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४ दिसम्बर २०१८दुनिया में कुर्सी की लड़ाई कोई नई नहीं है. कुछ कुर्सियां शक्ति का प्रतीक हैं तो कुछ ताकत दिखाने का जरिया. आइए देखते हैं ताकत के इसी खेल में शामिल इन कुर्सियों को. आखिर दिखती कैसी हैं ये कुर्सियां?
ये हैं किस्से इन कुर्सियों के
दुनिया में कुर्सी की लड़ाई कोई नई नहीं है. कुछ कुर्सियां शक्ति का प्रतीक हैं तो कुछ ताकत दिखाने का जरिया. आइए देखते हैं ताकत के इसी खेल में शामिल इन कुर्सियों को. आखिर दिखती कैसी हैं ये कुर्सियां?
राजा के लिए फिट
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों एक लोकतांत्रिक नेता है. इस तस्वीर में वह एक स्वर्ण सिंहासन पर बैठे हैं जो उनके व्यक्तित्व को शाही अंदाज दे रहा है. यहां वह किसी राजा से कम नहीं लग रहे हैं. यह तस्वीर दिखाती है कि कैसे कुर्सियां आज भी राजनीति में अहम भूमिका निभा रहीं हैं.
बिना ताकत वाली कुर्सी
लीबिया के पूर्व तानाशाह मुअम्मर-अल-गद्दाफी को दशकों तक अफ्रीका का सबसे शक्तिशाली इंसान माना जाता रहा. हालांकि अपने शाही और खर्चीले रहन-सहन के लिए मशहूर गद्दाफी को कई बार विदेश यात्राओं पर बिना लग्जरी की वस्तुओं के साथ भी जाना पड़ता था. 2010 में उगाड़ा में संपन्न हुए अफ्रीकी यूनियन सम्मिट में तंजानिया के राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्हें ये कुर्सी दी गई.
पवित्र कुर्सी
मध्यकालीन युग में कुर्सी पर बैठने वाले राजा-महाराजा का मोल कम, तो वहीं कुर्सी या गद्दी का मोल अधिक होता था. आज पोप का दुनिया में अच्छा खासा रुतबा है. वह दुनिया के 1.3 अरब लोगों के धर्म गुरू हैं. तस्वीर में नजर आ रही यह कुर्सी पोप जॉन पॉल द्वितीय की है जो 1994 की क्रोएशिया यात्रा में उनके साथ आई थी.
आरामदायक कुर्सी
19वीं सदी के अंत तक ये आरामदायक कुर्सियां अमेरिका में काफी फैशन में आ गई थीं, लेकिन आराम की भी कीमत चुकानी होती है. उस समय डिजाइनर जॉर्ज विल्सन की डिजाइन इन कुर्सियों को खरीद पाना सिर्फ अमीरों के बस में था. इसलिए ऐसी कुर्सियों को आधुनिक काल की शुरुआत में ताकत का प्रतीक माना जाने लगा.
सुरक्षा परिषद की कुर्सी
पहली नजर में ये नीली कुर्सियां एकदम साधारण सी दिखती हैं. लेकिन यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वे कुर्सियां है जहां दुनिया के बड़े-बड़े देशों के प्रतिनिधि बैठते हैं. यहां बैठकर स्थाई सदस्य वीटो अधिकार तय करते हैं और वहीं अन्य देश वैश्विक मुद्दों पर रणनीतियां बनाते हैं.
बेहतरीन कुर्सी
इस कुर्सी को एक जर्मन-अमेरिकी डिजाइनर ने 1929 के विश्व मेले में शामिल हुए जर्मन पवेलियन के लिए तैयार किया था. 80 साल बाद इस स्टाइलिश कुर्सी को जेम्स बॉन्ड की 2006 में आई फिल्म कसिनो रोयाल में इस्तेमाल किया गया.
कुर्सियों पर बैठी महिलाएं
दुनिया में चंद महिलाएं ही सत्ता के शिखर तक अपनी पहुंच बना पाई हैं. हालांकि अब महिलाओं के लिए स्थितियां बदल रही हैं. 2017 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुए डब्ल्यू20 सम्मलेन में महिला मुद्दों पर चर्चा करती हुई जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टीन लागार्द और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बेटी और सलाहकार इवांका ट्रंप.
त्रासदी की कुर्सी
हिंसा और त्रासदी को बयान करने वाली ये कुर्सी. इस कुर्सी को मोजांबिक के डिजाइनर गोंसालो माबुंडा ने तैयार किया है. इस गद्दी को रिसाइक्लि किए गए असला, बारूद और ऐसी ही अन्य चीजों से तैयार किया गया है. इसका नाम है www.crise.com. डिजाइनर अपनी इस रचना के जरिए गृहयुद्ध के दर्द को कहना चाहते हैं, जिसने 1975 से 1992 के दौरान देश में उथल-पुथल मचा दी थी.
खेल और पैसे की कुर्सी
इस कमरे में नजर आ रही ये कुर्सियां भ्रष्टाचार, पैसा और ताकत का प्रतीक हैं. यह तस्वीर है फीफा एक्जिक्यूटिव कमेटी के उस कमरे की जिसके भ्रष्टाचार के किस्सों ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी. साल 2016 में इस कमेटी की जगह फीफा काउंसिल बनाया गया. इन मामलों के बावजूद इन कुर्सियों पर बैठने वालों की ताकत में कोई खास कमी नहीं आई है. (फेलिक्स श्लाग्वाइन/एए)