8 साल की बच्ची अगर आपको बताए कि 10 महीने में उसे 8 बार बेचा गया और 100 बार रेप किया गया तो आप दुनिया को क्या कहेंगे? इराक से लाई गईं 1,100 महिलाओं में से सबकी कहानी ऐसी ही दर्दनाक है.
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यह यजीदी लड़की इराक के रिफ्यूजी कैंप में दो हफ्तों से छिपी हुई थी. जब उसे अपने टेंट के बाहर आईएस के लड़ाकों की आवाज सुनाई दी तो उसकी रूह कांप गई. उसे अपने साथ हुई वहशत और हैवानियत याद आ गई, जब आईएस के लड़ाकों ने उसके शरीर को नोच दिया था. वह फिर से वही सब नहीं सहन कर सकती थी. 17 साल की यास्मीन सोचने लगी कि खुद को कैसे बचाऊं. और उसे एक ख्याल आया. एक ऐसा ख्याल जो इंसान के लिए खुदकुशी से भी बुरा हो सकता है. उसने सोचा कि अपने आप को ऐसा बदशक्ल कर लूं कि मुझे कोई देखना ही ना चाहे. यह सोचकर यास्मीन ने अपने ऊपर केरोसीन डाला और आग लगा ली. यास्मीन के बाल और चेहरा जल गए. उनकी नाक, होंठ और कान पूरी तरह पिघल गए.
जर्मनी के डॉक्टर यान इल्हान किजिलहान को यास्मीन इसी हालत में पिछले साल उत्तरी इराक के एक रिफ्यूजी कैंप में मिली थी. शारीरिक रूप से तो वह पूरी तरह नकारा हो ही चुकी थी, मानसिक तौर पर भी वह इस कदर डरी हुई थी कि डॉक्टर को अपनी ओर आते देख चिल्लाने लगी थी कि कहीं उसके अपहरणकर्ता ही तो नहीं आ गए.
जानें, कैसी थी इस्लाम के प्रवर्तक पैगंबर मोहम्मद की बीवी
ऐसी थीं पैगंबर मोहम्मद की बीवी
पैगंबर मोहम्मद की पहली बीवी खदीजा बिंत ख्वालिद की इस्लाम धर्म में महिलाओं के अधिकार तय करवाने में अहम भूमिका मानी जाती है. कई मायनों में उन्हें मुस्लिम समुदाय की पहली फेमिनिस्ट भी माना जाता है.
पिता से सीखे व्यापार के गुर
खदीजा के पिता मक्का के रहने वाले एक सफल व्यापारी थे. कुराइश कबीले के पुरुष प्रधान समाज में खदीजा को हुनर, ईमानदारी और भलाई के सबक अपने पिता से मिले. उनके पिता फर्नीचर से लेकर बर्तनों और रेशम तक का व्यापार करते थे. उनका कारोबार उस समय के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों मक्का से लेकर सीरिया और यमन तक फैला था.
आजादख्याल और साहसी
खदीजा की शादी पैगंबर मोहम्मद से पहले भी दो बार हो चुकी थी. उनके कई बच्चे भी थे. दूसरी बार विधवा होने के बाद वे अपना जीवनसाथी चुनने में बहुत सावधानी बरतना चाहती थीं और तब तक अकेले ही बच्चों की परवरिश करती रहीं. इस बीच वे एक बेहद सफल व्यवसायी बन चुकी थीं, जिसका नाम दूर दूर तक फैला.
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ना उम्र की सीमा हो
पैगंबर मोहम्मद से शादी के वक्त खदीजा की उम्र 40 थी तो वहीं मोहम्मद की मात्र 25 थी. पैगंबर मोहम्मद को उन्होंने खुद शादी के लिए संदेश भिजवाया था और फिर शादी के बाद 25 सालों तक दोनों केवल एक दूसरे के ही साथ रहे. खदीजा की मौत के बाद पैगंबर मोहम्मद ने 10 और शादियां कीं. आखिरी बीवी आयशा को तब जलन होती थी जब वे सालों बाद तक अपनी मरहूम बीवी खदीजा को याद किया करते.
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आदर्श पत्नी, प्रेम की मूरत
अपनी शादी के 25 सालों में पैगंबर मोहम्मद और खदीजा ने एक दूसरे से गहरा प्यार किया. तब ज्यादातर शादियां जरूरत से की जाती थीं लेकिन माना जाता है कि हजरत खदीजा को पैगंबर से प्यार हो गया था और तभी उन्होंने शादी का मन बनाया. जीवन भर पैगंबर पर भरोसा रखने वाली खदीजा ने मुश्किल से मुश्किल वक्त में उनका पूरा साथ दिया. कहते हैं कि उनके साथ के दौरान ही पैगंबर पर अल्लाह ने पहली बार खुलासा किया.
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पहले मुसलमान
हजरत खदीजा को इस्लाम में विश्वास करने वालों की मां का दर्जा मिला हुआ है. वह पहली इंसान थीं जिन्होंने मोहम्मद को ईश्वर के आखिरी पैगंबर के रूप में स्वीकारा और जिन पर सबसे पहले कुरान नाजिल हुई. माना जाता है कि उन्हें खुद अल्लाह और उसके फरिश्ते गाब्रियाल ने आशीर्वाद दिया. अपनी सारी दौलत की वसीयत कर उन्होंने इस्लाम की स्थापना में पैगंबर मोहम्मद की मदद की.
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गरीबों की मददगार
अपने व्यापार से हुई कमाई को हजरत खदीजा गरीब, अनाथ, विधवा और बीमारों में बांटा करतीं. उन्होंने अनगिनत गरीब लड़कियों की शादी का खर्च भी उठाया और इस तरह एक बेहद नेक और सबकी मदद करने वाली महिला के रूप में इस्लाम ही नहीं पूरे विश्व के इतिहास में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा.
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अब 18 साल की हो चुकी यास्मीन उन 1,100 महिलाओं में से हैं जो आईएस की कैद से छूट भागी थीं और अब जर्मनी में मानसिक इलाज करवा रही हैं. इनमें से ज्यादातर यजीदी धार्मिक समुदाय से हैं. अब उन नारकीय दिनों को याद करते हुए यास्मीन जब बात भी करती है तो उसकी मुट्ठियां भींच जाती हैं और वह कुर्सी को कसकर पकड़ लेती है. उसे याद आता जब डॉक्टर यान पहली बार उसके कैंप में आए थे और उसकी मां से कहा था कि जर्मनी में उसकी मदद हो सकती है. वह बताती है, "मैंने कहा, बेशक मैं वहां जाना चाहती हूं और सुरक्षित रहना चाहती हूं. मैं फिर से वही पुरानी यास्मीन बनना चाहती हूं." यास्मीन अपना पूरा नाम जाहिर नहीं करना चाहती क्योंकि अब भी उसे डर लगता है.
देखें, भागते लोगों की दास्तां
भागते लोगों की दास्तां
तुर्की से किसी तरह ग्रीस के द्वीप तक, वहां से बाल्कान होते हुए हंगरी तक, शरण की उम्मीद में पश्चिमी यूरोप तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हजारों लोग इसी राह पर हैं. एक नजर उनके दास्तां पर.
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सीरिया के मोहम्मद
वह पेशे से अंग्रेजी के टीचर हैं. कुर्द होने की वजह से इस्लामिक स्टेट ने उनके इलाके और समुदाय को निशाना बनाया. मोहम्मद किसी तरह भागते भागते मेसेडोनिया पहुंचे हैं. वह जर्मनी पहुंचना चाहते हैं और पूछते हैं, "क्या जर्मनी में आप अंग्रेजी में काम कर सकते हैं."
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मोरक्को के जमान
दोस्ती भरी मुस्कुराहट वाले जमान गैर कानूनी रूप से चार साल तक ग्रीस की राजधानी एथेंस में रह चुके हैं. वह कहते हैं, "वहां की पुलिस बहुत नस्लभेदी है." इसीलिए अब वो विस्थापितों के जत्थे में शामिल हो गए हैं. उन्हें लगता है कि जर्मनी में वह बेहतर जिंदगी जी पाएंगे.
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इराक के अहमद
17 साल का अहमद काफी खून खराबा देखकर यहां तक पहुंचा है. "हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या इस्लामिक स्टेट है. आतंकवादी जो हाथ पड़ता है उसे मार देते हैं." अहमद को बुल्गारिया में पुलिस ने पीटा और सब कुछ छीन लिया. सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड में वह खुले में सो रहा है. अहमद जर्मनी पहुंचकर एक सुरक्षित जिंदगी जीना चाहता है.
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अफगानिस्तान के मोहम्मद
दो बच्चों के पिता मोहम्मद का बेलग्रेड के सहायता केंद्र में इलाज चल रहा है. दूसरों की तरह उन्होंने तुर्की से ग्रीस आने के लिए कबूतरबाजों को पैसा दिया. वह और उनका परिवार बाल बाल बचा, "हमारी नाव डूब गई. मेरा पूरा परिवार घंटे भर तक पानी में था, तभी तुर्क तटरक्षक बल वहां पहुंचे."
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सीरिया के मिलाद
राजधानी दमिश्क से भागे 27 साल के आईटी एक्सपर्ट जर्मन शहर फ्रैंकफर्ट पहुंचना चाहते हैं. सर्बिया के उत्तरी शहर सुबोटिचा में वो किसी "पाकिस्तानी" नागरिक का इंतजार कर रहे हैं जो सर्बिया और हंगरी की सीमा पुलिस को रिश्वत देकर मिलाद और उनके माता पिता को बॉर्डर पार कराएगा. 4,500 यूरो की रिश्वत.
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अफगानिस्तान के फलात
25 साल के फलात अपने घर के हालात इन शब्दों में बताते हैं, "बुरी परिस्थितियां, हर दिन युद्ध." वह भी सुबोटिचा में कबूतरबाजों का इंतजार कर रहे हैं. पूरी यात्रा में उन्हें करीब 5,000 यूरो खर्च करने होंगे. रोज के बम धमाकों को पीछे छोड़ यहां तक पहुंचे फलात को हंगरी की सीमा पर लगी बाड़ की कोई परवाह नहीं. उन्हें भरोसा है कि वह जर्मनी पहुंच ही जाएंगे.
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यास्मीन का घर उत्तरी इराक के सिंजार इलाके में था. 3 अगस्त 2014 को इस्लामिक स्टेट वाले उस इलाके में घुसे थे. दुनिया के सबसे ज्यादा यजीदी उसी इलाके में रहते हैं. आतंकवादियों ने सारे यजीदियों को जमा किया और तीन समूहों में बांट दिया. युवा लड़के जो लड़ने के काबिल थे. उन्हें लड़ाई में लगा दिया गया. बूढ़ों को दो विकल्प दिए गए, इस्लाम चुनो या मौत. जो नहीं माने उन्हें कत्ल कर दिया गया. और तीसरा समूह यास्मीन जैसी महिलाओं का था जिन्हें गुलाम बना लिया गया.
तब दसियों हजार यजीदी पहाड़ों की ओर भाग गए थे. वे काफी समय तक वहां छिपे रहे. जब पश्चिमी बचाव दल वहां पहुंचे, हजारों जानें जा चुकी थीं. संयुक्त राष्ट्र के एक्सपर्ट पैनल ने बताया कि सिंजार इलाके में कोई स्वतंत्र यजीदी नहीं बचा. रिपोर्ट के मुताबिक, "चार लाख यजीदी विस्थापित हुए, मारे गए या गुलाम बना लिए गए. 3,200 तो आज भी सीरिया में आईएस के कब्जे में हैं."
इन जगहों पर महिलाएं सबसे असुरक्षित हैं
यहां महिलाएं सबसे असुरक्षित हैं
एक नजर महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक 5 देशों पर जिनकी सूची थॉम्पसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने निकाली है.
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अफगानिस्तान
इस देश में बचपन से ही महिलाओं के लिए जीवन कठिनाइयों से भरा है. 87 फीसदी महिलाएं अशिक्षित हैं और 70 से 80 फीसदी की जबरन शादी कर दी जाती है. गर्भधारण के दौरान हजार में 4 महिलाएं जान गंवा देती हैं. यहां घरेलू हिंसा के मामले भी बेहद आम हैं.
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कांगो गणराज्य
दुनिया भर में सेक्स संबंधित हिंसा में कांगो सबसे आगे है. अमेरिकी जनस्वास्थ्य पत्रिका के मुताबिक कांगो में हर रोज 1,150 महिलाओं के साथ बलात्कार होता है. महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति भी बहुत खराब है. 57 फीसदी गर्भवती महिलाएं खून की कमी से जूझ रही होती हैं.
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पाकिस्तान
पाकिस्तान में कई पारंपरिक रीति रिवाज महिलाओं के लिए काफी सख्त हैं. पाकिस्तान के मानव अधिकार आयोग के मुताबिक हर साल करीब 1000 महिलाओं और बच्चों को ऑनर किलिंग के कारण जान गंवानी पड़ती है. 90 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार हैं.
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भारत
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने के बावजूद भारत में सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले आम हैं. भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों में गिना जाता है. रिसर्चरों के मुताबिक पिछले तीन दशकों में 5 करोड़ भ्रूण हत्या के मामले हुए हैं.
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सोमालिया
गर्भावस्था के दौरान होने वाली मौतें, बलात्कार, महिलाओं का खतना और जबरन शादी सोमालिया की महिलाओं के लिए बड़ी समस्या है. देश में कानूनों की कमी है. 4-11 साल की 95 फीसदी लड़कियों का खतना कर दिया जाता है. केवल 9 फीसदी मांए ही सही चिकित्सकीय मदद से बच्चे को जन्म दे पाती है.
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जर्मनी ने राजनीतिक दखलअंदाजी के बाद फैसला किया कि यजीदियों की मदद की जाएगी. तीन साल में हजारों यजीदी, मुस्लिम और ईसाई औरतों को जर्मनी लाया गया. इस काम में मध्यपूर्व विशेषज्ञ और कुर्दिश मूल के डॉ. यान की मदद ली गई. फरवरी 2015 से जनवरी 2016 के बीच कई टीमों ने इराक के 14 दौरे किए और महिलाओं और युवतियों से बात की. डॉ. यान कहते हैं, "यह ऐसा भयावह दृश्य था जो मैंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा था. मैंने रवांडा और बोस्निया में युद्ध पीड़ितों के साथ काम किया है. लेकिन यह अलग था. आपके सामने आठ साल की बच्ची बताए कि उसे आठ बार बेचा गया और 10 महीने में 100 से ज्यादा बार उसका बलात्कार हुआ तो आप बस यही सोचेंगे कि इंसानियत और कितना नीचे गिर सकती है."
आखिर जर्मनी ने फैसला किया कि 4 साल से 56 साल तक की 1,100 महिलाओं का इलाज किया जाएगा. अब जर्मनी के 20 अस्पतालों में इन महिलाओं का इलाज चल रहा है.
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यौनकर्म की अंधेरी दुनिया में नाबालिग
सामाजिक संस्थाओं का अनुमान है कि जर्मनी में चार लाख यौनकर्मियों में से 10 फीसदी नाबालिग हैं. कई बार अंजाने में तो कई बार जिद में वे अंधेरी दुनिया में प्रवेश कर जाती हैं.
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यौनकर्मियों की संख्या
जर्मनी में यौनकर्मियों की सही संख्या का कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है. यौनकर्मियों के लिए काम करने वाली बर्लिन की हाइड्रा संस्था के मुताबिक करीब चार लाख महिलाएं यौनकर्म से रोजी रोटी कमा रही हैं.
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उत्पत्ति
जर्मनी में पूर्वी यूरोप और अफ्रीका से आई कई महिलाएं इस काम में लिप्त हैं. लेकिन यौनकर्म में शामिल नाबालिग लड़कियां ज्यादातर जर्मन ही हैं. डॉर्टमुंड की राहत संस्था मिडनाइट मिशन के मुताबिक यौनकर्म करने वाली दो तिहाई नाबालिग लड़कियां जर्मन मूल की हैं.
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नशे की लत
इन लड़कियों में कई स्कूली छात्राएं हैं. ये नशे की लती हैं. नशे की जरूरत को पूरा करने के लिए ही ज्यादातर वे यह रास्ता अपनाती हैं. इनमें से ज्यादातर अपने घरों से भागी हुई हैं और उनके पास रहने का ठिकाना नहीं है.
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अंधेरी दुनिया
यौनकर्म को कमाई के लिए अपनाने के कई कारण हैं. कभी वे दोस्तों या रिश्तेदारों के बहकावे में आकर यह काम करने लगती हैं तो कभी वे धोखे का शिकार हो जाती हैं. कई बार पुरुष उनके बॉयफ्रेंड बनकर उन्हें इस काम में बहला फुसलाकर घसीट लेते हैं.
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सख्त सजा
जर्मनी में लड़कियों को जबरन वैश्यावृति में धकेले जाने को रोकने के लिए कानून में सख्ती लाई जा रही है. भविष्य में लड़कियों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें सेक्स वर्क में धकेलने वालों को 10 साल तक कैद की सजा होगी.
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बचाने की कोशिश
बंधुआ सेक्स वर्करों से सेवा लेने वाले लोगों को भी भविष्य में जर्मनी में तीन महीने से पांच साल तक कैद हो सकती है. सजा से बचने के लिए जरूरी होगा कि वह बंधुआ सेक्स वर्करों के बारे में अधिकारियों को फौरन सूचना दे.
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छोड़ना मुश्किल
यौनकर्म की दुनिया में प्रवेश के बाद इनका बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. अक्सर वे यह समझ ही नहीं पाती हैं कि वे अपने साथ क्या कर रही हैं. कम उम्र में उनमें लोगों के खिलाफ जाने की प्रवृत्ति होती है. वे यौनकर्म को सामाजिक मान्यताओं को तोड़ने के कदम की नजर से देखती हैं.