ये दोनों सामूहिक कब्रें एक दूसरे से 150 मीटर की दूरी पर मिली है. इनमें नौ-नौ यजीदी लोगों को दफन किया गया है. संदेह है कि इन लोगों की हत्या इस्लामिक स्टेट ने की. सिंजार के मेयर माहमा खलील ने बताया कि ये कब्रें उम अल-शबाबिक इलाके में मिली हैं. पेशमर्गा लड़ाकों को इलाके में एक खोजी अभियान के दौरान ये कब्रें मिलीं. इनमें हड्डियां और पहचान पत्र हैं.
कौन हैं यजीदी लोग, जानिए
कई धर्मों के मिले जुले रिवाज वाला धर्म यजीदी है. इसमें इस्लाम, ईसाइयत और कुछ दूसरे धर्मों के मिले जुले पुट हैं. इराक में रहने वाले इन लोगों पर आइसिस ने हमला बोला है. हालांकि उन्हें कुर्दों का समर्थन है.
तस्वीर: Reutersयजीदी एक ईश्वर में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि उसके सात फरिश्ते दुनिया में उनकी मदद करते हैं. मोर के रूप में मलिक ताउस उनमें सबसे अहम है.
यजीदी धर्म के अनुयायी दिन में पांच बार सूर्य की तरफ मुंह करके पूजा करते हैं. दोपहर की पूजा लालिश पहाड़ियों की तरफ मुंह करके की जाती है, जहां उनका पवित्र मजार है. यह जगह उसी का प्रतीक है.
तस्वीर: DW/Al-Schalanदुनिया भर में करीब 8 लाख यजीदी हैं, जिनमें से ज्यादातर निनेवेह प्रांत में पहाड़ियों के पास रहते हैं. कुर्द भाषा बोलने वाले यजीदियों को 1990 के बाद से सीरिया और तुर्की जैसे देशों से भागना पड़ा. उनमें से कई ने अब यूरोप में पनाह ली है.
तस्वीर: DW/Al-Schalanआइसिस का कहना है कि यह "अशुद्ध" लोगों को इराक में नहीं रहने देंगे. लिहाजा उन्होंने यजीदियों पर हमला बोल दिया है. इससे पहले इन लोगों को सद्दाम हुसैन के शासनकाल में भी हमलों का सामना करना पड़ा था.
तस्वीर: picture alliance/AAये लोग इराक छोड़ कर सीरिया की तरफ भाग रहे हैं. सफर के लिए कई बार गधों का भी इस्तेमाल करना पड़ रहा है. रिपोर्टें हैं कि आइसिस ने सैकड़ों यजीदियों को मार डाला है. उनके खौफ से ईसाई भी कुर्दों के प्रभाव वाले शहर इरबील भाग रहे हैं.
तस्वीर: Reutersइराक सरकार का दावा है कि आइसिस के सदस्यों ने कई यजीदियों को जिंदा दफ्न कर दिया है, जबकि औरतों को अगवा कर लिया गया है. बच कर भाग रहे लोगों में से कुछ ने दोहुक प्रांत में ठिकाना जमाया है.
तस्वीर: REUTERSआम तौर पर वे इराक के उत्तर में रहते हैं, जहां कुर्दों का भी भारी प्रभाव है. दोनों की भाषा भी लगभग एक जैसी है. इराक से बाहर सबसे ज्यादा यजीदी यूरोपीय देश जर्मनी में रहते हैं. इसके अलावा रूस, अर्मेनिया, जॉर्जिया और स्वीडन में भी उन्होंने शरण ली है.
आइसिस के खिलाफ अमेरिका ने जहां हवाई हमले करने का फैसला किया है, वहीं कुछ देशों ने वहां मदद पहुंचाने का भी काम किया है. फ्रांस का एक कार्गो विमान बगदाद के पास अरबील में राहत सामग्री लेकर उतरा, जो प्रभावित इलाकों में भेजी गई.
तस्वीर: Reutersसीरिया के अल-हसाका इलाके की तरफ जाते हुए यजीदी समुदाय के लोगों को कुर्द लड़ाकों का समर्थन मिल रहा है. आइसिस ने इराक में खिलाफत का एलान किया है और यजीदी खास तौर पर उनके निशाने पर हैं.
तस्वीर: Reutersबीलेफेल्ड शहर में इराक के यजीदियों के समर्थन में प्रदर्शन किए गए. इस दौरान कुर्दिश वर्कर्स पार्टी के सह संस्थापक अब्दुल्लाह ओएचेलान के पोस्टर भी लोगों ने थाम रखे थे. इस प्रदर्शन में 10,000 लोगों ने हिस्सा लिया.
तस्वीर: REUTERS लगता है कि इन लोगों को बुल्डोजर के जरिए रेतीली जमीन में दफन किया गया था. इन दोनों कब्रों को मिलाकर, सिंजार में आईएस का कब्जा होने के बाद अब तक मिनले वाली इस तरह की कब्रों की संख्या 29 हो गई है, जिनमें कम से कम 1,600 शव बरामद किए गए हैं. ऐसी और भी कब्रें हो सकती हैं.
आईएस ने सबसे पहले 2014 में इस इलाके पर कब्जा करने के बाद बहुत से यजीदियों को बंधक बनाया, गुलाम बनाया और उनकी हत्या की. अगवा किए लोगों के मामले देखने वाले एक कार्यालय का कहा है कि अब भी 3,500 यजीदी आईएस के नियंत्रण वाले इलाकों में रह रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर महिला और बच्चे हैं.
कुर्द भाषा बलोने वाले यजीदी न तो मुसलमान और न ही अरब. उनके धर्म में मध्य पूर्व के कई प्राचीन धर्मों के विभिन्न पहलु का समावेश है. उनकी कई बातें मुसलमानों, ईसाइयों और पारसियों से मिलती हैं. इस्लामिक स्टेट समेत कई सुन्नी चरमपंथी संगठन उन्हें शैतान का उपासक मानते हैं.
दर दर यजीदी, देखिए
इराक में रहने वाले शरणार्थियों के दिन मुश्किल होते जा रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्था यूएनएचसीआर के मुताबिक इराक में विस्थापित लोगों की संख्या करीब 10 लाख है और इनमें से अधिकतर यजीदी हैं.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlअपने ही देश में दर बदर घूमने वाले इराकियों की संख्या करीब 10 लाख बताई जाती है. इनमें से अधिकतर लोग देश के उत्तरी इलाकों की ओर जा रहे हैं.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlउत्तरी इराक में पहुंचे अधिकतर यजीदी हैं. सिंजर पहाड़ियों पर इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने जब हमला किया तो उनमें अधिकतर सुरक्षा के लिए उत्तरी शहरों में आ गए.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlगैर सरकारी संगठनों और कुर्द इलाके की सरकार के लिए इतने सारे लोगों की व्यवस्था करना मुश्किल का काम है. जिन्हें शरणार्थी शिविरों में जगह नहीं मिली उन्हें बिना किसी मदद के ही अपनी देखभाल करनी है.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlशरणार्थी शिविरों में कम जगह के कारण कई यजीदी आधी अधूरी बनी इमारतों, खाली घरों या स्कूली इमारतों में रह रहे हैं.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlसिंजर इलाके के गांवों से भागना इतना आसान नहीं था. आईएस के लड़ाकों ने जब वहां हमला किया तो कई लोग मारे गए. इसे सिंजर नरसंहार के तौर पर दर्ज किया गया है.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlइस अधूरी बनी इमारत में करीब 40 परिवार रहते हैं और सर्दियों में तापमान के गिरने के साथ ही इनका खुली हवा में रहना मुश्किल हो जाएगा.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlआंतरिक तौर पर विस्थापितों के लिए नये शरणार्थी शिविर बनाने का वादा किया गया है लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlइस आपदा और संकट में कई यजीदी बच्चे भी घिर हुए हैं. उनका भविष्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चिंता का विषय है.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlताजा संकट से ये लोग जैसे तैसे उबरने की कोशिश कर ही रहे थे कि इमारत बनाने वालों ने यजीदियों को इमारतें खाली करने के लिए कह दिया है. उन्हें शरणार्थी शिविरों में जगह नहीं मिलने के कारण वह इन इमारतों में रहने को मजबूर हैं.
तस्वीर: DW/Andreas Stahlकैमरे के सामने फोटो के लिये खड़ा युवक. सिंजर से भागे कई लोगों को अपने परिवार के बारे में कुछ पता नहीं, यह भी नहीं कि वे जिंदा भी हैं या नहीं.
तस्वीर: DW/Andreas Stahl संयुक्त राष्ट्र ने यजीदी लोगों पर होने वाले अत्याचारों को नरसंहार का नाम दिया है. उसका कहना है कि यजीदी महिला और पुरूषों को आईएस जानबूझ कर अलग रख रहा है ताकि उनके बच्चे पैदा न हों. ज्यादातर सिंजार की पहाड़ियों के नजदीक ही रहते हैं और अभी उनकी आबादी चार लाख के आसपास बताई जाती है.
एके/ओएसजे (एएफपी, रॉयटर्स)