक्ट्रिक बैट्री जैसी उच्च तकनीक वाली मशीनें बनाने के लिए इन खनिजों की जरूरत है.

वियतनाम के सरकारी मीडिया ने पिछले महीने खबर छापी थी कि चाइना रेयर अर्थ ग्रुप नामक कंपनी वियतनाम की खनन कंपनी विनाकोमिन के साथ काम करने के अवसर तलाश रही है. अमेरिका ने सितंबर में दुर्लभ खनिजों के दोहन और विकास पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई थी.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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